RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन धीरे-धीरे अनुम और रज़िया से दूर होने लगा था।
सोफिया ने रात से कुछ नहीं खाया थी। वो अपने कमरे में बंद रोए जा रही थी और उसके आँसू पोंछने वाला भी इस वक्त कोई नहीं था। उस वक्त एक माँ की ममता उछाल मारती है और रज़िया हाथ में नाश्ते की प्लेट लिए सोफिया के रूम में दाखिल होती है।
रज़िया को देखकर सोफिया अपना मुँह मोड़ लेती है-“चले जाइए यहाँ से अम्मी, मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी…”
रज़िया मैं तुमसे बात करने नहीं आई हूँ , बल्की तुम्हें नाश्ता देने आई हूँ ।
सोफिया रोते भर्राति हुई आवाज़ में-“मुझे नहीं करना नाश्ता, चले जाइए यहाँ से…”
रज़िया-“मैं जानती हूँ तुम इस वक्त किसी की बात नहीं सुनोगी। मगर सोफिया, क्या तुम उस औरत कौ एक बार बात नहीं सुनोगी जिसके कान तुम्हारे मुँह से अम्मी सुनने के लिए तरस गये थे…”
रज़िया सोफिया का हाथ अपने हाथ में थाम लेती है-“मेरी बच्ची एक बार सिर्फ़ एक बार अपनी अम्मी की बात सुन ले। उसके बाद जो तुझे ठीक लगे, तू कर। कोई तुझे कुछ नहीं कहने वाला।
सोफिया आँसू पोंछते हुये-“बोलिए, क्या कहना है आपको?”
रज़िया-“सोफी बेटी , आज मेरी उमर 60 साल से ज्यादा हो चुकी है। मैंने तुझे जनम 40 साल की उमर में दिया। उस उमर में जिस उमर में औरतें नाती-पोत्ते के साथ खेलती हैं। जानती हो क्यों? क्योंकी मुझे तुम्हारे अब्बू से मोहब्बत हो गई थी। उतनी ही जितनी तुम्हें इस वक्त महसूस हो रही है। बेटी मोहब्बत करना गुनाह नहीं है,
मगर उसकी भी एक सीमा होती है। जब वो इंसान क्रॉस करता है तो अंजाम काफी भयानक होते हैं। तुम्हारे अब्बू इस वक्त उमर के उस पड़ाव में है जहाँ वो तुम्हारा हाथ नहीं थाम सकते। तुम्हारे जिंदगी तो अभी शुरू हुई है मेरी बच्ची। तुम जज़्बात से काम लेने के बजाए एक बार अकल से काम लो। सोचो क्या होगा अगर तुम्हारे अब्बू तुम्हारा साथ दे दें। क्या वो तुमसे शादी करेंगे? और करेंगे भी तो क्या तुम अपनी आगे की जिंदगी उनके साथ इसी तरह हँसी-खुशी गुजार पाओगी। तुम अकेली नहीं हो, जीशान है, लुबना है, नग्गो है, क्या सोचेंगे वो और क्या-क्या जवाब दोगी तुम उन सबको? जो तुमसे ये सवाल पूछेंगे कि एक 19 साल की लड़की ने आखिरकार एक 42 साल के मर्द से शादी क्यों की जो उसके अब्बू हैं? सिर्फ़ जज़्बात में आकर? बेटी ये जज़्बात कुछ वक्त के लिए होते हैं। मैं आज हूँ कल नहीं रहूंगी । और अगर खुदा-ना-ख़ास्ता अमन कुछ सालों बाद नहीं रहे, तो ये जिंदगी किसके साथ गुजारोगी? जो हुआ सो हुआ। मैं तुम्हारी अम्मी होने के नाते, तुमसे बस इतना कहना चाहती हूँ कि बस एक बार तुम ठंडे दिमाग़ से सोचो…” रज़िया सोफिया के सर पे हाथ फेरते हुये वहाँ से चली जाती है।
आसान नहीं होता उस माँ के लिए जो खुद गुनाह के दलदल में सर तक धँस चुकी हो और अपनी बेटी को सच्चाई का पाठ पढ़ाना चाहती हो।
जहाँ सोफिया अपने उमड़ते जज़्बातों को एक तरफ रख कर रज़िया की बात पे गौर कर रही थी।
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वहीं समर कैम्प में जीशान और लुबना के बीच एक समझौता सा हो गया था। वो दोनों अब अपने-अपने दोस्तों के साथ रहने लगे थे। दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई थी। मगर आँखों की बातें भला कौन बंद कर सकता था।
जीशान रूबी के साथ एक बेंच पे बैठा हुआ था और लुबना अपनी सहेली के साथ प्रकृति की बातें कर रही थी। मगर बार-बार वो उचटती निगाह से जीशान को देख ही लेती थी।
ये बात जीशान भी अच्छी तरह जानता था। जीशान रूबी को अपनी गोद में बैठने के लिए कहता है।
रूबी-“मुझे शर्म आती है, बेशर्म…”
जीशान-“जब प्यार करती हो तो डरती क्यों हो। चलो बैठ जाओ…”
रूबी जीशान की आँखों में देखते हुये जीशान की गोद में बैठ जाती है और जीशान लुबना की तरफ देखते हुये अपने दोनों हाथ रूबी के पेट पे कस लेता है।
रूबी-“क्या बात है जी, आज बड़े रोमांटिक मूड में लग रहे हो?”
जीशान-“वो तो मैं हमेशा से रहता हूँ । आज मौसम भी खुशगवार है और पास में जब जन्नत की हूर बैठी हो तो मूड कैसे रंगीन ना हो?”
रूबी जीशान के गाल को काटती हुई-“अच्छा जी…”
जीशान-हाँ जी।
लुबना की सहेली नरगिस लुबना को इशारे से सामने का नजारा दिखाती है जिसपे लुबना की तो पहले से नजर थी। नरगिस बोल -“लुबु, वो रूबी है ना देख कैसे जीशान की गोद में बैठी है?”
लुबना-“देख रही हूँ । जब सामने वाला बैठाने को तैयार है तो वो क्यों ना बैठेगी? चल यहाँ से कहीं और जाकर बैठते हैं…”
वो दोनों जीशान और रूबी की नजरों से दूर चले जाते हैं।
जीशान-“रूबी तुम यहीं बैठो, मैं तुम्हारे लिए कोल्ड-ड्रिंक्स लेकर आता हूँ …”
रूबी-ठीक है जल्दी आना।
जीशान-बस अभी गया और अभी आया।
तभी वहाँ जीशान का दोस्त काशिफ आता है-“अरे जीशान तुम यहाँ हो? चल वहाँ सर ने अंताक्षरी शुरू कर दिया है। चल चल बहुत मजा आएगा…”
जीशान रूबी की तरफ देखता है और जीशान रूबी का हाथ पकड़कर काशिफ के पीछे-पीछे चल देता है। 20 से 25 लड़के लड़कियाँ ग्रुप में बैठे हुये थे और एक तरह से बाल पासिंग गेम शुरू था। मोबाइल में एक लड़का म्यूजिक बजाता था और एक-एक करके बाल एक से दूसरे के पास, पास किया जाता था। जब म्यूजिक बंद हो जाती तो जिस किसी के पास वो बाल होती, उसे कोई हिन्दी फिल्म का गाना या कोई गजल या जो भी वो सुना सकता था। उसे ग्रुप में लुबना अपनी सहेली के साथ बैठी हुई थी।
काशिफ रूबी और जीशान को भी वहीं बैठा देता है और खेल शुरू हो जाता है।
एक-एक करके सभी के पास बाल आती जाती है। जब रूबी के पास बाल रुकती है तो वो घबरा जाती है।
रूबी-“मुझे कुछ नहीं आता मैं क्या सुनाऊूँ?”
जीशान उसका हाथ पकड़कर-“कोई अच्छा सा गाना सुना दो…”
रूबी हँस पड़ती है, अपना गला ठीक करके वो गाने लगती है-
कितना प्यार तुम्हें करते हैं आज हमें मालूम हुआ,
जीते नहीं तुमपे मरते हैं आज हमें मालूम हुआ।
कुछ देर बाद जीशान के हाथ में बाल रुकती है। जीशान आह तो सुनिए दोस्तों। ये गाना डेडिकेटेड है मिस रूबी को-
तोड़ा सा प्यार हुआ है थोड़ा है बाकी,
तोड़ा सा प्यार हुआ है थोड़ा है बाकी,
हम तो दिल दे ही चुके बस तेरी हाँ है बाकी।
जीशान के सभी दोस्त तालिया बजाने लगते हैं।
उसके बाद बाल आकर रुकती है लुबना के हाथ में।
वो कुछ भी सुनाना नहीं चाहती थी। मगर जब जीशान को रूबी के साथ हँसते खिलखिलाते देखती है तो उसके दिल पे साँप रेगने लगता है। लुबना बोली -“ये शेर मैं डेडिकेटेड करना चाहती हूँ उस इंसान को जिससे मैं बेपनाह मोहब्बत करती हूँ –
दर्द बनकर जिगर में छुपा कौन है? दर्द बनकर जिगर में छुपा कौन है?
मुझमें रह-रहकर ये चीखता कौन है? मुझमें रह-रहकर ये चीखता कौन है?
हम किनारे पे बैठे रहे उमर भर, हम किनारे पे बैठे रहे उमर भर
ये भीतर में उतरता हुआ कौन है?
दर्द बनाकर जिगर में छुपा कौन है?
तू ना समझे कभी मेरी दिल की जुबान,
तू ना समझे कभी मेरी दिल की जुबान
के तुझको मेरी तरह चाहता कौन है?
दर्द बनाकर जिगर में छुपा कौन है।
कहते हैं एक शहीद का खून जमीन पे गिरने से पहले उसे जन्नत मिल जाती है। उसी तरह एक सच्ची मोहब्बत करने वाले के आँसू जब जमीन पे गिरते हैं, तो सातों आसमानों तक उसके दिल की आवाज़ जाती है।
वहाँ तक उस वक्त लुबना की आवाज़ गई थी या नहीं ? मगर उस वक्त वहाँ बैठे सभी लोगों के दिल लरज कर रह गये थे और ख़ासकर जीशान का।
जीशान रूबी का हाथ पकड़कर उसे अपने रूम में ले जाता है।
रूबी-“ऊऊचह जीशान ये लुबना की प्राब्लम क्या है? वो किससे प्यार करती है? और क्यों इस तरह बिहेवियर कर रही है?
इससे पहले जीशान रूबी को कुछ कहता उसे लुबना उन्हीं की तरफ आती दिखाई देती है।
जीशान-रूबी, मुझसे प्यार करती हो ना?
रूबी-हाँ बहुत।
जीशान- अपनी आँखें बंद करो।
रूबी-पर क्यूँ ?
जीशान-जैसा मैंने कहा वैसे करो?
रूबी के आँखें बंद करते ही और लुबना के दरवाजे के पास पहुँचते ही जीशान अपने होंठ रूबी के होंठों पे रख देता है। जीशान रूबी को चूम लेता है।
और लुबना के पैर वहीं रुक जाते है।
जहाँ रूबी की आँखों में खुशी के मारे आँसू निकल आते हैं, वही लुबना की पलकों से दर्द के आँसू छलक जाते हैं। वो अपनें आँखें दुपट्टे से पोंछते हुये अपने कमरे में चली जाती है और जीशान उसी वक्त अपने होंठों की गिरफ़्त से रूबी के होंठों को आजाद कर देता है।
रूबी की आँखों में सवाल उमड़ आता है-“क्या हुआ?”
जीशान-मैं अभी आता हूँ रूबी।
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