Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:20 PM,
#73
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जीशान जब स्काइ ब्लू कलर का पठानी कुर्ता पहनकर हाल में दाखिल होता है तो सोफिया और लुबना की आँखो में जैसे नूर आ जाता है। वो कमाल की पर्सनाल्टी वाला बंदा था गोरा-चिट्टा रंग, चेहरे पे हमेशा मुस्कान, जब भी मुस्कुराता गाल में दो छोटे-छोटे डिंपल पड़ते थे। वो सोफिया को सलाम करके उसकी तरफ बढ़ता है। 
सोफिया और वो तकरीबन एक क़द के थे। सोफिया अपनी अम्मी रज़िया की जवानी थी तो वहीं जीशान अमन ख़ान की। 

जीशान सोफिया को गले लगाकर ईद की मुबारक बाद देता है 

सोफिया भी अपने हैंडसम भाई की छाती से चिपक के बहुत खुश थी। कहते हैं लड़कियाँ लड़कों से खूबसूरत होती हैं। पर हश-ओ-जमाल के मामले में जीशान से खूबसूरत अमन विला में कोई नहीं था। जीशान अपनी बहन सोफिया की पेशानी चूमते हुये उसे ईद की मुबारक बाद देता है। दोनों भाई-बहन सोफिया की तरफ देखते हैं, जो उन दोनों पे नजरें गढ़ाए खड़ी थी। 

लुबना जीशान से क़द में थोड़ी छोटी थी। वो जीशान के जब गले लगती है तो जीशान उसे अपनी छाती से लगाकर थोड़ा सा ऊपर उठा लेता है, जिससे लुबना की छोटी -छोटी कड़क चुचियाँ जीशान की चौड़ी छाती से रगड़ खाने लगती हैं। 
जीशान-ईद मुबारक हो लुबु। 

लुबना-आपको भी भाई। 

तभी वहाँ रज़िया आ जाती है। रज़िया सबसे पहले अपने पोते जीशान से मिलती है। नरम मगर बड़ी-बड़ी चुचियाँ जीशान की छाती से चिपक की ओर अंदर धँस जाती हैं। 

रज़िया जब भी जीशान से मिलती थी वो उसे किसी ना किसी बहाने से कस लेती थी। आज भी वो उसे अपने से अलग करने के मूड में नहीं थी, वजह ये थी कि जीशान अमन की जवानी का आक्स था और हर औरत अपने शौहर को जवान देखना पसंद करती है। 

जीशान रज़िया को नॉर्मल तरीके से पकड़े हुये था। पर रज़िया की नीयत का कोई सही तरह से अींदाजा नहीं लगा सकता था। 

जीशान बार -बार सभी से मिलता है पर जब वो अनुम के रूम में मिलने जाता है तो उसकी साँसे धीमी रफ़्तार से चलने लगती हैं। पटियाला सूट में अनुम किसी संतराश की सूरत से कम नहीं लग रह थी। 

अनुम-कैसे लग रही हूँ मैं जीशान बेटा? 

जीशान थूक निगलते हुये- बूम

अनुम-क्याआअ? 

जीशान-बहुत-बहुत खूबसूरत फुफु। 

अनुम बनावटी गुस्सा दिखाती हुई-“बस बस सबसे आखिर में मुझसे मिलने आए हो तुम…” 

जीशान-“फुफु सच कहूँ तो जब भी आपसे गले मिलता हूँ ना दिल में एक अजीब सा सकून महसूस होता है जो अम्मी से मिलने पे भी नहीं होता। काश आप मेरी अम्मी होतीं…” 

अनुम की पलकें भीगने के कगार पे थीं पर वो वक्त और हालत को देखते हुये खुद को संभाल लेती है-“मैं भी तो तेरे अम्मी हूँ ना… अगर तुझे ऐसा महसूस होता है तो तू अकेले में मुझे अम्मी कहा कर…” आज माँ की छाती से ममता की आवाज़ निकली थी। 


अनुम के मुँह से ये शब्द तो अदा हो गये थे। पर वो जानती थी कि जीशान कभी उसे अम्मी नहीं कहेगा। दोनों एक दूसरे के गले मिलकर ऐसे खो जाते हैं, जैसे हीर और राझा मरने से पहले आख़िरी बार मिले थे। दोनों के जज़्बात बयान करना बहुत मुश्किल था। अनुम जो पिछले 20 साल से जीशान के मुँह से अम्मी लफ़्ज सुनने के लिए तरस गई थी। 

जीशान अनुम को इस कदर अपने से जकड़ लेता है कि अनुम की चुचियाँ , कमर और पेट उससे एकदम चिपक जाते हैं ‘उम्ह्ह’ की सिसकी अनुम के होंठों से निकलती है और जीशान अनुम को छोड़ देता है। दोनों एक दूसरे को देखने लगते हैं और अनुम आगे बढ़कर जीशान की पेशानी चूम लेती है-“ईद मुबारक हो बेटा…” 

जीशान मुस्कुराता हुआ वहाँ से चला जाता है। 

उधर रज़िया के रूम में अमन और रज़िया ना सिर्फ़ एक दूसरे को मुबारक बाद दे रहे थे बल्की एक दूसरे का मुँह भी मीठा करा रहे थे। रज़िया की जुबान अमन के मुँह में मिठास घोल रही थी और अमन रज़िया की कमर को सहलाता हुआ उसका साथ दे रहा था। वो सबसे पहले रज़िया से ही मिलता था। उन्हें किसी के कदमों की आवाज़ सुनाई देती है और दोनों एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। 

सोफिया-दोनों के प्यार की निशानी वहाँ अपनी तमामतर खूबसूरतियों के साथ उनके सामने आ जाती है-

“ईद मुबारक हो अब्बू …” 

“ईद मुबारक हो दादी जान…” 

अमन अपनी प्यार बेटी को गले लगाकर ईद की मुबारक बाद देता है। 

सोफिया-मैं कैसी लग रही हूँ अब्बू ? 

अमन उसे अपनी छाती से चिपका के सामने खड़ी रज़िया की आँखो में देखते हुये-“बिल्कुल अपनी अम्मी की तरह जन्नत की हूर …” 

सोफिया से ज्यादा रज़िया शरमा जाती है। 

सोफिया जब वहाँ से बाहर जाती है तो अमन फिर से रज़िया को बाहो में भर लेता है। 

रज़िया-“अह्ह… बस भी करो अमन, रात में ना…” 

अमन-क्या करूँ रज़िया, तू सामने होती है तो ये काबू में नहीं रहता। 

रज़िया अमन के लण्ड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुये-“इस बेकाबू ही रहने दो, मैं करूँगी इसे काबू आज रात…” 

अमन-“आप और आपकी बेटी अनुम दोनों। वो भी आपके साथ यही सोएगी…” 
दोनों फिर से एक दूसरे को चूमने लगते हैं। 

जीशान अपने दोस्तों से मिलने बाहर चला जाता है। 

रात 10:00 बजे- 

लुबना इधर से उधर टहल रही थी और नग़मा सोफिया के साथ टीवी देखने में मस्त थी। 

सोफिया-“अरे लुबु, देख ना तेरा पसंदीदा सीरियल शुरू होने वाला है…” 

लुबना परेशान सी घड़ी की तरफ देखती हुई-“पता नहीं ये जीशान भाई भी कहाँ रह गये?” 

तभी जीशान हाल में दाखिल होता है। उसका चेहरा बता रहा था कि वो बहुत थक चुका है। 

लुबना उसके पीछे-पीछे रूम में चली जाती है-“क्या हुआ भाई आप ठीक तो हैं ना? बहुत थके-थके से लग रहे हो…” 

जीशान-“हाँ लुबु, पता नहीं सर बहुत दर्द कर रहा है…” 

लुबना-अरे, अल्लाह आपको तो नजर लग गई है। आप ऐसे करो लेट जाओ, मैं नजर की दुआ पढ़कर फूँक देती हूँ …” 

जीशान बिना कुछ कहे वहीं बेड पे धड़ाम से गिर जाता है। लुबना उसकी पेशानी पे हाथ फेर-फेर के दुआ पढ़ती जाती है और फूँक ती जाती है। वो तो उसी वक्त सो जाता है। पर लुबना उसके जूते निकालकर बाहर रखती है, उसे ठीक तरह से लेटाती है, रूम का ए सी ओन करके उसकी पेशानी दबाते हुये वहीं उसके पास सो जाती है। 

अमन जब रूम में पहुँचता है तो शीबा बाथरूम से फ्रेश होकर बाहर निकल रही थी। शीबा अपने शौहर के गले लगकर उसपे अपना जादू चलाने लगती है। वो जानती थी कि अगर वो ऐसा नहीं करेगी तो रोज की तरह आज भी अमन रज़िया या अनुम के रूम का रुख़ करेगा। 

अमन-क्या बात है जानेमन बहुत प्यार आ रहा है? 

शीबा-“हम तो जान देते हैं आप पे, पर आपको दिखाई दे तब ना?” वो अमन की शर्ट के बटन खोल ने लगती है। 

अमन-नहीं , आज नहीं शीबा। 

शीबा-क्यों, तबीयत खराब है क्या? 

अमन-नहीं तो… ऐसी कोई बात नहीं मैं थक गया हूँ , आराम करना चाहता हूँ । 

शीबा-“ह्म्म्म्म… मेरा शेर बूढ़ा और कमजोर हो गया है। शायद अब इसमें वो शिकार करने की क्षमता नहीं रही । और वो खिलखिाकर हँसने लगती है। 

और अमन के दिमाग़ का पारा चढ़ने लगता है। 

ये शीबा के शैतानी दिमाग़ की एक चाल थी। वो जानती थी अमन एक पठान है और पठानों की अकल घुटनों में होती है। उन्हें बस थोड़ा सा छेड़ो। वो छेड़ देती हैं। और शीबा का तीर सही निशाने पे लग जाता है। 

अमन-“साल तुझे अभी दिखाता हूँ कि ये शेर क्या कर सकता है?” वो शीबा को पीछे से पकड़कर वहीं बेड पे झुका देता है, दोनों हाथ पीछे मोड़कर उसके कान में कहता है-“ तू आज ऐसे चुदेगी शीबा कि तुझे अपनी माँ हिना याद आ जायेगी…” 
अमन एक पंजा शीबा की नाइटी पे मारता है और वो जिस्म से अलग हो जाती है। ब्रा का हुक खुलते ही शीबा ऊपर से एकदम नंगी हो चुकी थी। वो दिल ही दिल में बहुत खुश थी और चूत तो उसकी मारे जोश के मचलने लगी थी। 

शीबा-“अह्ह… जान से मारने का इरादा है क्या जी…” 

अमन-“हाँ… मुँह खोल, साली मुँह खोल … आज तूने अमन की मर्दानगी को ललकारा है। अब देख तेरे साथ मैं क्या करता हूँ ?” 

जैसे ही शीबा मुँह खोलती है, अमन उसके मुँह के सामने अपना कड़क लण्ड लहराने लगता है। शीबा उसे हाथ में पकड़कर हिलाते हुये अपने होंठों पे लगाकर चूमती है-“उम्ह्ह… मुआह्ह…” 

अमन-मुँह में ले इसे। 

शीबा का मुँह खुलता है और वो तेज धारदार तलवार उसके गले में घुस जाती है-“गलप्प्प गलप्प्प गलप्प्प…” उससे ना साँस ली जा रही थी और ना थूक निगला जा रहा था। अमन का लण्ड शीबा के गले में फँसा पड़ा था और वो वहीं अपने खौफनाक अंदाज में अंदर-बाहर हो रहा था। शीबा एक पल के लिए उसे बाहर निकालती है और फिर दूसरे ही पल दुबारा मुँह में ले लेती है-“गलप्प्प… गलप्प्प… दिखाओ मुझे आपकी वही मर्दानगी, जिससे आप मेरी अम्मी और मुझे चोदा करते थे गलप्प्प गलप्प्प…” 

अमन उसे झुकाकर खड़ा कर देता है और एक झटके में अपने लण्ड को उसकी चूत के अंदर तक घुसा देता है।

शीबा-“अह्ह… मार डालोगे क्या मुझे? अह्ह… नहीं , इतने जोर से नहीं ना जान अह्ह… उम्ह्ह…” 

अमन-“अह्ह… चिल्ला मत साली … अब् क्या हुआ? मुझे ललकारती है? ले… आज तेरी चूत को सुजा ना दूं तो मेरा नाम भी अमन नहीं अह्ह… अह्ह…” 

शीबा-“नहीं … ना जी… मुझे माफ कर दो ना अह्ह… प्लीज़्ज़… आराम से ना अह्ह… उम्ह्ह…” 

कोई पिस्टन भी कम रफ़्तार से बाइक में घूमता होगा। अमन की रफ़्तार उससे भी ज्यादा तेज थी। शीबा को सच में बहुत दर्द हो रहा था। वो पागल ये समझ बैठी थी कि अमन ज्यादा से ज्यादा 10 मिनट चोद पाएगा उसे, पर पिछले 15 मिनट से एक रफ़्तार से एक फ्लो में चोदने की वजह से शीबा की चूत अब चरचराने लगी थी। 

अमन उसकी आवाज़ सुनकर उसकी पैंटी उठाकर उसके मुँह में ठूँस देता है और फिर से उसे पीछे से चोदने लगता है। 

शीबा-“अह्ह… निकालो ना अह्ह… अब नहीं कहूँ गी ना अह्ह…” 

अमन-“आज तो तू मर भी जाए तो कोई गम नहीं मेरी जान अह्ह…” वो शीबा का मुँह पकड़कर सटासट अपने लण्ड को उसकी बच्चेदानी पे मार रहा था जैसे कोई मूसल ओखली में मारता है। 45 मिनट चली इस धुआँधार चुदाई के बाद अमन अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है और शीबा को नीचे बैठाकर उसके मुँह में अपने लण्ड की धार छोड़ने लगता है। 

आज कई दिनों बाद अमन ने शीबा को इतनी बुरी तरह किसी रंडी की तरह चोदा था। इस चुदाई का असर अमन पे ये हुआ था कि वो गहर नींद में सो जाता है और शीबा उसके पास लेटी हुई दिल में जश्न मनाने लगती है कि आज की रात रज़िया और अनुम अपनी चूत को घिसते-घिसते गुजारेंगी। 

शैतानी दिमाग़ की ये चाल तो कामयाब रही । पर आने वाला वक्त ही बताएगा की कौन किस हद तक अपनी साज़िशों में कामयाब होता है। 
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