RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
अगले ही किसी भी लम्हे में चेतन अपना लंड अपनी कुँवारी बहन की चूत में दाखिल करने वाला था।
मेरा ख्वाब पूरा होने वाला था कि ज़िंदगी में पहली बार किसी हक़ीक़ी भाई को अपनी बहन को चोदते हुए देखूँ.. लेकिन पता नहीं क्यों मैं अभी उन दोनों बहन-भाई को ऐसा करने नहीं देना चाहती थी।
मैं अभी इन दोनों की चूत और लंड की प्यास को बरक़रार रखना चाहती थी ताकि यह दोनों एक-दूसरे के लिए अभी थोड़ा और भी तड़फें..
यही सोच कर मैं अपने कमरे की तरफ गई और चेतन को आवाज़ दी।
दूसरी आवाज़ के साथ ही ज़ाहिर है कि चेतन भागता हुआ आया। उसने अपने कपड़े पहन लिए हुए थे।
वो बोला- हाँ क्या बात है.. तुम ठीक तो हो?
मैंने उसे पानी लाने को कहा और वो रसोई में गया.. तो मैं उसके चेहरे की बेबसी और झुँझलाहट देख कर मेरी हँसी छूट गई।
कुछ देर के बाद मैं भी अन्दर उन दोनों के साथ ही जाकर लेट गई।
शाम को मेरी आँख खुली तो डॉली कमरे से जा चुकी हुई थी और सिर्फ़ मैं और चेतन ही बिस्तर पर थे।
हम कुछ देर तक बातें करते रहे और फिर डॉली चाय लेकर आ गई लेकिन अपनी चाय यहाँ कहते हुए बाहर ले गई कि उसे कुछ काम करना था।
मैंने और चेतन ने चाय पी और फिर मैं रेस्ट करने का बहाना करके लेट गई और चेतन कमरे से बाहर चला गया।
मैंने फ़ौरन उठ कर देखा तो डॉली सोफे पर बैठी हुई थी और चेतन उसके पीछे से झुक कर उसकी चूचियों को दबा रहा था।
डॉली खुद को उससे छुड़ाते हुए बोली- भाई आपको तो हर वक़्त यही काम सूझता रहता है.. आप न.. भाभी को भी हर वक़्त तंग किए रखते हो.. और अब तो आपको सताने के लिए मैं भी मिल गई हूँ।
चेतन डॉली के सामने की तरफ आया और अपने शॉर्ट में हाथ डाल कर अपना लंड बाहर निकाल कर बोला- एक किस तो कर दो प्लीज़..
डॉली मेरे कमरे की तरफ देखते हुए बोली- भाई.. आपको शर्म नहीं आती क्या.. अगर अभी भाभी बाहर आ जाएं तो.. और यह क्या है कि हर वक़्त इसी हालत में ही खड़ा रहता है?
चेतन- बस जब से इसने अपनी प्यारी सी बहना की कुँवारी चूत का दीदार किया है ना.. तो यह बैठता ही नहीं है.. हर वक़्त तुम्हारी चूत को याद कर करके खड़ा हुआ ही रहता है। जब तक अब यह तेरी चूत की अन्दर नहीं चला जाएगा.. इसको सुकून नहीं आने वाला।
डॉली चेतन के लंड को अपने हाथ में लेकर आहिस्ता आहिस्ता सहलाते हुए बोली- भाई प्लीज़, कोई जगह तो देख लिया करो ना..
चेतन अब नीचे डॉली के पास ही बैठ गया। अब उन दोनों की पीठ मेरी तरफ थी.. तो मैं नहीं देख सकती थी कि वो दोनों क्या कर रहे हैं। इस हालत में वो दोनों सेफ थे.. लेकिन मैं भी उनको डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी।
चेतन- बस अब तो ठीक है ना.. यहाँ से तेरी भाभी भी हम दोनों को नहीं देख पाएगी.. चल अब जल्दी से नीचे आजा और इसे चूसा लगा दे।
डॉली हँसी और बोली- भाई आप बाज़ आने वाले नहीं हो.. और ना ही मानने वाले हो..
यह कह कर डॉली ने एक नज़र मेरे कमरे के दरवाजे की तरफ डाली और फिर झुक कर शायद अपने भाई का लंड चूसने लगी।
डॉली- भाई एक ही बार काट कर खा ना लूँ इसको.. जो यह हर वक़्त मुझे तंग करता रहता है।
चेतन अपनी बहन के रेशमी बालों में हाथ फेरते हुए बोला- काट कर खा लोगी तो फिर तुम्हारी चूत की प्यास कौन बुझाएगा मेरी जान?
मैं अपने कमरे के बाथरूम में आई और दूसरे दरवाजे में से बाहर झाँका.. तो अब यह जगह उनको देखने के लिए ठीक थी.. और इधर से दोनों की हरकतें साफ़ नज़र आ रही थीं।
चेतन ने अपना हाथ नीचे झुकी हुई अपनी बहन की शर्ट की के नीचे डाला हुआ था और उसकी नंगी कमर को सहला रहा था और कभी उसकी चुस्त लैगी में फंसे हुए उसके चूतड़ों को सहलाने लगता था।
दूसरी तरफ डॉली भी अपने भाई के लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी और कभी उसे चाट लेती थी।
चेतन- यार ठीक से चूस ना मेरा लंड..
डॉली- भाई मैं कौन सा लंड चूसती रहती हूँ.. जो मुझे आता है कि कैसे चूसते हैं.. पहली बार तो चूस रही हूँ। मुझसे तो ऐसे ही चूसा जाएगा.. चुसवाना है तो बोलो.. नहीं तो मैं चली।
चेतन- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. जैसे भी चूस ले.. ठीक है, कोई बात नहीं.. आहिस्ता आहिस्ता तुझे मेरा लंड ठीक से चूसना भी आ जाएगा। तेरे पति तक पहुँचने से पहले तुझे बिल्कुल एक्सपर्ट बना दूँगा.. देखना तू..।
डॉली- मेरे पति के लिए कुछ बाकी छोड़ोगे.. तभी तो जाऊँगी ना उसके पास वर्ना फिर जाने का क्या फ़ायदा?
दोनों हँसने लगे..
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