RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
अगले दिन डॉली घर पर ही थी तो चेतन के जाने के बाद मैंने वो शॉपिंग बैग उठाया और बाहर आ गई। जहाँ पर डॉली बैठी टीवी देख रही थी।
मेरे हाथ मैं नया शॉपिंग बैग देख कर खुश होती हुए बोली- वाउ भाभी.. शॉपिंग करके आई हो.. कब गई थीं आप.. और क्या लाई हो.. दिखाओ मुझे भी?
मैं मुस्करा कर बोली- नहीं यार मैं तो नहीं गई थी.. कुछ चीजें तुम्हारे भैया से ही मँगवाई हैं और वो भी तुम्हारे लिए..
मैं अब डॉली के पास ही बैठ चुकी थी और उसका भी पूरा ध्यान अब मेरी तरफ ही था।
डॉली- अरे भाभी मेरे लिए क्या मंगवा लिया है.. दिखाओ ना मुझे भी?
मैंने बैग मैं से चारों बॉक्स निकाल कर बाहर टेबल पर हम दोनों की सामने रख दिए। बॉक्स पर ब्रा पहने हुई मॉडल्स की फोटो थीं.. जिनको देखते ही डॉली चौंक उठी।
डॉली- भाभी यह क्या है?
मैं- अरे यार तुम्हारे लिए कुछ नई ब्रा मँगवाई हैं मेरा तो मार्केट में चक्कर लग ही नहीं पा रहा था.. इसलिए तुम्हारे भैया से ही कहा था कि ला दो.. आओ खोल कर देखते हैं कि तुम्हारे भैया कैसी डिज़ाइन्स लाए हैं अपनी बहना के लिए।
मेरी बात सुन कर डॉली का चेहरा शरम से सुर्ख हो गया.. वो झेंपती हुई बोली- भाभी.. आपको भैया से मंगवाने की क्या ज़रूरत थी.. पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोचते होंगे..
मैं मुस्कराई और बोली- अरे इसमें ऐसी कौन सी बात है.. मेरे लिए भी तो खरीद कर ले ही आते हैं ना वो.. तो तुम्हारे लिए ले आए.. तो कौन सी गलत बात हो गई है यार..
मैंने सब लिफ़ाफ़े खोले और उनमें से ब्रा निकाल कर देखने लगी।
उनमें से 2 तो कढ़ाई वाली थीं.. बहुत ही खूबसूरत डिज़ाइन की महंगी वाली ब्रा.. जिनमें से एक ब्लैक और दूसरी स्किन कलर की थी। तीसरी ब्रेजियर नेट वाली थी.. जिसको पहनने पर सब कुछ नज़र आता था। चौथी वाली ब्रा हाफ कप वाली थी.. जिसकी स्ट्रेप पारदर्शी प्लास्टिक की थीं।
मैंने एक-एक ब्रा खोल कर डॉली के हाथ में दीं और बोली- यार तेरे भैया बहुत ही सेक्सी ब्रा लाए हैं तुम्हारे लिए।
डॉली उन सभी ब्रा को हाथों में लेकर देख भी रही थी और शरम से लाल भी हो रही थी।
मैं- अरे यार इस नेट वाली में तो तुम्हारी चूचियाँ बिल्कुल ही नंगी ही रह जाएंगी।
मैंने हँसते हुए कहा।
डॉली शर्मा कर मुझे जवाब देते हुए बोली- भाभी आपके पास भी तो हैं ना.. नेट वाली ब्रा.. आप भी तो पहनती हो ना..
मैं फ़ौरन बोली- मेरी पहनी हुई नेट वाली ब्रा तो तुम्हारे भैया को दिखाने के लिए होती है.. तुमको भी क्या यह पहन कर अपने भैया को दिखाना है।
मेरी इस बात पर तो डॉली उछल ही पड़ी और बोली- भाभी कैसी बातें करती हो आप.. मैं क्यों पहन कर दिखाऊँगी भैया को?
उसका चेहरा शरम से सुर्ख हो गया।
मैं मुस्करा कर बोली- वैसे उसने लाकर तो तुमको इसलिए दी है ना.. शायद तुम्हारे भैया तुमको इसमें देखना चाहते ही हों..
डॉली बोली- भाभी क़सम से.. आप बहुत खराब बातें करती हो।
मैं भी उसके साथ मिल कर हँसने लगी।
फिर डॉली वो बैग लेकर अपने कमरे में चली गई.. मैंने भी उसे कोई इसरार नहीं किया कि वो मुझे नई ब्रा पहन कर दिखाए।
शाम को चेतन घर आया तो आज भी हमेशा की तरह उसकी नज़रें अपनी बहन की चूचियों पर ही थीं.. जैसे अब वो यह जानना चाहता हो कि उसने नई ब्रा पहनी है कि नहीं।
मैंने महसूस किया कि अपने भाई की नज़रों को फील करके डॉली भी थोड़ा शर्मा रही थी और मैं उन दोनों भाई-बहन की दशा का मजा ले रही थी।
चेतन की अपनी बहन पर तांक-झाँक ऐसे ही चलती रहती थी। गर्मी का मौसम चल रहा था और हमने काफ़ी महीनों से ही एसी लगवाने के लिए पैसे इकठ्ठे करने शुरू किए हुए थे।
अब जाकर हमारे पास इतने पैसे हुए थे कि हम एक एसी लगवा सकें.. तो फिर आख़िरकार हमने अपने बेडरूम में एसी लगवा ही लिया। उस रोज़ हम लोग बहुत खुश थे.. आख़िर हम जैसे मिडिल क्लास के लिए एसी का लग जाना भी एक बहुत बड़ी बात थी।
रात को मैं और चेतन अब एसी में सोने लगे।
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