RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
कुछ ही देर में डॉली मेरा हाल पूछने आई और बोली- भाभी मैं भी आपके पास ही सो जाती हूँ.. थोड़ा रेस्ट ही तो करना है ना..
मैं- नहीं नहीं.. तुम उधर एसी में सो जाओ जाकर.. ऐसे हम बातें ही करते रहेंगे.. मैं थोड़ी देर के लिए आँख लगाना चाहती हूँ.. तुम जाओ.. मैं ठीक हूँ।
डॉली मुस्कुराई और बोली- लगता है कि भाभी सुबह आपकी जिस्म की गर्मी नहीं निकल पाई ना.. इसलिए आपको बुखार हो गया है।
मैं मुस्कुराई और बोली- तुझे बड़ी बातें आने लग गईं हैं ना..
वो हँसने लगी और बोली- भाभी आप कहो तो मैं आपकी कुछ ‘मदद’ करूँ?
मैं मुस्कुराई और बोली- नहीं रहने दे तू.. और करने ही है.. तो जाके अपने भैया की ‘मदद’ कर देना..
डॉली थोड़ा घबराई और फिर बोली- नहीं भाभी.. अब मैं जाग रही हूँ ना.. तो उनको कोई ऐसा मौका नहीं दूँगी..
पता नहीं क्यों.. वो सब कुछ मुझसे छुपाना चाहती थी और मैं भी अभी इस गेम को इसी तरह से खेलते रहना चाह रही थी।
खैर.. डॉली चली गई.. तो मैं भी उसके बिस्तर पर लेट कर सोने का इन्तजार करने लगी।
क़रीब 5 मिनट की बाद मैं उठी और बाथरूम के रास्ते जाकर अन्दर झाँकने लगी.. तो अन्दर कमरे की रोशनी में मेरे ही बिस्तर पर दोनों बहन-भाई एक-दूसरे से लिपटे हुए पड़े थे।
डॉली- प्लीज़ भैया.. भाभी आ जाएंगी..
चेतन- अरे यार.. नहीं आती वो अब दवा लेकर सो गई है।
चेतन ने डॉली को सीधा किया और उसकी टी-शर्ट को ऊपर करने लगा। टी-शर्ट को ऊपर तक उसकी गले तक ले जाकर उसे निकालने लगा।
तो डॉली बोली- नहीं भैया.. यहीं तक रहने दो.. फिर जल्दी में पहनने में दिक्कत होगी।
चेतन ने ‘ओके’ कहा और फिर झुक कर अपनी बहन की ब्रेजियर के ऊपर से उसकी चूची पर किस करके बोला- बहुत खूबसूरत चूचियाँ हैं तुम्हारे. इतने दिन से देख रहा था और दिल ललचा रहा था।
डॉली- सिर्फ़ दिल ही नहीं ललचा रहा था.. बल्कि मुझे रातों में तंग भी कर रहे थे ना आप.. और आपने पहले से ही इनको छू-छू कर भी चैक कर लिया हुआ है।
चेतन चौंक कर डॉली के चेहरे की तरफ देखता हुआ बोला- तो क्या तुमको पता था कि मैं ऐसे कर रहा हूँ?
डॉली- तो भैया यह कैसे हो सकता है कि कोई किसी लड़की की चूचियों को और नीचे ‘उधर’ भी छुए और उसे पता ही ना चल सके?
चेतन मुस्कुराया और उसकी दोनों चूचियों को जोर से अपनी मुठ्ठी में दबाते हुए बोला- बहुत चालाक हो तुम..
चेतन ने अब झुक कर डॉली की खूबसूरत चूचियों के दरम्यान उसकी गोरी क्लीवेज को चूम लिया और फिर आहिस्ता आहिस्ता उसमें अपनी ज़ुबान को फेरने लगा।
डॉली की चूचियों की चमड़ी इतनी सफ़ेद और नरम थी कि जैसे ही वो जोर से वहाँ पर किस करता.. तो उसकी चूचियों पर सुर्ख निशान पर जाता।
डॉली- भैया थोड़ा धीरे करो ना.. क्यों इतने ज़ालिम बन रहे हो..
चेतन- तुम्हारी चूचियाँ भी तो इतनी ज़ालिम हैं ना.. कि खुद पर कंट्रोल ही नहीं हो रहा।
डॉली मुस्कुरा दी और अपने भाई की सिर के बालों में अपना हाथ फेरने लगी।
चेतन ने डॉली की ब्रा के कप्स को ऊपर को उठाया और उसकी दोनों चूचियों को नंगा कर लिया।
उसकी अपनी सग़ी बहन की खुबसूरत छोटी-छोटी साइज़ की गोरी-गोरी चूचियाँ और गुलाबी निप्पल उसकी नजरों के सामने खुले हुए थे।
चेतन ने झुक कर आहिस्ता से अपनी बहन की नंगी चूचियों को चूमा और फिर अपने होंठ उसके गुलाबी छोटे से निप्पल पर रख कर एक किस कर लिया।
डॉली का जिस्म तड़फ उठा।
चेतन ने अब आहिस्ता-आहिस्ता उसके निप्पलों को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा।
कभी अपनी बहन के एक निप्पल को अपने मुँह में डालता और कभी दूसरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगता। चेतन का एक हाथ फिसलता हुआ नीचे को अपनी बहन की कुँवारी चूत की तरफ आने लगा और फिर अपनी बहन की चुस्त लैगी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।
कुछ देर तक डॉली की चूत को सहलाने और उसकी चूचियों को चूसने के बाद चेतन उठ गया और नीचे उसकी टाँगों की तरफ आ गया।
चेतन ने उसकी लेग्गी को पकड़ा और नीचे खींच कर उतारने लगा। डॉली ने एक बार उसे रोका.. लेकिन फिर खुद से ही अपनी गाण्ड को ऊपर उठा दिया और चेतन ने अपनी बहन की लेग्गी को उसकी टाँगों से निकाल कर बिस्तर पर रख दिया।
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