Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:24 PM,
#94
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
सुबह 8:00 बजे-दिल्ली होटेल रूम 


अमन की मोहब्बत सोफिया के सर चढ़कर बोलने लगी थी। रात भर सोफिया अमन को एक पल के लिए भी आराम करने नहीं दी थी। अमन रात में ही सोफिया को अपने अनुम और रज़िया के रिश्ते के बारे में सब कुछ बता देता है। 

सोफिया पहले हैरान होती है फिर परेशान। अमन को लगता था कि शायद सोफिया ये बात जानकर थोड़ी डिस्टर्ब हो जाएगी और उसे संभालना मुश्किल हो जाएगा। 
मगर अमन की सोच के बिल्कुल उल्टा सोफिया की चूत की नशें ऐसी जोश में आईं कि उसने अमन को साँस लेना मोहाल कर दिया। 

सोफिया जान चुकी थी कि वो क्यों अपने अब्बू की तरफ इतनी ज्यादा आकर्षित हुई? क्यों उसे दूसरा कोई मर्द पसंद नहीं आया? और क्यों इतने कम वक्त में उसने अपना सब कुछ अपने अब्बू के नाम कर दिया। बस उसे रह-रहकर एक बात सता रही थी कि अब घर जाने के बाद क्या होगा? वो अमन के ऊपर लेटे बस यही सोच रही थी। हालाँकि उसने अमन से इस बारे में अपने फ्यूचर के बारे में कोई सवाल, कोई जवाब नहीं माँगे थे। पर चेहरे के भाव साफ बयान कर रहे थे कि वो अंदर से बहुत परेशान है। 

अमन-“क्या बात है गुड़िया, इतना खूबसूरत चेहरा ऐसे मुरझाया हुआ क्यों है?” 

सोफिया-“नहीं अब्बू , कुछ भी तो नहीं …” 

अमन-“इधर आ ह्म्म्म्म… मैं जानता हूँ त क्या सोच रही है? तेरे अनकहे सवालों के सारे जवाब मेरे पास हैं। बस तुझे मुझपे भरोसा करना पड़ेगा और जैसे-जैसे मैं कहूँ तू वो ही करेगी, हमेशा…” 

सोफिया-“अब्बू आपने अम्मी की मोहब्बत देखी है, आपने अनुम अम्मी की मोहब्बत भी परखी होगी। पर आपने अपनी बेटी की मोहब्बत को अभी तक समझा नहीं । जब एक लड़की अपना सब कुछ अपने मर्द के नाम करती है ना तो वो उसकी हो जाती है। फिर वो शख्स उसे आलीशान महलों में रखे या टूटे मकान में वो हँसी खुशी उसके साथ रहती है… बस इस वादे के साथ कि जिस तरह मैं तुम्हें सब दे चुकी हूँ , तुम भी मेरे बनकर रहना। अब्बू भरोसे की बात करते हैं तो मैं किसी दिन वक्त आया तो मैं आपके लिए खुद की जान भी दे दूँगी …” 

अमन सोफिया के होंठों को चूमने लग जाता है-“मुझे तेरी मोहब्बत पे कोई शक नहीं है सोफी बेटा… बस मैं चाहता हूँ कि हमारे बीच का ये रिश्ता किसी को पता ना चले, किसी को भी नहीं …” 

सोफिया-“जी अब्बू , जैसा आप चाहते हैं, वैसा ही होगा। बस अपने प्यार में कमी ना होने देना…” 

अमन-“मुआह्ह… नहीं होगी मेरी जान… चल अब मुझे फ्रेश होने दे। दोपहर की फ्लाइट से घर वापस भी चलना है…” 

सोफिया-“ऐसे कैसे छोड़ दूं ? मुझे भी उठाकर बाथरूम में ले चलिए…” 

अमन सोफिया को गोद में उठाकर बाथरूम में ले जाता है और शावर ओन करके दोनों नहाने लगते हैं। वहाँ भी सोफिया अमन को अच्छे से नहाने नहीं देती। उसकी चूत की आग ही इस कदर भड़की हुई थी कि जितना अमन उसे अपने लण्ड के पानी से बुझाता उतना ही वो भड़कती जाती। 



***** *****इधर समर कैम्प में-

लुबना अपनी कुछ सहेलियों के साथ एक खूबसूरत गार्डननुमा जगह पे बैठी हुई थी। सामने कुछ लड़के बास्केट बाल खेल रहे थे। 

लुबना की नजरें जीशान को तलाश कर रह थीं। पर वो था कि एक तरफ चुपचाप सा बैठा हुआ था। कल के हादसे ने उसे हिलाकर रख दिया था। उसे पता चल चुका था कि लुबना उसे प्यार करती है और उसके प्यार की शिद्दत भी उसे पता चल गई थी। वो लुबना की उस हरकत से काफी ख़ौफजदा सा हो गया था। लुबना से वो भी मोहब्बत करता था। पर ये मोहब्बत भाई-बहन की थी। वो खुद से लड़ रहा था कि कैसे लुबना से बात की जाए? कैसे उसे समझाया जाए कि वो जो सोच रही है वो नहीं हो सकता। 

उसे रूबी अपनी तरफ आती दिखाई देती है। अचानक उसके दिमाग़ में एक आइडिया आता है। क्यों ना रूबी के साथ फ्लर्ट करके लुबना को ये एहसास दिलाया जाए कि हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे हैं। हो सकता है इससे लुबना का ख्याल बदल जाए। 

वो मुस्कुराता हुआ रूबी के पास चला जाता है और उसके हाय बोलने से पहले उसे अपनी बाहों में उठा लेता है। 

रूबी-“अह्ह… आराम से… मैं गिर जाउन्गी। आखिर हो क्या गया है तुम्हें?” 

जीशान-“प्यार हो गया है मुझे तुमसे…” 

रूबी-“सच… तुम सच कह रहे हो जीशान?” 

जीशान-“हाँ रूबी, रात भर मैं तुम्हारे बारे में सोचता रहा और दिल ने मुझे यही कहा कि तुझे रूबी जैसी अच्छी लड़की कहीं नहीं मिल सकती…” 

रूबी जीशान को चूम लेती है-“मैं जानती थी… मैं जानती थी कि एक दिन ये ज़रूर होगा। पर इतने जल्दी … मुझे तो यकीन नहीं हो रहा जीशान… मुझे अपनी बाहो में समेट लो, कहीं मैं बिखर ना जाऊूँ…” 

जीशान रूबी को अपने से एकदम चिपका लेता है। दूर बैठी लुबना ये सब देख रह थी। वो अपने पैरो पे बँधे ड्रेसिंग बैंडेज निकालकर फेंक देती है, जिससे खून फिर से उसके पैरो से बहने लगता है। वो जीशान की आँखों में इतनी दूर से झाँक सकती थी। बिना कुछ कहे वो नंगे पाँव अपने रूम में चली जाती है, और अपने पीछे खून के निशान छोड़ जाती है। जिसे देख जीशान का दिल भी खून के आँसू रोने लगता है। 
***** ***** 

अमन विला में अमन पहुँच चुका था। घर की सभी औरतें जिस चाँद का दीदार करने के लिए कई दिन से तरस गई थीं, आज वो उनकी आँखों के सामने था। अमन एक-एक करके सभी से मिलता है और जो वो कपड़े गहने उनके लिए वहाँ से लाया था वो उन्हें देता है। 

नग़मा सोफिया को नीचे से ऊपर तक देखने लगती है, और उसका हाथ पकड़कर अपने रूम में ले जाती है-“बाजी ये मैं क्या देख रही हूँ ?” 

सोफिया चौंकते हुये-क्या हुआ नग्गो? 

नग़मा-“बाजी, आप जब यहाँ से गई थीं तो कोई और थी और जो अब मैं देख रही हूँ ये तो आप हो ही नहीं सकती। क्या हुश्न खिला है आपका? कितनी खूबसूरत लग रह हैं आप? कहीं मेरे नजर ना लग जाए…” 

नग़मा तो अभी तक अंजान थी। उसे क्या पता था कि इस हुश्न के पीछे किसका हाथ है? शायद नग़मा पहचान ना पाई हो, मगर रज़िया की आँखें सोफिया को देखते ही पहचान गई थीं कि कली फूल बन गई है। 

रात के 12:00 बजे-

शीबा अपने रूम में लेटी हुई अमन का इंतजार कर रह थी। पर वो जानती थी कि अमन नहीं आने वाला। वैसे भी उसे अब जीशान के जवान लण्ड की आदत सी लग गई थी। वो तो बस जी शान के लौटने का इंतजार कर रह थी कि कब वो वापस आता है और कब वो अपनी चाल चलती है। 

अमन सोफिया के रूम में चला जाता है। 

सोफिया आईने के सामने बाल सँवार रही थी। वो अमन को देखते ही सब कुछ छोड़कर उसकी छाती से चिपक जाती है-“अब्बू , आप तो मुझे भूल ही गये है यहाँ आकर…” 

अमन-“कैसी बात कर रही हो जान मेरी … बस कुछ दिन और इंतजार कर ले, मैं कुछ सोचता हूँ …” 

सोफिया-“अब्बू , मैं कैसे आपके बिना रह पाउन्गि? इस कमरे में अकेली नहीं सो सकती मैं। मुझे आपके पास रहना है, आपके पास उसी तरह सोना है जैसे हम वहाँ रहते थे…” 

अमन सोफिया के जज़्बात से अच्छी तरह वाकिफ़ था। वो सोफिया के नाजुक होंठों को चूमने चाटने और उसकी जीभ को अपने मुँह में लेकर उसकी गर्मी कुछ हद तक कम करने लगता है। वो एक हाथ से सोफिया की चूत को भी शलवार के ऊपर से सहलाने लगता है। 

सोफिया-“अह्ह… अब्बू अह्ह… देखते ही देखते हवस का पानी जज़्बातों की आग को बुझाने लगता है और सोफिया की चूत पानी-पानी हो जाती है…” 

अमन कुछ देर उसे मजीद चूमता है और गुडनाइट कहकर रज़िया के रूम में चला जाता है। 

उस वक्त रज़िया और अमन के बेडरूम में अनुम भी मौजूद थी और दोनों माँ-बेटी बड़ी बेसब्री से अमन के रूम में आमद का इंतजार कर रह थीं। 

अमन सीधा उन दोनों के बीच जाकर लेट जाता है। पहले वो अपनी पहली मोहब्बत को चूमता है, उसके बाद उसे जिसने उसे मोहब्बत के सही मायने समझाए थे। 

रज़िया- टूर कैसा रहा? 

अमन-“बहुत अच्छा। जिस काम के सिलसिले में मैं गया था वो प्रॉजेक्ट मुझे मिल गया…” 

अनुम अपने शौहर के छाती पे सर रख देती है-“ये तो बहुत अच्छी बात है। आल्लाह आपको हर कदम पे कामयाबी अता करे…” 

रज़िया-सोफिया ने ज्यादा परेशान तो नहीं किया ना? 

अमन गौर से रज़िया के चेहरे को देखते हुये-“नहीं , वो अपनी अम्मी पे गई है, मेरा बहुत अच्छे से ख्याल रखा उसने…”

रज़िया-“हाँ, वो तो उसे और आपको देखते ही लगता है कि किसने किसका कितना ख्याल रखा है। खैर ये बताएँगे हमारी याद आई थी भी या नहीं ?” 

अनुम-“हाँ जान , सच बताना…” 

अमन-“याद उन्हें किया जाता है, जिन्हें भूले हों। तुम दोनों तो जिस्म से रूह तक बसी हुई हो, तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ ? ये होंठ तो बहुत याद आते थे मुझे…” और वो रज़िया के निच ले होंठ को लगभग चूस ही लेता है। 

अनुम अमन के होंठ रज़िया के होंठों से अलग करके अपने होंठ अमन से मिला लेती है-“और मुझे ये बहुत याद आ रहे थे गलप्प्प गलप्प्प…” 

अमन-कपड़े उतारो । 

अनुम रज़िया को देखती है और रज़िया अमन को। दोनों औरतें पहले खुद के उसके बाद अमन के सारे कपड़े जिस्म से अलग कर देती हैं। अमन के लण्ड पे सबसे ज्यादा इन दोनों का ही राज रहा था। वो अपने शौहर की छोटी से छोटी दिल की बात बिना कहे ही जान जाती थीं। 

अमन कभी दोनों से अपने लण्ड को मुँह में लेकर चूसने के लिए नहीं कहता था। 

दोनों अच्छी तरह जानती थी कि अमन को किस तरह तैयार करना है और वो इसमें जुट जाती हैं। कई दिनों के सूखे होंठ, कई दिनों की प्यासी जीभ से जब वो नाजुक गोश्त का टुकड़ा टकराता है तो रज़िया के साथ-साथ अनुम भी सिसक पड़ती है और दोनों औरतों की जीभ में जैसे जंग शुरू हो जाती है, अपने महबूब को ज्यादा से ज्यादा अपने मुँह में लेने की। 

अमन रज़िया को खींचकर अपने होंठों के पास ले आता है और अपनी जीभ उसके मुँह में डालकर रज़िया का सलाइवा पीने लगता है, और उसे भी तरोताजगी देने के लिए अपना सलाइवा पिलाने लगता है-“गलप्प्प गलप्प्प…” 
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