RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रज़िया की नाक से निकलती साँसें जीशान की नाक में जाने लगती हैं, मुँह से निकलता सलाइवा जीशान चाटने लगता है, और अपने हाथों से उसके नरम जिस्म को कसने लगता है। रज़िया अब पूरे तरह जीशान के कब्ज़े में आ चुकी थी।
बिना रज़िया से इजाजत लिए जीशान उसकी नाइटी को खोलने लगता है। रज़िया थोड़ा ऐतराज दिखाते हुये उसके हाथ को पकड़ लेती है।
जीशान आज सोचकर आया था कि वो रज़िया के दिल के साथ उसका जिस्म भी जीत लेगा। वो जानता था कि अब उसे ह इस घर को और इस घर की औरतों का ख्याल रखना है, और इस काम को बखूबी निभाते हुये आज वो अपनी दादी को अपने काबू में कर रहा था।
रज़िया जीशान के इस तरह से मसलने से बेचैन वो उठी थी। वो जीशान के होंठों को अब अपने मुँह में खींचकर उसे चूसने लगती है। जीशान रज़िया की नाइटी निकाल देता है और उसकी दोनों चुचियाँ जीशान के सामने आ जाती हैं। उसने शायद कभी इतनी खूबसूरत चुचियाँ नहीं देखी थी। इसलिए वो कुछ देर के लिए सब कुछ भूल कर उन्हें देखता रह जाता है।
रज़िया जीशान के सर को पकड़कर उसे अपने चुचियों पे झुकाती है-“ले, अपनी रज़िया का दूध पी जा… आज से तू कभी भूका नहीं सोएगा जीशान…”
जीशान अपना मुँह खोलकर रज़िया की चुचियों को अपने मुँह में खींच लेता है और उसे चूसता चला जाता है-“गलप्प्प गलप्प्प…” और कभी होंठों को तो कभी निपल्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगता है। मगर जीशान भी अमन का बेटा था-जल्दबाज।
अपनी दादी को हाँसिल करने की जल्दी में वो अपना एक हाथ रज़िया की चूत पे रख कर दबा देता है और उसी पल रज़िया उसे धक्का देकर अपने से अलग कर देती है।
रज़िया-“ उंगली क्या दी तुम तो पूरा हाथ खींच रहे हो, चले जाओ यहाँ से…”
जीशान-मगर?
रज़िया-“अगर मगर कुछ नहीं , मैंने कहा ना चले जाओ यहाँ से…”
जीशान को बुरी तरह गुस्सा आ जाता है और वो रज़िया के रूम से निकलकर अपने रूम में चला जाता है। उसके जाने के बाद रज़िया अपनी पैंटी निकालकर देखती है। वो पूरी की पूरी गीली हो चुकी थी और यही वजह थी रज़िया के इस तरह विहेब करने की। पानी निकलने के बाद तो शेर भी ढेर हो जाता है, फिर शेरनी क्या चीज है।
जीशान को समझ में नहीं आ रहा था कि रज़िया ने ऐसा क्यों किया? कभी उसे लगता था कि रज़िया उसे सब कुछ दे देगी और कभी रज़िया उसके साथ गैरों जैसा बर्ताव करती थी।
रात काटना उसके लिए बहुत मोहाल साबित हुआ। खड़े लण्ड के साथ सोना जीशान को नहीं आता था।
सुबह 7:00 बजे-
जीशान फ्रेश होकर बाहर गार्डन एरिया में जाने लगता है। वो भी अमन की तरह अपने फिटनेस पे बहुत ध्यान देता था।
अनुम और सोफिया उससे पहले ही जाग चुकी थीं। और सुबह के नाश्ते की तैयार करने में लगी हुई थी। लुबना घोड़े बेच के सो रही थी।
एक बार तो जीशान का दिल किया कि वो रज़िया के रूम में जाकर देखे। मगर फिर वो खुद को गालियाँ देते हुये आगे बढ़ जाता है वो। नग़मा के रूम के सामने उसे आवाज़ सुनाई देती है तो वो नग़मा के रूम में चला जाता है। आवाज़ नग़मा के बाथरूम में से आ रही थी। नग़मा ने बाथरूम का दरवाजा लाक नहीं किया था। और अंदर का नजारा जीशान साफ-साफ देख सकता था।
नग़मा गाना गुनगुना रही थी और शावर से नहा रही थी। बिना ब्रा वाली उस टीशर्ट में से नग़मा की भरी हुई दोनों चुचियाँ देखकर जीशान को पहले तो हैरानी होती है कि ये नग़मा ही है ना? वो ब्रा और पारदर्शी पैंटी में नहा रही थी।
अचानक नग़मा को एहसास होता है कि कोई उसे देख रहा है। मगर वो उस तरफ ना देखते हुये घूम जाती है और उस देखने वाले को अपने गाण्ड दिखाती हुई वो टीशर्ट उतार देती है। चिकनी पीठ और उसपे से गिरता हुआ पानी जो उसकी पैंटी को गीला कर रहा था, जिसकी वजह से पैंटी में से झाँक ती हुई चूत तड़प रही थी, जीशान के दीदार करने के लिए। नग़मा गाना गुनगुनाते हुये घूमती है और झुक के अपनी पैंटी भी निकाल देती है। उसके बाद नग़मा वो करती है जो जीशान ख्वाब में भी नहीं सोच सकता था… वो अपनी कुँवारी चूत को दोनों हाथों से मसलने लगती है।
जीशान नग़मा की कुँवारी चूत को देखकर पागल सा हो जाता है और उसका लण्ड उसके पैंट में झटके खाने लगता है। सामने हुश्न की मलिका खड़ी हुई उसे अपनी तरफ खींच रही थी। मगर जीशान जानता था कि अगर अभी कोई कदम उठाया तो गलत हो सकता है। वो अपने लण्ड को अपने पैंट में अड्जस्ट करता हुआ बाहर निकल जाता है।
उसके बाहर जाते ही नग़मा दरवाजा की तरफ देखकर मुश्कुरा देती है।
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