Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:52 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन विला के शहजादे को ये नहीं पता था कि अनुम के दिल में उस वक्त क्या हलचल हो रही है? बिना अनुम की सहमति के जीशान के ख्वाब सिर्फ़ ख्वाब रहने वाले थे, उन्हें अमल जामा पहनाना सिर्फ़ अनुम के हाथों में था। 

जीशान का दिल फॅक्टरी में नहीं लगता वो जल्दी -जल्दी अपनी मीटिंग्स निपटाकर घर चला आता है। जहाँ रज़िया उसे वक्त से पहले घर में देखकर बहुत खुश होती है। 
वही अनुम का दिल जोरों से धड़कने लगता है। 

रज़िया-बहुत जल्दी आ गये? 

जीशान-हाँ काम कुछ ख़ास नहीं था तो सोचा क्यों ना आराम किया जाए? 

रज़िया-ये तो बहुत अच्छा किया तुमने। फ्रेश हो जाओ मैं अनुम से कहकर चाय रूम में भिजवाती हूँ । 

जीशान अपने रूम में फ्रेश होने चला जाता है, और रज़िया अनुम के पास आ जाती है। वो किचेन में रात का खाना बना रही थी। 

रज़िया-अनुम बेटी सुनो वो? 

अनुम-“मुझे पता है अम्मी, मैं चाय ही बना रही हूँ …” 

रज़िया मुश्कुराती हुई अपने रूम में चली जाती है। 

जीशान नहाकर जब अपने रूम में सिर्फ़ तौलिया पहनकर आता है, तो उसे अनुम बेड पर अपनी सोचों में खोई हुई दिखाई देती है। जीशान खंकारता है और अनुम चौंक के उसकी तरफ देखती है। वो ऊपर से नंगा था और एक तौलिया नीचे लपेटे हुये था। 

जीशान-क्या हुआ थोड़ी परेशान दिखाई दे रही हैं आप? 

अनुम-हाँ… वो मैं… नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं । चाय पी लो, ठंडी हो जाएगी। 

जीशान रूम का दरवाजा धकेल देता है और आईने के सामने जाकर खड़ा हो जाता है। उसकी पीठ अनुम की तरफ थी और अनुम उसे ही देख रही थी कि अचानक जीशान के कमर से लिपटी हुई तौलिया नीचे गिर जाती है, और जीशान पूरा नंगा हो जाता है। 

अनुम के आँखें फटी की फटी रह जाती हैं। मगर जीशान अपना तौलिया उठाने के बजाए अनुम की तरफ रुख़ मोड़ देता है। 


अनुम की आँखों के सामने 7” इंच लंबा 3” इंच मोटा वो खूबसूरत लाल सुपाड़े वाला सफेद कलर का लौड़ा आ जाता है। जिसे देखने के बाद अनुम अपनी आँखें उससे हटा नहीं पाती और एकटक जीशान के लण्ड को देखती रह जाती है। उसे तब होश आता है जब जीशान अनुम के एकदम करीब आकर खड़ा हो जाता है। 

अनुम अपनी नजरें उठाकर जीशान की आँखों में देखती है। अनुम का जिस्म बरफ की तरह ठंडा पड़ चुका था, साँसें थमने का नाम नहीं ले रही थीं कि तभी जीशान अपने लण्ड को हाथ में पकड़ता है, और उससे अनुम के, अपनी अम्मी के गुलाबी होंठों के पास लाकर उसके होंठों पर घिसने लगता है। 

अनुम का मुँह बंद था, लण्ड का सुपाड़ा अनुम के होंठों पर घूमने लगता है। ताज्जुब की बात जीशान के लिए थी कि ना तो अनुम मुँह खोल रही थी, और ना जीशान को ऐसा करने से मना कर रही थी। 

जीशान-रात में मैं इंतजार करूँगा और ये भी? 

अनुम बिना कुछ बोले वहाँ से जाने लगती है। 

जीशान पीछे से आवाज़ देता है-सिर्फ़ पेंडेंट पहनकर आना है आपको। 

अनुम-“मैं नहीं आउन्गि…” वो धीमी आवाज़ में बोलती है। 

जीशान-“मुझे पता है आप आओगी, मेरा दिल कहता है…” 

अनुम इस बार जीशान से कुछ नहीं कहती और सीधा अपने रूम में चली जाती है। उसे कुछ देर पहले हुये वाकिये पर यकीन नहीं हो रहा था। वो चाहकर भी अपने जिस्म को काबू नहीं कर पा रही थी। ये जोश-ए-जुनून था या मोहब्बत? ये तो अनुम खुद भी नहीं जानती थी। हाँ मगर एक बात ज़रूर थी कि वो अपनी बात पर कायम रहने का सोच रही थी कि चाहे कुछ भी हो जाए वो रात जीशान के रूम में नहीं जाएगी। 

रात खाना खाने के बाद सभी अपने-अपने रूम में सोने चले जाते हैं, और जीशान लुबना से बात करने उसके रूम में चला जाता है। लुबना उस वक्त बेड पर बैठी अपनी उंगली में पहनी हुई रिंग को ही घुमा रही थी, और अपनी आने वाली जिंदगी के हसीन सपने बुन रही थी। 

जीशान-क्या सोच रही हो लुबु? 

लुबना चौंकती हुई-“नहीं , कुछ भी नहीं । आइए ना बैठिए…” 

जीशान लुबना के करीब बैठ जाता है। 

लुबना-क्या बात है कुछ कहना था आपको? 

जीशान-“नहीं । बस सोने जा रहा था तो मैंने सोचा आज से एक नया रूल फालो किया जाय…” 

लुबना-कैसा रूल? 

जीशान-“यही की सोने से पहले मेरी जान, मेरी होने वाली शरीक-ए-हयात, मेरी लुबना अपने खूबसूरत होंठों से मुझे गुड नाइट वाली किस्सी दे, और जब सुबह मुझे उठाने के लिए आए तब भी मुझे किस करके उठाए…” 

जीशान की बात सुनकर लुबना बुरी तरह शरमा जाती है और अपना रुख़ जीशान की तरफ से दूसरी तरफ फेर लेती है। 

जीशान-इधर देख मेरी तरफ। 

लुबना-मैंने नहीं देखना। 

जीशान-क्यूँ ? 

लुबना-आप दिन-ब-दिन बहुत गंदे और बेशर्म होते जा रहे हो। 

जीशान-इसका मतलब तू मुझे प्यार नहीं करती? 

लुबना जीशान की तरफ देखकर तड़प जाती है-“नहीं नहीं मैं आपसे खुद से भी ज्यादा मोहब्बत करती हूँ । आप ऐसा ना सोचें…” 

जीशान-अगर मोहब्बत करती तो अपने शौहर की बात को हुक्म मानकर पूरा करती, यूँ मुँह ना फेर लेती। 

लुबना मुश्कुरा देती है और बिना जीशान से कुछ कहे उसके सिर को अपने दोनों हाथों में थामकर अपने होंठ जीशान के होंठों से चिपका देती है। 

जीशान इस मौके को इतने आसानी से खोना नहीं चाहता था। वो लुबना को अपनी बाहों में कस लेता है और अपनी जीभ को लुबना के मुँह में डाल देता है। लुबना भी अपनी जीभ को जीशान के मुँह में पहुँचा देती है और दोनों भाई-बहन एक दूसरे में खो जाते हैं। जीशान अपना एक हाथ लुबना की चुची पर रख कर हल्के से उसे मसल देता है। 
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