RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जीशान उसके बाल पकड़कर उसे बेड पर गिरा देता है-“जब देखो धौंस देती रहती है। अभी बताता हूँ तुझे…”
अनुम-क्या बताना है, जरा मैं भी तो देखूं?
लुबना-“अम्मी देखो ना भाई मुझे बोल रहे थे कि तुझे किसी दिन जान से मार दूँगा…”
अनुम जो लुबना की चीख सुनकर किचेन में से जीशान के रूम में आ गई थी।
जीशान-“अरे मोटी कभी तो सच बोला कर? अम्मी मैंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा इसे। उल्टा इसने देखो मेरे पेट में कितने जोर से मुक्के मारे…”
अनुम-लुब जाओ किचेन में, और खाना डाइनिंग टेबल पर लगा दो।
लुबना जीशान की तरफ मुश्कुराती हुई बाहर चली जाती है।
अनुम-तुम दोनों बच्चे नहीं हो, जब जब देखो झगड़ते रहते हो।
जीशान-अम्मी सच मैं अब बच्चा नहीं रहा, तो मेरी शादी करवा दो ना।
अनुम-अच्छा? सच तू शादी करना चाहता है? सच बोल अभी तेरे लिए लड़कियों की लाइन लगा देती हूँ । बोल कैसे लड़की चाहिए तुझे?
जीशान अनुम के पास आ जाता है-“मुझे जैसी लड़की पसंद है वैसे आपको मिल नहीं सकती, और मैं जिसे चाहता हूँ वो मेरी होना नहीं चाहती…”
अनुम-क्या गोल मोल बातें कर रहा है? साफ-साफ बोल कैसे लड़की चाहिए तुझे?
जीशान-पहले आँखें बंद करो।
अनुम-वो क्यूँ ?
जीशान-करो ना, और जब तक मैं ना कहूँ खोलना मत। मैं आपको एक तस्वीर दिखाता हूँ मुझे वो पसंद है।
अनुम-अच्छा जल्दी लेकर आ, मैं अपनी आँखें बंद कर लेती हूँ ।
जीशान-आपको मेरी कसम, जब तक मैं ना कहूँ आँखें मत खोलना।
अनुम-ठीक है बाबा, बता भी दे।
जीशान अनुम के आँखें बंद करने के बाद उसका हाथ पकड़कर उसे एक जगह खड़ा कर देता है-“अब आँखें खोल दो…”
अनुम जब आँखें खोलती है तो उसके पूरा जिस्म काँप जाता है। वो आईने के सामने खड़ी थी, और जीशान रूम से बाहर जा चुका था।
डाइनिंग टेबल पर अनुम जीशान को घुरने लगती है। वहाँ सभी मौजूद थे, इसलिए अनुम जीशान को कुछ कह भी नहीं सकती थी। मगर जीशान बड़े आराम से खाना खाने में लगा हुआ था। वो सोफिया को चोर नजरों से देखकर खाना खा रहा था।
नग़मा अपनी कातिल निगाहों से जीशान को ही देख रही थी।
जब जीशान की आँखें उससे मिलती हैं तो जीशान को कुछ अजीब सा महसूस होता है और वो नग़मा से पूछ बैठता है-“क्या बात है नग़मा ड्रेस पसंद नहीं आई तुझे?”
नग़मा-हाँ… वो ना मेरा मतलब है बहुत अच्छे हैं भाई, आपको मेरी पसंद कैसे पता चली ?
जीशान-अम्मी की पसंद के हैं वो ड्रेस।
नग़मा-ओह्ह… अच्छा मुझे लगा अपने पसंद किए हैं क्या?
जीशान-ऐसा समझ ले मेरी भी पसंद शामिल है उसमें।
नग़मा के गुलाबी होंठ और गुलाबी हो जाते है। जीशान को नग़मा कुछ बदली -बदली सी दिखाई दे रही थी।
वो उसपर कुछ ख़ास ध्यान नहीं देता है और खाना खाने लग जाता है। खाना खाने के बाद सभी अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं।
लुबना सोफिया बरतन साफ करने में लगी हुई थीं। तभी किचेन में जीशान आता है और सोफिया की कमर पर से हाथ फेरता हुआ आगे बढ़ जाता है। लुबना उस वक्त बरतन धोने में लगे हुई थी। इसलिए सोफिया की जान में जान आ जाती है, मगर उसकी नजरें जीशान को ऐसे घूर ती हैं कि जीशान डर के मारे अपने रूम में चला जाता है।
रज़िया अपने रूम में आकर दरवाजा बंद कर लेती है, और वो नाइटी जो उसके बेड पर पड़ी हुई थी उसे उठाकर देखने लगती है। नाइटी तो उसने तभी देख ली थी, जब जीशान उसे बेड पर रख कर गया था। मगर शायद उसे पहनना अभी था। रज़िया अपने कपड़े उतारने लगती है। वो जानती थी कि ये नाइटी कौन लाया था? मगर उसने इस बारे में जीशान से कोई बात नहीं की थी।
पूरे कपड़े उतारने के बाद जब रज़िया वो नाइटी पहनकर आईने में खुद को देखती है तो किसी दुल्हन की तरह शरमा जाती है। वो नाइटी उसके आधे जिस्म को भी छुपाने में नाकाम थी। वो सोचने लगती है कि जीशान ये उसके लिए लाया है, और इन्ही ख्यालों में अपने हाथों से जब रज़िया अपनी चुची को छूती है तो रोंगटे खड़े कर देने वाली सरसराहट उसके जिस्म में कुछ पलों के लिए दौड़ जाती है।
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जीशान अपने बेडरूम में बेड पर लेटा हुआ था। तभी सोफिया उसके रूम के दरवाजा के पास आकर दरवाजा खटखटाती है। जीशान सिर उठाकर सामने देखता है।
सोफिया-“जीशान 5 मिनट बाद रूम में आ जाना…”
जीशान के तो होश ही उड़ जाते हैं, और खुशी के मारे वो बेड पर से उतरकर सोफिया की तरफ लपकता है। मगर तब तक सोफिया रूम में पहुँच जाती है और अपने रूम के दरवाजा पर खड़ी होकर इशारे से जीशान को 5 मिनट बाद आने का कहती है।
जीशान से ये 5 मिनट गुजारना बहुत मुश्किल हो रहा था। वो सोफिया के दरवाजे के सामने टहलने लगता है, और जैसे ही 5 मिनट होते हैं वो धड़ाम से दरवाजा खोलकर अंदर घुस जाता है। अपनी आँखों के सामने हुश्न की मलिका अमन विला की सबसे खूबसूरत लड़की, जिसकी खूबसूरती के आगे अमन ने भी अपने सारे हथियार डाल दिए थे।
रज़िया और अमन के प्यार के निशानी सोफिया, उस पतली सी पिंक कलर की नाइटी में जीशान के सामने खड़ी थी। जीशान सोफिया को उस नाइटी में देखकर दंग रह जाता है। उससे खड़ा भी नहीं रहा जा रहा था वो पास में पड़े सोफे पर बैठ जाता है।
और सोफिया भी इतराती हुई उसके पास आकर बैठ जाती है, कहती है-“मुझे तो लगा था अमन विला का शेर मुझे देखकर कुछ कहेगा, मगर ये शेर तो ढेर हो गया है…”
जीशान अपने गले का थूक निगलते हुये सोफिया की आँखों में देखने लगता है-“मेरे पास शब्द नहीं हैं बाजी। आप इतनी खूबसूरत लग रही हो कि क्या कहूँ ?”
सोफिया-चल देख लिया ना… अब रूम के बाहर जा दरवाजा वहाँ है।
जीशान-ऐसे कैसे चले जाऊूँ? इतनी मेहनत से पसंद करके लाया हूँ आपके लिए मैं ये नाइटी , और आप कह रहे हो कि बाहर चले जाओ। मुझे कुछ और भी देखना है?”
सोफिया-क्याऽऽऽ?
जीशान-“ये…” वो डरते-डरते अपना हाथ सोफिया की चुची पर रख देता है।
सोफिया-नहीं कभी नहीं , अपनी हद से आगे मत बढ़ो मिस्टर जीशान।
जीशान सोफिया की कमर पकड़कर उसे अपनी तरफ कर लेता है-“अभी औकात में ही हूँ सोफिया। ज्यादा तड़पाओगी ना तो सब कुछ भूल जाउन्गा…”
सोफिया-मुझे धमकाता है? चल जा यहाँ से।
जीशान भी पठान का बच्चा था कहाँ पीछे हटने वाला था। वो जानता था सोफिया उसे चाहने लगी है। बस थोड़ी हिचकिचाहट बाकी है, जो उसे ही दूर करनी थी।
जीशान अपने हाथ की पकड़ सोफिया की चुची पर बढ़ा देता है जिससे सोफिया के होंठ सूखने लगते हैं बार-बार अपने जीभ को होंठों पर फेरने लगती है सोफिया, मगर जीशान को हाथ हटाने के लिए नहीं कहती।
सोफिया-“जीशान ज़िद मत कर मान जा ना… मैंने तेरी बात मानी ना… अब तू भी सुन ले अपनी बाजी की बात…”
जीशान-“पहले एक झलक दिखाओ मुझे, उसके बाद चला जाउन्गा।
सोफिया कुछ सोचने के बाद इधर-उधर देखने लगती है, और फिर जीशान को वो कुदरत की वो नायाब चीज दिखाती है, जिसे देखकर जीशान के होंठ सूखने लगते हैं। जीशान अपना हाथ उन गुलाबी निपल्स की तरफ बढ़ाने लगता है।
मगर सोफिया उसके हाथ पर थप्पड़ मार के खड़ी हो जाती है, और उंगली के इशारे से जीशान को बाहर का रास्ता दिखाने लगती है।
अपनी बात का पक्का जीशान भी बुरा सा मुँह बनाकर सोफिया के रूम से बाहर चला जाता है।
उसके जाने के बाद सोफिया दरवाजा बंद करती है और उसे जीशान के भोलेपन पर हँसी आ जाती है।
जीशान सोफिया के रूम से निकलकर अपने रूम में जाने लगता है। तभी उसे पीछे से अनुम आवाज़ देकर रोक लेती है। वो पीछे पलटकर देखता है तो अनुम की आँखों में अपने लिए जलते हुये अंगारे देखकर उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है।
अनुम-“सुबह जो तूने हरकत की वो मुझे बिल्कुल ठीक नहीं लगी। जीशान आइन्दा ऐसी हरकत अगर तुमने की ना तो मैं तुम्हें इस घर से हमेशा हमेशा के लिए निकाल दूँगी …”
जीशान सिर झुकाए अनुम की बात सुनने लगता है। उसे पता था कि इस वक्त अनुम बहुत गुस्से में है, और ऐसे वक्त में खामोश रहने में हीभलाई है।
अनुम-तुम सुन रहे हो ना मैंने क्या कहा तुमसे?
जीशान-ठीक है। आइन्दा मैं आपसे बातू भी नहीं करूँगा।
अनुम-क्याऽऽऽ?
जीशान जानता था कि उसने जो कहा है वो अनुम के दिल पे लगेगा और वो दिल में ही जगह बनाना चाहता था। वो अनुम को देखता हुआ अपने रूम में चला जाता है
और अनुम उसे जाता देखकर सोचने लगती है कि अपने अब्बू की ट्रू कापी है ये लड़का। अनुम भी काफी देर तक जीशान के बारे में सोचने के बाद थकान की वजह से सो जाती है।
मगर जीशान के दिमाग़ में तो कल से रज़िया ही घूम रही थी। वो उठकर रज़िया के रूम के पास जाता है और धीरे से दरवाजे को खोलता है। उसे ये देखकर हैरानी होती है कि रज़िया उस वक्त किससे से फोन पर बात कर रही थी? और खुशी भी होती है कि रज़िया ने उसकी लाई हुई नाइटी पहन रखी थी।
रज़िया-“अच्छा फ़िज़ा बेटे, अब मैं फोन रखती हूँ । रातू भी बहुत हो चुकी है, तुम भी आराम करो…”
जब रज़िया फोन बंद करके जीशान की तरफ देखती है तो उसके तो जैसे होश ही उड़ जाते हैं-“तुम इस वक्त यहाँ और तुम्हारे कपड़े कहाँ हैं?”
जीशान सिर्फ़ अंडरवेअर में ही रज़िया के रूम में चला आया था-“मुझे गर्मी बहुत हो रही थी और मेरे रूम का एसी काम नहीं कर रहा है, इसलिए मैं यहाँ सोने चला आया…”
रज़िया-“नहीं तुम अपनी अम्मी के रूम में सोने जाओ, यहाँ मत सोओ…”
जीशान-“मेरे अब्बू का घर है। मैं जहाँ चाहूं वहाँ सो सकता हूँ …” ये कहते हुये जीशान रज़िया के बेड पर लेट जाता है।
दिल में मुस्कान लिए और चेहरे पे गुस्से के साथ रज़िया जीशान को एक हल्की सी ठप्पी मार देती है-“एक कोने में सो सकते हो, और अगर कोई भी चक्कर करने की कोशिश भी की ना तुमने जीशान तो देख लो?”
जीशान धीमी आवाज़ में कहता है-“देखने ही तो आया हूँ …”
रज़िया-क्या?
जीशान-कुछ नहीं , मैं कुछ ऐसी वैसी हरकत नहीं करूँगा। वैसे ये नाइटी आप पर बहुत जॅंच रही है दादी ।
रज़िया-शुक्रिया अनुम लाई है मेरे लिए।
जीशान-“क्या अम्मी? जी नहीं , मैं लाया हूँ अपनी पसंद की। किसने कहा आपको कि अम्मी लाई है आपके लिए?”
रज़िया कुछ नहीं कहती है और मुश्कुराती हुई बेड पर एक करवट लेट जाती है।
जीशान उठकर दरवाजा लाक कर देता है। रज़िया उससे कुछ नहीं कहती और अपनी आँखें बंद कर लेती है।
जीशान सोफिया को देखकर पहले से पागल हुआ पड़ा था, और कल रात जो हालत रज़िया ने जीशान की की थी उससे जीशान थोड़ा गुस्सा भी था रज़िया से, मगर उसे उस वक्त सबसे ज्यादा ज़रूरत एक औरत की चूत की थी। वो चूत वाली औरत अपने जिस्म को उस पतली सी नाइटी से ढँक के ठीक उसके बगल में लेटी हुई थी, मगर जीशान उसे कुछ करने से डर भी रहा था।
आखिर जीशान खुद से कहता है-“जो होगा देखा जाएगा?
और फिर जीशान अपने लण्ड पर हाथ रख कर चीख पड़ता है-“अह्ह… दादी अह्ह…”
रज़िया-“क्या हुआ जीशान ? क्या हुआ मेरे बच्चे?” जीशान की दर्द भरी आवाज़ सुनकर रज़िया बुरी तरह डर जाती है।
जीशान-दादी मुझे कीड़े ने काट लिया।
रज़िया-कहाँ पर?
जीशान-“यहाँ…” अपने लण्ड की तरफ इशारा करके वो रज़िया को दिखाता है।
रज़िया झट से घबराहट में जीशान का अंडरवेअर खींच लेती है, और उसकी आँखों के सामने पहली बार अमन और उसके अब्बू के बाद तीसरा जवान लण्ड लहराता बलखाता आ जाता है।
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