Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:24 PM,
#95
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अनुम अभी भी अपने अमन के लण्ड को मुँह में लिए दिल की गहराईयों से चूस रही थी-“गलप्प्प गलप्प्प…” 

अमन अनुम के मुँह से लण्ड निकालकर रज़िया को अपने ऊपर ले लेता है और हमेशा की तरह वो रज़िया की चूत में नहीं बल्की उसकी गाण्ड में अपना लण्ड डालने लगता है। 

रज़िया-“अह्ह… ओह्ह… अह्ह… थोड़ा आराम आराम से ज्ज्जी… सुराख छोटा हो गया होगा ना अह्ह… अमन अनुम चूत चाट…” 

अनुम रज़िया की चूत पे अपने होंठ रख देती है और अमन धीरे-धीरे रज़िया की गाण्ड में लण्ड घुसाता चला जाता है अह्ह… सुराख बंद भी हो जाये तो कोई बात नहीं … अपने अमन पे भरोसा नहीं है क्या?” 

रज़िया-“अह्ह… अनुम बेटी , इनसे कहना थोड़ा आराम से करें…” 

अमन ना अनुम की सुनने वाला था और ना रज़िया की। वो तो अपने काम से काम रखने वाला शख्स था। जवानी से अब तक उसने कभी किसी औरत की गुहार नहीं सुना था। रज़िया चीखती रही और अमन उसकी मारता गया। जब रज़िया की टाँगे हवा में लटकी-लटकी थक गईं तो अमन रज़िया को घोड़ी बनाकर उसकी चूत में लण्ड डाल देता है और लण्ड को बड़ी तेज़ी से अंदर-बाहर करने लगता है। 

15 मिनट बाद ही रज़िया हाँफते हुये पानी छोड़ देती है। अब ना उसकी चूत में वो रस रहा था और ना वो इतनी कसी हुई थी कि अमन के लण्ड का पानी भी साथ में निचोड़ सके। 

अमन अनुम की तरफ देखता है और अनुम मुश्कुराते हुये टाँगे खोलकर अपनी जान को जगह दे देती है। अमन के लण्ड को असल सकून अब यहीं मिलता था। वो अनुम को चूमते हुये अपना लण्ड उसकी चूत में उतार देता है। 

अनुम-“अह्ह… बड़ा सताने लगे हैं आप मुझे… जरा भी रहम नहीं आता ना अपनी बीवी पे?” 

अमन-“नहीं आता… क्यों आए मुझे… रहम तुझपे… प्यार करता हूँ तुझसे… और प्यार में रहम नहीं होता। बस प्यार होता है बेशुमार अह्ह…” 

अनुम-“करिये ना मुझे बेशुमार प्यार अह्ह… मैं भी तो आपसे रहम की उम्मीद नहीं रखती अह्ह…” 

अमन-“अनुम मेरी जान अह्ह…” 

अनुम-“अम्मी जीईई अह्ह… आपको पता है, एक-एक दिन कयामत की तरह गुजरा है मुझपे ओह्ह…” 

अमन-“जानता हूँ … सब जानता हूँ अनुम आह्ह… बहुत टाइट लग रही है तू आज्ज्ज…” 

अनुम-“सब आपकी वजह से उऊन्ह… जिस वक्त मुझे आपकी सबसे ज्यादा ज़रूरत महसूस होती है, आप मेरे पास नहीं रहते जीईई अह्ह… अम्मी उम्ह्ह…” 

अमन के धक्कों की रफ़्तार तेज हो जाती है। वो अपने आख़िरी मुकाम पर था और एक लावा अनुम की चूत में फूट पड़ता है तो अनुम की बंजर जमीन पे फिर से किसी बारिश की तरह बरसने लगता है और इस बारिश में अनुम भी सराबोर होकर अमन के साथ झड़ने लगती है। अनुम के होंठ अमन के होंठों से अलग नही होना चाहते थे और ना अमन अनुम को अपने से अलग करना चाहता था। दोनों एक दूसरे की बाहो में कितनी ह देर बातें करते रहते हैं और एक बार फिर मोहब्बत के तालाब में दुबारा डुबकी लगा देते हैं। 

रज़िया तो पहली चुदाई के बाद ही अमन और अनुम को देखते हुई सो गई थी। 

पर अनुम की मोहब्बत की शिद्दत अमन को सोने नहीं देती। 

सुबह के 6:00 बजे-

अमन रज़िया और अनुम के पास से उठकर अपने बेडरूम में जाने लगता है कि तभी उसे सोफिया का ख्याल आता है, और वो उसे देखने के ख्याल से उसके रूम का रुख़ कर लेता है। 

सोफिया बेड पे उल्ट लेटी हुई थी। अमन ने उसकी गाण्ड को काफी हद तक बाहर की तरफ कर दिया था। नाजुक सी खूबसूरत तितली अपने सारे रंगों के साथ चैन की नींद सोई हुई थी। अमन रूम में जाकर दरवाजा लाक कर देता है और सोफिया के पीछे जाकर उससे चिपक के लेट जाता है। 

सोफिया-“उम्ह्ह… सोने दो ना अम्मी…” 

अमन-“मेरे बिना नींद आ गई तुम्हें?” 

सोफिया हड़बड़ाकर उठकर बैठ जाती है और सामने अमन को देखकर उससे लिपट जाती है-“आपको ऐसा लगता है ना… रात गुजारना मुहाल कर दिया आपने मेरा। खुद तो चले गये आग लगाकर पर जानते भी हैं कितनी ही देर सुलगते रही मैं इन शोलों में…” 

अमन सोफिया से कुछ नहीं कहता बस उसे लेटाकर उसके निपल्स को अपने मुँह में भर भर लेता है-“गलप्प्प…” 

सोफिया-“अह्ह… अब्बू जी कुछ करिए ना मेरा… या तो आप मुझे जहर दे दो या मुझे अपने जिस्म में छुपा लो। नहीं रह सकती एक पल भी आपके बिना अह्ह…” 

अमन-“अह्ह… गलप्प्प… पागल हो गई है तू सोफिया…” 

सोफिया-“हाँ, मैं पागल हो गई हूँ और अगर अपने मेरा इलाज नहीं किया ना तो मैं सारी दुनियाँ को जला दूँगी …” 

अमन सोफिया के बाल पकड़कर उसे अपने लण्ड की तरफ झुका देता है। वो जानता था कि उसे एक यही चीज काबू में कर सकती है। और हुआ भी वही । 

सोफिया के हाथ में जब अमन का लण्ड आया तो वो चुप सी हो गई और बिना कुछ बोले अमन के लण्ड को चूमते हुये उसे अपने गले में लेकर चूसने लगती है-“गलप्प्प गलप्प्प…" 

अमन जानता था के सोफिया के ये जज़्बात कुछ वक्त के लिए हैं। धीरे-धीरे वो नॉर्मल हो जाएगी और शायद ये जज़्बाती बातें करना भी बंद कर देगी। पर वो ये भूल गया था कि सोफिया की रगों में सिर्फ़ उसका नहीं , बल्की रज़िया का भी खून मौजूद है। 

सोफिया के जज़्बात और एहसास इतने ज्यादा थे कि रज़िया और अनुम दोनों उसके सामने कुछ भी नहीं थीं। 

अमन उसके जिस्म पे से नाइटी अलग कर देता है और बड़े वहशी अंदाज में अपने लण्ड को एक ही झटके में सोफिया की चूत में घुसा देता है। अमन को पता था कि औरत हो या बेलगाम घोड़ी उसे काबू में करने के लिए ज़्यादती करनी ही पड़ती है। 

पर सोफिया भी अमन की बेटी थी। वो चीखने चिल्लाने के बजाए मुश्कुराते हुई अमन के हर जुल्म को सहती चली जाती है, और अपनी कमर को ऊपर तक उठाकर अमन का साथ देने लगती है-“अह्ह… अब्बू … अगर मुझसे सच्चा प्यार करते हैं ना तो एक पल के लिए भी रुकियेगा मत… चाहे मैं बेहोश क्यों ना हो जाऊूँ…” 

अमन ने पहली बार किसी औरत के मुँह से ऐसे लफ़्ज सुने थे। 

या तो वो बूढ़ा हो गया था या सोफिया के जज़्बात अमन के लण्ड पे हावी हो गये थे। सोफिया अमन पे हर तरह से काबू पाती जा रह थी और यही वजह थी कि अब अमन का दिल रज़िया के लिए नहीं बल्की सोफिया को सोचकर तेज़ी से धड़कने लगा था। अमन सोफिया को 35 मिनट तक बिना रुके चोदता रहा। आखिरकार उसका लण्ड सोफिया की चूत के सामने झुक गया और अपने पानी से सोफिया की चूत को किनारे तक भरता चला गया। 

सोफिया-आइ लव यू अब्बू । 

अमन सोफिया को चूमते हुये-आइ लव यू टू सोफी। 

सोफिया अपने अब्बू के होंठों को चूमती रही । उसे अमन की बाहो में बहुत सकून मिल रहा था। अमन भी अपनी बेटी से बेपनाह मोहब्बत करने लगा था। वो सोफिया के होंठों को आजाद कर देता है-“मुझे फ्रेश होकर ऑफिस जाना है…”

सोफिया-“नहीं , अभी नहीं बाद में। मुझे आपके पास रहने दो…” सोफिया किसी बच्चे के तरह ज़िद करने लगती है। 

अमन-“सोफी बेटा, ऑफिस में बहुत ज़रूर काम है। मुझे लेट हो जाएगा, फ्रेश भी होना है…” 

सोफिया-“फ्रेश होना है ना आपको तो यहाँ मेरे रूम में भी बाथरूम है, यहाँ हो जाओ…” 

अमन-“ठीक है, अब ऊपर से उठो भी…” 

सोफिया-“जी नहीं , मुझे भी अपने साथ बाथरूम में लेकर चलिये मैं भी आपके साथ नहाऊूँगी…” 

अमन सोफिया की इन्ही बातों का दीवाना हो गया था। सोफिया उसे टूटकर चाहने लगी थी और उसकी मोहब्बत रज़िया और अनुम की मोहब्बत से कहीं ज्यादा गहरी थी। अमन सोफिया को गोद में उठाकर बाथरूम में ले जाता है। 

शावर के नीचे खड़े होकर दोनों नहाने लगते हैं। सोफिया के चेहरे के सामने अमन का लण्ड जो ढीला पड़ चुका था, लटक रहा था। जवान लड़की को दिन रात चोदो, तब भी वो चोदने के बाद यही कहेगी-“और चोदो…” यही हाल सोफिया का भी था। वो अमन के लण्ड पे साबुन लगे हाथ से उसकी मालिश करने लगती है। अमन एक नजर सोफिया की आँखों के तरफ डालता है और उन झील सी आँखों में फिर से उसे वही नजर आने लगता है, जो कुछ देर पहले नजर आ रहा था। 

मगर इस बार सोफिया से पहले अमन उसे अपनी चौड़ी छाती से लगा लेता है और सोफिया किसी नाजुक तितली की तरह सिमट ते चली जाती है। 

सोफिया-“अब्बू जी क्या नहाने भी नहीं देंगे मुझे?” 

अमन उसके नाजुक से होंठों को चूमते हुये-“नहीं …” 

सोफिया-“पहले मुझे नहाने दो उसके बाद जो दिल कहे कर लेना…” 

अमन सोफिया के दोनों हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे रख देता है और नरम -नरम हाथों से सोफिया अपने अब्बू के लण्ड को सहलाने लगती है। देखते ही देखते अमन का लण्ड किसी तीर की तरह खड़ा हो जाता है और ठीक सोफिया की चूत से जा टकराता है। 

सोफिया-अब्बू एक बात पुछु? 

अमन-“हाँ पूछ…” 

सोफिया-“आप अम्मी के साथ कितनी बार नहा चुके हैं?” 

अमन-कई बार। 

सोफिया-“अम्मी क्या करती थी नहाते हुये?” 

अमन सोफिया को नीचे बैठा देता है-“पहले तेरी अम्मी इसे मुँह में लिया करती थी ऐसे अह्ह… उसके बाद मैं उसे बाथरूम में कितनी ही देर चोदा करता था। मगर कई सालों से तेरी अम्मी ने मेरे साथ नहाना ही छोड़ दिया है…” 

सोफिया-“गलप्प्प… मैं हूँ ना आपके बेटी । जो अम्मी ने नहीं किया, वो मैं करूँगी। आज से आप रोज मेरे कमरे में नहाने आ जाया करो। हम साथ मिलकर नहाएँगे गलप्प्प…” 

अमन-“पहले चूसठीक सेईई अह्ह…” 

सोफिया बातें बंद करके फिर से अमन के लण्ड में मगन हो जाती है और उसे चूस-चूसकर फौलाद की तरह बना देती है-“अब्बू मुझे अपने से कभी अलग मत होने देना गलप्प्प…” 

अमन सोफिया को उठकर बाथटब पे बैठा देता है और उसकी गुलाबी चूत को चाटने लगता है। 

सोफिया-“अम्मी जी, ऐसा मत किया करो आप… अम्मी अह्ह…” 

अमन-“तेरी चूत इतनी खूबसूरत है कि मुझसे रहा नहीं जाता सोफी…” 

सोफिया-“अह्ह… आपके लिए तो है… चूसो ना अब्बू जान अह्ह… अम्मी जी… अब्बू जी आपको लेट हो जाएगा, जल्दी से करिये ना जीईई…” 

अमन जानता था कि सोफी से रहा नहीं जा रहा है और वो अपनी बेटी के जज़्बात को समझता भी था। वो सोफिया को अपने ऊपर ले लेता है और अपने लण्ड को उसकी चूत पे रख देता है-“अह्ह… सोफी नीचे बैठती जा आराम-आराम से…” 

सोफिया-“अब्बू जी, अब्बू जी अम्म्म्मीईई अह्ह…” और वो अपने अब्बू के मोटे लण्ड को अपनी चूत में लेती हुई धीरे-धीरे चिल्लाने लगती है और मोटा लण्ड नरम चूत में घुसता चला जाता है। 

अमन दोनों हाथों से सोफिया की कमर पकड़कर सटासट अपने लण्ड को उसकी चूत के अंदर तक पहुँचाता चला जाता है। मुँह के सामने लटकते हुये सोफिया के वो गुलाबी निप्पल जैसे ही अमन अपने मुँह में भरकर चूसते हुये उसे चोदने लगता है, 
सोफिया की चूत धीरे-धीरे पानी छोड़ने लगती है। 

सोफिया भी अपने अम्मी रज़िया की तरह थी। वो पानी निकलने से थक नहीं जाती थी, बल्की उसकी चूत में और ज्यादा जोश पैदा होने लगता था और वो अपनी कमर उठा-उठाकर अमन का लण्ड लेने लगती है। अमन अपनी बेटी की चूत में बहुत खुश था और सोफिया अपने अब्बू के लण्ड को अपने चूत में लेकर। दोनों अपनी-अपनी मोहब्बत के कारवाँ को आगे बढ़ा रहे थे। 


और उधर समर कैम्प में जीशान और लुबना के रिश्ते में बदलाओ पैदा होने लगा था।
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