Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
05-24-2019, 12:08 PM,
#38
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैं मुस्कराई और उसकी चूत के पानी से चमकती हुई अपनी उंगलियाँ उसके चेहरे के पास ले जाती हुई बोली- देखो तुम्हारी चूत का पहला-पहला पानी निकला है.. उसे ही टेस्ट कर रही हूँ।
मेरी बात सुन कर डॉली के चेहरे पर शर्मीली सी मुस्कराहट फैल गई और उसने दोबारा से अपनी आँखें बंद कर लीं। मैंने भी आहिस्ता आहिस्ता उसी गीली उंगली से उसके होंठों को सहलाना शुरू कर दिया और डॉली को खुद उसकी अपनी चूत का पानी टेस्ट करवाने लगी।
कुछ देर के लिए मैं और डॉली इसी तरह से निढाल हालत में लेटे रहे। मेरी चूत की प्यास अभी तक नहीं बुझ पाई थी.. लेकिन मैंने खुद पर कंट्रोल कर लिया हुआ था और एक ही वक़्त में मैं डॉली को बिल्कुल ओपन नहीं कर लेना चाहती थी.. शायद वो भी एक ही बार में तमाम हदों को क्रॉस ना कर पाती इसलिए मैं बड़े ही आराम से अपनी बाँहों में लिए हुए उसके जिस्म को सहलाती रही। वो भी आँखें बंद करके मेरी बाँहों में पड़ी रही। उसने अपना टॉप भी ठीक करने की कोई कोशिश नहीं की और ना ही मैंने उसे उसकी चूचियों से नीचे किया। 
इस तरह से पड़े हुए उसकी नंगी चूचियों का नजारा बहुत खूबसूरत लग रहा था। उसके जिस्म को सहलाते रहने और ज़िंदगी के पहले ओर्गैज्म की वजह से उसे थोड़ी ही देर में नींद आ गई.. लेकिन मैं सो ही नहीं पाई।
शाम की क़रीब 7 बजे जब मैं और डॉली बैठे टीवी देख रहे थे.. तो अचानक से बादलों की गड़गड़ाहट शुरू हो गई और थोड़ी ही देर में झमाझम बारिश होने लगी। मैं और डॉली दोनों ही पिछले सहन में भागीं कि बारिश देखते हैं।
देखते ही देखते बारिश तेज होने लगी। मैंने कहा- डॉली आओ बारिश में नहाते हैं। 
डॉली बोली- लेकिन भाभी यह नई ड्रेस खराब हो जाएगी.. जो हमने कल ही ली है।
कमैंने कहा- हाँ.. कह तो तुम ठीक रही हो..
मैंने उसे आँख मारी और बोली- क्यों ना इसे उतार कर नहाते हैं। 
डॉली प्यार से मेरी बाज़ू पर मुक्का मारते हुई बोली- क्या है ना.. भाभी आप पता नहीं कैसी-कैसी बातें करती रहती हो और पता नहीं आपको क्या होता जा रहा है.. अभी कुछ देर पहले भी आपने…!
मैं- लेकिन मेरी जान.. तुमको भी तो मज़ा आया था ना?
डॉली शर्मा गई। 
मैंने कहा- अच्छा चलो अन्दर आओ.. मेरे साथ कुछ सोचते हैं।
अपने कमरे में लाकर मैंने अल्मारी खोली और मेरी नज़र चेतन की स्लीबलैस सफ़ेद बनियान पर पड़ी..। मेरे दिमाग की घंटी बजी और मैंने फ़ौरन से दो बनियाने निकालीं और एक डॉली की तरफ बढ़ाते हुए बोली- लो एक तुम पहन लो.. और एक मैं पहन लेती हूँ।
डॉली हैरत से उस बनियान को देखते हुए बोली- भाभी यह कैसे पहनी जा सकती है.. यह तो काफ़ी खुली है और इसका तो गला भी काफ़ी खुला है..
मैंने उससे कहा- अब बातें ना कर और जल्दी से इसको चेंज करो।
मैंने उसकी टॉप को पकड़ कर ऊपर उठाया.. तो खामोशी से डॉली ने अपने बाज़ू ऊपर कर दिए। मैंने उसके टॉप को उतार कर बिस्तर पर फैंका और अब डॉली मेरी नज़रों के सामने अपनी ऊपरी बदन से बिल्कुल नंगी खड़ी थी। 
मैंने जैसे ही उसकी चूचियों को नंगी देखा तो एक बार फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूचियों को सहलाने लगी। मैंने उसकी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और आहिस्ता-आहिस्ता उनको सहलाते हुए अपने होंठ उसके होंठों की तरफ बढ़ाए.. तो थोड़ा सा हिचकिचाते हुए डॉली ने अपनी होंठ आगे कर दिए और मैंने उसकी होंठों को चूम लिया। 
फिर डॉली ने मेरे हाथ से अपने भैया वाली बनियान छीनी और बोली- मैं खुद ही पहन लेती हूँ।
मैंने हँसते हुए उसे छोड़ दिया और डॉली अपनी बनियान पहनने लगी।
मैंने भी अपनी वो नेट शर्ट उतारी और डॉली के सामने मैं भी मम्मों की तरफ से नंगी हो गई।
डॉली ने पहली बार मेरी चूचियों को खुला देखा.. तो मुझसे दूर ना रह सकी।
डॉली- वॉव.. भाभिईईई.. आपकी चूचियाँ.. ईस्स्स्स.. कितनी सेक्सीईई.. हैं..।
मैं धीरे से मुस्कराई और उसे अपने सिर और आँख के इशारे से अपनी चूचियों की तरफ आने को कहा।
डॉली जल्दी से मेरे पास आई और आहिस्ता आहिस्ता मेरी चूचियों को सहलाने लगी।
उसकी उंगलियों ने मेरे निप्पलों को छुआ तो मेरे निप्पलों में भी अकड़न आने लगी।
फिर खुद को डॉली से अलग करके मैंने अपने नंगी जिस्म पर सिर्फ़ और सिर्फ़ वो खुली बनियान पहन ली और नीचे तो बरमूडा ही था। 
मैंने खुद को आइने में देखा तो सच में मेरा गला काफ़ी खुला हुआ था और मेरी चूचियों भी गहराई तक नज़र आ रही थीं.. बनियान भी कुछ पतली कॉटन की थी.. जिसकी वजह से मेरे निप्पलों की जगह पर डार्क-डार्क हिस्सा दिख रहा था। इससे साफ़ पता चल रहा था कि मेरे निप्पल इस जगह पर हैं।
डॉली का भी यही हाल था.. हम दोनों ने जो चेतन की बनियाने पहन रखीं थीं.. वो लंबाई में हमारी हाफ जाँघों तक पहुँच रही थीं। 
मैंने जब डॉली को देखा तो मुझे एक और ख्याल आया। मैंने उसके सामने खड़े होकर अपने बरमूडा को नीचे को खींच दिया।
डॉली का मुँह खुला का खुला रह गया।
मैंने अपनी एक पैन्टी उठाई और उस बनियान की नीचे बरमूडा की जगह वो पहन ली।
डॉली- भाभी यह क्या कर रही हो आप..? क्या आप बारिश में नहाने ऐसे ही जाओगी..?
मैं- जी हाँ.. और सिर्फ़ मैं ही नहीं.. तुम भी..
यह कहते हुए मैंने डॉली का बरमूडा भी खींच कर नीचे कर दिया और उससे बोली- चलो तुम भी इसके नीचे से अपनी पैन्टी पहन लो। 
डॉली ने बेबसी से मेरी तरफ देखा और बोली- लेकिन भाभी ऐसे कैसे?
मैंने मुस्करा कर उसकी तरफ देखा और उसे कोई बात करने का मौका दिए बिना ही खींच कर बाहर लाई और फिर उसके कपड़ों में से एक पैन्टी उसे पहनने को दी और उसे चूत का ढक्कन पहना कर उसे सहन में ले आई। 
यहाँ पर अँधेरा भी हो रहा था और बारिश भी पहली से तेज हो चुकी हुई थी। हम दोनों जैसे ही बारिश में पहुँचे.. तो चंद मिनटों में ही हमारे जिस्म बिल्कुल गीले हो गए और हमारी बनियाने भीग कर हमारे जिस्मों के साथ चिपक गईं। 
अब ऐसा लग रहा था कि जैसे हम दोनों ने सिर्फ़ और सिर्फ़ वो बनियाने ही पहन रखी हैं और कुछ भी नहीं पहना हुआ है।
अब हम दोनों शरारतें कर रहे थे और एक-दूसरे को छेड़ रही थीं। 
मैंने शरारत से डॉली के निप्पल को चुटकी में पकड़ कर मींजा और बोली- जानेमन तेरी चूचियाँ बड़ी प्यारी लग रही हैं..
डॉली ने भी फ़ौरन से ही मेरी चूची को मुठ्ठी में लेकर जोर से दबाया और बोली- भाभी.. आपकी भी तो पूरी नंगी ही नज़र आ रही हैं।
मैं- सस्स्स.. ऊऊऊऊऊ.. ईईईई.. अरे ज़ालिम दबानी ही हैं चूचियाँ.. तो थोड़ा प्यार से दबा ना.. अपने भैया की तरह..
डॉली हंस पड़ी और बोली- भाभी आपको भैया की बड़ी याद आ रही है..
मैं- हाँ यार.. वो भी साथ में नहाते तो और भी मज़ा आ जाता।
डॉली बोली- लेकिन भाभी फिर तो मैं नहीं नहा सकती ना.. आप लोगों के साथ..
मैं- क्यों.. तुझे क्या है?
डॉली- भाभी मेरा तो पूरा ही जिस्म नंगा हो रहा है.. मैं कैसे भैया के सामने??

मैं- अरे पहली बात तो यह है कि वो हैं नहीं यहाँ.. और अगर होते भी.. तो इस अँधेरे में कौन सा कुछ नज़र आ रहा है.. जो तेरे भैया को तेरा जिस्म नज़र आता। वैसे भी वो तेरे भैया ही हैं.. कौन सा कोई गैर मर्द हैं.. जो कि तुझे ऐसी हालत में देखेगा.. और तुझे कुछ नुक़सान पहुँचाने की सोचेगा।
मैं यह बात कहते हुए डॉली के और क़रीब आ गई और उसकी आँखों में देखते हुए.. मैंने अपनी बनियान को अपने कन्धों से नीचे को सरकाना शुरू कर दिया। 
यूँ मैंने अपनी दोनों चूचियों को नंगा कर दिया.. डॉली फ़ौरन ही आ गए बढ़ी और मेरी चूचियों पर अपने हाथ रख कर इधर-उधर ऊपर की तरफ मसलती हुई बोली- क्या कर रही हो भाभीजान.. किसी ने देख लिया तो??
मैंने उसे खींच कर अपनी बाँहों में भरा और बोली- अरे इतने अँधेरे में कौन देखेगा हमें.. लेट्स एंजाय यार..
यह कहते हुए मैंने उसकी बनियान को भी नीचे को खींचा और उसकी चूचियों भी नंगी कर लीं। 
अब जैसे ही मैंने उसके साथ अपने आप को चिपकाया.. तो डॉली की चूचियों ने मेरी चूचियों के साथ रगड़ना शुरू कर दिया। 
अब हम दोनों खूबसूरत लड़कियों के जिस्म के ऊपरी हिस्से बिल्कुल नंगे हो रहे थे। डॉली को भी जब मज़ा आने लगा.. तो उसने भी अपनी बाज़ू मेरी कमर के गिर्द कस ली और मुझे अपने सीने से दबा लिया।
धीरे-धीरे मैं उसकी नंगी कमर पर हाथ फेर रही थी और उसके होंठों को चूम रही थी।
इस बार डॉली ने पहल की और अपनी ज़ुबान मेरे होंठों के दरम्यान घुसेड़ दी और मुझे अपनी ज़ुबान चूसने का मौका दिया।
मैं भी अपनी कुँवारी ननद की ज़ुबान को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।
उसकी ज़ुबान को चूसते और उसे किस करते हुए.. मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर से हटा कर दोनों के जिस्मों के बीच में लाई और उसकी पैन्टी के अन्दर हाथ डाल दिया। 
फ़ौरन ही मेरे हाथ को डॉली की चूत के ऊपर के जिस्म के बाल महसूस हुए थे, ये बहुत ही हल्के-हल्के रेशमी से बाल थे, मैं वहाँ से उसे सहलाते हुई आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उसकी चूत पर ले आई। 
मेरी हाथों की उंगलियाँ मेरी ननद की कुँवारी अनछुई चूत को टकराईं.. तो मुझे बेहद लुत्फ़ आ गया।
मैंने आहिस्ता आहिस्ता उसकी चूत के लबों और चूत की दाने को सहलाना शुरू कर दिया।
डॉली की चूत के दाने को सहलाते हुए मैं अपनी उंगली की नोक को उसकी चूत के सुराख पर रगड़ रही थी और कभी-कभी उंगली की नोक को थोड़ा सा उसकी चूत के अन्दर भी दाखिल कर देती थी।
‘ईसस्स.. स्स्स्मम्म्ह.. भाभिईईई… ईईईईई.. ईईईई.. उफफ.. उफफ्फ़..’ डॉली की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैं उसकी चूत के सुराख के अन्दर अपनी उंगली की नोक को आगे-पीछे करते हुए बोली- ऊऊऊ.. ऊऊऊफ.. उफफ्फ़.. डार्लिंग.. असल मज़ा तो तुम्हें उस वक़्त आएगा.. जब तेरी चूत में लंड जाएगा..
डॉली- ऊऊऊ.. ऊऊऊहह… ऊऊ.. भाभिईईई.. ऐसी बातें ना करें.. प्लीज़्ज़्ज़्ज़..
मैं- क्यों.. तेरी चूत में कुछ होने लगता है क्या..? 
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RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद - by sexstories - 05-24-2019, 12:08 PM

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