RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
“ अरे, चलो बिचारी को आराम करने दो, तुम लोगों को चींटे से कटवाउंगी तो पता चलेगा.” ये कहके मेरी जेठानी दोनो ननदों को हांक के बाहर ले गयीं. लेकिन वो भी कम नहीं थी. ननदों को बाहर करके वो आयीं और सरसों के तेल की एक शीशी रखती बोलीं,
* ये लगाओ, एंटी सेप्टीक भी है.” तब तक उनका हथियार खुल के मेरी गांड के बीच धक्का मार रहा था. निकल कर बाहर से उन्होने दरवाजा बंद कर दिया. फिर क्या था, उन्होने मुझे पेट ले बल लिटा दिया और पेट के नीचे दो तकीया लगा के मेरे चूतड उपर उठा दिये. सर्मों का तेल अपने लंड पे लगा के सीधे शीशी से ही उन्होंने मेरी गांड के अंदर डाल दिया.
वो एक बार झड ही चुके थे इसलिये आप सोच सकते हैं, इस बार पूरा एक घंटा गांड मारने के बाद ही वो झडे. और जब मेरी जेठानी शाम की चाय ले आयीं तो बी उनका मोटा लंड मेरी गांड मे ही घुसा था.
उस रात फिर उन्होने दो बार मेरी गांड मारी और उसके बाद से हर हफ्ते दो तीन बार मेरे पिछवाडे का बाजा तो बज ही जाता है.
मेरी बडी ननद रानू मुझे वापस लाते हुए , बोली
* क्या भाभी क्या सोच रही हैं अपने भाई के बारे में.”
“ अरे नही तुम्हारे भाई के बारे में तब तक मुझे लगा मैं क्या बोल गयी, और मैं चुप हो गयी,
“ अरे भाई नही अब मेरे भाईयों के बारे में सोचीये...फागुन लग गया है और अब आपके सारे देवर आपके पीछे पड़े हैं कोयी नहीं छोड़ने वाला आपको और नंदोयी हैं सो अलग.” वो बोली.
“ अरे तेरे भाई को देख लिया है तो देवर और नंदोई को भी देख लूंगी. गाल पे चिकोटी काटती मैं बोली.
होली के पहले वाली शाम को को वो आया. पतला, गोरा, छरहरा किशोर, अभी रेख आयी नहीं थी. सबसे पहले मेरी छोटी ननद मिली और उसे देखते ही वो चालू हो गयी, ‘चिकना वो भी बोला, “ चिकनी..” और उसके उभरते उभारों को देख के बोला, “ बड़ी हो गयी है मुझे लग गया की जो ‘होने वाला है वो ‘होगा. दोनों में छेड छाड चालू हो गयी. वो उसे ले के जहां उसे रुकना था, उस कमरे में ले गयी. मेरे बेड रूम से एकदम सटा, प्लाइ का पार्टीशन कर के एक कमरा था उसी में उस के रुकने का इंतजाम किया गया था. उसका बेड भी, जिस साइड हम लोगों का बेड लगा था, उसी से सटा था.
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