RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
डॉली का चेहरा सुर्ख हो गया और वो शर्मा कर बोली- भाभी क्या है ना.. आप कुछ भी बोल देती हो.. कुछ तो शरम करो ना.. वो मेरे भैया हैं और आप उनकी बारे में ऐसी बातें कह रही हो।
मैं मुस्कुराई और उसकी गाल पर हाथ फेरती हुई बोली- क्या करूँ.. जो सच है वो कह दिया.. तू बहन है उसकी.. लेकिन फिर तू इतनी खूबसूरत है कि वो तेरा भाई होकर भी तुझे देखता रहता है, मैं तो खुद तुझ से जलने लगी हूँ।
मैंने प्यार से उसकी चूची पर चुटकी काटते हुए कहा।
डॉली शर्मा गई.. मैं डॉली के दिल में भी हल्की सी चिंगारी जलाना चाहती थी.. ताकि वो भी चेतन की तरफ थोड़ा ध्यान दे और उसे भी अंदाज़ा हो सके कि उसका भाई उसकी तरफ देखता है।
मैं अपने मक़सद में कामयाब भी हो गई थी। डॉली को शरमाती देख कर मैं धीरे से मुस्कुराई और अपने बेडरूम की तरफ बढ़ते हुए बोली- अच्छा भई.. मैं तो अब चली अपनी जानू के साथ एंजाय करने..
मेरी बात पर डॉली मुस्करा दी और मैं अपने बेडरूम की तरफ बढ़ गई।
अपने बेडरूम में आई तो चेतन पहले से ही लेट चुका हुआ था, मैं भी उसके साथ ही लेट गई। बिस्तर पर लेटते साथ ही चेतन ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और अपनी बाँहों में लेकर चूमने लगा।
मैं भी सुबह से एक भाई की अपनी बहन के लिए हवशी नजरें देख-देख कर गरम हो रही थी.. इसलिए कोई भी विरोध नहीं किया और उसका साथ देनी लगी।
जैसे ही मैंने उसके लण्ड पर हाथ रखा तो मुझे वो पहले से ही तैयार मिला.. पता नहीं अभी तक उसके ज़हन में शायद अपनी बहन का जिस्म घूम रहा था.. जो वो अकड़ा हुआ था।
मैं दिल ही दिल में मुस्कराई और उसका पजामा नीचे उतार कर उसका लंड बाहर निकाल लिया.. अब मैं उसे अपने बरमूडा के ऊपर से ही अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
चेतन ने मेरा बरमूडा भी उतारा और फ़ौरन ही मेरी ऊपर को सरका कर अपना लंड मेरी चूत में ‘खच्च’ से डाल दिया। मेरी चूत पहले से ही गीली हो गई थी।
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ !
धीरे-धीरे चेतन ने मुझे चोदना शुरू कर दिया… वो मेरे होंठों और मेरे गालों को चूमते हुए अपना लंड मेरी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था और मैं भी उसकी नंगी कमर पर हाथ फेरते हुए उसको सहला रही थी।
अचानक ही मैं बहुत ही मस्त आवाज़ में बोली- यार तुम तो डॉली का भी ख्याल नहीं करते.. हर वक़्त तुमको मुझे चोदने का ही ख्याल रहता है..
मैंने यह बात सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके दिमाग में उसकी बहन का अक्श लाने के लिए कही थी।
अजीब बात यह हुई कि.. हुआ भी ऐसा ही.. जैसे ही मैंने डॉली का नाम लिया तो चेतन की आँखें बंद हो गईं और उसके धक्कों की रफ़्तार में तेजी आ गई।
वो मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।
मैं समझ गई कि इस वक़्त वो अपनी बहन का चेहरा ही अपनी आँखों के सामने देख रहा है। मैंने भी उसे डिस्टर्ब करना मुनासिब नहीं समझा और भी जोर से उसे अपने साथ लिपटा लिया।
अभी भी उसकी आँखें बंद थीं और वो धनाधन अपना लंड मेरी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था.. बल्कि शायद अपनी ख़यालों में अपनी बहन की चूत चोद रहा था।
थोड़ी देर बाद चेतन ने अपना माल मेरी चूत में ही छोड़ दिया और धीरे से मेरी बगल में ही ढेर हो गया।
उसकी आँखें अभी भी बंद थीं और वो लंबी-लंबी साँस ले रहा था, चुदाई के बाद उसकी ऐसी हालत पहली कभी नहीं हुई थी।
मैंने भी उसकी तरफ करवट ली और धीरे-धीरे उसकी सीने पर हाथ फेरते हुए मुस्कराने लगी। मेरा तीर ठीक निशाने पर लगा था और मेरा पति अभी भी अपनी बहन के बारे में ही सोच रहा था।
अगले दिन चेतन ने ऑफिस से छुट्टी कर ली और घर पर ही था। डॉली कॉलेज के लिए तैयार हुई तो चेतन ने बाइक निकाली और उसे कॉलेज छोड़ आया।
उसके वापिस आने के बाद हम दोनों ने नाश्ता किया और कुछ देर के बाद मैं नहाने चली गई। चेतन वहीं टीवी लाउंज में ही टीवी देख रहा था।
नहा कर मैंने बाथरूम का टीवी लाउंज वाला दरवाजा खोला और चेतन से बोली- यार यहाँ टेबल पर जो धुले हुए कपड़े पड़े हैं.. उन में से मेरी ब्रेजियर तो उठा दो प्लीज़..
चेतन- ओके डार्लिंग..
यह कह कर वो कपड़ों की तरफ बढ़ा और उसे जाता हुआ देख कर मैं मुस्कराने लगी.. क्योंकि सब कुछ मेरी स्कीम के मुताबिक़ ही हो रहा था। दरअसल मैंने चेतन और डॉली के जाने के बाद उन कपड़ों के ढेर में से अपनी ब्रेजियर निकाल ली हुई थी और अब वहाँ पर सिर्फ़ और सिर्फ़ डॉली की ही एक ब्रेजियर पड़ी हुई थी।
वो ही हुआ.. कि चेतन कपड़ों के ढेर के पास गया और उसमें से कपड़े उलट-पुलट करने लगा। उसे उस कपड़ों के ढेर में से सिर्फ़ एक ही काली रंग की ब्रेजियर मिली और वो उसे उठा कर मेरे पास ले आया और बोला- यह लो डार्लिंग..
मैंने ब्रेजियर ली और चेतन वापिस जा कर सोफे पर बैठ गया। जैसे ही वो वापिस गया तो मैंने उसे दोबारा बुलाया।
मैं- अरे यार यह क्या है… यार.. यह तो तुम डॉली की ब्रेजियर उठा ले आए हो.. मेरी लाओ ना निकाल कर.. तुमको पता नहीं चलता कि क्या.. कि यह कितनी छोटी है?
चेतन ने चौंक कर मेरी तरफ देखा और मैंने खुले दरवाजे से उसकी बहन की ब्रेजियर उसकी हाथ में पकड़ा दी।
चेतन ने एक नज़र मेरी नंगी चूचियों पर डाली और मैंने जानबूझ कर बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा बंद कर दिया ताकि वो मुझे ना देख सके… लेकिन मैं छुप कर उसे देखने लगी कि वो क्या करता है?
जैसे कि मुझे उम्मीद थी.. चेतन अपनी हाथ में पकड़ी हुई अपनी बहन की ब्रेजियर को देखने लगा। उसने वो ब्रा फैलाई और आहिस्ता आहिस्ता उसको फील करने लगा।
मेरी नज़रें उसकी चेहरे पर पड़ीं.. तो उसका चेहरा अजीब सा हो रहा था।
वापिस कपड़ों के तरफ जाते हुए उसने जो हरकत की.. उसे देख कर तो मेरी चूत ही गीली हो गई।
चेतन ने अपनी बहन की ब्रेजियर को अपनी चेहरे पर फेरा और उसे अपनी नाक से लगा कर सूंघा भी। हालांकि धुली हुई ब्रेजियर में से कहाँ उसकी बहन के जिस्म की खुशबू आनी थी।
|