RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैं इस चीज़ को इसी तरह आहिस्ता-आहिस्ता और भी आगे बढ़ाना चाहती थी। मैं देखना चाहती थी कि एक मर्द की लस्ट और हवस दूसरी औरतों की लिए तो होती ही है.. तो अपनी सग़ी बहन के लिए किस हद तक जा सकती है।
कुछ दिन में डॉली अब घर में लेग्गी और जीन्स पहनने की आदी हो गई और बहुत रिलेक्स होकर घर में डोलती फिरती थी। उसके भाई चेतन की तो मजे हो गए थे.. वो अपनी बहन और मुझसे नज़र बचा कर वो डॉली की स्मार्ट टाँगों को देखता रहता था।
मैंने डॉली को 3-4 लैगीज उसकी साइज़ की ला दी थीं.. जिनमें से एक स्किन कलर की थी.. एक ब्लैक एक रेड और एक वाइट थी।
जब डॉली ने अपनी साइज़ की लेग्गी पहनी.. तो वो उस कि जिस्म पर और भी फिट आई और उसमें वो और भी सेक्सी लग रही थी। लेकिन मैंने उसे कुछ भी अहसास नहीं होने दिया। पहले दिन के बाद से अब तक कभी भी मैंने चेतन से दोबारा इस टॉपिक पर बात नहीं की थी और ना ही उसने कोई बात की.. बस वो छुप कर सब कुछ देखता रहता और अपनी बहन के जिस्म के नज़ारे एंजाय करता था।
एक रोज़ मैंने डॉली को अपनी एक टी-शर्ट निकाल कर दी कि इसे पहन लो। बहुत इसरार करने की बाद जब उसने वो शर्ट पहनी.. तो वो उसको जरा ढीली थी और उसके चूतड़ों को भी कवर कर रही थी। लेकिन उससे नीचे उसकी जाँघों को बिल्कुल भी नहीं ढक रही थी।
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उसने मेरे कहने पर नीचे लेग्गी पहन ली, उसकी चुस्त लैगी में फंसे हुए उसके चूतड़ों को तो मेरी शर्ट ने कवर कर लिया थी.. लेकिन उससे नीचे उसकी जाँघों और टाँगें और भी सेक्सी और अट्रॅक्टिव लग रही थीं।
उसे देख कर मैंने उसकी तारीफ की और कहा- डॉली अब तुमको मैं तुम्हारी साइज़ की फिटिंग वाली टी-शर्ट लाकर दूँगी.. फिर मेरी ननद रानी और भी प्यारी लगेगी।
मैंने जानबूझ कर सेक्सी की बजाय प्यारी का लफ्ज़ इस्तेमाल किया था.. ताकि उसे बुरा ना लगे और मेरी बुलबुल मेरे हाथों से ना निकल जाए।
आज मेरी टी-शर्ट पहन कर उसने अपने भाई का भी जिक्र नहीं किया था.. क्योंकि उसे भी अब पता चल गया था कि उसके भैया भी उसकी ड्रेसिंग पर कोई ऐतराज़ नहीं करते हैं। इसी सोच कि चलते आज उसने लेग्गी के साथ टी-शर्ट पहन कर एक काफ़ी बोल्ड क़दम उठा लिया था।
जब चेतन घर आया.. तो आज जब उसने अपनी बहन को देखा.. तो उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया।
जब वो रसोई में काम करती हुई अपनी बहन को देख रहा था.. मैं बेडरूम से छुप कर देखते हुए उसके चेहरे के भावों को देख रही थी।
कुछ देर तक तो वो ऐसे ही चुपचाप देखता रहा.. फिर अचानक ही इधर-उधर मुझे देखने लगा.. जैसे कि उसे पकड़े जाने का डर हो।
मैंने खुद को पीछे हटा लिया ताकि उसे अपने गलती का अहसास या शर्मिंदगी ना हो।
खाने के दौरान भी डॉली थोड़ी सी अनकंफर्टबल थी.. लेकिन चेतन भी चुप-चुप सा था और चोरी-चोरी डॉली की टाँगों की तरफ ही देख रहा था।
शाम को जब हम लोग टीवी देख रहे थे.. तो भी चेतन की नजरें अपनी बहन के जिस्म के निचले हिस्से पर ही भटक रही थीं.. क्योंकि आज उसके जिस्म का पहले से ज्यादा हिस्सा नज़र आ रहा था और उसी से अंदाज़ा हो रहा था कि उसकी बहन की जाँघों की शेप कितनी प्यारी है।
चेतन अपनी बहन के जिस्म को देख कर मजे ले रहा था और मैं चेतन की हालत को देख कर एंजाय कर रही थी।
मैं इस अलग किस्म की हवस का नज़ारा कर रही थी।
अब तो जब भी चेतन इस तरह अपनी बहन के जिस्म को देख रहा होता था.. तो मेरे अन्दर भी तड़फ और गर्मी सी पैदा होने लगती थी।
चेतन की नज़र अपनी बहन के जिस्म पर होती थीं.. लेकिन गीलापन मेरी चूत कि अन्दर होने लगता था।
अब मैंने डॉली को नए सलवार कमीज़ भी सिलवा कर दिए। उसकी शर्ट्स अब लेटेस्ट फैशन की मुताबिक़ थीं.. जो कि शॉर्ट लेंग्थ और बहुत ही टाइट सिली हुई थीं।
उसके सीने की उभारों पर बहुत टाइट फिटिंग थीं.. जिसकी वजह से उसकी चूचियां बहुत ज्यादा उभर गई थीं।
कमर पर पीछे ज़िप होने की वजह से उसकी शर्ट उसके जिस्म पर बहुत ही फँस कर आती थी. और शर्ट की लम्बाई भी सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी हाफ जाँघों तक होती थी।
मैंने उसकी रुटीन से हट कर उसके गले को भी थोड़ा डीप और लो नेक करवा दिया था। गला ज्यादा डीप नहीं था.. लेकिन उसका खूबसूरत गोरा-गोरा सीना नंगा नज़र आता था.. लेकिन क्लीवेज या चूचियां नज़र नहीं आती थीं।
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