RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैं हँसते हुए उसके हाथों को पीछे खींचने के लिए जोर लगाने लगी और वो भी मस्ती के साथ मेरे साथ जोर आज़माईश करने लगी। लेकिन मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर पहुँचा ही दिए और अपनी ननद की दोनों नंगी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में ले लिया और बोली- उउफफफफ.. क्या मजे की हैं तेरी चूचियाँ.. डॉली.. मेरा दिल करता है कि इनको कच्चा ही खा जाऊँ।
डॉली- सोच लो भाभी.. फिर मैं भी इन दोनों को खा जाऊँगी।
मैं- हाँ हाँ.. पहले ही भाई नहीं छोड़ता इन सबको खाना और चूसना.. अब उसकी बहन भी इनके पीछे पड़ने लगी है।
अब मैंने डॉली की ब्रेजियर को उसकी बाज़ू में से बाहर निकाल दी और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी दोनों चूचियों को हाथों से निकाल कर दोबारा से उसकी शर्ट की डोरियों को उसके कन्धों पर चढ़ा दिया.. लेकिन उसकी ड्रेस की डोरियाँ ठीक करने के बावजूद भी मैंने उसकी चूचियों को उसकी शर्ट के बाहर ही रखा.. तो वो हँसने लगी।
‘भाभी इनको तो अन्दर कर दो..’
अब वो मुझसे अपनी चूचियों को नहीं छुपा रही थी।
मैं- चल ठीक.. आज तू अगर ऐसे ही अपने भैया के सामने रह जाती है ना.. तो जो मर्ज़ी मुझसे माँग लेना.. मैं दे दूँगी..
डॉली मेरी बात सुन कर हँसने लगी और बोली- लगता है कि आप मुझे भैया से मरवा कर ही रहोगी।
मैं मुस्कुराई और धीमी आवाज़ में बोली- तुमको नहीं.. तुम्हारी मरवाऊँगी.. तुम्हारे भैया से..
डॉली बोली- भाभी क्या बोला आपने.. फिर से बोलना जरा..
मैं हँसने लगी.. उसकी बात पर मुझे पता चल गया था कि मेरी बात डॉली ने सुन तो ली ही है।
मैंने जान बूझ कर उसकी ब्रा वहीं अपने बिस्तर पर फेंक दी और दोबारा से डॉली के मेकअप को सैट करने लगी।
थोड़ी ही देर में मेरे मेकअप ने डॉली के हसीन चेहरे को और भी हसीन कर दिया।
उसके होंठों पर लगी हुई चमकदार सुर्ख लिपिस्टिक बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मैंने उसे तैयार करने के बाद उसके गोरे-गोरे गालों पर एक चुटकी ली और बोली- आज तो मेरी ननद पूरी छम्मक-छल्लो सी लग रही है।
मेरी बात सुन कर डॉली शर्मा गई और बोली।
डॉली- भाभी घर पर दिन के वक़्त यह ड्रेस कुछ ज्यादा ही ओपन नहीं हो जाएगा।
मैं- अरे नहीं यार.. कुछ भी ज्यादा या कम नहीं है.. देख मैं भी तो इसी ड्रेस में ही हूँ ना.. मैंने कौन सा इसे चेंज कर लिया हुआ है और एक बात तुमको बताऊँ कि तेरे आने से पहले तो मैं घर पर तुम्हारे भैया के होते हुए सिर्फ़ ब्रेजियर ही पहन कर फिरती रहती थी। अब तो सिर्फ़ तुम्हारी वजह से इतनी फॉरमैलिटी करनी पड़ती है।
डॉली- क्या सच भाभी??
मैं- हाँ तो और क्या.. अगर तू कहे.. तो मैं ऐसी दोबारा से भी हो सकती हूँ।
मेरी बात सुन कर वो खामोश हो गई।
फिर हम दोनों बाहर लाउंज में आ गए और टीवी देखने लगे।
इतनी में घंटी बजी.. चेतन के आने की सोच कर मैंने जानबूझ कर डॉली से कहा- जाओ.. गेट खोलो.. तुम्हारे भैया आए हैं।
वो शर्मा कर बोली- नहीं भाभी आप ही जाओ..
मैंने इन्कार कर दिया और उसे दरवाजे की तरफ ढकेला और वो चुप करके गेट की तरफ बढ़ गई।
मुझे पता था कि इतनी खूबसूरत हालत में अपनी बहन को देख कर चेतन को ज़रूर शॉक लगेगा.. इसलिए मैं भी उनकी तरफ ही गेट को देख रही थी।
वो ही हुआ कि जैसे ही डॉली ने गेट खोला.. तो उसे देख कर चेतन का मुँह खुला का खुला रह गया।
अपनी बहन के खिलते हुए गोरे रंग और उस पर किए हुए इस क़दर खुबसूरत मेकअप की वजह से डॉली पर तो नज़र ही नहीं टिक पा रही थी।
गेट खोल कर डॉली ने मुस्करा कर अपने भाई को देखा और फिर वापिस मुड़ते हुए चेतन ने जल्दी से गेट बंद किया और डॉली के पीछे-पीछे चलने लगा।
डॉली की कमर पर नज़र पड़ी तो उसे एक और शॉक लगा कि उसकी बहन ने अब रात वाली काली ब्रेजियर भी नहीं पहनी हुई थी.. और वो भी उतार चुकी हुई थी।
अब बैक पर डॉली की गोरी-गोरी चिकनी कमर बिल्कुल नंगी हो रही थी।
मैंने महसूस किया कि डॉली भी बहुत ही धीरे-धीरे चलते हुए आ रही थी।
अन्दर आकर डॉली नाश्ते का सामान लेकर रसोई में चली गई और चेतन मेरे पास आ गया।
मैंने मुस्करा कर उसकी तरफ देखा और बोली- आज हमारी डॉली प्यारी लग रही है ना?
चेतन ने मेरी तरफ देखा और बोला- हाँ हाँ, बहुत अच्छी लग रही है।
मैं उठी और रसोई की तरफ जाते हुए चेतन से बोली- यार वो बेडरूम से चाय की सुबह वाला कप तो उठा लाना.. उसको भी साथ ही धो लेती हूँ।
यह कह कर मैं रसोई में चली गई.. मुझे पता था कि अन्दर का क्या हसीन मंज़र चेतन का मुंतजिर होगा।
मैं रसोई में डॉली के पास आ गई और उसे नाश्ता लगाने मैं मदद करने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने डॉली से कहा- डॉली जाकर देखना कि तुम्हारे भैया क्या कर रहे हैं.. उन्हें बेडरूम से कप उठा कर लाने के लिए कहा था.. मुझे लगता है कि दोबारा से वहाँ जाकर सो गए हैं।
डॉली मुस्कराई और बेडरूम की तरफ बढ़ी और मैं उसको रसोई के दरवाजे के पीछे से देखने लगी।
डॉली ने जैसे ही अन्दर झाँका तो एकदम पीछे हट गई। उसने रसोई की तरफ मुड़ कर देखा.. लेकिन जब मुझ पर नज़र नहीं पड़ी.. तो दोबारा छुप कर अन्दर देखने लगी।
मैं समझ सकती थी कि अन्दर क्या हो रहा होगा।
लाजिमी सी बात थी कि अपने बिस्तर पर जो मैंने डॉली की ब्रेजियर फैंकी थी.. वो चेतन के आने तक वहीं पड़ी हुई थी.. तो अब चेतन ने उसे देख लिया होगा और लाजिमन उसे उठा कर उसका जायज़ा ले रहा होगा। उसे अच्छे से अंदाज़ा था कि यह मेरी ब्रेजियर नहीं है और अब तो उसे साइज़ का भी पता हो गया था। उसे यह भी पता था कि मैंने तो कल से ब्रा पहनी ही नहीं हुई है।
अन्दर चेतन अपनी बहन की ब्रेजियर के साथ खेल कर मजे ले रहा था और बाहर खड़ी हुई डॉली अपने भाई को अपनी ही ब्रेजियर से खेलते हुए देख रही थी।
यह नहीं पता था कि चेतन अपनी बहन की ब्रा के साथ कर क्या रहा है.. लेकिन बहरहाल और उसके लिए कुछ करने का था तो नहीं वहाँ.. पर तब भी कुछ देर तक मैंने दोनों को एंजाय करने दिया।
फिर थोड़ा दरवाजे से पीछे हट कर मैंने चेतन को और फिर डॉली को आवाज़ दी और जल्दी आने को कहा। मेरी आवाज़ सुन कर डॉली रसोई में आ गई।
मैंने डॉली का चेहरा देखा तो वो सुर्ख हो रहा था.. मैंने पूछा- आए नहीं तुम्हारे भैया.. क्या कर रहे हैं?
डॉली बोली- आ रहे हैं वो बस अभी आते हैं।
वो मेरे सवाल का जवाब देने में घबरा रही थी। फिर वो आहिस्ता से बोली- भाभी आपने मेरी ब्रा वहीं बिस्तर पर ही फेंक दी थी क्या?
मैं- ओह हाँ.. बस यूँ ही ख्याल ही नहीं रहा बस.. क्यों क्या हुआ है उसे?
डॉली बोली- नहीं.. कुछ नहीं भाभी.. कुछ नहीं हुआ..
फिर वो जल्दी से खाना उठा कर बाहर आ गई। मैंने उसे ब्रेकफास्ट टेबल के बजाए आज छोटी सेंटर टेबल पर लगाने के लिए कहा।
ज़ाहिर है कि इसमें भी मेरे दिमाग की कोई शैतानी ही शामिल थी ना.. थोड़ी ही देर में चेतन भी बेडरूम से कप की ट्रे लेकर आ गया।
मैंने पूछा- कहाँ रह गए थे?
उसने घबरा कर एक नज़र डॉली पर डाली और बोला- वो बस बाथरूम में चला गया था।
डॉली अपने भाई की तरफ नहीं देख रही थी.. बस सोफे पर बैठे अपने भाई के आने का इन्तजार कर रही थी।
क्योंकि रात को उसे सोई हुई समझ कर उसका भाई जो जो उसके साथ करता रहा था और जो कुछ अब वो उसकी ब्रेजियर के साथ कर रहा था.. तो वो उसके लिए बहुत ही उत्तेजित हो उठी थी.. लेकिन उसे शर्मा देने वाला महसूस भी हो रहा था।
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