Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:21 PM,
#81
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
उधर दिल्ली में सोफिया और अमन अपने होटेल के रूम में बैठे हुये थे। 

अमन-“बेटा मैं फ्रेश हो जाता हूँ उसके बाद तुम भी फ्रेश हो जाना…” 

सोफिया-“जी अब्बू …” 

और अमन बाथरूम में चला जाता है। वो रात के थके हुये थे इसलिए आज सुबह देर तक सोए थे। अमन बाथरूम से सोफिया को आवाज़ देता है-“सोफिया बेटा, जरा तौलिया तो देना मैं लाना भूल गया…” 

सोफिया-“जी अब्बू …” और सोफिया तौलिया लेकर बाथरूम के पास जाती है-“ये लो अब्बू तौलिया…” 

अमन जैसे ही तौलिया लेने हाथ बाहर निकालता है उसका पैर स्लिप हो जाता है और दरवाजा खुल जाता है। अमन बिल्कुल नंगा अपनी बेटी सोफिया के सामने आ जाता है। सोफिया की नजर जैसे ही अमन के लण्ड पे पड़ती है, वो चीख पड़ती है। 

अमन बाथरूम में रज़िया को सोच-सोचकर लण्ड की मालिश कर रहा था, जिसकी वजह से उसका लण्ड एकदम खड़ा हुआ था। वही खड़ा लण्ड सोफिया ने देख लिया था। 

सोफिया भागकर बेड पे बैठ जाती है। 

कुछ देर बाद जब अमन बाहर आता है तो उसके चेहरे पे हल्की सी मुस्कान थी। वो सोफिया से नजरें नहीं मिला पाता और नाश्ता करने लगता है। 

सोफिया उठकर बाथरूम में घुस जाती है। वो अपने कपड़े उतारकर तौलिया जिस्म से लपेट लेती है। उसके दिल की धड़कनें आज उसका साथ नहीं दे रही थीं। जिंदगी में पहली बार उसने इतना मोटा, इतना लम्बा लण्ड देखा था। वो तौलिया निकालकर बाथटब में बैठ जाती है। जैसे ही जिस्म से पानी छूता है एक दिलफरेब सरसराहट पूरे जिस्म में दौड़ जाती है। उसके हाथ खुद-बा-खुद अपनी जाँघ की तरफ बढ़ जाते हैं, और धीरे-धीरे वो उंगलियाँ सोफिया की चिकनी कुँवारी चूत पे जाकर रुक जाती है। 

सोफिया के साँस अटक जाती है। धीरे-धीरे वो आँखें बंद कर लेती है, और उसे वही खड़ा लण्ड अपनी नजरों के सामने दिखने लगता है। चूत पे हाथ का दवाब बढ़ता जाता है और कुछ ही देर में सोफिया की चूत से अपने अब्बू के नाम का पानी बहने लगता है। सोफिया घबराकर बाथटब में बैठ जाती है। 

तभी बाहर से अमन की आवाज़ आती है-“सोफिया बेटा, मैं बाहर जा रहा हूँ दो घंटे में वापस आ जाऊूँगा…” 

सोफिया-“जी अब्बू …” सोफिया की चुचियाँ तन चुकी थी और हवा में झूल रही थीं। वो किसी तरह नहाकर बाहर आ जाती है। रूम बिल्कुल वाली था। वो दरवाजा बंद कर देती है। उसे घबराहट भी हो रही थी और दिल पता नहीं किस बात पे मचल भी रहा था। 

वो कुछ देर सोना चाहती थी। वो बेड पे लेट जाती है। और कुछ ही पलों में उसकी आँख भी लग जाती है। उसे बड़ी गहरी नींद लगी हुई थी। जिस्म बिल्कुल शांत था पर दिमाग़ में वही सब घूम रहा था। उसे एक ख्वाब दिखाई देता है। ख्वाब में वो खुद को सोता हुआ पाती है। वो देखती है कि उसके अब्बू उसके पास बैठे हुये हैं, और अपना लण्ड बाहर निकालकर सोफिया के मुँह के करीब ला रहे है। सोफिया का मुँह अपने आप खुल जाता है और वो लण्ड उसके मुँह में जाने लगता है। 

फिर वो देखती है कि उसके अब्बू उसके मुँह में अपना लण्ड अंदर-बाहर कर रहे हैं, और वो भी अपने अब्बू के लण्ड को बड़े प्यार से चूसरही है-“गलप्प्प गलप्प्प…” 

कुछ देर बाद उसके अब्बू उसे उल्टा करके उसकी पैंट नीचे खींच लेते हैं, और वो कुछ नहीं कह पाती। सोफिया की साँसें ख्वाब में तेज चलने लगती हैं। वो ऐसे महसूस करती है जैसे अमन उसकी गाण्ड में अपना लण्ड रगड़ रहा है और उसके पैर खुद-बा-खुद खुलते चले जाते हैं। वो देखती है कि अमन उसके पैर चौड़े करके अपना लण्ड उसकी चूत में डालकर उसे चोदने लगता है। 

और सोफिया हड़बड़ाकर उठ जाती है। पूरा जिस्म पसीने में नहा चुका था। उसका दिल इससे पहले कभी इतने जोरों से नहीं धड़का था। वो जल्द से उठकर बैठ जाती है और पानी पीने लगती है। उससे यकीन नहीं हो रहा था कि उसने ख्वाब में ये सब देखा। 
पर आज पहली बार सोफिया का दिल बहुत खुश था। एक अींजना सा एहसास उसे सता रहा था। वो गाना गुनगुनाती हुई अपने अब्बू का इंतजार करने लगती है। 

सोफिया अपने ख्यालों में वोई हुई थी। तकरीबन दो घंटे बाद जब अमन रूम में आता है तो वो बहुत खुश लग रहा था। सोफिया अपने अब्बू के पास जाती है। आज पहली बार वो अमन से नजरें नहीं मिला पा रही थी, बल्की आज उसकी आँखों में शर्म-ओ-हया के हल्के-हल्के भाव थे। 

सोफिया-“क्या बात है अब्बू , आप बहुत खुश लग रहे हैं?” 

अमन सोफिया को अपने पास खींच लेता है-“हाँ बेटा, आज मैं बहुत खुश हूँ । मैं जिस काम के लिए यहाँ आया था, वो गारमेंट्स का प्रॉजेक्ट मुझे मिल गया…” 

सोफिया उछलते हुये-“ओऊऊओि… ये तो बहुत अच्छी बात है। इस बात पे पार्टी तो बनती है…” दोनों बाप-बेटी हँसने लगते हैं। 

अमन-“हाँ ज़रूर… आज लंच के बाद हम शॉपिंग करने चलेंगे। उसके बाद किसी अच्छे से होटेल में डिनर ओके…” 


सोफिया अपने अब्बू के सीने से लग जाती है। आज ये सीने से लगना आम दिनों जैसा नहीं था, आज उसमें मोहब्बत थी, एक बाप-बेटी की नहीं बल्की इसमें कोई और ही रंग था। 

अमन-“एक सरप्राइज भी है तुम्हारे लिए…” 

सोफिया-“वो क्या अब्बू ? प्लीज़ प्लीज़ … जल्द बताइए ना…” 

अमन सोफिया का हाथ अपने हाथ में लेता है-“वो तो आपको डिनर के बाद ही पता चलेगा…” 

सोफिया बहुत खुश थी। वो अपने अब्बू से इतनी फ्री कभी नहीं हो पाई थी। आज वो जिंदगी जीना चाहती थी। लंच के बाद दोनों बाप-बेटी शॉपिंग करने निकल पड़ते हैं। सोफिया को जो ड्रेस पसंद आती अमन उससे वो खरीद लेता। अमन कुछ देर के लिए सोफिया को एक शाप में छोड़कर पास की शाप में चला जाता है और जब वो वापस आता है तो उसके पास एक पैकेट होता है। 

सोफिया वो पैकेट देख लेती है-अब्बू , क्या है इसमें? 

अमन-तुम्हारा सरप्राइज। 

सोफिया की आँखें चमक उठती हैं। पता नहीं अब्बू क्या लाए होंगे मेरे लिए? वो जल्द से जल्द उस पैकेट को खोलकर देखना चाहती थी। पर अमन उसे ऐसा करने नहीं देता। रात के 8:00 बज चुके थे और दोनों बाप-बेटी वापस होटेल आ जाते हैं। 
अमन ने खुद के लिए एक शर्ट-पैंट और उसपे कोट खरीदा था। जब वो उसे पहनकर रूम में आता है, जहाँ सोफिया तैयार खड़ी थी तो सोफिया अमन को देखती रह जाती है। अमन एक खूबसूरत शख्शियत का आदमी था। वो हर ड्रेस में किसी फिल्म स्टार से कम नहीं लगता था। ऊूँचा लंबा क़द उसपे मस्क्युलर बाडी, चेहरे पे हमेशा एक दिलकश मुस्कान लिए अमन अपनी बेटी के सामने खड़ा था, पूछा -कैसा लग रहा हूँ ? 

सोफिया दिल में सोचती है-“बिल्कुल मेरे सपनों का राजकुमार…” फिर बोल -“बहुत अच्छे लग रहे हैं आप अब्बू …” 

अमन अपने बेटी का हाथ पकड़कर उसे डांसिंग स्टेप करते हुये झुका देता है-तो डिनर के लिए चलें? 

सोफिया अपने अब्बू के हाथ में हाथ डाले एक फ़ाइव स्टार होटेल में डिनर के लिए चल देती है। जब वो होटेल में पहुँचते हैं तो सोफिया वहाँ की रौनके देखती ही रह जाती है। इससे पहले वो कभी इस तरह के होटेल में खाना खाने के लिए नहीं आई थी। 

बेहद डेकरेटेड होटेल था जिसमें एक तरफ कपल्स डिनर का मजा ले रहे थे और दूसरी तरफ कुछ कपल्स डान्स कर रहे थे। एक मुलाज़िम अमन और सोफिया को एक टेबल की तरफ ले जाता है जो पहले से अमन ने बुक की हुई थी। अमन और सोफिया चेयर पे बैठ जाते हैं। 

अमन-कैसा लग रहा है सोफिया? 

सोफिया-“बहुत खूबसूरत होटेल है अब्बू । थैंक यू सो मच, मुझे आपके साथ लाने के लिए…” 

अमन-“पर बेटा, तुमने ये शाल क्यों ओढ़ रखी है, इतने सारे ड्रेस तो खरी दे हैं हमने…” 

सोफिया-“आपको सरप्राइज देने के लिए…” और फिर सोफिया अपने जिस्म पे लिपटी हुई वो पतली सी शाल निकालकर पास की चेयर पे रख देती है। 

सफेद कलर के उस खूबसूरत ड्रेस में सोफिया को जब अमन देखता है तो देखता ही रह जाता है। कुछ पलों के लिए तो उसे ऐसे महसूस होता है, जैसे रज़िया उसके सामने बैठी हुई है। 

सोफिया इतराते हुये अमन की आँखों में देखते हुये पूछती है-कैसी ड्रेस है? 

अमन-ड्रेस तो फॉर्मल है, पर उसे पहनने वाली लड़की जन्नत की हूर से कम नहीं लग रही है। 

सोफिया का चेहरा इतने तारीफ़ सुनकर टमाटर के तरह लाल हो जाता है। और फिर सोफिया अमन से नजरें नहीं मिल पाती। वो बस चुपचाप डिनर करने लग जाती है। क्योंकी उसका दिल इतने जोरों से धड़क रहा था कि अगर अमन उसकी थोड़ी और तारीफ़ कर देता तो शायद वो धड़कना बंद कर देता। 

डिनर के बाद अमन सोफिया को उस डान्स फ्लोर पे ले जाता है। कोई भी आज उन दोनों को देखकर ये नहीं कह सकता था कि ये दोनों बाप-बेटी हैं। बल्की जिस किसी की भी नजर उनपे पड़ती वो यही समझता कि ये दोनों पति-पत्नी हैं और वो देख भी कुछ ऐसे ही रहे थे। 

अमन के मजबूत हाथों में जब सोफिया अपना हाथ देकर उसके पास खड़ी हो जाती है तो आस-पास के डान्स करने वालों के सीने जल के राख हो जाते है। सोफिया की खूबसूरती और अमन की पर्सनलटी जैसा कोई कपल उस वक्त वहाँ मौजूद नहीं था। 

दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगते हैं। 

सोफिया-अब्बू , आपको अम्मी की याद आ रही होगी? है ना?” 

अमन-“बिल्कुल नहीं , क्योंकी मेरी प्यारी सी परी मेरे साथ है और सच कहूँ तो जब तू मेरे साथ होती है तो दुनियाँ का कोई शख्स मुझे याद नहीं रहता…” 

सोफिया-“अह्ह… आप बातें बड़ी रोमांटिक करते हैं। अम्मी तो आपकी फैन रही होंगी, जब आप उनसे पहली बार मिले होंगे?” 

अमन-“नहीं , मैं तेरी अम्मी का बहुत बड़ा फैन हूँ …” 

दोस्तों, उस वक्त अमन के दिमाग़ में रज़िया के तस्वी”र थी और सोफिया के दिमाग़ में शीबा की। 

दोनों एक दूसरे से चिपक के डान्स करने में खो जाते हैं। तभी एक रोमांटिक गाना बजने लगता है और सभी रोशनियाँ कम कर दी जाती हैं। कोई एक दूसरे को नहीं देख पा रहा था बस हर कोई अपने साथी के साथ इस मौके का फायदा उठा रहा था, कोई किस करने में लगा हुआ, था तो कोई मसलने में। 

अमन और सोफिया भी इस माहौल का शिकार हो गये थे। वो डान्स करते-करते एक दूसरे के इतने करीब आ चुके थे कि उन दोनों की साँसे एक दूसरे से टकरा रही थीं। 

सोफिया के होंठ कंपकंपा रहे थे और अमन का एक हाथ नीचे सरकते-सरकते सोफिया की कमर तक पहुँच चुका था। अमन के होंठ धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ते चले जाते हैं और कुछ पालों बाद वो सोफिया के नाजुक गुलाबी होंठों से चिपक जाते हैं। 

सोफिया का पहला किस अपने अब्बू के नाम। 
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