Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:46 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रज़िया-“हाँ हाँ मेरे सरताज, मैं करूँगी आपसे शादी । मैं कहलाना चाहती हूँ आज से जीशान ख़ान की बीवी। बना लो मुझे अपना शरीक-ए-हयात, और मेरे जिस्म को हमेशा-हमेशा के लिये अपना बना लो। जीशान गुलामी करूँगी मैं आज से आप जैसा कहोगे वैसा करूँगी। मेरा जवान पोता आज मेरा शौहर हुआ। आज से रज़िया ख़ानम आपकी बीवी हुई। 

जीशान-“रज़िया मेरे जान…” कहकर वो अपनी दादी के होंठों को चूमता चला जाता है। 

और ये सुनकर पास में लेटी हुई सोफिया के जिस्म में सरसराहट सी पैदा हो जाती है। 

जीशान-“रज़िया मैं आज तुम्हें दिल-ओ-जान से प्यार करना चाहता हूँ , हर उस जगह से अमन ख़ान का नाम मिटा देना चाहता हूँ । बस आज से इस जिस्म पर एक नाम होगा मेरा…” 

रज़िया-“कर लो जो करना है, शौहर बीवी से इजाजत नहीं लेता जान … बस करता है उन्हें जो करना होता है…” 

रज़िया की आँखों में आज वही चमक थी जो कभी अमन के साथ रहने पर दिखाई देती थी। अपने हुश्न से रज़िया ने अपने 20 साल के जवान पोते को अपनी तरफ इस तरह आकर्षित कर लिया था कि जीशान को रज़िया के हुश्न के सिवा कोई और हसीन चीज उस वक्त नजर नहीं आ रही थी। 

जीशान रज़िया को लेटा देता है और उसके ऊपर लेट जाता है-“मैं भारी तो नहीं हूँ ना दादी ?” 

रज़िया-“बिल्कुल नहीं और खबरदार जो आज के बाद अकेले में मुझे दादी कहकर बुलाए तो? वो औरत ही नहीं जो अपने शौहर को अपने ऊपर लेने से थक जाए। मैं रात भर तुम्हें अपने ऊपर रखना चाहती हूँ , ऐसे ही बिल्कुल अपने सीने से चिपकाए…” 

जीशान-ऐसे ही ? 

रज़िया-हाँ ऐसे ही । 

जीशान-ऐसे नहीं रजो। 

रज़िया-तो फिर कैसे जीशान ? 

जीशान-“बिल्कुल नंगी करके मैं तुम्हारे ऊपर सोना चाहता हूँ , अपने लौड़े को तुम्हारी चूत के अंदर तक रख कर सोना चाहता हूँ , जब चुदाई के बाद मेरी आँख लगे तो मैं चाहता हूँ मेरा लौड़ा तुम्हारी गरम चूत के अंदर ही रहे। जब मैं सुबह उठु तो उस वक्त भी वो अंदर ही हो, ताकी मैं सुबह की रोशने में भी तुम्हें चोद सकूँ …” 

रज़िया अपने जीशान के होंठों को चूम लेती है-“हाँ मेरे सरताज रखूँगी, आज के बाद ये चूत कभी वाली मत रखना। रात भर मैं तुम्हें अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ । सुबह भी तुम्हारे साथ उठना चाहती हूँ और तुम्हारे साथ ह नहाना चाहती हूँ … मैं चाहती हूँ तुम मुझे बाथरूम में भी करो…” 

जीशान-कैसे रजो? 

रज़िया अपने दोनों हाथ जीशान के अंडरवेअर में डालकर दोनों हाथों से जीशान की कमर थाम लेती है-“आह्ह… बाथरूम में नहाते हुये मेरे चूत के अंदर अपना लौड़ा रख कर अंदर-बाहर करते हुये दोनों के जिस्म पर शावर से पानी गिरते हुये, हर वक्त हर जगह मैं तुमसे चुदना चाहती हूँ जीशान , पेशाब करते हुये भी…” 

जीशान-पेशाब करती हुई भी? 

रज़िया-“हाँ मेरे जान पेशाब करते हुई भी… पीछे से उन्ह… मेरी गाण्ड में अपना लौड़ा डालकर मुझे चोदोगे ना। मैं अपनी गाण्ड में इसे लेकर पेशाब करना चाहती हूँ , मैं जीना चाहती हूँ । हर ख्वाहिश पूरी करना चाहती हूँ वो भी जो तुम्हारे अब्बू नहीं कर पाये, और वो भी जो तुम मेरे साथ अपने खुशी से करना चाहते हो…” 

जीशान अपनी रज़िया की बातों से इस कदर गरम हो चुका था कि वो रज़िया की नाइटी को एक झटके में उसके जिस्म से निकालकर फेंक देता है। रज़िया अंदर कुछ नहीं पहनी थी, जीशान को हैरानी होती है। जीशान सवालिया नजरों से रज़िया से पूछ लेता है कि उसने अंदर पैंट और ब्रा क्यों नहीं पहनी? 

रज़िया मुश्कुरा देती है और जीशान को अपने से चिपका के धीरे से उसके कान में कहती है-“मैं जानती थी तुम मुझे चोदने ज़रूर आओगे जान मुऊआह्ह…” 

जीशान अपने अंडरवेअर को कमर से निकाल देता है दोनों उस वक्त पूरी तरह नंगे हो चुके थे। जीशान का जवान लण्ड तो रज़िया की बात सुनकर ही तन चुका था, और अब वो सीधा रज़िया की चूत पे आगे पीछे घिस रहा था। 

रज़िया-“उन्ह… मुँह में डालिए ना…” 

जीशान लेट जाता है और रज़िया उठकर बैठ जाती है। उसे कोई परवाह नहीं थी की पास ही में सोफिया भी लेटी हुई है, जो उस वक्त तक जाग चुकी थी और अपनी अम्मी की बातें सुनकर पूरी तरह गीली हो चुकी थी। आज सोफिया को पता चला था कि उसका जिस्म इतना जोशीला क्यों है? क्यों वो अमन की तरफ आकर्षित हुई थी? ये उसके खून में था। 

जीशान-“अपनी कमर मेरी तरफ करो…” 

रज़िया 69 की पोजीशन में आती हुई अपनी कमर को जीशान के चेहरे के तरफ झुका देती है और झट से जीशान के लण्ड को चूम लेती है। कहती है-“इतना खूबसूरत तो तेरे अब्बू और दादी का भी नहीं था…” 

जीशान-“ले मुँह में मेरी जान…” 

रज़िया-“गलपप्प-गलपप्प-गलपप्प…” जीशान के लण्ड को आंडो तक अपने मुँह में ले लेती है और नीचे के लटकते हुये आंडो को अपनी मुट्ट में लेकर मरोड़ने लगती है। 

जीशान अपने होंठ रज़िया की चूत पर रख कर जीभ को अंदर घुसा देता है। इतने दिनों तक अमन के अब्बू से और फिर अमन से चुदने के बाद भी रज़िया की चूत इस कदर कसी हुई थी, जैसे कुँवारी चूत हो। और यही वजह भी थी जीशान के उसकी तरफ आकर्षित होने की। 

रज़िया-“आह्ह… मेरे जान आह्ह… खोल दो अपनी रज़िया के चूत को… ऐसे तो अमन भी ना कर सका आह्ह…” 

जीशान-“गलपप्प भूल जाओगी रज़िया तुम अमन ख़ान को आज के बाद गलपप्प-गलपप्प…” 
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