RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
“ मेरा लडका बडा ख्याल करता है तेरा बहू पहले से ही तेरी पिछवाडे की कुप्पी में मक्खन मलाई भर रखा है, जिससे मरवाने में तुझे कोयी दिक्कत ना हो.” वो कस के गांड में उंगली करती बोलीं.”
होली अच्छी खासी शुरु हो गयी थी.
“ अरे भाभी आप ने सुबह उठ के इतने ग्लास शर्बत गटक लिये, गुझिया भी गपक ली। लेकिन मंजन तक तो किया नही. आप क्यों नहीं करवा देतीं.” अपनी मां को बडी ननद ने उकसाया.
* हां हां क्यों नहीं मेरी प्यारी बहू है...” और गांड में पूरी अंदर तक १० मिनट से मथ रही उंगलियों को निकाल के सीधे मेरे मुंह में.. कस कस के वो मेरे दांतो पे मुंह पे रगडती रहीं. मैं छटपटा रही थी लेकिन सारी औरतों ने कस के पकड रखा था. और जब उनकी उंगली बाहर निकली तो फिर वही तेज भभक मेरे नथुनों में...अबकी जेठानी थीं. “अरे तूने सबका शरबत पीया तो मेरा भी तो चख ले.” पर बडी ननद तो ...उन्होने बचा हुआ सीधे मेरे मुंह पे. अरे भाभी ने मंजन तो कर लिया अब जरा मुंह भी तो धो लें.
घंटे भर तक वो औरतों सासों के साथ...और उस बीच सब सरम लिहाज...मैं भी जम के गालियां दे रही थी. किसी की चूत गांड मैने नहीं छोडी, और किसी ने मेरी नहीं बख्सी.
उन के जान के बाद थोडी देर हमने सांस ली की...गांव की लडकियों का हुजुम मेरी ननदें सारी, १४ से २४ साल तक ज्यादातर कुवांरी, कुछ चुदी कुछ अन चुदी, कुछ शादी शुदा एक दो तो बच्चो वालीं भी....कुछ देर में जब आईं तो मैं समझ गयी की असली दुरगत अब हुयी. एक से एक गालियां गाती, मुझे ढूंडती, * भाभी भैया के साथ तो रोज मजे उडाती हो आज हमारे साथ भी...”
ज्यादतर साड़ियों में एक दो जो कुछ छोटी थीं फ्राक में और तीन चार शलवार में भी. मैने अपने दोनों हाथों में गाढा बैगनी रंग पोत रखा था, और साथ में पेंट वार्निश,गाढे पक्के रंग सब कुछ. एक खंभे के पीछे छिप गयी मैं. ये सोच के की कम से कम एक दो को तो पाक्ड के पहले रगड़ लूंगी. तब तक मैने देखा की जेठानी ने एक पडोस कि ननद को, मेरी छोटी बहन छुटकी से भी कम उम्र की लग रही थी, उभार थोडे थोडे बस गदरा रहे थे. कच्ची कली. उन्होंने पीछे से जक्ड लिया और जब तक वो सम्हले सम्हले लाल रंग उसके चेहरे पे पोत डाला. कुछ उसके आंख में भी चला गया और जब तक वो सम्हले समले मेरे देखते देखते, उसकी फ्राक गायब हो गई और वो ब्रा चडडी में.
जेठानी ने झुका के पहले तो ब्रा के उपर से उसके छोटे छोटे अनार मसले फिर अंदर हाथ डाल के सीधे उसकी कच्ची कलियों को रगड़ना शुरु कर दिया. वो थोडा चिचियायी तो उन्होने कस के दोहथड उसके छोटे छोटे कसे चूतडों पे मारा और बोली,
चुपचाप होली का मजा ले. फिर से पेंट हाथ में लगा के, उसके चूतडों पे, आगे जांघो पे और जब उसने सिसकी भरी तो मैं समझ गयी की मेरी जेठानी की उंगली कहां घुस चुकी है. मैने थोडा सा खंभे से बाहर झांक के देखा, उसकी कुंवारी गुलाबी कसी चूत को जेठानी की उंगली फैला चुकी थी, और वो हल्के हल्के उसे सहला रही थीं.
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