RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
जैसे ही डॉली ने कपड़े प्रेस कर लिए तो अपने भाई से बोली- भाई, ले लें.. कपड़े प्रेस हो गए हैं..
अब मुझे पता था कि वो वापिस अपने कमरे में अपनी कपड़े बदलने के लिए जाएगी.. लेकिन मैं उसे रोकना चाहती थी इसलिए जैसे ही उसने अपने कमरे की तरफ क़दम बढ़ाए.. तो मैंने उसे आवाज़ दे दी- डॉली.. जरा इधर तो आओ रसोई में थोड़ी देर के लिए..
जैसा कि मुझे पता था कि वो मेरी बात को नहीं टालेगी.. वो ही हुआ.. डॉली सीधी उसी हालत में मेरे पास रसोई में आ गई।
मैंने उसे थोड़ा सा काम बताया तो वो बोली- भाभी मुझे चेंज कर आने दें..
मैंने उसके जिस्म की तरफ एक नज़र डाली और बहुत ही बेपरवाही से बोली- अरे अब क्या चेंज करना है.. कपड़े तो सूख ही चुके हैं.. अभी कुछ ही देर में पंखे के नीचे बिल्कुल ही खुश्क हो जाने हैं.. छोड़ो कपड़ों की फिकर.. तुम जल्दी से सलाद बना लो.. तो फिर हम लोग खाना खाते हैं.. पहले ही बहुत देर हो गई है..
डॉली भी थोड़ी सी बेफिकर होकर रसोई के काम में लग गई और मैं दिल ही दिल में अपनी कामयाबी पर मुस्करा दी कि मैं आज एक भाई को उसकी बहन का नंगा जिस्म थोड़ा सा छुपी हुई हालत में दिखाने में कामयाब हो गई हूँ।
मुझे हँसी तो चेतन पर आ रही थी कि कैसे अपनी बहन के नंगी हो रहे जिस्म को देख रहा था।
अब मुझे इस पर हैरत नहीं होती थी.. बल्कि खुशी होती थी और मज़ा भी आता था। मेरा तो बस नहीं चल रहा था कि मैं कब डॉली को उसके भाई के सामने बिल्कुल नंगी कर दूँ।
कुछ ही देर मैं हम सब लोग बैठे खाना खा रहे थे। डॉली के कपड़े सूख चुके थे.. लेकिन उसकी काली ब्रेजियर अभी भी गीली थी.. जिसकी वजह से वो अब भी साफ़ नज़र आ रही थी। अब डॉली को कोई फिकर नहीं थी.. उसे महसूस ही नहीं हो रहा था कि उसका अपना सगा भाई.. अपनी बीवी की मौजूदगी में भी.. उसकी नज़र बचा कर.. उसके जिस्म और उसकी ब्रेजियर और उसकी चूचियों को देख रहा है।
मेरी नज़रें तो चेतन की हर हरकत पर थीं कि कैसे खाना खाते हुए.. वो अपनी बहन की चूचियों को देख रहा है।
खाना खाने के बाद मुझे गरम लोहे पर एक और वार करने का ख्याल आया और मैंने अपने इस नए आइडिया पर फ़ौरन अमल करने का इरादा कर लिया।
बारिश रुक चुकी हुई थी और बाहर हल्की-हल्की हवा चल रही थी.. जिसके वजह से मौसम बहुत ही प्यारा हो रहा था, मैंने चेतन से कहा- आज मौसम बहुत अच्छा हो रहा है.. चलो मुझे और डॉली को बाहर घुमाने लेकर चलो।
मेरी बात सुन कर डॉली भी खुशी से उछल पड़ी और बोली- हाँ भैया.. भाभी ठीक कह रही हैं.. बाहर चलते हैं।
चेतन ने एक नज़र अपनी बहन की चूचियों पर डाली और फिर प्रोग्राम ओके कर दिया और बोला- बस तैयार हो जाओ.. फिर चलते हैं।
चेतन अपने कमरे में चला गया.. मैं और डॉली ने बर्तन समेट कर रसोई में रख कर काम ओके किया और बाहर आ गए।
मैं डॉली के साथ उसके कमरे में गई और उसे एक उसकी टाइट सी जीन्स और एक नई टी-शर्ट निकाल कर दी।
मैं बोली- आज तुम यह पहन कर चलोगी बाहर.. नहीं तो मैं तुमको लेकर भी ना जाऊँगी।
डॉली मेरी बात सुन कर मुस्कुराई और बोली- ठीक है भाभी.. जैसा आप कहो।
मैंने उसके गाल पर एक हल्का सा किस किया और बोली- शाबाश मेरी प्यारी ननद रानी..
फिर मैं अपने कमरे में आ गई।
मैंने भी जीन्स और कुरती पहन ली.. कुरती तो हाफ जाँघों तक ही थी और जीन्स भी टाइट थी।
चेतन भी तैयार हो चुका हुआ था।
हम दोनों तैयार होकर टीवी लाउंज में आ गए और मैं चाय बनाने लगी।
जैसे ही मैं चाय लेकर आई तो डॉली भी आ गई।
उसे देख कर तो मेरा और चेतन दोनों का मुँह खुला का खुला रह गया।
उसकी टाइट टी-शर्ट में उसकी खूबसूरत चूचियों बहुत ज्यादा गजब ढा रही थीं उसकी चूचियाँ बहुत ही सख़्त और अकड़ी हुई और जानदार शानदार लग रही थीं।
टी-शर्ट उसकी जीन्स की शुरुआत तक ही थी और नीचे टाइट जीन्स में डॉली की गाण्ड बहुत ज्यादा उभर रही थी।
उसकी जीन्स और टी-शर्ट उसके जिस्म पर बिल्कुल फंसे हुए थे.. लेकिन वो बहुत ही प्यारी लग रही थी।
हमने चाय पी और मैं बोली- चेतन आज तुम्हारी बहन को कोई नहीं कह सकता की यह पेण्डू है.. यह तो आज पूरी की पूरी शहरी लड़की लग रही है।
मेरी बात सुन कर डॉली शर्मा गई। फिर हम तीनों सैर के लिए घर से बाहर निकले और चेतन ने अपनी बाइक निकाल ली।
घर को लॉक करके जब चेतन ने बाइक स्टार्ट की.. तो मैंने उसके पीछे बैठने की बजाए अपने प्रोग्राम के मुताबिक़ डॉली को कहा कि वो अपने भाई के पीछे बैठे।
डॉली को अंदाज़ा नहीं था कि मैं क्या सोच रही हूँ.. इसलिए वो चुप करके चेतन के पीछे बाइक पर बैठ गई।
यह तो मुझे ही पता था ना कि अब डॉली का पूरा जिस्म अपने भाई के जिस्म से चिपक जाएगा और उसकी चूचियाँ पूरी तरह से चेतन की कमर से प्रेस हो जाना थीं और यही चीज़ मैं चाहती थी।
आज मैं पहली बार चेतन को उसकी बहन के बदन का और उसकी चूचियों का स्पर्श महसूस करवाना चाहती थी।
डॉली के बैठने के बाद मैं भी उछल कर बाइक पर पीछे बैठ गई और बैठते ही मैंने डॉली को थोड़ा सा और आगे की तरफ दबा दिया।
अब मैं और डॉली दोनों ही एक ही तरफ टाँगें करके बैठे हुई थीं और डॉली का पूरे का पूरा जिस्म का अगला हिस्सा यानि उसकी चूचियाँ अपने भाई की पीठ के साथ चिपकी हुई थीं।
डॉली ने अपना एक हाथ अपने भाई के कंधे पर रखा हुआ था और दूसरा एक साइड पर था। मैंने एक हाथ डॉली की तरफ से डाल कर अपने पति चेतन की जाँघ पर रख दिया हुआ था।
जैसे ही बाइक चली तो मैंने आहिस्ता-आहिस्ता चेतन की जाँघ को अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया।
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