Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:45 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अनुम-अरे लुब बेटा, आओ तुम भी बैठ जाओ। 

लुबना-“जी अम्मी…” और एक नजर जीशान पर डालने के बाद लुबना भी नाश्ता करने बैठ जाती है। 

अनुम और रज़िया आस-पास बैठी थी और जीशान उन दोनों के सामने। जीशान के बगल में सोफिया और उसके बगल में नग़मा। जीशान के दूसरी तरफ लुबना बैठे हुई थी। सभी चुपचाप नाश्ता कर रहे थे। 

तभी अनुम को अपने पैरों पे कुछ महसूस होता है। वो और कोई नहीं बल्की जीशान था, जो अनुम के पैरों को टेबल के नीचे से रज़िया के पैर समझकर सहला रहा था। अनुम जीशान के तरफ देखने लगती है। 

जीशान-क्या हुआ अम्मी, आप रुक क्यों गये? 

अनुम-कुछ नहीं । 

जीशान अपने पैर के अंगूठे से अनुम की शलवार को ऊपर उठाने लगता है। अनुम जीशान को घुरने लगती है, मगर अपने पैरों को पीछे नहीं खींचती। जीशान धीरे-धीरे अपने पैर को ऊपर बढ़ाता चला जाता है। अब उसके पैर का अंगूठा अनुम की जाँघ के निच ले हिस्से को टच होने लगता है। नरम जिस्म पर जैसे ही जीशान के पैर पड़ते हैं, उसका जोश और बढ़ जाता है। 

मगर इधर अनुम की हालत खराब होने लगती है। जैसे-जैसे जीशान के पैर ऊपर चढ़ रहे थे वैसे-वैसे अनुम की साँस नीचे की तरफ होने लगती है। आखिरकार, उससे बर्दाश्त नहीं होता और वो अपना नाश्ता करके खड़ी हो जाती है। 

धीरे-धीरे करके सभी अपना नाश्ता ख़तम कर लेते है और डाइनिंग टेबल पर सिर्फ़ जीशान और रज़िया ही रह जाते हैं। जीशान रज़िया की तरफ देखने लगता है। 
मगर रज़िया तो अपने नाश्ते में मगन थी, जब वो सिर उठाकर जीशान की तरफ देखती है तो जीशान को अपने चेहरे की तरफ मुस्कुराता देखकर हैरान रह जाती है-“क्या?” 

जीशान फिर से उसी जगह अपना पैर ले जाता है जहाँ थोड़ी देर पहले उसने रख था, उसे वहाँ कोई चीज टच नहीं होती। वो गर्दन टेबल के नीचे डालकर रज़िया के पैर देखने लगता है, तो रज़िया अपने दोनों पैरों को पीछे रखी हुई थी। 

जीशान-दादी आप ऐसे कब से बैठे हुई हो? 

रज़िया-कैसे? 

जीशान-ऐसे पैरों को पीछे लेकर? 

रज़िया-पहले से, क्यों क्या हुआ? 

जीशान-“नहीं कुछ नहीं …” अगर दादी के पैर पीछे हैं तो वो किसके पैर थे? अम्मी के? ओह्ह… माई गोड। 

अनुम-जीशान हुई नाश्ता हो गया होगा तो फॅक्टरी चलें? 

जीशान-“जी आया मम्मी…” और जीशान रज़िया को फ्लाइंग किस करता हुआ अनुम की तरफ बढ़ जाता है। 

अनुम अपने रूम में ड्रेस चेज कर रही थी, जब जीशान वहाँ पहुँचता है। अनुम की पीठ जीशान की तरफ थी और वो अपना हाथ पीछे करके अपनी कमीज के चैन लगा रही थी। जीशान धीरे से आगे बढ़ता है, चैन पकड़कर ऊपर खींच लेता है। अनुम चौक के पीछे देखती है। सामने जीशान एक दिलकश मुस्कान लिए खड़ा था। 

जीशान-आपने मुझे बुलाया था अम्मी। 

अनुम-शुक्रिया। 

जीशान-किसलिए? 

अनुम अपना दुपट्टा ठीक करती हुई-तैयार हो गये हो तो फॅक्टरी चलें? 

जीशान-मैं तो तैयार ही हूँ । वैसे एक बात कहूँ अम्मी। 

अनुम-ह्म। 

जीशान-आप ना इस पिंक सूट में बहुत बहुत-बहुत खूबसूरत लग रह हो किसी फिल्म स्टार की तरह। 

अनुम गौर से जीशान की आँखों में देखने लगती है और फिर अचानक ही उसके चेहरे पे मुस्कान फैल जाती है-
“अच्छा जी। चलो हटो, बहुत बदमाश होते जा रहे हो तुम जीशान किसी दिन जम के पिटाई करनी पड़ेगी तुम्हारी …” 

जीशान अनुम के दोनों हाथ अपने हाथों में लेकर अपनी छाती पे मारने लगता है। 

अनुम-ये क्या कर रहे हो? 

जीशान-“आप ह ने तो कहा कि आप मुझे मारना चाहती हो। मैं आपके दिल की हर मुराद पूरी करना चाहता हूँ , चाहे वो अच्छी हो या बुरी …” 

अनुम-चल हट बदमाश कहीं के, और आजकल मैं देख रही हूँ तुम मुझे घूर ते क्यों रहते हो? 

जीशान अचानक से अनुम के बिल्कुल करीब पहुँच जाता है जिसकी वजह से अनुम हड़बड़ा जाती है और पीछे हटने लगती है मगर जीशान उसका हाथ पकड़कर अपने छाती पे रख देता है-“इस कम्बख़्त की वजह से मैं आपको घूर ता रहता हूँ …” 

अनुम की आँखें झुक जाती हैं-क्या मतलब? 

जीशान अनुम की ठोड़ी को ऊपर उठाकर उसकी आँखों में देखते हुये बड़े प्यार से कहता है-“आप बहुत हसीन हो अम्मी। मेरी जिंदगी की वो औरत जो मेरी रूह तक बसी हुई है, जिसके बिना जिंदगी गुजारना मेरे लिए मुमकिन नहीं , जिसकी हर ख्वाहिश मेरे लिए हुक्म की तरह है। आपकी हसीन आँखों की कसम मुझे इनमें डूब कर एक बार मर जाने दो। आपके लरजते हुये इन होंठों की कसम मुझे जी भरकर बहक जाने दो। आप जानते हो मैं आपसे कितनी मोहब्बत करता हूँ । मगर आप क्यों अपने दिल की बात मुझे नहीं बताती…” 

अनुम की टाँगे काँप जाती हैं, लाल गुलाबी होंठ लरज जाते हैं, होंठ सूखने लगते हैं, और जीभ मुँह में हिल भी नहीं पाती। अपनी भीगी हुई पलकों से वो जीशान की तरफ देखती हुई बस इतना ही कहती है-“मैं तेरी अम्मी हूँ , बस अम्मी और कुछ नहीं …” 

जीशान-“जानता हूँ आप मेरी अम्मी हो, और मैं ये भी जानता हूँ कि अब्बू के बाद आप सिर्फ़ और सिर्फ़ मुझसे मोहब्बत करती हो। क्या मैं अपनी अम्मी को गले लगा सकता हूँ ?” 

अनुम बिना जवाब दिए अपनी बाहें खोल देती है और जीशान अनुम को पहली बार इतने कस के अपने छाती से चिपकाता है कि एक हल्की सी चीख अनुम की छाती से निकल पड़ती है-“उउउन्ह…” 

जीशान हालत का फायेदा उठाकर अपने होंठों को अनुम के गाल के पास लाता है और एक हल्की सी किस अनुम के गाल पे कर देता है। अनुम चौंक के जीशान की तरफ देखती है। 

जीशान-क्या? अपनी अम्मी को गाल पे चूम भी नहीं सकता क्या? 

अनुम फिर से अपनी आँखें बंद कर लेती है। 
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