RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
सुबह 6:00 बजे-
जीशान अपने रूम में अभी-अभी गया था, उसे बहुत प्यास लगती है तो वो उठकर किचेन में पानी पीने आता है। किचेन में सोफिया खड़ी पानी पी रही थी। जीशान को उस वक्त वहाँ देखकर उसे थोड़े हैरानी होती है, क्योंकी जीशान हमेशा अपने रूम में पानी की बोतल रखता था।
सोफिया उसे देखकर मुश्कुरा देती है-पानी रूम में रखना भूल गये थे क्या?
जीशान-हाँ, अम्मी ने भी नहीं रखी।
सोफिया-तुम रूम में थे नहीं ना? इसलिए शायद नहीं रखी अम्मी ने।
जीशान पानी पीते-पीते सोफिया की तरफ देखने लगता है। सोफिया के चेहरे पे कुछ था जिसे जीशान पढ़ नहीं पा रहा था, वो मुस्कान के पीछे कुछ छुपा रही थी।
जीशान को लगने लगता है कि शायद सोफिया को पता चल गया है कि मैं किसके साथ था और क्या कर रहा था?
सोफिया जाते-जाते जीशान के पास रुक जाती है-किसके साथ थे तुम?
सोफिया का ये सीधा सवाल जीशान को गड़बड़ा देता है, और उसके मुँह से पानी तस्के के रूप में बाहर गिर जाता है।
सोफिया को हँसी आ जाती है।
जीशान-कहाँ जाउन्गा? मैं अपने रूम में था।
सोफिया-झूठ बोल रहे हो तुम। मैं तुम्हारे रूम में गई थी, मगर तुम वहाँ नहीं थे।
जीशान-अच्छा… क्यों गई थी आप मेरे रूम में?
सोफिया-वो मैं ऐसे ही पानी पीने उठी थी तो देख लिया तुम्हारे रूम में भी झाँक के की तुम ठीक से सोए हुये हो की नहीं ?
जीशान सोफिया का हाथ पकड़कर उसे अपने तरफ खींच लेता है-झूठ बोल रह हो अब आप?
सोफिया-मैं क्यों झूठ बोलूँगी भला?
जीशान-“अच्छा तो फिर ये दिल क्यों इतने जोर से धड़क रहा है?” कहकर वो अपना हाथ सोफिया के दिल पर रख देता है।
सोफिया की टाँगे काँप जाती हैं।
जीशान-मुझे ऐसा क्यों लगता है कि आप मुझसे प्यार करने लगी हो?
सोफिया-छोड़ मेरा हाथ, जब देखो बकवास करता रहता है।
जीशान-मेरी आँखों में देखकर बोलो कि मैं बकवास कर रहा हूँ ।
सोफिया जीशान की आँखों में नहीं देखती।
जीशान अपने दोनों हाथों से सोफिया के चेहरे को थामकर अपने होंठों से उसका मुँह खोल देता है। सोफिया के हाथ जीशान के कंधे पर चले जाते हैं, और जीशान के सोफिया की कमर पर।
सोफिया की चूत पिछले 7 दिनों से एम॰सी॰ पीरियड की वजह से परेशान थी, और आज जब उसकी चूत को राहत मिली थी तो अमन के साथ गुजारे हुये वो हसीन पल उसे फिर से परेशान करने लगे थे। अपनी इस परेशानी को दूर करने के लिए वो जीशान से मिलने आई थी। मगर जीशान उस वक्त अपनी दादी के रूम में कैद था। उन दोनों की आवाज़ें रूम के बाहर तक और सोफिया के कानों तक पहुँच चुकी थीं।
मगर कहते हैं ना औरत का दिल समुंदर की तरह होता है जिसकी तह में कई राज दबे होते हैं। सोफिया अपने होंठों को साफ करके चुपचाप अपने रूम में चली जाती है, और जीशान भी उसे थकान की वजह से जाने देता है।
सुबह का सूरज जीशान के लिए जैसे नई उम्मीदें लेकर आया था। जब उसकी आँख खुली तो वो खुद को बहुत फ्रेश महसूस कर रहा था। अपनी दादी रज़िया की मोहब्बत में गिरफ्तार होता जीशान खुद को बहुत किस्मतवाला महसूस करने लगा था, जो कि वो था भी। उसके आस-पास इतनी खूबसूरत और हसीन तरीन औरतें जो थी, मगर एक ख्वाहिश उसके दिल में अब भी थी; एक कसक, एक तड़प, एक चाहत जिसे वो हमेशा से पाना चाहता था।
अपनी अम्मी अनुम को अमन ख़ान का खून होने की वजह से उसकी ऐसी सोच लाजमी भी थी। मगर अनुम उसे मोहब्बत तो करती थी, मगर ये वो मोहब्बत नहीं थी, जो दो जिस्म को एक बना दे।
जीशान बेड से खड़ा हो जाता है और फ्रेश होने बाथरूम में चला जाता है। नहाते वक्त वो अपने लण्ड को हाथ में लेकर उसपे लगा रज़िया की चूत का गाढ़ा-गाढ़ा पानी साफ करने लगता है। एक अजीब सी सरसराहट उसके पूरे जिस्म में दौड़ जाती है, और उसकी आँखें खुद-बा-खुद बंद हो जाती हैं।
वो रज़िया के बारे में सोचने लगता है। मगर उसके लण्ड में कुछ ख़ास हरकत नहीं होती। सोफिया के चेहरे को सोच करके वो लण्ड को सहलाने लगता है, तब थोड़ा बहुत खिंचाव उसे महसूस होता है। फिर अचानक अनुम का मुस्कुराता हुआ चेहरा उसकी बंद आँखों के सामने आ जाता है, और देखते ही देखते उसके मुरझाए हुये लण्ड में बिजली की तेजी से जान आने लगती है, फनफनाता हुआ उसका जवान लण्ड पूरी तरह कड़क हो जाता है, उसके खूबसूरत लण्ड पे मौजूद मोटी -मोटी नसें तन जाती हैं और जिस्म झटके मारने लगता है।
जीशान-“आह्ह… अम्मी जी आह्ह… आह्ह… अम्मी जान्न…” और गाढ़ा-गाढ़ा सफेद पानी बाथरूम के फर्श पर गिरने लगता है।
कुछ देर बाद जब वो नहाकर रूम के बाहर आता है तो उसे बड़ी हैरानी होती है। उसका पानी निकल चुका था मगर लण्ड अब भी उसी तरह तना हुआ था। वो अपने लण्ड को हाथ में पकड़कर दोनों जांघों के बीच में डालकर उसे नॉर्मल करने के कोशिश करने लगता है, मगर वो फिर से सामने के तरफ किसी तीर की तरह आ जाता है। वो अपने रूम में खड़ा था और रूम का मेनडोर खुला था। अपने लण्ड को अड्जस्ट करने में वो ये तक भूल गया था कि दरवाजा खुला है और बाहर कोई खड़ा है।
नग़मा जीशान का बेड ठीक करने जैसे ही उसके रूम के तरफ आई थी उसके पैर वहीं जम गये थे, क्योंकी उसी वक्त जीशान भी अपने बाथरूम से बाहर निकला था और अपने भाई को इस तरह देखकर उससे आगे नहीं बढ़ा गया। नग़मा एक 18 साल की जवान खूबसूरत लड़की थी, उसने अपनी 12 वीं की किताबों में सेक्स के बारे में पढ़ा ज़रूर था, मगर हकीकत में एक जवान तना हुआ लण्ड उसने आज पहली बार देखा था, वो भी अपने भाई का।
नग़मा का जिस्म जैसे बर्फ की तरह ठंडा पड़ चुका था, बस चूत जल रही थी और उस चूत की गर्मी से पूरा जिस्म थरथरा रहा था, काँप रहा था।
रूम के अंदर जीशान अंडरवेअर नहीं पहन पा रहा था क्योंकी उसके लण्ड में अब भी कोई नर्मी नहीं आई थी।
अचानक कोई नग़मा की पीठ पे पीछे से थप्पड़ मारता है और नग़मा बुरी तरह चौंक के पीछे देखती है, तो उसके पीठ के पीछे सोफिया खड़ी थी। सोफिया उससे आँखों के इशारे से पूछती है कि यहाँ क्या कर रही है?
नग़मा का जिस्म काँप रहा था और चेहरे पे पसीना साफ नजर आ रहा था। वो अपने मुँह पर दुपट्टा रख कर बिना कुछ कहे वहाँ से भाग जाती है। उसके इस तरह भागने से सोफिया को कुछ शक सा होता है और जब वो जीशान के रूम में देखते है तो…
सोफिया-“अम्मी जीई…” और वो झट से अपने मुँह पर दुपट्टा रख कर चीख को दबा देती है।
अमन का लण्ड भी जीशान के लण्ड के सामने कुछ नहीं था, और सबसे दिलकश बात ये थी कि जीशान के लण्ड की चमड़ी सफेद होने के साथ-साथ सामने का सुपाड़ा गुलाबी था, बिल्कुल पठानों के लण्ड के तरह। 7 इंच लंबे उस लण्ड को देखकर सोफिया के पैर भी लड़खड़ा जाते हैं। उसे किसी के कदमों के आवाज़ सुनाई देती है और वो पर्दे के पीछे छुप जाती है।
रज़िया अपना दुपट्टा ठीक से सिर पर रखे सीधा जीशान के रूम में दाखिल होती है-“जीशान ये क्या कर रहे हो?” ये कहती हुई रज़िया झट से दरवाजा बंद कर देती है।
जीशान-“दादी देखो ना, साला ये बैठने का नाम है नहीं ले रहा…”
रज़िया उसके पास आकर खड़ी हो जाती है-“जीशान बेटा दरवाजा बंद कर लिया करो, जवान लड़कियाँ हैं अपने घर में। तुम भी ना… क्या हुआ??
जीशान अपने लण्ड को रज़िया को दिखाने लगता है-“जब से नहाकर आया हूँ तब से ये खड़ा का खड़ा है अंडरवेअर भी नहीं पहनी जा रही …”
रज़िया अपने मखमली हाथों में जीशान के लण्ड को पकड़ लेती है।
जीशान-“आह्ह… रज़ियाऽऽ आऽऽऽ…”
रज़िया मुश्कुरा देती है और नीचे बैठ जाती है। जीशान रज़िया की तरफ देखने लगता है। रज़िया जीशान की आँखों में देखते हुई उसके लण्ड को पूरी तरह मुट्ठी में पकड़ लेती है और फिर अचानक जीशान के गुलाबी सुपाड़े को चूम लेती है मुआह्ह।
जीशान-“रज़ियाऽऽ आह्ह…”
रज़िया अपनी जीभ बाहर निकालकर जीशान के लण्ड पर फेरने लगती है, जैसे कोई छोटा सा बच्चा अपनी कुलफी चाट रहा हो-“बहुत मीठा है जीशान तेरा, दिल तो करता है खा जा ऊूँ इसे…”
जीशान-“खा जा ना मेरी जान रोका किसने है आह्ह…”
जीशान का ये बोलना था कि रज़िया अपना मुँह खोल देती है और जीशान के लण्ड को अपने गले में लेकर चूसने लगती है-“गलपप्प-गलपप्प-गलपप्प आह्ह… गलपप्प…”
जीशान-“आह्ह… रज़िया उन्ह… रात में इतनी बुरी तरह चूसा तूने कि अब तक दुख रहा है आह्ह…”
रज़िया-“इस ख़ानदान के हर लण्ड पे मेरा सबसे पहला हक है, कुछ भी करूँ तुझे क्या? गलपप्प-गलपप्प…”
जीशान दोनों हाथों से रज़िया के सिर को पकड़ लेता है और अपने लण्ड को आगे पीछे करने लगता है। रज़िया अपने मुँह को पूरी तरह खोल देती है जिसके वजह से जीशान का लण्ड पूरा तरह अंदर तक जाने लगता है। रज़िया के मुँह से लार नीचे गिरने लगती है, मगर उसे इस सबकी कोई परवाह नहीं थी। उसे जो जवान लण्ड मिला था, वो बेशकीमती था
बाहर के छेद से देखते हुये सोफिया की चूत से पानी बहने लगता है। अपनी अम्मी को अपने ही पोते के लण्ड को इस तरह मुँह में लेकर चूसती हुई वो सोच भी नहीं सकती थी मगर ये हकीकत वो अपनी आँखों से देख रही थी। जब अमन सोफिया को चोदता था तब भी सोफिया इतनी उत्तेजित नहीं होती थी, जितनी की आज वो इन दोनों को देखने के बाद हुई थी। उसका तो दिल कर रहा था कि दरवाजा खोलकर अंदर चली जाए और अपनी शलवार उतारकर पहले रज़िया से अपने चूत चटवाए और खुद जीशान का लण्ड मुँह में लेकर चूसे। मगर वो इस वक्त सिर्फ़ अपनी चूत को सहला सकती थी
अंदर रज़िया के लण्ड चूसने से धीरे -धीरे सारा पानी रज़िया के मुँह में गिरने लगता है।
जीशान-“अगर एक कतरा भी नीचे गिरा तो आज नहीं करूँगा रज़िया तुझे…”
रज़िया जीशान का पूरा पानी पीने लगती है। वो अपने जीभ से बाकी का सारा पानी भी चाटने लगती है, इस डर से कि कहीं जीशान सच में अपनी बात कर ना बैठे, और आज की रात उसकी चूत सुखी - सुखी ना रह जाए।
सोफिया अपने रूम में भाग जाती है और बेड पर लेट जाती है। उसकी चुची इतने तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थी कि जैसे अगर उन्हें कंट्रोल ना किया जाए।
वही हाल नग़मा की भी थी। शावर के नीचे खड़ी रहकर नग़मा नहा तो रही थी, मगर उसकी चूत से लगातार पानी रिस रहा था, निप्पल तन के कड़क हो चुके थे।
जीशान कुछ देर बाद नाश्ता करने आ जाता है, साथ में उसके रज़िया भी थी। अनुम और लुबना दोनों नाश्ते की तैयार कर रही थी।
अनुम-अरे वाह… दोनों दादी पोते एक साथ? क्या खिचड़ी पक रह है भाई?
जीशान-खिचड़ी नहीं अम्मी, शोरबा।
रज़िया-ऊहहो ओह ओ।
अनुम-क्या?
रज़िया-“क्या तुम भी इस बेवकूफ़ की बातों को लेकर बैठ गये बेटे? लाओ नाश्ता दो आज तो बहुत भूक लगी है…” कहकर वो जीशान को घुरने लगती है, और जीशान बेशर्म की तरह चेयर खींचकर नाश्ता करने बैठ जाता है।
सोफिया और नग़मा भी नाश्ता करने बैठ जाते हैं।
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