Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
05-24-2019, 12:09 PM,
#43
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
चेतन ने अपनी बहन के निप्पल को चूसते हुए आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ डॉली के बरमूडा के अन्दर डालने की कोशिश की और उसका हाथ उसके बरमूडा की इलास्टिक के नीचे सरकता हुआ अन्दर दाखिल हुआ।
जैसे ही उसका हाथ डॉली की चूत से टच हुआ.. तो डॉली के बर्दाश्त की हद खत्म हो गई और फ़ौरन ही उसने अपना हाथ उठा कर चेतन के हाथ पर रख दिया और साथ ही सिसक पड़ी- नहीं.. भाई… आआआ.. प्लीज़्ज़्ज़्ज़..
डॉली ने बहुत ही धीमी आवाज़ से कहा तो चेतन तो जैसे एक लम्हे के लिए चौंक गया कि यह क्या हुआ कि उसकी बहन जाग गई है और उसने अपने भाई के हाथ को अपनी चूत पर पकड़ लिया है।
चेतन के मुँह से डॉली का निप्पल सरक़ चुका था.. लेकिन उसके होंठ अभी भी उसके निप्पलों से टच कर रहे थे।
चेतन को महसूस हुआ कि अब वापसी का रास्ता नहीं है।
चंद लम्हे के बाद चेतन ने अपना हाथ डॉली के हाथ से छुड़ाए बिना ही आहिस्ता आहिस्ता हिलाते हुए डॉली की चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
डॉली- नहीं भाई.. प्लीज़.. ऐसा नहीं करो… ऊ.. इस्स्स.. आआहह..
चेतन ने दोबारा से अपनी बहन के नंगे निप्पल को अपने होंठों के दरम्यान ले लिया और उसे चूसते हुए धीरे से बोला- श्ह.. खामोश रहो.. बसस्स्स..
चेतन के होंठ दोबारा से अपनी बहन के निप्पल को चूसने लगे और उसके हाथ की उंगली शायद उसकी चूत से खेल रही थी। शायद उसकी चूत के सुराख पर भी क़ब्ज़ा जमा चुकी थी.. क्योंकि डॉली के हाथ की गिरफ्त मेरे हाथ पर सख़्त होती जा रही थी।
मैं भी उसके हाथ को आहिस्ता-आहिस्ता सहलाते हुए उसे हौसला दिए जा रही थी।
चेतन ने जैसे ही अपनी उंगली उसकी चूत के अन्दर सरकाई तो डॉली तड़फ उठी।
डॉली- उफफफ..भाई…आहह.. नहीं..ईईई..प्लीज़्ज़्ज़्ज़… भाभीईईई..।
चेतन- खामोश रहो.. तुम्हारी भाभी ना उठ जाए कहीं..
चेतन ने अपनी उंगली डॉली की चूत से बाहर निकाली और उसे डॉली के बरमूडा से बाहर निकाल कर अपने मुँह में डाल लिया और अपनी बहन की चूत की पानी को चाटने लगा।
डॉली ने अपनी आँखें अभी भी बंद ही की हुई थीं.. लेकिन अब चेतन को इससे कोई घबराहट नहीं थी कि उसकी बहन की आँखें खुली हैं कि बंद.. क्योंकि उसे पता था कि वो जाग रही है।
चेतन- डॉली.. यू आर सो स्वीट.. बहुत मीठा है तेरा पानी..
‘भाई प्लीज़ छोड़ दें मुझे.. यह ठीक नहीं है..उम्म्म्म स्स्स्साआहह..’
चेतन ने कुछ कहे बिना ही थोड़ा सा ऊपर होकर अपने होंठ डॉली के होंठों के ऊपर रख दिए और उसे चूमने लगा।
डॉली अपने होंठों को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी और मजाहमत करते हुए अपने होंठों को पीछे हटा रही थी। लेकिन चेतन ने अपना एक हाथ डॉली की नंगी चूची पर रखा और ऊपर डॉली के होंठ को अपने होंठों में जकड़ लिया और उसे चूसने लगा।
डॉली का बुरा हाल हो रहा था.. वो यह भी नहीं चाह रही थी कि उसके भैया पर मेरी हालत खुले और उसके भाई को पता चले कि मैं भी जाग रही हूँ और इस सूरत ए हाल से वाक़िफ़ हूँ.. जो कुछ उन दोनों बहन भाई के दरम्यान हो रहा है।
डॉली ने अपने भाई का हाथ अपनी चूची से हटाया तो चेतन ने फ़ौरन ही अपना हाथ नीचे करते हुए डॉली के बरमूडा में डाल दिया और अपनी मुठ्ठी में डॉली की चूत को पकड़ लिया.. डॉली अब मछली की तरह से चेतन के हाथों में तड़फ रही थी और अपनी हरकत को कम से कम रखना चाह रही थी.. ताकि मेरा जिस्म ने हिले।
अचानक चेतन ने डॉली का बाज़ू पकड़ कर अपनी तरफ करवट दिला दी और उसे अपनी बाँहों में ले लिया। उसकी नंगी कमर पर अपने हाथ मज़बूती से जमा कर अपने होंठ उसकी पतले-पतले गुलाबी होंठों पर रख दिए।
अब वो अपनी बहन के होंठों को चूमते हुए उसे चूसने लगा। डॉली का बुरा हाल हो रहा था। नीचे से चेतन का लंड अकड़ कर उसकी चूत पर टक्करें मार रहा था और उसके बरमूडा को फाड़ते हुए उसकी चूत के अन्दर तक घुसने की कोशिश में लग रहा था।
चेतन ने अपने शॉर्ट्स को नीचे करते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया और अब उसका नंगा लंड अपनी बहन की नंगी मुलायम जाँघों से टकरा रहा था। वो अपने लौड़े को डॉली की दोनों जाँघों के दरम्यान में घुसा रहा था और फिर वो इसमें कामयाब भी हो गया कि उसने अपना लंड डॉली की दोनों जाँघों के दरम्यान धकेल दिया।
अब आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को उसकी जाँघों के बीच में फंसा कर चेतन रगड़ने लगा।
मैं फील कर रही थी कि डॉली की मज़ाहमत दम तोड़ती जा रही थी और उसका जिस्म ढीला पड़ता जा रहा था। उसके बदन पर चेतन के हाथों की हरकतें तेज होती जा रही थीं। कभी उसका हाथ अपनी बहन की नंगी कमर को सहलाने लगता और कभी नीचे को जाकर उसके चूतड़ों को सहलाने लगता।
चेतन ने अपना हाथ डॉली के टॉप के नीचे डाला और उसकी नंगी कमर को ऊपर तक सहलाने लगा।
उधर आगे चेतन ने अपनी ज़ुबान को डॉली के होंठों के दरम्यान में घुसेड़ दिया और उसे अपनी ज़ुबान को चूसने पर मजबूर करने लगा।
डॉली जैसी कुँवारी और अनछुई लड़की के लिए यह बहुत ज्यादा हो रहा था। उसका दिमाग बंद होता जा रहा था और साँसें तेज हो चुकी थीं।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस सबसे खुद को कैसे बचाए। नीचे उसकी चूत गीली होती जा रही थी और पानी छोड़ने वाली थी। चेतन ने पीछे से उसके बरमूडा के अन्दर अपना हाथ डाला और अपना हाथ उसकी नंगे चूतड़ों पर रख दिया और उन्हें सहलाने लगा।
अचानक से शायद चेतन ने उसके चूतड़ों के दरम्यान उंगली डाल कर उसकी गाण्ड के सुराख को छुआ जिसकी वजह से डॉली फ़ौरन से उछल सी पड़ी और जोर से चिल्लाई- भाभईईईईईई..
मेरे लिए भी अब चुप रहना मुश्किल हो गया था। मैंने जैसे नींद से उठने की अदाकारी करते हुए कहा- हाँ.. बोल.. क्या हो गया है तुझे.. क्यूँ आधी रात को चिल्ला रही हो.. कोई बुरा सपना देख लिया है क्या?
मैंने उठ कर बैठते हुए कहा।
इतनी देर में चेतन अपनी जगह पर लेट कर नॉर्मल हो चुका था।
डॉली भी उठ कर बैठ गई और मुस्करा कर अपने भाई की तरफ देख कर बोली- हाँ भाई.. सपना ही था शायद.. इसलिए डर गई मैं..
चेतन बोला- लेट जा चुप करके.. और सो जा.. सुबह तुझे कॉलेज भी जाना है।
डॉली ने एक नज़र अपने भैया पर डाली और फिर मुस्कराते हुई बिस्तर से नीचे उतर कर वॉशरूम में चली गई।
कुछ देर बाद वापिस आई तो उसने मुझे दरम्यान में धकेल दिया और खुद मेरी जगह पर लेट गई।
उसके चेहरे पर एक शरारती सी मुस्कराहट थी।
उसका भाई उसकी तरफ ही देख रहा था और मेरी नज़र बचा कर उसे दरम्यान में आने का इशारा भी किया.. लेकिन मैंने देखा कि डॉली ने उसे अपना अंगूठा दिखाया और मुस्कराती हुई नीचे लेट गई।
अब मैं दरम्यान में थी और मेरे दोनों तरफ दोनों बहन-भाई लेटे हुए थे।
चेतन भी अब कुछ पुरसुकून हो गया हुआ था.. लेकिन अब अपना अकड़ा हुआ लंड वो मेरी जाँघों पर घुसा रहा था।
मेरे ऊपर से अपना बाज़ू डाल कर वो डॉली की चूचियों को छूने की भी कोशिश कर रहा था। इसी तरह थोड़ी देर में हम तीनों को नींद आ गई।
सुबह जब मैं उठी तो मैंने डॉली को जगाया कि जाओ जाकर चाय बना कर लाओ। डॉली ने एक जोर की अंगड़ाई ली और फिर उठ कर कमरे से निकल गई।
फिर मैंने लेटे-लेटे ही चेतन को भी ऑफिस के लिए जगाया। वो उठा और बाथरूम में चला गया। मैं वहीं बिस्तर पर ही सुस्ती और नींद में लेटी रही।
जब काफ़ी देर हो गई कि चेतन बाथरूम से बाहर नहीं आया.. तो मैंने उठ कर बाथरूम का डोर नॉक किया.. लेकिन अन्दर से कोई जवाब नहीं आया। मैं समझ गई कि वो दूसरे दरवाजे से निकल गया होगा। मैंने अपने बेडरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोला तो सामने ही मेरी नज़र रसोई में गई। जहाँ पर दोनों बहन-भाई मौजूद थे। मैंने फ़ौरन ही दरवाज़ा बंद किया और थोड़ी सी जगह से उन दोनों को देखने लगी।
डॉली अभी भी उसी छोटे से सेक्सी टॉप में थी.. जिसे नीचे करके रात को उसका भाई उसकी चूचियों को देख रहा था और चूसा भी था।
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RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद - by sexstories - 05-24-2019, 12:09 PM

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