RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
चेतन ने डॉली की चूची से खेलते हुए कहा और फिर झुक कर अपनी बहन की चूची के निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा।
डॉली ने उसके बालों में हाथ फेरा और फिर बोली- आह्ह.. बस करो.. भाई क्या आपने एक ही दिन में सारे के सारे मजे लूट लेना हैं..
चेतन मुस्कराया और उठ कर बाहर की तरफ चला गया और डॉली भी पीछे-पीछे डोर लॉक करने और उसे ‘सी ऑफ’ करने के लिए चली गई।
गेट पर भी चेतन ने डॉली को अपनी बाँहों में जकड़ा और उसे किस करने लगा, बोला- डार्लिंग थोड़ा सा मुँह में लेकर इसे नर्म तो कर दो.. देखो यह सारा दिन मुझे ऑफिस में तंग करेगा।
डॉली हँसी और अपना हाथ चेतन की पैन्ट की ऊपर से चेतन के लंड पर रख कर उसे दबाते हुए बोली- भाई तड़फने दो इसे.. इसी तड़फन में तो मज़ा है.. वापिस आओगे.. तो इसका कुछ ना कुछ करूँगी.
चेतन- प्रॉमिस है ना?
डॉली- नहीं जी.. प्रॉमिस-श्रौमिस कोई नहीं.. अगर मौका मिला तो.. समझे..
यह कहते हुए डॉली ने उसे बाहर की तरफ धकेला और फिर चेतन घर से निकल गया।
डॉली अपना ड्रेस ठीक करते हुए वापिस आई और बर्तन समेट कर रसोई में चली गई।
मैं भी दोबारा बिस्तर पर लेट गई।
थोड़ी ही देर मैं डॉली चाय के दो कप बना कर बेडरूम में आ गई और लाइट जलाते हुए बोली- क्या बात है भाभी.. आज आपने उठना नहीं है क्या?
मैं अंगड़ाई लेती हुई बोली- रात तूने मुझे नींद में डरा ही दिया था.. तो नींद ही खराब हो गई थी.. तुझे रात को क्या हो गया था?
डॉली दूसरी तरफ बिस्तर की पुश्त से टेक लगा कर बैठते हुए बोली- भाभी लगता है कि रात को सोते में भी भाई ने फिर मुझे तुम्हारी जगह ही समझ लिया था.. वो ही हरकतें कर रहे थे.. इसलिए तो मैं उठ कर दूसरी तरफ आ गई थी।
डॉली ने मासूमियत से पूरी की पूरी बात छुपाते हुए कहा।
मैं मुस्करा कर बोली- अरे यार.. तो फिर क्या हुआ.. उसे मजे करने देती और खुद भी मजे करती.. इसकी तो यही आदत है.. सारी रात सोते में भी मुझे तंग करता रहता है। अब तो मैं इस सबकी आदी हो गई हूँ..
डॉली भी हँसने लगी और फिर हम दोनों चाय पीने लगे। चाय पीते हुए मैं अपने एक हाथ से डॉली के कन्धों को सहला रही थी।
मैंने उससे पूछा- डॉली.. जब तुम्हारे भाई तुम्हें छू रहे थे.. तो तुमको कैसा लगा था?
डॉली का चेहरा सुर्ख हो गया और बोली- भाभी लग तो ठीक रहा था.. लेकिन भाई हैं ना मेरे.. इसलिए अजीब लग रहा था।
मैं डॉली के और क़रीब हो गई और अपना हाथ उसकी गर्दन पर उसके बालों में रखते हुए आहिस्ता-आहिस्ता अपने होंठ उसके होंठों के पास ले जाने लगी और धीरे से बोली- डॉली.. तुम हो ही इतनी खूबसूरत.. कि कोई भी तुम से दूर कैसे रह सकता है..
कयह कहते हुए मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
डॉली कसमसाई- भाभी.. आप फिर से शुरू होने लगी हो ना..
लेकिन उसके जुमले को पूरा होने से पहले ही.. मैंने अपने होंठों में उसके लबों को जज्ब कर लिया और उसके निचले होंठ को.. अपने होंठों में लेकर चूमने और चूसने लगी।
मेरे हाथ उसके बालों को सहला रहे थे और दूसरा हाथ उसकी कमर पर आ गया था।
अब मैं उसकी कमर को सहलाते हुए उसके होंठों को चूमने लगी।
आहिस्ता आहिस्ता मैंने अपने होंठ डॉली के नंगे कन्धों पर लाकर उसके मुलायम और गोरे-गोरे कंधों को चूमना शुरू कर दिया.. डॉली की आँखें भी बंद होने लगी थीं।
मैंने आहिस्ता से डॉली को नीचे तकिए पर लिटा दिया और झुक कर उसकी गोरे-गोरे उठे हुए सीने पर किस करने लगी।
फिर मैंने डॉली के टॉप की डोरियाँ नीचे को करके उसकी चूचियों को बाहर निकाला और उसके चूचों को नंगा कर दिया।
मैंने मुस्करा कर डॉली की तरफ देखा.. तो उसने एक लम्हे की लिए अपनी आंखें खोल कर मुझे निहारा.. और फिर से बंद कर लीं।
मैंने अपने होंठ डॉली के एक निप्पल पर रखे और उसे चूम लिया.. साथ ही डॉली के जिस्म में एक झुरझुरी सी दौड़ गई।
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