RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
चेतन ने दोबारा से अपनी प्यासे होंठ डॉली के नंगे मुलायम कन्धों पर रखे और फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसे चूमने लगा। उसकी नज़र अब भी डॉली की नंगी चूची पर ही टिकी थी। चेतन का एक हाथ उसके बाज़ू को सहला रहा था और फिर वो ही हाथ आहिस्ता आहिस्ता सरकता हुआ नीचे को आकर उसकी नंगी चूची की तरफ बढ़ने लगा।
फिर मेरी नज़रों ने वो मंज़र देख लिया जिसके लिए मैं इतना इन्तजार कर रही थी। चेतन का हाथ अपनी बहन की नंगी चूची पर पहुँच गया।
चेतन ने अपनी बहन की नंगी छाती को आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया। उसकी उंगलियां डॉली के निप्पल से टच होने लगीं।
थोड़ा सा आगे को झुक कर चेतन ने अपने होंठ डॉली के गाल पर रखे और उसे आहिस्ता आहिस्ता चूमने लगा।
डॉली के चेहरे की हालत भी मेरी आँखों की सामने थी.. उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। आख़िर जब उससे कंट्रोल ना हो सका तो उसने बंद आँखों के साथ ही करवट बदली और सीधी हो गई।
चेतन ने फ़ौरन ही अपना हाथ उसकी चूची से हटा लिया और डॉली ने भी जैसे नींद में ही होते हुए अपने टॉप को ठीक किया और अपनी चूची को अपने टॉप के अन्दर कर लिया।
चेतन सीधा होकर लेट चुका था।
लेकिन ज़ाहिर है कि ज्यादा देर तक रुकने वाला वो भी नहीं था। चंद लम्हे ही इन्तजार करने के बाद उसने दोबारा से अपना हाथ डॉली की चूची के ऊपर रख दिया और कुछ पल बाद दोबारा से उसे सहलाने लगा। आहिस्ता आहिस्ता उसने दोबारा से अपनी बहन के टॉप को नीचे खींचा और फिर अपनी सग़ी छोटी बहन की कुँवारी चूची को बाहर निकाल लिया।
उसने डॉली की तरफ ही करवट ली हुई थी और यक़ीनन उसका लंड अपनी बहन की जाँघों से टकरा रहा था।
डॉली की चूची एक बार फिर से चेतन की नज़रों के सामने नंगी हो गई थी। चेतन वहीं पर नहीं रुका और फिर दूसरी चूची को भी बाहर निकाल लिया। वो कमरे में हो रहे अँधेरे का पूरा-पूरा फ़ायदा उठा रहा था और अपने मोबाइल की टॉर्च से डॉली के नंगे जिस्म को देख रहा था।
दूसरी तरफ डॉली भी खामोशी से पड़ी हुई थी। उसकी बाज़ू साइड में सीधा था मेरे बिल्कुल पास और उसने मेरा हाथ थाम रखा था।
जैसे-जैसे चेतन डॉली की नेकेड चूचियों पर हाथ फेर रहा था.. वैसे-वैसे ही डॉली मेरे हाथ को जोर से दबा रही थी जिससे मुझे उसकी हालत का अंदाज़ा हो रहा था।
मैं भी उसके हाथ को आहिस्ता आहिस्ता दबाते हुए उसे हौसला दे रही थी कि वो चुप रहे।
चेतन थोड़ा ऊँचा होकर डॉली के सीने पर झुका और उसकी नेकेड चूची को चूम लिया। डॉली खामोश रही तो चेतन ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और डॉली की चूची के गुलाबी निप्पल को अपनी ज़ुबान की नोक से छूने लगा।
डॉली के जिस्म में एक झुरझुरी सी दौड़ गई। चेतन आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के निप्पल को अपनी ज़ुबान से सहला रहा था और उसे छेड़ रहा था।
कुछ देर तक अपनी ज़ुबान से डॉली के निप्पल के साथ खेलने के बाद चेतन ने डॉली के गुलाबी निप्पल को अपने होंठों के दरम्यान ले लिया और आहिस्ता आहिस्ता उसे चूसने लगा।
उसका दूसरा हाथ डॉली के नंगे पेट से होता हुआ उसके बरमूडा के ऊपर से उसकी चूत पर आ गया और मुझे उसके हाथों की हरकत नज़र आने लगी।
इसी के साथ ही डॉली के हाथ की गिरफ्त मेरे हाथ पर भी सख़्त हो गई। मुझे चेतन का हाथ हरकत करता हुआ नज़र आ रहा था और मुझे यह भी पता था कि जब चेतन मेरी चूत पर इसी तरह से मेरी सलवार के ऊपर से सहलाता है.. तो कितना मज़ा आता है।
मुझे डॉली की हालत का अंदाज़ा भी हो रहा था कि बेचारी कुँवारी चूत.. कुँवारी लड़की.. कितनी मुश्किल से यह सब बर्दाश्त कर रही होगी।
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