RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
अब डॉली की कमर हमारी तरफ थी, उसकी शर्ट के नीचे पहनी हुई उसकी काली ब्रेजियर साफ़ नज़र आ रही थी।
थोड़ी देर इन्तजार करने के बाद चेतन ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और अपनी एक उंगली डॉली की ब्रेजियर के हुक पर फेरने लगा।
यह सब देख कर मेरी चूत गीली होती जा रही थी।
चेतन डॉली की ब्रेजियर के हुक्स और स्ट्रेप्स पर अपनी ऊँगली फेरने लगा और धीरे-धीरे उनको महसूस कर रहा था।
चेतन का खड़ा हुआ लंड पीछे से मेरी गाण्ड में घुस रहा था। अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं चेतन को थोड़ा और तड़फाना चाहती थी और उसे यहीं तक ही रोक लेना चाहती थी इसलिए मैंने नींद का नाटक ही करते हुए करवट ली और चेतन से लिपट गई।
अब मैं चेतन को आवाज करते हुए चूमने लगी.. चेतन भी अब जल्दी से सीधा होकर सम्भल कर लेट गया।
तभी डॉली उठी और कमरे से बाहर निकल गई जिससे मुझे समझ आ गया कि ये भी जागते हुए ही चेतन का हाथ महसूस कर रही थी।
कुछ देर बाद में उठने के बाद मैं जब रसोई में गई तो डॉली भी वहीं थी।
मुझे देख कर बोली- भाभी यह आप कमरे में क्या हरकतें कर रही थीं?
मतलब अब वो ये जाहिर कर रही थी या शायद उसे नहीं मालूम था कि उसकी ब्रेजियर में कौन ऊँगली कर रहा था।
मैंने भी हँसते हुए उसकी बात को घुमा दिया और बोली- मैं कर रही थी या तुम्हारे भैया.. वो ही तो मुझे तंग कर रहे थे।
मैंने जानबूझ कर ऐसी बात बोली ताकि यह साफ़ हो सके कि वो किसके बारे में ये सब कह रही थी।
डॉली भी समझ गई और उसने भी बात को घुमाते हुए थोड़ा शरमाती हुए बोली- लेकिन आपको इतना शोर तो नहीं मचाना चाहिए था ना..
मैं हँसने लगी और अब मैंने भी बात को अपने ऊपर ही लेने के इरादे से कहा- यार तुझे क्या पता.. मियाँ-बीवी में इस तरह के खेल चलते ही रहते हैं.. ऐसे ना करो तो ज़िंदगी में मज़ा ही कहाँ आता है।
डॉली- लेकिन भाभी.. आपको कुछ तो ख्याल करना चाहिए ना..
मैं हंस कर बोली- यार तेरे भैया ने ख्याल करने का मौका ही नहीं दिया.. इसलिए तो मैं चिल्ला रही थी और तुझे अपनी मदद के लिए बुला रही थी.. लेकिन तूने भी आकर मेरी कोई मदद नहीं की और वैसे ही भाग गई।
डॉली शर्मा कर बोली- मैं भला क्या मदद कर सकती थी आपके.? आप दोनों मियां-बीवी का मामला है.. मैं क्यों बीच में रुकावट बनती।
हम दोनों हँसने लगे और फिर चाय बना कर रसोई से बाहर आ गए और हम तीनों चाय उसी बेडरूम में बैठ कर पीने लगे।
उस रात जब हम लोग सोने के लिए लेटे.. तो जल्दी ही चेतन ने दूसरी तरफ करवट ले ली और बोला- अब मैं सो रहा हूँ..
मैं भी खामोशी से डॉली की तरफ करवट लेकर लेट गई।
थोड़ी देर हम दोनों ने बातचीत की और फिर हमारी भी आँख लग गई। अभी मेरी आँख लग ही रही थी कि कुछ पलों के बाद.. मुझे थोड़ी सी हलचल अपने पीछे महसूस हुई।
उसी के साथ.. चेतन का बाज़ू मेरे ऊपर आ गया। मैंने अपनी आँखें थोड़ी सी खोलीं तो देखा कि चेतन आहिस्ता-आहिस्ता डॉली के कन्धों पर हाथ फेर रहा था।
मैं मन्द मन्द मुस्करा दी और उसकी हरकतों को देखने लगी, नींद तो मेरी फ़ौरन ही गायब हो गई।
चेतन का हाथ आहिस्ता आहिस्ता फिसलता हुआ डॉली के कंधे से नीचे को आने लगा। जैसे ही चेतन ने डॉली की चूची को छुआ.. मेरी चूत में एक करेंट सा दौड़ गया।
बहुत ही आहिस्ता से चेतन ने अपना हाथ डॉली की चूची पर रखा और कुछ देर तक अपना हाथ वैसे ही पड़ा रहने दिया। जब उसने देखा कि डॉली के जिस्म में कोई हरकत नहीं हुई.. तो उसे यक़ीन हो गया कि वो सो रही है।
चेतन ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को हरकत देते हुए अपनी बहन डॉली की चूची को सहलाना शुरू कर दिया।
मेरी चूत यह मंज़र देख कर गीली होती जा रही थी कि एक भाई अपनी सोई हुई बहन की चूचियों को सहला रहा है।
मैं देख रही थी कि चेतन अपने पूरे हाथ में उसका पूरे का पूरा चीकू ले लिया और अब वो आहिस्ता-आहिस्ता उसे दबा रहा था।
डॉली की छोटी सी चूची उसकी मुठ्ठी में आराम से पूरी आ रही थी.. लेकिन डॉली को शायद कोई होश नहीं था.. क्योंकि वो सोई हुई थी।
थोड़ी देर में चेतन का हाथ थोड़ा सा ऊपर को गया और उसने अपना हाथ डॉली के सीने के नंगे हिस्से पर रख दिया और अपनी उंगली आहिस्ता आहिस्ता उसकी नंगी छाती पर गले के नीचे फेरने लगा।
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