RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
झडे वो जरूर लेकिन वो भी सिर्फ दो बार , पहली बार मेरी गांड मे जब लंड ने झडना शुर किया तो उसे निकाल के सीधे मेरी चूची, चेहरे और बालों पे...बोले अपनी पिचकारी से होली खेल रहा हूं और दूसरी बार एक दम सुबह मेरी गांड में, जब मेरी ननद दरवाजा खटखटा रही थी. उस समय तक रात भर के बाद उनका लंड पत्थर की तरह सख्त हो चुका था. झुका के कुतिया की तरह कर के पहले तो उन्होने अपना लंड मेरी गांड खूब अच्छी तरह फैला के, कस के पेल दिया. फिर जब वो जड तक अंदर तक घुस गया तो मेरे दोनो पैर सिकोड के अच्छी तरह चिपका के, खचाखच खचाखच पेलना शुरु कर दिया. पहले मेरे दोनो पैर फैले थे,उसके बीच में उनका पैर और अब उन्होने जबरन कस के अपने पैरों के बीच में मेरे पैर सिकोड रखे थे. मेरी कसी गांड और सकरी हो गयी थी. मुक्के की तरह मोटा उनका लंड...जब मेरी ननद ने दरवाजा खटखटाया, वो एक दम झडने के कगार पे थे
और मैं भी. उनकी तीन उंगलियां मेरी बुर में और अगूंठा क्लिट पे रगड़ रहा था. लेकिन खट खट की आवाज के साथ उन्होंने मेरी बुर के रस में सनी अपनी उंगलिया निकाल के कस के मेरे मुंह में ठूस दी, दूसरे हाथ से मेरी कमर उठा के सीधे मेरी गांड में झडने लगे. उधर ननद बार बार दरवाजा खट खट...और इधर ये मेरी गांड में झड़ते जा रहे थे. मेरी गीली प्यासी चूत भी...बार बार फुदक रही थी. जब उन्होने गांड से लंड निकाला तो गाढे थक्केदार वीर्य की धार, मेरे चूतडों से होते हुए मेरे जांघ पर भी..पर इस की परवाह किये। बिना, मैने जल्दी से सिर्फ ब्लाउज पहना साडी लपेटी और दरवाजा खोल दिया.
बाहर सारे लोग मेरी जेठानी, सास और दोनो ननदें...होली की तैयारी के साथ.
“अरे भाभी ये आप सुबह सुबह क्या कर मेरा मतलब करवा रही थीं, देखिये आप की सास तैयार हैं. बडी ननद बोली.( मुझे कल ही बता दिया गया था की नयी बहू की होली की शुरुआत सास के साथ होली खेल के होती है और इस में शराफत की कोयी जगह नहीं होती. दोनो खुल के खेलते हैं).
जेठानी ने मुझे रंग पकडाया. झुक के मैने आदर से पहले उनके पैरों में रंग लगाने के लिये झुकी, तो जेठानी जी बोलीण, अरे आज पैरों में नहीं पैरों के बीच में रंग लगाने का दिन है. और यही नहीं उन्होने सासू जी का साडी साया भी मेरी सहायता के लिये उठा दिया. मैं क्यों चूकती, मुझे मालूम था की सासू जी को गुद गुदी लगती है. मैने हल्के से गुद गुदी की तो उनके पैर पूरी तरह फैल गये. फिर क्या था, मेरे रंग लगे हाथ सीधे उनकी जांघ पे. इस उमर में भी ( और उमर भी क्या ४० से कम की ही रही होंगी), उनकी जांघे थोडी स्थूल तो थीं लेकिन एक दम कडी और चिकनी. और अब मेरा हाथ सीधे जांघों के बीच में...
|