RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
हम इतनी देर में हॉल में एंटर हुए थे तो अन्दर फिर से बहुत ही अँधेरा हो गया था।
मोहन बोला- भाभी चेतन भाई कहाँ पर बैठे हैं.. उधर ही चलते हैं।
मैंने उससे कहा- नहीं.. बहुत अँधेरा हो रहा है.. हम दोनों एक साइड पर इधर ही बैठ जाते हैं।
वो बोला- ठीक है भाभी.. फिल्म के बाद उनसे मिल लेंगे और फिर एक साथ ही घर चलेंगे।
वहाँ गैलरी तो पूरी की पूरी खाली पड़ी हुई थी.. मैंने मोहन को लिया और एक तरफ होकर बैठ गई। मोहन भी मेरे साथ बगल वाली कुरसी पर बैठ गया, हम दोनों फिल्म देखते हुए कोल्ड ड्रिंक पीने लगे।
मैंने जो कमीज़ पहनी हुई थी.. वो स्लीबलैस थी और मेरे कन्धों से नीचे से पूरी बाज़ू नंगी थी।
हॉल में स्क्रीन पर चल रही फिल्म की रोशनी में मेरे गोरे-गोरे मुलायम बाज़ू बहुत चमक रहे थे। दूसरी तरफ मोहन ने एक हाफ स्लीव टी-शर्ट पहन रखी थी और साथ में जीन्स पहनी हुई थी।
कुछ ही देर में मोहन का नंगा बाज़ू मुझे अपनी नंगी मुलायम चिकनी बाज़ू से टच होता हुआ महसूस हुआ। मैंने फ़ौरन से कोई भी रिस्पॉन्स नहीं दिया.. क्योंकि मुझे मोहन का नरम सा.. पतला सा.. बाज़ू का टच बहुत अच्छा फील हो रहा था।
अपनी बाज़ू पर उसके जिस्म का टच मुझे सीधे-सीधे मेरे दिमाग पर असर करता हुआ महसूस हो रहा था। मैंने भी अपनी बाज़ू को हटाने की बजाए उसकी बाज़ू की गर्मी को महसूस करना शुरू कर दिया।
मोहन को भी शायद अहसास हो गया था कि उसका बाज़ू मेरी बाज़ू से छू रहा है लेकिन मैं हटा नहीं रही हूँ.. तो वो भी चुप करके बैठा रहा और मेरे जिस्म की गर्मी को महसूस करता रहा।
कुछ ही देर के बाद मोहन अपने होंठों को मेरे गालों की तरफ लाया तो मैं तो जैसे चौंक ही पड़ी और थोड़ा पीछे को हटी लेकिन उसने आगे होकर कहा- भाभी मेरी बात सुनिए..
वो कुछ ऊँचा बोल रहा था.. लेकिन फिल्म की तेज साउंड में उसकी आवाज़ बहुत ही कम आ रही थी।
मैंने अपना कान उसकी तरफ किया.. तो वो बोला- भाभी चेतन भाई परेशान हो रही होंगे कि आप कहाँ रह गई हो.. हम लोग उनको तो बता देते..
मैं- हाँ यह ठीक कहा तुमने.. मैं उसे कॉल कर देती हूँ।
तभी मुझे अहसास हुआ कि मैं अपना सेल फोन तो अपनी पर्स समेत वहीं डॉली को दे आई थी।
मैंने मोहन की तरफ मुँह किया और अपने होंठ उसके कानों के क़रीब ले जाकर बताया कि मेरे पास फोन नहीं है।
मोहन अपने होंठ मेरे कानों के पास लाया और इस बार अपने होंठों को मेरे कानों से छूते हुए बात करने लगा।
‘भाभी.. आप मेरे सेल से कॉल कर लें..’
यह बात मुकम्मल करके जैसे ही वो पीछे हटा.. तो मुझे अहसास हुआ कि जैसे उसने मेरी कान को हौले से चूम लिया हो। लेकिन मैं पक्का नहीं थी.. इसलिए चुप रही। मोहन ने अपना सेल फोन मेरी तरफ बढ़ा दिया.. मैंने उससे सेल फोन लिया और चेतन को कॉल करके पूरे हालाते हाजरा बता दिये।
वो भी शायद खुश ही था कि उसे डॉली के साथ एंजाय करने का टाइम मिल गया था।
जिस दौरान मैं चेतन से फोन पर बात कर रही थी.. तो मोहन का बाज़ू तब भी मेरी नंगी चिकनी बाज़ू के साथ छू रहा था।
अब मुझे थोड़ा-थोड़ा अहसास हो रहा था कि यह बच्चा अब इतना भी बच्चा नहीं रहा है.. और उसे औरत के जिस्म से मज़ा लेने का शौक़ शुरू हो गया हुआ है।
मैं धीरे-धीरे मुस्कुरा रही थी.. बिना उसे रोके या बिना उससे दूर हटे हुए।
कॉल करने के बाद भी मैंने उसका सेल फोन उसे नहीं दिया था.. बल्कि अपने हाथ में ही लिया हुआ था। फिर मैं उसकी सेल की ब्राउज़िंग करने लगी।
मोहन ने मुझे रोकना चाहा और अपने होंठ मेरे कानों से छू कर और अपना हाथ मोबाइल की तरफ बढ़ा कर बोला- भाभी मेरा सेल दे दें.. अन्दर ना देखें.. प्लीज़..
मैंने सेल थोड़ा पीछे किया और बोली- क्यों.. इसमें तुम्हारी गर्ल फ्रेंड्स के नंबर्स हैं क्या?
वो चुप कर गया और फिर बोला- नहीं भाभी.. मेरी तो कोई भी गर्ल फ्रेंड नहीं है।
मैंने उसकी सेल फोन की गैलरी खोली.. तो उसमें पड़ी हुई इमेजिज को देखने लगी। बहुत साड़ी मुख्तलिफ फोटोज थीं कुछ उसकी.. कुछ घर वालों की थीं। फिर जैसे ही मैंने वीडियो गैलरी खोली.. तो उसने दोबारा फोन लेना चाहा.. लेकिन मैंने हाथ पीछे को कर लिया और उसका हाथ मेरी सीने के आगे से होकर मोबाइल की तरफ बढ़ा.. तो उसकी बाज़ू से मेरी चूचियों दब गईं।
‘ऊवप्प्स.. अरे अरे.. सीधे होकर बैठो.. क्या कर रहे हो.. देखने तो दो तुमने कौन-कौन सी मूवीज इसमें रखी हुई हैं..’
मोहन- नहीं नहीं.. भाभी कुछ नहीं है इसमें.. प्लीज़ मुझे मेरा सेल फोन दे दें।
यह कहते हुए उसने मेरी एक नंगी बाज़ू पर पहली बार अपना हाथ रखा और फिर मेरी बाज़ू को पकड़ कर दूसरे हाथ से अपने मोबाइल को पकड़ लिया। इस दौरान एक बार फिर से उसकी बाज़ू ने मेरी खूबसूरत तनी हुए चूचियों को मसल सा दिया.. लेकिन इस बार मैंने उसका सेल फोन उसे दे दिया।
मोहन ने अपना सेल फोन अपनी पॉकेट में डाल लिया। मैं भी सीधी होकर फिल्म देखने लगी.. जैसे मैं उसे थोड़ी नाराज़गी दिखा रही हूँ।
मोहन ने दोबारा से अपना हाथ मेरी नंगी बाज़ू पर रखा और आहिस्ता आहिस्ता मेरी नंगी बाज़ू को सहलाते हुए बोला- भाभी प्लीज़.. आप नाराज़ हो रही हैं क्या?
यह कहते हुए उसके हाथ की उंगलियों ने मेरी बाज़ू की गिर्द चक्कर पूरा कर लिया। अब उसके हाथ की उंगलियों की बैक साइड मेरी चूचियों को छू रही थीं और जैसे-जैसे वो अपने हाथ को ऊपर-नीचे को मूव करता.. तो उसके हाथ की उंगलियों की बैक मेरी चूचियों को सहलाते जातीं। मुझे भी इसमें मज़ा आ रहा था.. लेकिन मैं अभी भी खामोश बैठी हुई थी।
वो थोड़ा सा मेरी तरफ दोबारा झुका और अपने होंठों को मेरे नंगे कन्धों पर रख कर बोला- प्लीज़ भाभी नाराज़ ना हों.. मैं आपको सेल फोन दिखा दूँगा.. अभी तो फिल्म खत्म होने वाली है.. लेकिन कल मैं आपके घर आकर आपको दिखाऊँगा.. फिर इसमें से जो दिल चाहे.. देख लीजिएगा।
मैंने अपना चेहरा मोड़ कर उसकी तरफ देखा.. तो उसके होंठ मेरे होंठों के बहुत क़रीब थे और उसकी साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। उसकी गरम साँसों की वजह से मेरी चूत में कुछ होने लगा था और मुझे थोड़ा गीलापन महसूस होने लगा था। उसकी पतले गुलाबी होंठों को अपने इतना क़रीब देख कर मेरे होंठों पर भी हल्की सी मुस्कान फैल गई।
मोहन ने मुझे मुस्कुराते देखा तो एकदम से जैसे उसे पता नहीं.. कितनी खुशी हुई कि उसने आगे बढ़ कर अचानक से मेरे गालों को किस कर लिया और बोला- यह हुई ना बात भाभी.. यू आर माय सो स्वीट भाभी..
यह कहते हुए उसने अपना बाज़ू मेरी दूसरे कंधे की तरफ डाला और मुझे अपनी सीने की तरफ खींच लिया। मैं उस लड़के की हरकत देख-देख कर हैरान हो रही थी।
फिर मैं बोली- अरे.. यह क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे.. और तुमने मुझे यह किस क्यों किया?
मोहन थोड़ा पीछे हटा.. लेकिन मेरे कन्धों पर से अपना हाथ नहीं हटाया और बोला- आप भी तो मेरी भाभी की तरह ही हो ना.. तो जब मैं उनसे खुश होता हूँ.. तो उनको भी ऐसे ही किस और हग करता हूँ।
मैं उस पर मुस्कुरा दी।
बाक़ी फिल्म के दौरान भी मोहन मेरा एक हाथ अपने दोनों हाथों में लेकर बैठा रहा और उसे ना महसूस अंदाज़ में आहिस्ता आहिस्ता सहलाता रहा।
मुझे भी उसकी इस तरह से सहलाने से मज़ा आ रहा था। मुझे हैरत हो रही थी कि इतना मासूम और भोला भाला नज़र आने वाला लड़का किस क़दर तेज है और उसको जवान और खूबसूरत लड़कियों और औरतों को छूने का कितना शौक़ है।
कुछ ही देर में फिल्म खत्म हो गई और फिर हॉल की बत्तियाँ जल पड़ीं.. जो चंद लोग हॉल में थे.. वो एक-एक करके बाहर निकलने लगे। सामने ही बैठे हुए चेतन और डॉली पर मेरी नज़र पड़ी तो वो भी खुद को जैसे ठीक कर रहे थे। फिर चेतन ने उठ कर पीछे मुझे तलाश करने की कोशिश की.. तो मैंने फ़ौरन ही हाथ हिलाकर उसे अपनी पोजीशन का अहसास दिलाया और मोहन ने भी हाथ हिला दिया।
चेतन और डॉली उठे और हमारी तरफ बढ़े। जब वो क़रीब आए तो मैंने मुस्कुरा कर डॉली की तरफ देखा तो वो शरम से लाल हो गई और उसके चेहरे पर एक शर्मीली सी मुस्कुराहट फैल गई। चेतन और मोहन दोनों मिलने के बाद आगे-आगे चलने लगे और मैं और डॉली उनकी पीछे हो लिए थे।
मैंने डॉली से पूछा- तुमने तो आज खूब मज़ा किया होगा अपने भाई के साथ?
डॉली- नहीं भाभी.. हमने तो कुछ भी नहीं किया..
मैं- अच्छा.. कुछ नहीं किया? तो फिर यह अपने ऊपर वाले होंठ के ऊपर से अपने भाई का रस तो साफ़ कर लो.. सबको दिख रहा है कि तुम क्या-क्या करके आ रही हो..
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