Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:10 PM,
#33
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
सानिया की नज़र जैसे ही अमन के लण्ड पे पड़ती है, वो घबरा जाती है-“ये क्या है? मेरा मतलब है?” और अमन के लण्ड को पकड़कर इधर-उधर देखने लगती है। फिर पूछा-ये कैसे हुआ अमन? 

अमन-“मुझे क्या पता? आप डाक्टर हो, आपको पता होना चाहिए…” 

सानिया के होंठ सूखने लगे थे। वो काँपते हाथों से अमन के लण्ड के ऊपर के चमड़े को देखती है-“ये किसी चीज़ से घिसने से होता है…” 

अमन दिल में-“अब तुझे क्या बताऊँ कि कहाँ-कहाँ घिसता है ये?” 

सानिया के हाथ में दस्ताने थे। पर अमन के लण्ड को पकड़ने से अमन के लण्ड में जान आने लगे थी और वो अपना आकार ले रहा था। सानिया अमन के लण्ड को दबाती है। 

अमन-“अह्म्मह… दर्द होता है डाक्टर…” 

सानिया दराज में से एक जेल्ली निकालती है, और अमन के लण्ड पे लगाती है। ये दरअसल एक ठंडा मलहम था वो त्वचा को ठंडक पहुँचाने के लिये और इन्फेक्सन के लिये इश्तेमाल होता था। जब सानिया अमन के पूरे लण्ड को वो जेल्ली लगा रही थी, तब अमन का लण्ड ठंडी जेल्ली से पूरी तरह तन गया था और सानिया को हाथों में संभालना मुश्किल हो रहा था। 

सानिया अपने दोनों हाथों से अमन के लण्ड को सहलाने लगती है। दरअसल सानिया ने पहली बार इतना मोटा और लंबा लण्ड देखा था। उसके शौहर का तो 4” इंच का ही था। वो डाक्टर थी, उसे लण्ड का साइज़ पता था। पर उसे अपनी हाथों से नापना ये पहली बार था। वो अमन के लण्ड को जोर-जोर से सहलाने लगती है, जैसे मूठ मार रही हो। 

अमन-“अह्म्मह…” वो हँसने लगता है। 

सानिया होश में आते हुए-“क्या हुआ, हँस क्यों रहे हो?” 

अमन-“मुझे एक जोक याद आ गया इसलिये…” 

सानिया-जोक… मुझे भी सुनाओ। 

अमन-नहीं नहीं, आपको बुरा लग जाएगा। 

सानिया लण्ड सहलाते हुए-नहीं लगेगा बोलो भी। 

अमन-ओके सुनो-

एक पेशेंट एक लेडी डाक्टर के पास जाता है। 

पेशेंट-मेडम, मेडम मेरा लौड़ा खड़ा होता ही नहीं और अगर होता है तो जल्दी से ढीला हो जाता है। 

लेडी डाक्टर उस पेशेंट के लण्ड को सहलाते हुए टाइट करती है। पर वो जल्दी से ढीला पड़ जाता है। फिर डाक्टर उसके लण्ड को एक पानी के जग में डालती है। 
पेशेंट-डाक्टर साहिबा, आप ये क्या कर रही हो? 

लेडी डाक्टर-“देख रही हूँ कि तुम्हारा लण्ड कहीं पंचर तो नहीं हो गया है?” 


***** ***** 

सानिया अमन के लण्ड को जोर से मरोड़ते हुए खिलखिलाकर हँसने लगती है-बेशरम कहीं के। 

अमन-“अह्म्मह…” और जोर से हँसने लगता है-“मेडम, कहीं आप भी मेरे…” 

सानिया अमन के होंठों पे उंगली रखते हुए-“तुम जैसे दिखते हो जैसे हो नहीं… गंदे हो, बहुत गंदे। चलो उठो और ये पहन लो। मैं एक मलहम लिखकर दे देती हूँ। दो बार लगाना और दो दिन बाद मुझसे मिलने… मेरा मतलब है कि यहाँ आना। मैं चेक करूंगी…” 

अमन मुस्कुराते हुए-ओके मेडम जी। 

सानिया अमन से उसका फोन नंबर ले लेती है। 

अमन उसे नंबर देने के बाद क्लीनिक से बाहर आता है, और सोचता है कि इसने मेरा नंबर क्यों लिया होगा? और अपना सर झटक के फैक्टरी चला जाता है। 

उधर महक जब अपने घर में नहा रही थी तो उसे अमन के लण्ड का एहसास अपनी गाण्ड में होने लगता है। कैसे वो अमन की गोद में बैठकर ड्राइविंग सीख रही थी। उसका हाथ अपनी चूत पे चला जाता है, और वो अपनी चूत की क्लिट को मसलने लगती है-“अह्म्मह… ओह्म्मह… उंन्ह… अमन…” नज़ाने उसे क्या हो रहा था कि उसे अमन की बहुत याद आ रही थी। 

वो चाहती थी कि अमन से वो जल्द से जल्द मिले, उससे बातें करे, उसकी गोद में बैठकर ड्राइविंग करे और वो सारी बातें वो एक औरत नहाते हुए सोचती है। उसकी चूत गीली हो गई थी, चोट का पानी जाँघ से बहने लगता है। वो दुबारा नहाकर बाथरूम से बाहर आती है। और शीशे के सामने खड़े होकर अपने आपको देखने लगती है। 

उसका जिस्म सुडौल था, हर एक चीज़ जैसे तराशी हुई थी, गुलाबी निपल उसकी जवानी में चार चाँद लगा रहे थे। वो घूमकर अपनी कमर को देखती है-चिकनी मखमली कमर और दोनों कमर के बीच की वो दरार वो नीचे तक जाती थी। अह्म्मह… वो फिर से गरम होने लगती है। 

पर उसे अमन से मिलना था। वो कुछ सोचते हुए अपने कपड़े अलमारी से निकालती है। अपने हाथ में पैंटी लेती हुए मुस्कुरा देती है। फिर पता नहीं क्यों अपनी पैंटी वापस रख देती है, और बिना पैंटी के शलवार पहन लेती है। थोड़ा सा मेकप करके फैक्टरी के लिये निकल जाती है। 

जब अमन फैक्टरी पहुँचा वो बहुत खुश था। वजह शायद डाक्टर सानिया थी। उसे लगने लगा था कि शायद एक और नई चूत नशीब हो जाये। 

महक आज बेसबरी से अमन का इंतजार कर रही थी। जैसे ही अमन उसके केबिन में दाखिल होता है, महक अपनी चेयर से खड़े हो जाती है। कहती है-“कितने लेट आए हो आज तुम। अमन, तुम्हें ज़रा भी मेरा खयाल नहीं, कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ मैं…” 

और वो बोलते-बोलते चुप हो जाती है। ज़ज्बात की आँधी जब चलती है तो वो सब कुछ उड़ा ले जाती है। वो ये नहीं देखती सामने कौन है? उमस तरह महक के दिल का हाल भी यही था… ज़ज्बात ने उसके दिल का हाल अपनी जीभ पे ला दिया था। वो अपनी कही हुए बात पे नर्वस हो जाती है। 
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