Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:23 PM,
#88
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
***** *****उधर दिल्ली में-
अमन बेड पे लेटा हुआ था। वो अभी-अभी बाहर से आया था। सामने बैठी सोफिया अपने मोबाइल से अपनी सहेल को मेसेज कर रही थी। पिंक कलर के ड्रेस में सोफिया का जिस्म गुलाब की तरह चमक रहा था। अमन बड़े गौर से सोफिया को देख रहा था। उसे आज सोफिया में रज़िया का अक्स नजर आ रहा था। कितने दिन गुजर चुके थे उसे यहाँ आए हुये, आज शिद्दत से उसे अपनी तीनों बीवियों की याद सता रही थी। 

सोफिया नजरों की आड़ से अमन को देखती है और हैरान रह जाती है। अमन का हाथ उसके लण्ड को पैंट के ऊपर से हल्के-हल्के दबा रहा था। उसके जिस्म पे कम्बल था पर देखने से साफ पता लग रहा था कि कम्बल के अंदर क्या चल रहा है। 

सोफिया-अरे अब्बू , मैं आपको बताना ह भूल गई। आज सुबह दादी और अम्मी का काल आया था, आपसे बात करना चाहती थीं वो। 

अमन-“अच्छा, पहले तुम्हारी अम्मी से बात करता हूँ …” अमन फौरन रज़िया को काल करता है। 

रज़िया-“अस्सलाम आलेकुम कैसे हैं आप? 

अमन-मैं ठीक हूँ , तुम कैसी हो? 

रज़िया-“बस ठीक हूँ । जिस्म की आग जीने नहीं देती और आप हैं कि दूर जाकर बैठे हो…” 

अमन-“बस कुछ दिनों की तो बात है…” 

रज़िया-“एक-एक पल काटना मुहाल है, और आप हैं कि दिनों की बात कर रहे हो…” 

अमन धीमी आवाज़ में-“क्या बात है जान, लगता है बहुत याद सता रही है, छोटी रज़िया को छोटे अमन की…” 

रज़िया खिलखिलाकर हँसने लगती है। कुछ देर इधर-उधर की बातें करने के बाद अमन काल डिसकनेक्ट कर देता है।

अमन-“सोफिया बेटा, सर दर्द कर रहा है जरा बाल्म लगा दो…” 

सोफिया झट से बाल्म लेकर बेड पे बैठ जाती है। और अमन अपना सर सोफिया की गोद में रख देता है। सोफिया थोड़ा झिझक रही थी। वो धड़कते दिल और काँपते हाथों के साथ अमन की पेशानी पे बाल्म लगाने लगती है। 

अमन-“तुम यहाँ बोर तो नहीं हो रही हो ना सोफिया?” 

सोफिया-“बिल्कुल नहीं अब्बू , मुझे तो बहुत मजा आ रहा है…” 

अमन अपनी आँखें बंद कर लेता है। 15 मिनट बाद सोफिया को लगता है जैसे अमन गहर नींद में सो चुका है। वो बड़े गौर से अमन के चेहरे को देखने लगती है और किसी जज़्बात के तहत वो अमन पे झुकती चली जाती है। उसके हाथ अमन के घने बालों को सहला रहे थे और होंठ अमन के गालों के पास टिके हुये थे। एक बिजली सी जिस्म में दौड़ जाती है और जवान दिल फिर से उसे अंजान रास्ते पे चलने लगता है। सोफिया अमन के गाल को चूम लेती है। 

अमन के आँखें खुल जाती हैं और सोफिया की आँखें शर्म के मारे झुक जाती हैं। 

***** *****इधर अमन विला में-
जीशान अपने बेड पे लेटा हुआ था। लुबना दरवाजा नाक करके अंदर आ जाती है और धड़ाम से बेड पे बैठ जाती है। 

लुबना-भाई आपने पेकिंग कर लिया? 

जीशान-“तू किसलिए है? कल पहला काम यही है तेरा, मेरे कपड़ों के प्रेस करके पेकिंग करना…” 

लुबना-“ओहो… वाह नवाब साहब, आपने मुझे क्या आपकी नौकरानी समझ रखा हैं मैं नहीं करने वाली …” 

जीशान-“चल चल, ये मुँह और मसूर की दाल… नौकरानी भी तुझसे अच्छी लगती है…” 

लुबना को गुस्सा आ जाता है और वो जीशान को तकिये से मारने लगती है। जीशान लुबना की चोटी पकड़कर बेड पे गिरा देता है और उसके पेट पे बैठ जाता है-“मुझे तकिये से मारती है अब देख मैं क्या करता हूँ ?” 

लुबना-“अह्ह… छोड़ो भाई दर्द हो रहा है…” 

जीशान-“अभी नहीं हुआ, अब होगा…” और जीशान लुबना के गाल पे जोर से काट लेता है। 

लुबना-“आअह्ह… अम्मीईई…” 

जीशान ने सच में बहुत जोर से काटा था। बचपन में जब ये दोनों लड़ते थे तो जीशान इसी तरह कभी लुबना के गाल पे, कभी गर्दन पे काट लिया करता था। 

लुबना गाल मलते हुई खड़ी हो जाती है-“भूखा कहीं का… मुझे कितना दर्द हो रहा है। मैं अभी अम्मी को जाकर बताती हूँ की आपने मुझे काटा…” 

जीशान-“ जल्दी जा, अभी जा देर मत कर…” 

लुबना दिल ही दिल में जीशान को बुरा भला कहती हुई अपने रूम की तरफ चली जाती है। वो कभी जीशान की शिकायत नहीं करती थी। अगर उससे बदला लेना होता तो खुद लिया करती थी। 

रज़िया, अनुम और शीबा तीनों के रूम एक दूसरे से अटैच्ड थे। और तीनों के रूम से एक कामन बालकनी अटैच्ड थी जिसमें तीनों के दरवाजे खुलते थे। 

रज़िया और अनुम उसी बालकनी में खड़ी कुछ बातें कर रही थीं। शीबा रूम के अंदर आईने के सामने बाल सँवार रही थी। रात का खाना हो चुका था। सभी अपने-अपने रूम में जा चुके थे। 

जीशान दबे पाँव शीबा के रूम में दाखिल होता है और शीबा के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है। सामने आईने में जब शीबा जीशान का अक्स देखती है तो उसके तन बदन में सरसराहट होने लगती है। वो खड़ी होकर मुख्य दरवाजा बंद कर देती है। 

जीशान फौरन शीबा को अपनी बाहो में भर लेता है और अपने होंठ शीबा के होंठों पे रख कर चूसने लगता है-“गलप्प्प गलप्प्प…” 

शीबा-“अह्ह… नहीं , आज नहीं …” 

जीशान-“आज कैसे नहीं ? हर रोज का वादा किया हुआ है अम्मी आपने …” 

शीबा का मूड जीशान को तरसा के देने का था। वो रूम में इधर-उधर भागने लगती है। 

उसकी इस हरकत से बालकनी में खड़ी रज़िया और अनुम बालकनी के दरवाजे के पास आ जाती हैं। 

शीबा- इतनी आसानी से नहीं मिलने वाली आज तुम्हें जीशान बेटा। 

जीशान शीबा को देखते हुये अपनी पैंट उतारने लगता है और फिर अपनी अंडरवेअर भी नीचे कर लेता है। जीशान का लण्ड देखकर शीबा अपने सारे नखरे भूल जाती है और वो भी चुपचाप अपनी नाइटी गर्दन से निकालकर बेड पे फेंक देती है। जीशान भागता हुआ बालकनी के दरवाजे के पास आ जाता है। अब उसका दिल शीबा को तरसाने का था। 

शीबा घुटनों के बल बैठकर जीशान के पैर पकड़ लेती है और जीशान के लण्ड को हाथ में लेकर सहलाने लगती है-अह्ह… जीशान बेटा, अपनी अम्मी को मत सता, मुँह में डाल दे तेरा ये मोटा-मोटा लौड़ा अह्ह… चूसने दे मुझे, चाटने दे ताकी तू रात भर चोद सके मुझे…” 

जीशान शीबा के बाल पकड़कर उसके होंठों पे अपना लण्ड घिसते हुये मुँह में डाल देता है और शीबा बड़े प्यार से उसे चुसती चली जाती है-“गलप्प्प गलप्प्प…” शीबा की चूत सुबह से पानी छोड़ रही थी उसे भी जीशान के लण्ड की आदत सी हो गई थी। 

जीशान शीबा को खड़ी कर देता है और खुद नीचे बैठकर उसकी चूत चाटने लगता है-“गलप्प्प गलप्प्प…” 

शीबा-“अह्ह… चाट मत चोद… चाटने से तो और जल उठेगी ये अह्ह…” 

जीशान-“पहले थोड़ा गीला तो कर लूँ अम्मी। उसके बाद रगड़ के देता हूँ ना-“गलप्प्प गलप्प्प…” 

दरवाजे के उस पार खड़ी रज़िया और अनुम के होश उड़े हुये थे ये सब बातें सुनकर। 
अनुम रूम में जाकर उन दोनों को रंगे हाथों पकड़ना चाहती थी। पर रज़िया उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लेती है। 


जीशान उसी बालकनी के दरवाजे से शीबा को खड़ी कर देता है और पीछे से उसकी चूत पे लण्ड को रगड़ते हुये धीरे-धीरे चूत खोलने लगता है। 

शीबा-“अह्ह… और जोर से जीशान बेटा। आज बहुत सताया मुझे तेरी इस चूत ने। इसे बता दे कि तू मेरा बेटा है अह्ह… चोद रे ईई अह्ह…” 

दरवाजे के इस तरफ शीबा जीशान से चुद रही थी और उस तरफ रज़िया और अनुम जल रही थी। लगातार 20 मिनट तक चोदने के बाद जीशान शीबा को गोद में उठाकर बेड पे लेटा देता है और वहाँ भी उसका जुल्म-ओ-सितम शीबा पे चलता रहता है। 

रात अपने पूरे शबाब पे थी पर आज पहली बार अनुम का दिल जोर-जोर से रोने को कर रहा था। आज उसे एहसास हो रहा था कि शीबा ने शायद जीशान को उससे छीन लिया है। वो और रज़िया एक दूसरे का हाथ पकड़कर रज़िया के रूम में आ जाते हैं। 

***** ***** 
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