RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
ज़ाहिर है कि अभी वो इतनी बोल्ड नहीं हुई थी कि अपनी चूचियों को मेरी तरह से शो करती.. लेकिन यह बात ज़रूर थी कि जब वो झुकती थी.. तो अनायास ही उसकी चूचियां और क्लीवेज का कुछ हिस्सा ज़रूर नज़र आ सकता था।
मुझे तो नज़र आ भी जाता था।
अब अक्सर मैं उसे घर में टाइट कुरती और लेग्गी ही पहनाती थी.. जिसमें उसका जिस्म और भी खिल उठता था। उसका खूबसूरत और सुडौल जिस्म बहुत ज्यादा उभर कर आ जाता था। नीचे उसकी जाँघें और चूतड़ चिपकी हुई लेग्गी में मानो नंगे ही नज़र आ रहे होते और ऊपर से उसके कुरते में फंसे हुए उसके चूचे भी बहुत ही खूबसूरत लगते थे।
आहिस्ता-आहिस्ता मेरी तरह ही उसने भी घर में दुपट्टा लेना छोड़ दिया था। इस तरह की टाइट ड्रेस में अपनी बहन को देख कर तो चेतन की ईद हो जाती थी और उसकी नजरें अपनी बहन के जिस्म पर से हटती ही नहीं थीं।
मुझे महसूस होने लगा था कि आहिस्ता-आहिस्ता डॉली को भी पता चल रहा है कि उसका भाई उसके जिस्म को देखता है.. लेकिन कोई ऐतराज़ नहीं करता।
तो उसे भी काफ़ी हद तक रिलेक्स फील होता और वो भी कोई ऐतराज़ ना करती कि भाई देख रहा है तो क्यों देख रहा है।
मैंने यह भी महसूस किया था कि चेतन अपनी बहन के नीचे झुकने का मुंतजिर रहता था.. चाहे वो उसकी आगे को हों या पीछे से.. क्योंकि उसे इस तरह थोड़ी बहुत अपनी बहन की चूचियों की झलक भी नज़र आ जातीं थी।
एक रोज़ ऐसा हुआ कि कॉलेज से आकर डॉली ने एक सफ़ेद रंग की कुरती और स्किन कलर की लेगिंग पहन ली। चेतन अभी तक नहीं आया था..
मौसम भी कुछ खराब लग रहा था और इसलिए डॉली कॉलेज से खुद ही पहले ही आ गई थी।
मैंने चेतन को भी कॉल कर दी थी कि डॉली घर आ गई है.. तो वो भी आ जाएं।
तो चेतन आज ड्यूटी ऑफ करके सीधा ही घर आ गया।
डॉली ने जो सफ़ेद कुरती पहनी थी उसके नीचे उसने काली ब्रेजियर पहन ली थी।
गर्मी का मौसम होने की वजह से कुरती भी बहुत ही पतले कपड़े की थी.. लेकिन उसमें से जिस्म सीधे तौर पर नज़र नहीं आता था.. बस हल्की सी झलक ही दिखती थी कि नीचे का बदन कैसा गोरा है।
उसकी बैक और फ्रंट पर उसकी ब्लैक ब्रेजियर की स्ट्रेप्स भी हल्की-हल्की नज़र आती थीं। उसकी कुरती की लम्बाई भी ज्यादा नहीं थी.. हस्ब ए मामूल सिर्फ़ उसकी हाफ जाँघों तक ही थी। नीचे स्किन कलर की लेग्गी में उसकी खूबसूरत टांगें और जाँघें बहुत ही प्यारी लग रही थीं और सेक्सी भी..
अपना ड्रेस चेंज करके डॉली हस्ब ए मामूल मेरी साथ रसोई में आकर लग गई। अब मैं उससे ज्यादा ड्रेसिंग की बारे में बात नहीं करती थी.. ताकि वो ईज़ी फील करे और किसी प्रेशर या ज़बरदस्ती की वजह से कोई भी काम ना करे।
यही वजह थी कि कॉलेज के माहौल और मेरे सपोर्ट की वजह से वो काफ़ी हद तक खुल चुकी थी।
सुबह सबके जाने के बाद मैंने कपड़े धो कर बाहर बरामदे में सूखने के लिए लटका दिए थे। बारिश का मौसम हो रहा था.. मुझे ख्याल आया कि मैं कपड़े उतार लाऊँ.. कहीं और ना भीग जाएं।
जैसे ही मैं डॉली को बाहर से कपड़े उतार कर लाने का कहने लगी.. तो एकदम एक शैतानी ख्याल मेरे दिमाग में कूदा और मैं हौले से मुस्करा कर चुप होकर खामोश ही रह गई।
वो ही हुआ कि थोड़ी देर में बारिश शुरू हो गई.. लेकिन डॉली को नहीं पता था कि बाहर कपड़े सूखने के लिए लटक रहे हैं.. इसलिए उसे उनको उठाने का ख्याल नहीं था.. बारिश थी भी काफ़ी तेज.. थोड़ी देर में ही घंटी बजी.. तो मैंने फ़ौरन ही जा कर गेट खोला और चेतन अपनी बाइक समेत अन्दर आ गया। बारिश की वजह से चेतन पूरी तरह से भीग चुका था। उसकी जीन्स और शर्ट भीग चुकी थी।
वो बोला- आज तो बारिश ने भिगो ही दिया है।
मैं भी मुस्कराई और हम दोनों अन्दर आ गए।
चेतन ने अपनी शर्ट उतारी और एक तरफ रख दी और कुर्सी पर बैठ गया।
अब मैंने डॉली को आवाज़ दी- पानी लाओ अपने भैया के लिए।
वो फ़ौरन ही रसोई से पानी का गिलास भर कर ले आई।
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