RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैंने फिर उससे कहा- डॉली यह तुम्हारी चूत के अन्दर का परदा भी फटा हुआ है.. कल तो मेरी उंगली आधी भी अन्दर नहीं जा रही थी और आज पूरी की पूरी उंगली तुम्हारी चूत में अन्दर हो गई है.. सच सच बता.. कि कैसे हुआ है यह सब.. और किसने किया है?
डॉली चुप करके सिर झुकाए हुए रही।
मैं- वैसे कल से तो तुम कहीं भी बाहर नहीं गई.. तो किसी बाहर वाले से कैसे चुदवा सकती हो.. कहीं तुमने अपने ही भाई से ही तो?
डॉली ने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके चेहरे पर शर्मिंदगी और घबराहट के आसार साफ़ दिख रहे थे..
मैं थोड़ी ऊँची हुई और उसके होंठों पर एक किस करती हुई बोली- हायय.. मेरी जानन.. मुझे बताया भी नहीं और तूने मेरे पति से ही चुदवा लिया.. कैसा लगा था तुझे.. जब तेरे भाई का लंड पहली-पहली बार तेरी चूत में उतरा था?
डॉली- भाभिईईई.. मत करो ना ऐसी बातें..!
मैं- वाह जी वाह.. तू अपने भैया से चुदवाती रहे और मैं तुम से ऐसी बात भी ना करूँ.. यह कैसे हो सकता है मेरी जान.. अब तो तेरी यह प्यारी सी चूत हम दोनों की हो गई है। मेरी भी और तेरे भैया की भी..।
डॉली- भाभिईईईईई..!
डॉली ने शरमाते हुए कहा।
मैं डॉली को चूमते हुए बोली- मेरी जान बता तो सही.. कैसे हुआ यह सब.. कल रात को?
डॉली- भाभी वो ना.. मुझे लगता है कि.. भैया ने कल रात को आपके चक्कर में ही मुझे पकड़ लिया था.. और फिर उन्होंने.. ‘वो’ सब कर दिया.. जो वो आपके साथ करते हैं..!
डॉली के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर मैं बोली- डॉली.. सच बताओ.. मज़ा आया था ना तुमको.. या नहीं?
डॉली- जी भाभी.. लेकिन दर्द भी बहुत हुआ है ना.. अभी भी हो रहा है।
मैं आहिस्ता आहिस्ता डॉली की चूत को सहलाते हुए बोली- कोई बात नहीं मेरी ननद रानी.. पहली पहली बार तो हर लड़की को ही दर्द होता है.. लेकिन ऐसी कोई-कोई ही खुशक़िस्मत लड़की होती है जो कि सबसे पहले यह दर्द अपने ही भाई से पाए।
डॉली मेरी तरफ देखते हुए बोली- भाभी आपको इस बात पर कोई गुस्सा नहीं आया कि भैया ने किसी दूसरी लड़की के साथ सेक्स किया है और वो भी अपनी ही सग़ी बहन के साथ?
मैं मुस्कुराई और उसके होंठों को चूम कर बोली- मेरी प्यारी ननद जी.. मुझे क्यों ऐतराज़ होगा.. बल्कि मेरा तो अब दिल चाह रहा है कि मैं भी तुम लोगों के साथ शामिल हो जाऊँ और हम सब मिल कर खूब मजे करें..
यह कहते हुए मैं सरक़ कर डॉली की दोनों टाँगों के दरम्यान में आ गई और उसकी इसी रात में अपना कुंवारापन खोने वाली प्यारी सी चूत को चूमने लगी।
‘हायय.. मेरी बन्नो.. दिल कर रहा है कि तेरी इस चूत को चूम-चूम कर लाल कर दूँ.. जिसमें कल रात को पहली-पहली बार मेरे पति का लंड गया है और जिस चूत को उसके अपने ही भाई ने फाड़ा है.. इसे एक कुँवारी कली से खिलाकर फूल बना दिया है।’
मेरी बातें सुन कर डॉली का चेहरा लाल होने लगा।
मुझे साफ़ नज़र आ रहा था कि उसकी चूत से हल्का-हल्का रसीला सा पानी टपकना शुरू हो गया था।
मैंने अपनी ज़ुबान की नोक से डॉली की चूत से बह रहे रस को छुआ.. क्या माल था.. और फिर मैंने मजे से उसे चाट लिया।
अब मैंने अपनी एक उंगली को आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूत के अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
मेरी उंगली डॉली की चूत के अन्दर उसके चिकने पानी की वजह से बहुत आराम से फिसल रही थी।
अन्दर-बाहर.. अन्दर-बाहर..
डॉली की चूत के पानी से गीली हो रही हुई अपनी उंगली को मैंने डॉली के होंठों पर रगड़ा और फिर अपनी उंगली उसकी मुँह के अन्दर डाल दी, उसे अपनी ही चूत का पानी चटवा दिया।
मैं थोड़ा सा घूम कर इस तरह डॉली के ऊपर आई.. कि अपनी चूत को उसके मुँह के ऊपर ले आई।
डॉली ने मेरी साफ़ और मुलायम चूत को देखा तो उस पर अपना हाथ फेरते हुए बोली- भाभी चूत तो आपकी भी बहुत चिकनी और मुलायम है.. इसलिए भैया हर वक़्त आपके पीछे आपको चोदने के लिए पड़े रहते हैं।
मैं- लेकिन अब तो मुझे लगता है कि वो तेरी ही टाइट चूत के पीछे रहेगा.. वो अब मेरी चूत की कहाँ सोचेंगे?
डॉली ने भी मेरी चूत के लबों को चूमा और फिर आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़ुबान मेरी चूत के लबों पर फेरने लगी। जैसे ही डॉली की ज़ुबान मेरी चूत को छूने लगी.. तो मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
अब मैं और डॉली दोनों ही एक-दूसरे की चूत की आग को ठंडा करने में लग गए। मैं डॉली की चूत में अपनी उंगली मार रही थी और उसकी उंगली मेरी चूत के अन्दर-बाहर हो रही थी।
आज डॉली ने पहली बार मेरी चूत को अपनी ज़ुबान से चाटा था और इसे प्यार किया था.. बल्कि डॉली क्या किसी भी लड़की से अपनी चूत को चटवाने का मेरा यह पहला मौक़ा था और मुझे इसमें बेहद मज़ा आ रहा था।
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