Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:49 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जीशान की हरकतें उसे दिन-ब-दिन बेचैन करने लगी थीं। रात में कही हुई उसकी बातें अब भी अनुम के जेहन को झींझोड़ रही थीं। ना चाहती हुई भी जीशान उसके दिमाग़ से निकल नहीं पा रहा था। 

तभी लुबना-क्या हुआ अम्मी, कहाँ खोई हुई हैं आप? 

अनुम चौंकती हुई पीछे देखती है-“हाँ, नहीं मैं वो चलो नाश्ता कर लो…” किसी चोर की चोर पकड़े जाने का जो ख़ौफ़ होता है, वही अनुम के चेहरे पर कुछ लम्हों के लिए तर हो गया था। 

लुबना नाश्ता करने बैठ जाती है-“अम्मी भाई उठ गये क्या?” 

अनुम-“हाँ वो जाने वाला है। क्यूँ ? 

लुबना-“नहीं , बस ऐसे ही । वैसे आज का प्रोग्राम क्या है, शॉपिंग के बारे में?” 

अनुम-“सब जाग जाए उसके बाद खुद पूछ लेना…” 

जीशान तैयार होकर वापस किचेन में आता है-“अम्मी मैं जा रहा हूँ …” 

अनुम बिना उसकी तरफ घूमे बस हुम्म… कह देती है। 

जीशान-अम्मी इधर देखो ना। 

अनुम सिर घुमाकर उसकी तरफ देखती है। 

जीशान-“अब दिन अच्छा जाएगा मेरा ओके। कम खाया कर लुब मोटी होती जा रही है…” 



लुबना-“होने दो। चलो पहले क्रेडिट कार्ड निकालो, आज शॉपिंग करने जाना है…” 

जीशान अपने पाकेट से क्रेडिट कार्ड निकालकर लुबना के बजाए अनुम के हाथ में दे देता है, और वहाँ से चला जाता है। दोनों माँ-बेटी एक दूसरे को देखने लगती है और लुबना अपना ध्यान वापस नाश्ते पर लगा देती है। 

फॅक्टरी में पहुँचकर जीशान अपने काम में लग जाता है। काम में वो इतना मसरूफ़ हो जाता है कि उसे लंच टाइम का भी पता नहीं चलता। ठीक 2:00 बजे बजे उसके सेल पर अनुम का काल आता है, और वो लपक के काल रिसीव कर लेता है। 

जीशान-जी कहिए। 

अनुम-नाश्ता भी ठीक से नहीं किया तुमने, लंच के लिए घर आ रहे हो ना? 

जीशान-नहीं , भूक नहीं है। 

अनुम-“क्यों तबीयत ठीक नहीं लग रही है क्या, मैं वहाँ आ जाऊूँ? 

जीशान-“अरे नहीं नहीं कर लूँगा लंच मैं। आप फिकर ना करें वैसे अभी आप कहाँ हैं?” 

अनुम-हुम्म… शॉपिंग माल में हैं। 

जीशान-और लंच? 

अनुम-घर जाकर करेंगे। 

जीशान-ठीक है। मुझे बता देना मैं भी तभी कर लूँगा। 

अनुम-“जी नहीं । आप अभी करेंगे लंच जीशान समझे? मेरा मतलब है लंच करो जल्दी से…” 

जीशान-अम्मी एक बात कहूँ ? 

अनुम-क्या? 

जीशान-“आप डाँटती हुई बहुत प्यारी लगती हो, बिल्कुल पत्नी की तरह…” 

अनुम काल डिसकनेक्ट कर देती है, और जीशान के चेहरे पर हँसी फैल जाती है। 
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“क्या मैं अंदर आ सकती हूँ ?” 
दरवाजे पर किसी औरत की आवाज़ सुनकर जीशान उसकी तरफ देखता है-“अरे फुफु आइए आइए अचानक से?” 

फ़िज़ा-“हाँ मैं इधर आई हुई थी, डाक्टर सोनिया के यहाँ रूटीन चेकप के लिए। सोची तुमसे मिलती चलूँ…” 

जीशान-डाक्टर सोनिया, आप जानती हैं उन्हें? 

फ़िज़ा-“हाँ बहुत अच्छे से। तुम्हारे बारे में भी पूछ रही थी। तुम कैसे जानते हो उन्हें?” 

जीशान-“जी वो उनके बेटी रूबी मेरे साथ कालेज में पढ़ती थी ना…” 

फ़िज़ा-“ओह्ह… फिर तो काफी अच्छी तरह से जान पहचान हुई होगी तुम्हारी और डाक्टर सोनिया की?” 

होंठों पर सोखी लिए फ़िज़ा जीशान का मन टटोलने लगती है। 

जीशान-“क्या आप भी फुफु? कामरान भाई नहीं आए?” 

फ़िज़ा-“नहीं वो अपने अब्बू के साथू कहीं गये हुये हैं…” 

जीशान-आपके होंठों को क्या हुआ? 

फ़िज़ा का होंठ थोड़ा सा कटा हुआ था-“अरे ये? क्या बताऊँ जीशान , तुम्हारे फोफा भी ना…” 

जीशान जोर से हँस पड़ता है-“अच्छा हुआ आप आ गई फुफु। मैं अभी लंच करने के लिए ही जा रहा था। 

चलिए आपने भी नहीं किया होगा, किसी रेस्टोरेंट में चलते हैं…” 

फ़िज़ा-चलो। 
और दोनों कार में बैठकर लंच करने चले जाते हैं। लंच करते-करते फ़िज़ा जीशान से शादी की तैयाररयों के बारे में पूछने लगती है। 

जीशान-“अरे बाप रे …” 

फ़िज़ा-क्या हुआ? 

जीशान-अच्छा हुआ अपने याद दिला दिया। मुझे तो फ्लेट पर भी जाना था। 

फ़िज़ा-कौन सा फ्लेट? 

जीशान-“जी वो सोफिया आपी और खालिद भाईजान के लिए मैंने एक फ्लेट खरीदा है। शादी के बाद वो वहीं रहेंगे…” 

फ़िज़ा-“अरे वाह… ये तो बहुत अच्छी बात है। मुझे नहीं दिखाओगे अपना फ्लेट?” 

जीशान-“क्यों नहीं ? पहले लंच तो ख़तम कर लेते हैं…” और दोनों लंच ख़तम करके जीशान के नये फ्लेट पर चले जाते हैं। 

फ़िज़ा ने टाइट काले रंग की शलवार कमीज पहन रखी थी। कार में बैठने के बाद फिटिंग की वजह से वो जिस्म से बहुत चिपक सी गई थी। जीशान ड्राइव करते-करते बार-बार फ़िज़ा की तरफ ही देख रहा था, जिसे फ़िज़ा ने भी नोटिस की थी। 

फ़िज़ा-अरे जीशान, सामने देखो ना वरना एक्सीडेंट कर दोगे। जो देखना है फ्लेट पर देख लेना। 

जीशान घबराते हुये-क्या फुफु? 

फ़िज़ा मुश्कुराती हुई-“कुछ नहीं …” बातों-बातों में दोनों फ्लेट पर पहुँच जाते हैं। 

जीशान ने एक बहुत ही खूबसूरत फ्लेट खरीदा था सोफिया के लिए, 3 बेडरूम और किचेन बाथरूम से लैस। ये फ्लेट किसी बड़े से घर से कम नहीं था। सभी सामान पहले से लगा हुआ था बस नये कपल के आने भर की देर थी। 

फ़िज़ा फ्लेट देखती रह जाती है-“िाआह्ह… ऐसा लग रहा है जैसे यहाँ किसी चेज की कमी नहीं है, बहुत खूबसूरत है…” 

जीशान-“है ना फुफु? हर एक ज़रूरत का सामान यहाँ मौजूद है। शादी के बाद सीधा सोफिया आपी और खालिद भाईजान यहाँ शिफ्ट हो जाएँगे…” 

फ़िज़ा एक-एक रूम देखने लगती है और बेडरूम में आकर उसके पैर रुक जाते हैं। 
बेड एकदम साफ सुथरा था जैसे बस दुल्हन का इंतजार कर रहा हो। फ़िज़ा बेड पर बैठ जाती है-“तो यहाँ होगी सुहागरात सोफिया की?” 

जीशान शरमा जाता है। 

फ़िज़ा-“अरे भाई, तुम क्यों शरमा रहे हो? तुम्हारा भी नंबर आ जाएगा…” 

जीशान-“फुफु आप भी ना…” वो बात बदलने के लिए म्यूजिक सिस्टम ओन कर देता है, और वो ओन होते ह एक रोमांटिक सा म्यूजिक बजने लगता है। 

फ़िज़ा जीशान की आँखों में कुछ तलाश करने लगती है। 

जीशान अपना हाथ फ़िज़ा की तरफ बढ़ता है-“क्या मैं सबसे हसीन लड़की के साथ डान्स कर सकता हूँ ?” 

फ़िज़ा-“लड़की अह्ह…” 

जीशान-“जी हाँ मेरे लिए तो आप अभी भी स्वीट-16 ही हो…” 

फ़िज़ा अपना हाथ जीशान के हाथ में दे देती है-“बातें अपने अब्बू जैसी करते हो…” 

जीशान-“काम भी अब्बू से बेहतर कर लेता हूँ …” 

फ़िज़ा-“देखना पड़ेगा फिर तो…” 

दोनों एक दूसरे केी कमर में हाथ डाले धीरे-धीरे डान्स करने लगते हैं। फ़िज़ा के जिस्म से आते परफ्यूम की खुश्बू जीशान के दिमाग़ में हलचल सी मचाने लगती है, और वो अपना हाथ थोड़ा नीचे खिसका के कमर के ऊपर रख देता है। 

फ़िज़ा-“ऊऔच… बदमाश कहीं के…” फ़िज़ा बुरा नहीं मानती-“जब भी तुम्हें देखती हूँ ना जीशान, तुम्हारे चेहरे में मुझे अमन नजर आते हैं…” 

जीशान-“आप बहुत खूबसूरत हो फुफु…” 

फ़िज़ा-क्या? मैं क्या कह रही हूँ और तुम क्या कह रहे हो? 

जीशान फ़िज़ा की कमर को थोड़ा दबाते हुये अपने करीब कर लेता है। एक हल्की से चीख उसके गले से निकल जाती है-“आप बहुत हसीन हो फुफु…” 

फ़िज़ा शरमा जाती है और अपनी पलकें नीचे कर लेती है। 

जीशान-क्या मैं आपको किस कर सकता हूँ ? 

फ़िज़ा बिना सिर उठाए कहती है-“तुम्हारे अब्बू कभी नहीं पूछते थे…” 

जीशान ये सुनते ही फ़िज़ा को अपने से चिपका लेता है, और दोनों के होंठ एक दूसरे में मिल जाते हैं। 

फ़िज़ा-“जीशान कब से मैं इस पल के इंतजार में थी मेरे बच्चे… गलपप्प…” 

जीशान-“मैं भी आपके लिए बहुत तड़पा हूँ फुफु गलपप्प…” 

दोनों इतने जल्दी में थे कि एक दूसरे के कपड़े उतारने में लग जाते हैं, और जब फ़िज़ा जीशान की पैंट उतारने नीचे बैठती है तो एक पल के लिए उसे अमन के साथ गुजारी हुई वो रात याद आ जाती है और वो आँखें बंद करके जीशान की पैंट नीचे उतार देती है। मगर जीशान का अपने अब्बू से बड़ा था। 
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