Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:52 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
लुबना-“आह्ह… क्या कर रहे हैं आप? उन्ह… नहीं ऐसे नहीं , ठीक नहीं आह्ह…” 

इससे पहले कि लुबना और ऐतराज दिखाती जीशान उसे बेड पर गिराकर अपने नीचे लेटा देता है-“मुझे भूक लगी है, दूध पीना है…” 

लुबना-क्या? दूध इस वक्त कहाँ से लाऊूँ मैं? 

जीशान-“यहाँ से…” वो दोनों हाथों में लुबना की चुचियों को लेकर मसलते हुये कहता है। 

लुबना-“बेशर्म कहीं के… मैं क्या कोई गाय भैंस हूँ जो दूध दूँगी ?” 

जीशान-“मुझे पीना है, मतलब पीना है वो भी यहाँ से अभी…” 

लुबना-पागल हो गये हैं आप? 

जीशान-“अच्छा मैं पागल हो गया हूँ ना? और अगर मैंने दूध निकालकर दिखा दिया तो?” 

लुबना-असंभव? 

जीशान लुबना की नाइटी को ऊपर चढ़ाकर गले से बाहर निकालकर फेंक देता है, और एक झटके में ब्रा भी खोल देता है। 

लुबना मना करती रह जाती है। वो जीशान को अपने रूम में से भगाना चाहती थी। मगर आज जीशान कुछ फैसला करके आया था। वो पहली बार अपनी बहन की नंगी चुचियाँ देख रहा था। निपल्स गुलाब की पंखुड़ियों की तरह चमक रही थी। सफेद रंग की लुबना की चुचियाँ इतनी कसी हुई थीं। अब तक किसी भी मर्द ने इन्हें छुआ तक नहीं था, मसलने की बात तो दूर थी। 

लुबना-“आप यहाँ से जाते हैं कि अम्मी आह्ह…” 

लुबना की आँखें बंद हो जाती हैं, क्योंकी जीशान अपने मुँह में लुबना की एक निप्पल को लेकर चूसने लगता है, और दूसरे हाथ से दूसरे निपल्स को मरोड़ते हुये चुची को दबाने लगता है। 

लुबना-“आह्ह… ऐसा मत करिये जीशान उन्ह…” वो पहली बार खुद को हल्का महसूस कर रही थी। ये अनुभव लुबना के लिए बिल्कुल नया और खुशगवार था। वो बहकती जा रही थी। 

जीशान उसे अपने साथ आसमान की उँचाइयों पर लेता चला जा रहा था। जीशान अपने दाँतों से लुबना के निपल्स को काटने लगता है, और एक घुटि -घुटि सी मगर मस्ती भर सिसकी लुबना के मुँह से निकलने लगती है। लुबना जो सोच भी नहीं सकती थी, जीशान वो कर रहा था और उसकी हर हरकत लुबना को उसके और करीब ला रही थी। 

जीशान-“मुझे मेरी लुबना नंगी चाहिए…” 

लुबना-“नहीं आह्ह… अभी नहीं … जीशान शादी की बाद लुबना पूरी की पूरी आपकी है…” 

जीशान एक आख़िरी कोशिश लुबना के जिस्म पर करता है। वो अपने हाथ लुबना की जाँघ पर रख कर उसकी चूत को शलवार और पैंटी के ऊपर से दबा देता है। 
अपने चूत पर मर्द का हाथ पड़ते ही लुबना की कमर ऊपर की तरफ उठ जाती है और वो चीख पड़ती है-“आह्ह… जीशान अभी वो वक्त नहीं आया उन्ह…” 



जीशान उसी वक्त उसके ऊपर से उठ जाता है और लुबना के लाल तपती हुई आँखों और गरम जिस्म को अधूरा छोड़कर वहाँ से अपने रूम में सोने चला जाता है। 

लुबना-“सुनिये तो जी…” 

मगर तब तक जीशान अपने रूम में पहुँच चुका था। वो बहुत खुश था। वो जानता था कि लुबना एक पक्के इरादे वाली लड़की है। वो जीशान से मोहब्बत करती है। मगर उसे अपना सब कुछ तभी देगी, जब जीशान अपने दिल की गहराईयों से लुबना को अपनाएगा। वो तो बस लुबना के ठंडे पढ़ चुके जिस्म में एक चिंगारी डालना चाहता था। 

उसका पूरा ध्यान अनुम की तरफ था। घड़ी रात के 12:00 बजा रही थी। मगर अनुम के कोई हलचल नहीं थी। वो अपने दिल को समझाता हुआ बेड पर बैठ जाता है, एक-एक सेकेंड जानलेवा था जीशान के लिए। बस वो एक ही दुआ कर सकता था कि बस एक बार अनुम यहाँ उसके रूम में आ जाए। 

वक्त अपनी रफ़्तार से गुजर रहा था, मगर जीशान के दिल की धड़कनें धीमी होती जा रही थीं। जीशान की नजरें दरवाजे की तरफ टिकी हुई थी कि ना जाने किस पल किस घड़ी अनुम अंदर दाखिल हो जाए। 

मगर अनुम अपने रूम के बाथरूम से बाहर निकलती है, अपने चमकते हुये मखमली जिस्म पर सिर्फ़ तौलिया लपेटेते हुये। वो बाहर आते ही आईने के सामने खड़े होकर अपने आपको नीचे से ऊपर तक देखती है। 

जो हाल जीशान का था कि दिल की धड़कनें थमती जा रही थीं, उसके बर्खिलाफ अनुम का दिल बेहद जोरों से धड़क रहा था। सामने पड़ी मेज पर अनुम की निगाह जाती है। मेज पर जीशान का दिया हुआ पेंडेंट रखा था। अनुम उसे बस अपनी उंगलियों से छूती है। एक बिजली की लहर उसके दिल-ओ-दिमाग़ को छुती हुई गुजर जाती है। आँखों में उतरते हुये नशे को वो महसूस करती है। 

ये वो नशा था जो अनुम के सिर चढ़कर बोल रहा था। सुबह से खुद को संभालती आइ अनुम अब इस पल बेचैन सी हो गई थी। वो आईने में खुद को देखती हुई अपने जिस्म पर लिपट हुई तौलिया नीचे जमीन पर गिरा देती है। 

जीशान बेड पर टेक लगाकर लेट जाता है। वो सोचने लगता है कि कहीं उसने जल्दीबाजी तो नहीं कर दिया? कह अनुम उससे नाराज ना हो जाये? वो उठकर अनुम के रूम में जाने का सोचता ही है कि नाइटी गाउन में अनुम जीशान के रूम के दरवाजे पर आ जाती है। 

जीशान का दिल बस उससे यही कहता है कि आज क़ुबूलियत का दिन है। अनुम रूम के अंदर आती है और पीछे दरवाजा लाक कर देती है। उसकी आँखों की चमक आज का सामना आज जीशान को अकेले करना था। जीशान को लगने लगता है कि जैसे हर चीज थम सी गई है, बस वो है और उसकी महबूबा अनुम वहाँ मौजूद है। 
अनुम जीशान की आँखों में देखती हुई, अपना नाइटी गाउन नीचे गिरा देती है। 
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