RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जीशान की आँखें फटी की फटी रही जाती है। लुबना ने फुल बाउन्सर मारी थी, एक सोचा समझा सफेद झूठ।
अमन-“ये क्या हरकत है जीशान, मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं है… अपनी बहन का ख्याल रखने के बजाए तुम उसे गलत नाम से बुलाते हो… वो भी उसके दोस्तों के सामने। आइन्दा ऐसी कोई बात मेरे कानों तक नहीं आनी चाहिए जीशान…”
जीशान- सॉरी अब्बू ।
अमन उठकर चला जाता है
और लुबना जीशान के कंधे पे सर रख कर झूठ मूठ का रोने की एक्टिंग करने लगती है।
जीशान-“दूर हट कम्बख़्त कहीं की। अब तू झूठ भी बोलने लगी है ना… आज के बाद मैं तुझसे कभी बात नहीं करूँगा…”
लुबना अपना एक हाथ उसके लबों पे रख देती है-“चाहे तो जान ले लो, मगर बात बंद करने की बात मत करना मुझसे…”
जीशान उसका हाथ झटक देता है। और उठकर अपने रूम में जाने लगता है। उसका चेहरा सीरियस था।
लुबना का दिल तड़प उठता है। वो भागती हुई जीशान से पहले उसके रूम में पहुँच जाती है। और जैसे ही जीशान रूम में पहुँचता है वो उसके सामने घुटनों पर बैठकर अपने दोनों कान पकड़ लेती है-“ सॉरी भाई, मुझे माफ कर दो, आइन्दा ऐसी गलती नहीं करूँगी…”
जीशान-“मुझे तेरी सूरत भी नहीं देखनी। लुबना निकल जा अभी के अभी यहाँ से…”
लुबना की आँखों में बादल उमड़ आते हैं वो भी काले घने… जो बस किसी भी पल मूसलाधार बारिश कर सकते थे।
शायद जीशान ने वो देख लिया था। वो लुबना को खड़ी रहने के लिए कहता है।
लुबना खुश होकर कि चलो जीशान ने उसे माफ कर दिया, सोचकर खड़ी हो जाती है।
जीशान-“एक शर्त पे माफ करूँगा। अगर तुम 25 बार उठक बैठक करोगी और हर बार अपने दोनों गालों पे चपत मारके ये बोलोगी मुझे माफ कर दो…”
लुबना का मुँह खुला का खुला रह जाता है-“इतनी बड़े शर्त… ये शर्त है या सजा है?”
जीशान-“5 गिनने तक अगर तुम शुरू नहीं हुई तो मुझसे बुरा कोई नहीं -एक-दो-तीन-चार-
लुबना-“आपसे बुरा भला कोई हो भी नहीं सकता भाई। और वो शुरू हो जाती है। और हर बार जैसा जीशान ने उसे कहने के लिए कहा था वैसे ही करने लगती है।
वो 10 तक ही पहुँची थी कि वहाँ सोफिया और नग़मा भी आ धमकते हैं। उन्हें देख लुबना बुरी तरह शरमा जाती है। तीनो बुरी तरह हँसने लगते हैं।
मगर लुबना उठक बैठक बंद नहीं करती ये सोचते हुई की अगर जीशान ने उससे सच में बात बंद कर दिया तो?
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रात के खाने के बाद सभी अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं। अनुम रज़िया के साथ उसके रूम में सोने चले जाते हैं। आज अनुम ने बहुत काम किया था। इसलिए वो बहुत थक चुकी थी।
अमन अपने नई नवेली दुल्हन बिटिया के रूम में सोने चला जाता है। सोफिया उसी का इंतजार कर रही थी।
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शीबा एक घायल शेरनी की तरह अपने आख़िरी वार का इंतजार कर रही थी।
उसके सबर का पैमाना किसी भी वक्त छलक सकता था। एक तरफ अमन उससे दूर -दूर रहने लगा था, दूसरी तरफ उसे जिस जीशान पे भरोसा था, वही बेमुरब्बत निकला था।
जीशान को अपने रूम में नींद नहीं … बार-बार उसके आँखें बंद करते ही उसे रज़िया का चेहरा नजर आता था। वो उठकर बैठ जाता है और अपने दादी के रूम को खटखटाता है।
रज़िया दरवाजा खोलती है और सामने जीशान को देखकर हैरान रह जाती है।
जीशान-दादी मुझे नींद नहीं आ रही थी, सर भी दर्द कर रहा है तो क्या मैं यहाँ आपके रूम में सो सकता हूँ ?
रज़िया-आओ अंदर आओ। अनुम अभी-अभी लेटी है…” एक किंग साइज बेड पे एक तरफ अनुम, बीच में रज़िया और उसके पास में जीशान लेट जाते हैं। रज़िया अपने नाजुक हाथों से जीशान का सर दबाने लगती है।
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