RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
मैं मस्त हो उठी. जेठानी ने मुझे एक आईडिया दिया. मैने खिडकी खोल के उन्हें अपना आंचल लहरा के झटका के, रसीले जोबन का दरसन कराके मैने नेवता दिया. । सब झूम झूम के गा रहे थे,
अरे नक बेसर कागा ले भागा,
सैया अभागा ना जागा.
अरे हमरी भौजी का.. उड उड कागा,
बिंदिया पे बैठा, मथवा का सब रस ले भागा,
उड उड कागा,
नथिया पे बैठा, होंठवा का सब रस ले भागा,
अरे हमरी भौजी का.. उड उड कागा,
चोलिया पे बैठा, जुबना का सब रस ले भागा,
उड उड कागा,
करधन पे बैठा, कमर का सब रस ले भागा,
अरे हमरी भौजी का.. उड उड कागा,
साया में बैठा, चूत का सब रस ले भागा,
एक जेठानी से बोला, अरे नईकी भौजी को बाहर भेजा ना होली खेले कओ वरना हम सब अंदर घुस के...जेठानी ने घबडा के कहा अरे भेजती हूं
अंदर मत आना. मैं भी बोली,
* अरे आती हूँ देखती हूं कितनी लम्बी मोटी तुम लोगों की पिचकारी है और कितना रंग है। उसमें या सब कुछ अपनी बहनों की बाल्टी में खाली कर के आये हो.”
अब तो वो और बेचैन हो गये. जेठानी ने खिडकी उठेगा दिया. उधर से छोटी ननद मेरी आ गयी. अब हम लोगों का प्लान कामयाब हो गया. हम दोनों ने पकड के उसकी साडी चोली सब उतार दी और मेरी साडी चोली उसे पहना दी ( ब्रा ना तो उसने पहनी थी ना मैने वो सुबह की होली में उतर गयी. उसके कपडे मैने पहन लिये और दरवाजा थोडा सा खोल के धक्के दे के उसे हुलियारों के हवाले कर दिया.
सुबह से रंग पेंट वार्निश इतना पुत चुका था की चेहरा तो पहचाना जा नहीं रहा था. हां साड़ी और आंचल की झलक और चोली । का दर्सन मैने उन सब को इसी लिये करा दिया था की जरा भी शक ना रहे. बेचारी ननद...पल भर में ही वो रंग से सराबोर हो गयी. उसकी साडी ब्लाउज सब देह से चिपके, जोबन का मस्त किशोर उभार साफ साफ झलक रहा था यहां तक की खडे निपल भी. नीचे भी पतली साडी जांघो से चिपकी, गोरी गुदाज साफ साफ दिख रही थी, फिर तो किसी ने चोली के अंदर हाथ डाल के जोबन पे रंग लगाना मसलना शुरु किया तो किसी ने जांघ के बीच, जेठानी ने ये नजारा देख के जोर से बोला , ले लो बिन्नो आज होली का मजा अपने भाइयों के साथ.
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