RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
चेतन आया तो मेरे साथ ही सोफे पर बैठ गया और हम तीनों ने नाश्ता शुरू कर दिया। डॉली हम दोनों के बिल्कुल सामने बैठे थी। अब खाना इस टेबल पर रखने में मेरा ट्रिक यह था कि यह जो टेबल थी.. वो काफ़ी नीची थी और इस पर खाना खाते हुए आगे को काफ़ी झुकना पड़ता था।
इस तरह आगे को नीचे झुकने का पूरा-पूरा फ़ायदा मैं चेतन को दे रही थी.. क्योंकि डॉली भी नीचे झुक कर खाना खा रही थी और उसके नीचे झुकने की वजह से उसकी नेट शर्ट और भी नीचे को लटक रही थी। इस वजह से उसकी चूचियाँ और भी ज्यादा एक्सपोज़ हो रही थीं।
चेतन की नज़र भी सीधी-सीधी अपनी बहन की खुली ओपन क्लीवेज और चूचियों पर ही जा रही थी।
मैंने महसूस किया कि चेतन नाश्ता कम कर रहा था और अपनी बहन की चूचियों को ज्यादा देख रहा था।
एक और बात जो मैंने नोट की.. वो यह थी कि डॉली को पता था कि उसकी चूचियाँ काफ़ी ज्यादा खुली नज़र आ रही हैं और उसका भाई इनका पूरी तरह से मज़ा ले रहा है.. लेकिन इसके बावजूद भी डॉली ने अपनी पोजीशन को चेंज करने की और अपनी चूचियों को छुपाने की कोई कोशिश नहीं की।
वैसे भी उसकी और मेरी शर्ट इतनी ज्यादा ओपन थी कि हमारे पास अपनी खुली चूचियों को छुपाने के लिए कुछ नहीं था।
हमारी तवज्जो हटाने के लिए चेतन बोला- यार आज तो बाहर मौसम काफ़ी खराब हो रहा है.. काले बादल भी छाए हुए हैं.. लगता है कि आज बारिश हो जाएगी।
डॉली- जी भैया.. अच्छा है ना बारिश हो जाए.. तो कुछ गर्मी की शिद्दत में भी कमी हो जाएगी।
बारिश का जिक्र आते ही मैं दिल ही दिल मैं बारिश कि लिए दुआ माँगने लगी ताकि कुछ और भी मस्ती करने का मौका मिल सके।
नाश्ता करने के बाद मैंने और डॉली ने बर्तन उठाए और रसोई में ले जाकर रखे।
फिर मैं डॉली को चाय बना कर लाने का कह कर रसोई से बाहर टीवी लाउंज में आ गई और चेतन के बिल्कुल साथ लग कर बैठ गई। चेतन ने भी टीवी देखते हुए मेरी गर्दन के पीछे से अपना बाज़ू डाला और मेरी दूसरे कन्धों पर ले आया और ऊपर से ही मेरी चूचियों को सहलाने लगा।
फिर उसका हाथ आहिस्ता आहिस्ता मेरी ओपन शर्ट में नीचे चला गया और उसने मेरी शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी एक चूची को पकड़ लिया और आहिस्ता आहिस्ता उससे खेलने लगा।
मैंने भी उसे मना नहीं किया और ना ही उसकी बहन के पास होने का इशारा दिया बल्कि उसे खुल कर एंजाय करने दे रही थी और खुद भी उससे चिपकती जा रही थी.. ताकि उसका हाथ बहुत ही आसानी के साथ और भी मेरी शर्ट के अन्दर तक चला जाए।
हम दोनों ही इसी हालत में बैठे हुए टीवी देख रहे थे.. मैं थोड़ी तिरछी नज़र से रसोई की तरफ भी देख रही थी.. इतने में डॉली टीवी लाउंज में दाखिल हुई तो मैंने अपनी नज़र उस पर नहीं डाली और भी ज्यादा बेतक्कलुफी से चेतन से चिपक गई।
चेतन का हाथ अभी भी मेरी शर्ट के अन्दर मेरी चूची से खेल रहा था। उसकी बहन ने आते ही सब कुछ देख लिया था।
मैंने देखा कि चंद लम्हे तो वो वहीं रसोई के दरवाजे पर खड़ी हुई यह नज़ारा देखती रही.. फिर आहिस्ता आहिस्ता क़दमों से चलते हुए हमारी टेबल के क़रीब आई और झुक कर टेबल पर चाय की ट्रे रख दी।
उसके चेहरे पर हल्की-हल्की मुस्कराहट थी।
उसे देखते ही चेतन ने अपना हाथ मेरी शर्ट से बाहर निकाल लिया.. लेकिन इससे पहले तो डॉली सब कुछ देख ही चुकी थी कि कैसे उसका भाई मेरी शर्ट की अन्दर अपना हाथ डाल कर मेरी चूचियों से खेल रहा है।
चेतन ने अपना हाथ तो मेरी शर्ट से निकाल लिया था.. लेकिन अभी तक मेरे कन्धों पर ही रखा हुआ था। मैं भी बिना कोई शरम किए हुए चेतन के साथ चिपक कर बैठी हुई थी।
डॉली ने मुस्कराते हुए वहीं पर ही हम दोनों को चाय के कप पकड़ा दिए और फिर वो भी चाय लेकर मेरे पास बैठ गई।
अब मैं दरम्यान में थी और दोनों बहन-भाई मेरी दोनों तरफ बैठे थे।
डॉली के नंगे कंधे भी मेरे कंधों से टकरा रहे थे और चेतन के हाथ भी मेरे कन्धों से होते हुए अपनी बहन के कन्धों को छू जाते थे।
लेकिन वो बिना किसी मज़हमत के आराम से बैठी हुई थी।
मैंने चाय का एक सिप लिया और उन दोनों के दरम्यान से उठते हुए बोली- यार चीनी कुछ कम है.. मैं अभी डाल कर लाई।
मैं उन दोनों बहन-भाई के दरम्यान से उठ गई और फिर रसोई में आ गई।
वहाँ से मैंने देखा कि चेतन ने थोड़ा सा सरकते हुए डॉली के कन्धों पर गर्दन से पीछे बाज़ू डाल कर अपना हाथ रखा और फिर उसके कन्धों को सहलाते हुए बोला- और सुनाओ डॉली.. तुम्हारी पढ़ाई कैसे चल रही है?
डॉली भी सटते हुए बोली- जी भैया.. पढ़ाई भी और कॉलेज भी.. ठीक चल रहे हैं।
मैंने देखा कि डॉली ने अपने जिस्म को अपने भाई के हाथ की पकड़ से छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की.. बल्कि उसी तरह बैठी रही।
कुछ देर तक मैंने उन दोनों को बिना कोई और बातचीत किए हुए मज़ा लेने दिया और फिर रसोई से बाहर आ गई।
मेरे आते ही दोनों सम्भल कर बैठ गए। मैं महसूस कर रही थी कि दोनों बहन-भाई के दरम्यान बिना कोई बातचीत शुरू हुए ही एक ताल्लुक सा बनता जा रहा था।
डॉली को अपने भाई के टच से लुत्फ़ आने लगा था और शायद चेतन को भी पता चलता जा रहा था कि उसकी बहन भी कुछ-कुछ एंजाय करने लगी है।
मैं अब जाकर चेतन की दूसरी तरफ बैठ गई और उसे दरम्यान में ही बैठा रहने दिया। ऐसे ही चाय पीते और गप-शप लगाते हुए हम लोग टीवी देखते रहे।
हम दोनों ननद-भाभी ने इसे ड्रेस में पूरा दिन घर में अपने जिस्म के नंगेपन की बिजलियाँ गिराते हुए गुजारा। पूरे दिन हम दोनों के नंगे जिस्मों को देख कर चेतन पागल होता रहा। कई बार जब भी उसने मुझे अकेले पाया.. तो अपनी बाँहों में मुझे दबोच लिया और चूमते हुए अपनी प्यास बुझाने लगा।
मैंने भी उसके लण्ड को सहलाते हुए उसे खड़ा किया.. लेकिन हर बार उसकी बाँहों से फिसल कर उसे केएलपीडी का अहसास कराते हुए भाग आई.. ताकि उसकी प्यास और उसकी अन्दर जलती हुई आग इसी तरह ही भड़कती रहे और ठंडी ना होने पाए।
मैंने महसूस किया कि अब डॉली भी घर में उस बिल्कुल ही नंगी ड्रेस में फिरने में कोई भी शरम महसूस नहीं कर रही थी और बड़े आराम से उस हाफ शॉर्ट बरमूडा और उस स्लीव लैस नेट शर्ट में बिंदास घूम रही थी.. जिसमें उसका खूबसूरत सीना और चूचियों का ऊपरी हिस्सा तो बिल्कुल ही खुला नज़र आ रहा था।
अब वो भी अपने भाई की नजरों से बचने की कोशिश नहीं कर रही थी.. बल्कि उसके आस-पास ही डोल रही थी
मैं और डॉली रसोई में थे.. तो चेतन भी अन्दर ही आ गया।
बोला- हाँ.. भाई क्या पक रहा है?
मैंने बताया- चिकन बना रही हूँ।
चेतन डॉली के नंगे जिस्म की तरफ देखते हुए बोला- यार आज मौसम इतना प्यारा हो रहा है.. आज तो साथ में कुछ मीठा भी होना चाहिए..
मैंने मुस्करा कर चेतन की तरफ देखा और बोली- बेफिकर रहिए आप.. आज आपका मुँह भी मीठा करवा ही देंगे.. क्यों डॉली..
जैसे ही आखिरी बात मैंने डॉली से पूछी.. तो वो मेरे सवाल पर झेंप सी गई और बोली- हाँ हाँ.. भैया बताएं.. क्या बनाना है?
चेतन ने मुस्करा कर अपनी बहन की चूचियों की तरफ एक नज़र डाली और फिर बाहर निकलते हुए बोला- कुछ भी मस्त सा आइटम बना लो यार..
क़रीब 5 बजे चेतन के एक दोस्त का फोन आ गया.. उसने उसे अपने घर बुलाया था।
मुझे साफ़ लग रहा था कि घर में घूम रही दो-दो खूबसूरत अधनंगी लड़कियों को छोड़ कर जाने को उसका दिल बिल्कुल भी नहीं कर रहा था.. लेकिन उसे जाना ही पड़ा।
उसका यह दोस्त दो-तीन गली छोड़ कर ही रहता था। चेतन के जाने के बाद मैंने और डॉली ने जल्दी से रात का खाना तैयार कर लिया और चेतन की फरमाइश के मुताबिक़ मीठा भी बना लिया।
रसोई से निकलते हुए मैंने डॉली को मासूमियत से छेड़ा- यार पता नहीं तुम्हारे भैया को यह मीठा पसंद आता भी है कि नहीं.. या कुछ और चीज़ से मुँह मीठा करना चाहिए।
मेरी बात सुन कर डॉली शरमा कर मुस्कराई और अपने कमरे में चली गई।
चेतन के जाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गई और अपना लैपटॉप खोल कर बैठ गई।
मैं अक्सर अकेले में नेट पर ट्रिपल एक्स मूवीज देखती थी। ट्रिपल एक्स मूवीज देखने का मुझे और चेतन दोनों को ही बड़ा शौक़ था.. बल्कि सच कहूँ.. तो चेतन ने ही मुझे इसका आदी बनाया था।
मेरा दिल आज चाहा कि मैं आज लेज़्बीयन मूवी देखूं।
मैंने एक पॉर्न साइट पर जाकर लेज़्बीयन मूवी खोज निकाली और उसको देखने लगी।
मुझे आज पहली बार इन मूवीज में मज़ा आ रहा था.. वरना कभी भी मैंने इस क़दर शौक़ से इस किस्म की मूवीज नहीं देखीं थीं।
मुझे हमेशा से ही स्ट्रेट सेक्स ही पसंद रहा था। एक मर्द के साथ एक औरत के जिस्म का मिलाप होना ही मुझमें चुदास जगा देता था। लेकिन आज जब से मैंने डॉली के जिस्म को छुआ और उसे चूमा था.. तो मुझे इसमें भी बहुत मज़ा आ रहा था।
अपने बिस्तर पर बैठ कर अपनी जाँघों पर लैपटॉप रख कर मैं पॉर्न एंजाय कर रही थी।
कुछ देर गुज़रे.. तो अचानक से डॉली मेरे कमरे में आ गई, वो अभी भी उसी सुबह वाले ड्रेस में थी।
उसे देखते साथ ही एक बार फिर से मेरी आँखें चमक उठीं।
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