RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जीशान-हाँ लुब बोलो।
लुबना-कहाँ हैं आप?
जीशान-“मैं अपने दोस्त शमस के साथ हूँ , बस आ ही रहा हूँ …” जीशान झूठ बोलता है कि वो अपने बचपन के दोस्त शमस ख़ान के साथ है।
रूबी और सोनिया के साथ कुछ वक्त गुजारने के बाद जीशान अमन विला लौट जाता है।
सुबह का सूरज दोनों बहनों के लिए नई उम्मीदें लेकर आया था। एक खूबसूरत फनक्सन हाल में सोफिया और नग़मा का निकाह होता है, और सभी एक दूसरे को मुबारकबाद देते हैं। मगर अंदर ही अंदर सोफिया अपने महबूब से अलग होने के गम में रो रही थी। किस्मत के आगे वो भी मजबूर थी। सारे मेहमानों के खाना खाने के बाद सोफिया और नग़मा को उनके हमसफर के साथ अमन विला से रुख़सत कर दिया जाता है।
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अब अमन विला में जीशान ख़ान, रज़िया बेगम, लुबना और अनुम रह जाते हैं।
सोफिया और नग़मा की रुख़सती के बाद से जीशान थोड़ा गुमसुम सा रहने लगा था। वो रोज सुबह फॅक्टरी चला जाता और शाम में थका हरा आकर सीधे अपने रूम में चला जाता।
पहले-पहले तो रज़िया अनुम और लुबना को लगा कि वो सोफिया और नग़मा की वजह से थोड़ा डिप्रेस है। मगर उसका इस तरह इतना ज्यादा बिजी हो जाना तीनों को रास नहीं आ रहा था। अनुम रज़िया के पास बैठी उससे बात कर रही थी
अनुम-“अम्मी क्या हो गया है जीशान को? सुबह से लेकर शाम तक बस काम ही काम। घर में तो दिखाई नहीं दे रहा मुझे, आप उससे बात करो ना…”
रज़िया-“अम्मी मैं हूँ या तू ? और वैसे भी तेरे आस-पास घूमता था तो वो तुझे अच्छा नहीं लगता था। अब अपने काम में मन लगा रहा है तो वो भी तुझे नहीं अच्छा लग रहा। आखिर बात क्या है?”
अनुम चुप हो जाती है। उसे रज़िया की बात सही भी लगती है। जब जीशान अनुम के पीछे-पीछे एक किस के लिए, उससे बात करने के लिए घूमता फिरता था, तो अनुम नखरे करती फिरती थी और आज जब वो सारा ध्यान फॅक्टरी के कामों में लगा रहा है तो अनुम को वो भी नहीं भा रहा।
रज़िया-उसकी शादी करवा देते हैं।
अनुम-शादी ? पता नहीं क्यों शादी का नाम सुनकर अनुम का दिल बेचैन हो उठा था।
रज़िया-“मुझे लगता है उसे कोई लड़की पसंद आ गई है उसके साथ वक्त गुज़ारता होगा वो…”
अनुम-नहीं नहीं अम्मी, जीशान ऐसा नहीं है।
रज़िया दिल में सोचने लगती है। अपने बाप पर गया है वो भी तू क्या नहीं जानती?
अनुम-मैं बात करूँगी आज रात उससे।
रात जब जीशान घर आता है तो काफी खुश लग रहा था। उसके चेहरे की खुशी साफ बता रही थी कि वो दिल से किसी चीज को लेकर बहुत खुश है।
लुबना उसे देखकर उसके पीछे-पीछे रूम में चली जाती है। लुबना जीशान की टाई खोलती हुई-“क्या बात है जीशान, आज बड़े खुश लग रहे हो?”
जीशान-हाँ बात ही कुछ ऐसी है।
लुबना-बोलो ना क्या बात है?
जीशान-अभी नहीं , वक्त आने पर बताऊँगा।
लुबना-“प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़… बोल दो ना, देखो मैं किसी से कुछ नहीं बताऊँगी…”
जीशान-“तेरे पेट में एक मिनट बात नहीं पचती। तू मुझे कह रही है किसी से नहीं बताऊँगी। बोला ना बाद में, मुझे फ्रेश होने दे…” कहकर जीशान बाथरूम में घुस जाता है।
लुबान सोच में पड़ जाती है कि आखिर ऐसी कौन सी बात हो सकती है, जिसे लेकर जीशान इतना खुश है? लुबना के पेट में सच में कोई बात नहीं रहती। वो रज़िया और अनुम को बता देती है कि आज जीशान हद से ज्यादा खुश नजर आ रहा है।
अनुम-तुझे क्या कोई काम नहीं है लुब ? चल मेरा हाथ बटा खाना बनाने में।
लुबना बुरा सा मुँह बनाकर रोटियाँ बेलने लगती है। मगर अनुम बेचैन हो उठती है। उसे रज़िया की सुबह की बात याद आ जाती है कि कहीं जीशान ने बाहर कोई गलतफ्रेंड तो नहीं बना लिया है? रात का खाना खाने के बाद अनुम जीशान के रूम में जाकर उसके पास बैठ जाती है।
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