RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
* लेकीन इस दर्द का एक ही इलाज है, थोडा और दर्द हो तो कुछ देर के बाद आदत पड़ जाती है” मेरा सर प्यार से सहलाते हुए मेरी सासू जी धीरे से मेरे कान में बोलीं.
* लेकीन भाभी भैया को क्यों दोष दें, आपने ही तो उनसे कहा था मारने के लिये, खुजली तो आप को ही हो रही थी.” सब लोग मुस्कराने लगे और मैं भी अपनी गांड में हो रही टीस के बाजूद मुस्करा उठी. सुहाग रात के दिन से ही मुझे पता चल गया था की यहां सब कुछ काफी खुला है.
तब तक वो आके मेरे बगल में रजायी में घुस गये. शलवार तो मैने ऐसे ही चढा ली थी, इस्लिए आसानी से उसे उन्होंने मेरे घुटने तक सरका दी और मेरे चूतड सहलाने लगे. मेरी जेठानी उनसे मुस्कराकर छेडते हुये,बोलीं,
* देवर जी, आप मेरी देवरानी को बहोत तंग करते हैं,
और तुम्हारी सजा ये है की,आज रात तक अब तुम्हारे पास ये दुबारा नहीं जायेगी.” मेरी सासू जी ने उनका साथ दिया.
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जैसे उसके जवाब में उन्होंने मेरे गांड के बीच में छेडती उंगली को पूरी ताकत से एक ही झट्के में मेरी गांड में पेल दिया. गांड के अंदर उनका वीर्य लोशन कीतरह काम कर रहा । था, फिर भी मेरी चीख निकल गयी.
मुस्कराहट दबाती हुयी सासू जी किसी काम का बहाना बना बाहर निकल गयीं लेकीन मेरी ननद कहां चुप रहने वाली थी. वो बोली,
* भाभी क्या किसी चींटे ने काट लिया...”
* अरे नहीं लगता है, चीटां अंदर घुस गया है.” छोटी वाली बोली.
* अरे मीठी चीज होगी तो चींटा लगेगा ही.भाभी आप ही ठीक से ढंक कर नहीं रखती.” बड़ी वाली ने फिर छेडा, तब तक उन्होने रजायी के अंदर मेरा कुरता भी पूरी तरह से उपर उठा के मेरी चूची दबानी शुरु कर दी थी और उनकी उंगली मेरी गांड में गोल गोल घूम रही थी.
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