Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:22 PM,
#83
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
शीबा-“ तू बहुत बड़ी मुशीबत में फँस जाएगा जीशान, बता देती हूँ , अपने अब्बू का गुस्सा तू जानता नहीं है अब भी कहती हूँ छोड़ दे मुझे वरना…” 

जीशान-“चेलेंज जीशान को चेलेंज? वरना क्या? हाँ वरना क्या?” वो अपनी पैंट नीचे सरका देता है और उसका खड़ा हुआ लण्ड बाहर नाचने लगता है। 

वो पूरी ताकत से शीबा को जकड़ लेता है। फिर कहता है-“नखरे तो बहुत दिखा रही हो अब। और इतने दिनों से जो मेरे आगे पीछे घूम रही थी वो किसलिए था? हाँ बोलो? 

शीबा-“कुत्ते, क्या ये सब करने के लिए मैंने तुझे पाल-पोसकर बड़ा किया था हरामी?” 

जीशान-“ गाली … मुझे गाली ? दिखा तो ऐसे रही हो, जैसे कुछ करना नहीं चाहती? फिर ये चूत से पानी क्यों बह रहा है तुम्हारे हाँ?” जीशान शीबा की चूत के पानी से गीली अपनी उंगलियाँ बाहर निकाल देता है। उसका पूरा हाथ गीला हो चुका था। जीशान ये साफ देख रहा था कि शीबा की चूत जीशान के इस हमले से गील होने लगी थी। 

शीबा-“घिन आती है मुझे तुझसे, जीशान तू मेरी औलाद हो ही नहीं सकता…” 

जीशान-“सच कहा आपने… अम्मी, मैं आपके औलाद हूँ ही नहीं । शायद और घिन आती है ना मुझसे? तो लो जरा अपनी चूत का पानी चाटकर बताओ कि ये कैसा है? क्या इसमें भी घिन आती है आपको?” और पूरा गीला हाथ शीबा के मुँह में था। वो घुन-घुन की आवाज़ निकाल रही थी और जीशान पूरी ताकत से शीबा के निपल्स मरोड़ रहा था-“आज मैं आपको अपने घिनौनेपन की इंतिहा बताता हूँ अम्मी जान…” और जीशान शीबा के जिस्म पे बचे हुई सारे कपड़े उतार देता है। 

शीबा-“मैं तुझे जान से मार दूँगी जीशान, अगर तूने मेरे साथ? अह्ह…” वो बोलते-बोलते रुक जाती है। क्योंकि जीशान उसे पकड़कर नीचे बैठा देता है और उसके चेहरे पे अपने लण्ड से मारने लगता है। 

जीशान-“मार दे ना जान से, जिंदा रहना भी कौन चाहता है अम्मी? अच्छा एक बात बताओ कि कभी मुँह में अब्बू का लिया है?” 

शीबा चुपचाप आँखें बंद किए हुये बैठे थी, ना आँखों में आँसू थे, और ना वो ज्यादा ऐतराज कर रही थी। 

जीशान फिर से उसकी गर्दन दबाते हुये बोलता है-“बोल्ल्ल… ली है कि नहीं ?” 

शीबा-“नहीं …” 

जीशान-“झूठ… तुम्हें पता है ना मुझे झूठ से कितनी नफरत है? चलो मैं सिखाता हूँ कैसे मुँह में लेकर चूसते हैं?” 

शीबा अपना चेहरा इधर-उधर करने लगती है। पर जीशान की ताकत उसके सामने कुछ भी नहीं थी। वो अपनी दो उंगलियाँ शीबा के मुँह में डाल देता है और उसकी जुबान को बाहर खींचने लगता है, जिससे शीबा अपना मुँह खोल देती है और मुँह खुलते ही जीशान अपने लण्ड को शीबा के मुँह में घुसा देता है। शीबा की आँखें फटी की फटी रह जाती हैं। वो साँस नहीं ले पा रही थी, क्योंकि जीशान का लण्ड अमन के लण्ड से भी बड़ा और मोटा था, और ना वो उसे चूसरही थी। बस मुँह में से सलाइवा बाहर गिर रहा था। 

जीशान एक थप्पड़ शीबा के मुँह पे जड़ देता है-“चूस… वरना मुझसे बुरा कोई नहीं …” 

शीबा डर जाती है और-“गलप्प्प गलप्प्प गलप्प्प…” जीशान के लण्ड को अपने मुँह में चूसती चली जाती है। 

जीशान-“अह्ह… बहुत अच्छे अह्ह…” फिर जीशान के हाथ शीबा के बाल पकड़ लेता हैं। 

और शीबा की आँखें बंद हो जाती हैं। शीबा लण्ड चूसने में तो एक्सपर्ट थी। वो पल भर में जीशान के लण्ड को तेज धारदार चाकू की तरह तेज कर देती है। जीशान एक जोरदार झटका देता है और उसका लण्ड पूरा का पूरा शीबा के गले के अंदर चला जाता है। शीबा जीशान के नीचे से भागने के लिए खड़ी हो जाती है और वो जैसे ही दरवाजे के पास पहुँचती है जीशान पीछे से उसे झपट लेता है, और उसे दीवार से खड़ा करके पीछे से चिपक जाता है। 

जीशान-“अभी नहीं ना अम्मी जान… अभी तो एक बेटा अपनी अम्मी के दूध का कर्ज़ चुकाएगा…” वो अपने लण्ड को शीबा की गाण्ड की दरार में फँसा देता है। 

शीबा-“हरामी कहीं के अह्ह… कितना घटिया इंसान है तू ? अह्ह…” 

जीशान-“हाँ, मैं घटिया हूँ अम्मी बहुत बड़ा घटिया इंसान…” वो खड़े-खड़े अपनी अम्मी की चूत के मुँह पे अपने लण्ड को लगा देता है। 

लण्ड के चूत पे लगते ही शीबा अपनी आँखें बंद कर लेती है। वो जानते थी आगे क्या होगा? और वही हुआ। जीशान का लण्ड पहली बार अपने अम्मी शीबा की चूत को चीरता हुआ अंदर तक चला जाता है। शीबा गालियाँ देती जाती है और जीशान सटासट अपने लण्ड को शीबा के चूत में घुसाता जाता है। 


शीबा-“अह्ह… निकाल हरामी, मुझे दर्द हो रहा है अह्ह… माँ…” 

जीशान-“कर लो माँ को याद, अगर वो यहाँ होती तो मैं उसे भी चोद देता…” 

शीबा-“कुत्ते के औलाद अह्ह… नहीं छोड़ूँगी मैं तुझे अह्ह…” 

जीशान-“बहुत गालियाँ दे रही है साली अह्ह…” कहकर वो शीबा को एक टाँग पे खड़ा करके इतने तेजी से झटके मारने लगता है कि शीबा को आज सच में अपनी माँ याद आ जाती है। दो-तीन झटकों के बाद ही जीशान अपना पानी शीबा की चूत में छोड़ने लगता है आह्ह… अह्ह…” 

शीबा की चूत तो पहले ही वाली हो चुकी थी। 

जीशान बेड पे बैठ जाता है और अपना सर पकड़ लेता है। शीबा गाण्ड हिलाती हुई उसके पास आकर बैठ जाती है। दोनों एक दूसरे से नजरें नहीं मिला रहे थे। जीशान को अपने किए पे पछतावा होने लगता है। वो अनुम का गुस्सा शीबा पे निकाल चुका था। 

शीबा उसे चुपचाप देखने लगती है। 

जीशान सर उठाकर शीबा की तरफ देखता है। उसके आँखों में पछतावे के आँसू थे-“मुझे माफ कर दो अम्मी, जो कुछ हुआ वो सब नहीं होना चाहिए था। मैंने किसी और का गुस्सा आप पे निकाल दिया…” 

शीबा मुश्कुराती हुई उसे अपने सीने से चिपका लेती है-“मत रो जीशान , मैं जानती हूँ कि जो हुआ वो गलत हुआ। पर मैं खुद ये चाहती थी बेटा…” 

जीशान सर उठाकर शीबा की तरफ देखने लगता है। 

शीबा-“हाँ जीशान, मैं खुद चाहती थी कि तू मेरे साथ करे । अगर मैं तुझे नहीं भड़काती तो शायद तू ये कभी नहीं कर पाता। इसीलिए मैंने तुझे गालियाँ भी दी , ये जानते हुये कि तू गालियाँ नहीं सुन सकता…” 

जीशान के चेहरे पे हल्की-हल्की मुस्कान लौट आती है और वो शीबा को अपने से चिपका लेता है-“सच अम्मी, थैंक यू … वरना मैं खुद को कभी नहीं माफ कर पाता। पर अपने ऐसा क्यों किया?” 

शीबा-“कुछ बातें बोलने जैसी नहीं होती, मेरे सोना… अब ऐसे ही रात भर बैठा रहेगा या कुछ करेगा भी? जोर जबरदस्ती से कर लिया, अब जरा प्यार से भी करके दिखा तो मानूं …” 

जीशान शीबा को बिना कुछ काहे नीचे लेटा देता है और उसकी चूत पे झुक जाता है। देखते ही देखते जीशान की जीभ शीबा की चूत को अंदर तक चाटने लगता है-“गलप्प्प गलप्प्प…” 

शीबा-“अह्ह… मेरा राजा बेटा… चूसले… अपनी अम्मी की चूत को खा जा रे अह्ह…” 

जीशान शीबा को उल्टा कर देता है और चूत के साथ-साथ गाण्ड भी चाटने लगता है। 

शीबा की साँसें रुक-रुक के चलने लगती हैं वो बहुत-बहुत-बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाती है, जो उसके चेहरे से पता चल रहा था-“अह्ह… मुझे भी चूसने दे जीशान अह्ह…” 

जीशान शीबा को अपने लण्ड की तरफ घुमा देता है और दोनों एक दूसरे के नाजुक अंगों को बड़े चाव से चाटने लगते हैं-“गलप्प्प गलप्प्प…” 

जीशान का लण्ड जब तन जाता था तो अमन के लण्ड को भी मात दे देता था। तीनों माँ का दूध पीकर बड़ा हुआ था जीशान। उसके लण्ड में बला की ताकत थी। पर अभी उसे चुदाई के गुर सीखने थे। वो शीबा की चूत को चाट-चाटकर लाल कर देता है खारा-खारा पानी शीबा की चूत से बहता हुआ जीशान के मुँह में गिरने लगता है, जिसे जीशान चटखारे मार-मार के चाटने लगता है। 

ना शीबा की चूत से अब बर्दाश्त हो रहा था और ना जीशान के लण्ड से। जीशान शीबा को सीधा लेटा देता है और अपने लण्ड को उसकी चूत पे घिसता हुआ शीबा की आँखों में देखते हुये अंदर तक पेल देता है। 
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