RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
चेतन ने कोई मज़हमत नहीं की.. क्योंकि उसे पता था कि मैं उसकी बात नहीं मानूँगी।
मैंने उसके लण्ड को उसकी पैन्ट की ज़िप के रास्ते बाहर निकाला और अब सिनेमा हाल में अपनी बीवी और बहन के दरम्यान में बैठे हुए चेतन का लंड बिल्कुल नंगा हो चुका था।
चेतन के नंगे लंड को मैंने अपने हाथ में ले लिया और उसे सहलाने लगी।
धीरे-धीरे उसका लंड और भी अकड़ता जा रहा था.. दूसरी तरफ से डॉली ने भी अपने भाई का एक हाथ पकड़ा और उसे अपने मम्मों पर रखवा लिया और चेतन भी आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन की बिल्कुल स्टिफ और सीधी अकड़ी हुए चूचियों को दबाने लगा। डॉली भी आँखें बंद किए हुए अपने भाई से अपनी चूचियों को दबवाने का मज़ा लिए जा रही थी।
चेतन का दूसरा हाथ मैंने खींच कर अपनी चूत के ऊपर रख दिया। चेतन ने फ़ौरन ही मेरी चूत को अपनी मुठ्ठी में ले लिया और उसे पहले तो दबाने लगा और फिर आहिस्ता-आहिस्ता सहलाने लगा।
कुछ ही देर में खुद ही से चेतन ने अपना हाथ मेरी पजामी के अन्दर डाला और फिर मेरी नंगी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
मेरा भी मजे से बुरा हाल होने लगा हुआ था और मेरी आँखें बंद हो रही थीं। मैंने अँधेरे में ही दूसरी तरफ देखा.. तो उधर भी चेतन ने अपना हाथ अपनी बहन की टाइट्स के अन्दर डाला हुआ था और उसकी चूत को सहला रहा था।
हाउ मच लकी चेतन वाज़.. कि एक ही वक़्त में अपनी बीवी और अपनी बहन की चूत को सहला रहा था और उनमें अपनी उंगलियाँ डाल कर दोनों को एक ही वक़्त में एक साथ मजे दे रहा था।
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चेतन की उंगलियाँ मेरी चूत के दाने को सहला रही थीं और मेरी आँखें एक बार फिर से बंद हो चुकी हुई थीं। मैं अपनी मंज़िल के क़रीब पहुँचती जा रही थी और किसी भी वक़्त मेरी चूत पानी छोड़ने वाली थी।
मेरी भी कोशिश थी कि जल्दी से जल्दी मेरी चूत का पानी निकल जाए और मेरा जिस्म रिलेक्स हो जाए। लेकिन अचानक ही कुछ यूँ हुआ कि फिल्म का इंटरवल हो गया और हाल की तमाम लाइट्स जलना शुरू हो गईं।
हम तीनों जल्दी से सीधे होकर बैठ गए। चेतन ने मेरी और डॉली की चूत पर से अपना हाथ हटा लिया और फिर जल्दी से अपने लंड को अपनी पैन्ट के अन्दर कर लिया।
हम तीनों ही घबराए हुए थे और फिर कुछ ही देर में मैं मुस्कुरा कर चेतन की तरफ देखने लगी और वो भी मुस्कुरा दिया। चेतन की नज़र बचा कर मैंने डॉली को आँख मार दी और मुस्कुरा भी दी।
चेतन थोड़ा शर्मिंदा शर्मिंदा लग रहा था।
कुछ देर बार मैं उठी और टॉयलेट में जाने का कह कर बाहर आ गई.. लेकिन उन दोनों बहन-भाई में से कोई भी मेरे साथ बाहर नहीं आया। जैसे ही मैं टॉयलेट से फारिग होकर बाहर आई और हॉल की तरफ जाने लगी.. तो अचानक से ही किसी ने मुझे पीछे से आवाज़ दी ‘भाभीजान.. भाभी…’
मैंने चौंक कर पीछे मुड़ कर देखा तो हमारे मोहल्ले का लड़का मोहन.. पीछे से मेरी तरफ आ रहा था।
उसे अचानक से देख कर मैं थोड़ा परेशान सी हो गई।
मोहन हमारा बिल्कुल लगे हुए मकान में रहता था.. वो हमारा पड़ोसी था। अभी तो वो पूरी तरह से जवान भी नहीं हुआ था और किसी लड़की की तरह ही कम उमर का लगता था। काफ़ी हद तक शर्मीला और सब लोगों से अलग-थलग रहने वाला लड़का था। मोहल्ले में भी कभी उसको किसी के पास खड़े हुए नहीं देखा था और ना कभी उसकी किसी लड़की तो क्या.. किसी दूसरी लड़की के साथ दोस्ती के बारे में भी नहीं सुना था। वो मोहल्ले का एक बहुत ही प्यारा खुबसूरत.. भोला-भाला.. शर्मीला और शरीफ लड़का था।
मोहन मेरे पास आया और बोला- भाभी आप यहाँ क्या कर रही हो?
मैंने मुस्कुरा कर उसे देखा और बोली- बस वो हम सब भी फिल्म देखने आए हुए थे.. लेकिन तुम यहाँ सिनेमा में इस वक़्त क्या कर रहे हो.. क्या अपने मम्मी-पापा को बता कर आए हो?
मैंने उसे तंग करने की लिए कहा था.. क्यूँ कि उसको घर में और मोहल्ले में अभी तक बिल्कुल एक बच्चे की तरह से ही ट्रीट किया जाता था और था भी वो कुछ ऐसा ही।
हमारे साथ वाले घर में वो अपनी मम्मी-पापा.. भाई और भाभी के साथ रहता था। उसके भाई की शादी थोड़ा अरसा पहली ही हुई थी।
मोहन मुस्कुरा कर बोला- जी भाभी जी.. मैं घर पर सबको बता कर ही आया हूँ कि मैं फिल्म देखने जा रहा हूँ। आइए.. मैं आपको कोल्ड ड्रिंक पिलाता हूँ।
मेरे इन्कार के बावजूद वो भाग कर पास ही की कैन्टीन पर गया और दो कोल्ड ड्रिंक ले आया।
फिर बोला- आइए भाभी.. अन्दर चलते हैं.. इंटरवल खत्म हो चुका है और फिल्म भी शुरू हो चुकी है।
मैंने मोहन से पूछा- तुम्हारे दोस्त कहाँ बैठे हैं?
वो मुस्कुरा कर बोला- भाभी मेरे तो कोई भी दोस्त नहीं हैं। मैं तो अकेला ही फिल्म देखने आया हूँ.. चलो अब मैं आप लोगों के साथ ही बैठ कर देख लूँगा।
अब मैं और मोहन कोल्ड ड्रिंक्स सिप करते हुए अन्दर की तरफ बढ़े.. तो अचानक से मुझे ख्याल आया कि मैं मोहन को चेतन और डॉली के पास कैसे ले जा सकती हूँ.. वो पता नहीं अभी किस हालत में बैठे हों।
तो इस तरह से मोहन को सब कुछ पता चल जाएगा और फिर उन दोनों बहन-भाई को भी एंजाय करने का वक़्त नहीं मिलेगा।
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