RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
* अरे क्या छोटी छोटी लगा रखी है. उस कच्ची कली की कसी फुद्दी को पूरा भोंसडा बना के पंद्रह दिन बाद भेजेंगें यहां से...चाहे तो तुम फ्राक उठा के खुद देख लेना.” बोतल मेज पे रखते वो बोले.
* और क्या जो अभी शर्मा रही होगी ना...जब जायेगी तो मुंह से फूल की तरह गालियां झडेगीं, रंडी को भी मात कर देगी वो साल्ली. “ ननदोयी बोले.
मैं समझ गयी अब ज्यादा चढ गयी है दोनों को, फिर उन लोगों की बातें सुन सुन के मेरा भी मन करने लगा था. मैं अंदर गई और बोली, चलिये खाने के लिये देर हो रही है.
नन्दोयी उस के गाल पे हाथ फेर के बोले, अरे इतना मस्त भोजन तो हमारे पास ही है.
वो तीनो खाना खा रहे थे लेकिन खाने के साथ साथ...ननदों ने जम के मेरे भाई को गालीयां सुनाई खास कर छोटी ननद ने. मैने ने भी ननदोयी को नहीं बख्शा. और खाना परसने के साथ मैं जान बुझ के उनके सामने आंचल ठूलका देती कभी कस के झुक के दोनो जोबन लो कट चोली से...नन्दोयी की हालत खराब थी.
जब मैं हाथ धुलाने के लिये उन्हे ले गई तो मेरे चूतड कुछ ज्यादा ही मटक रहे थे, मैं आगे आगे वो पीछे...मुझे पता थी उनकी हालत. और जब वो झुके तो मैने उनकी मांग में चुटकी से गुलाल सिंदूर की। तरह डाल दिया और बोली, सदा सुहागन रखे, बुरा ना मानो होली है. उन्होने मुझे कस के भींच लिया. उनके हाथ सीधे मेरे आंचल के उपर से गदराये जोबन पे और उनका पजामा सीधे मेरे पीछे दरारों के बीच...
मैं समझ गयी की उनका “ खूटा” भी उनके साले से कम नहीं है. मैं किसी तरह छुडाते बोली, समझ गयी मैं जाइये ननद जी इंतजार कर रही होंगी. चलिये कल होली के दिन देख लूंगी आपकी ताकत भी,चाहे जैसे जितनी बार डालियेगा, पीछे नहीं भागूंगीं.
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