Kamukta Story सौतेला बाप
05-25-2019, 11:34 AM,
#8
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--6

लोकेश का रिसोर्ट काफी बड़ा था, उसके आगे कि तरफ काफी बड़ी सी झील थी जिसे देखकर रश्मि और काव्या को ऐसा लगा कि वो स्वर्ग में आ गए हैं , पहाड़ियों से घिरी जगह के बीचो बीच इतना शानदार रिसोर्ट था लोकेश का, अब रश्मि कि समझ में आ रहा था कि वक़ालत कि मोटी कमाई उसने कहाँ लगायी है ।

उनकी गाडी मैन गेट से होती हुई अंदर आ गयी, रिसोर्ट का पूरा स्टाफ उनके स्वागत के लिए खड़ा था, सबके हाथों में बूके दिए गए और उन्हें सम्मान के साथ अंदर ले जाया गया

लोकेश ने मेनेजर से पुछा : "हमारा कॉटेज तैयार है न ??"

मैनजर : "जी सर , जैसा आपने कहा था, आप सभी के रहने का इंतजाम हमेशा कि तरह पीछे वाले कॉटेज में कर दिया गया है , चलिए मैं आपको वहाँ ले चलता हु ''

वो सभी पीछे वाले रास्ते से होते हुए रिसोर्ट के पिछले हिस्से में पहुँच गए, और वहाँ कि बाउंड्री को क्रॉस करने के बाद , घने पेड़ो के बीच बने एक शानदार बंगले के पास जा पहुंचे.

समीर ने रश्मि से कहा : "ये है लोकेश का पर्सनल कॉटेज, हम दोनों जब भी आते हैं तो यहीं ठहरते हैं, इसका रिसोर्ट थ्री स्टार है, पर ये कॉटेज पूरा फाईव स्टार है ''.

और सच में, वो एक छोटा सा फाईव स्टार होटल था, बड़ा ही शानदार था वो, आलिशान और बड़ा सा, लगभग पांच कमरे थे उसमे, नीचे तीन और ऊपर दो, और सामने था एक बड़ा सा पार्क और उसके आगे थी दूर तक फैली हुई झील, जो सिर्फ इस कॉटेज के लिए ही थी शायद , क्योंकि रिसोर्ट में रहने वालो के लिए झील का सामने वाला हिस्सा था, पीछे वाला नहीं.

सभी का सामान कमरों में रख दिया गया.

लोकेश अपने ग्राउंड फ्लोर वाले रूम में रुका और समीर और रश्मि को ऊपर वाला रूम मिल गया, काव्या को उनके साथ वाले रूम में पहुंचा दिया गया.

लोकेश ने मेनेजर को बोल दिया कि उनकी इजाजत के बिना पीछे वाले हिस्से में कोई भी ना आये , इस बात का रहस्य रश्मि और काव्या को बाद में पता चला..

अपने रूम में सामान रखने के बाद जब लोकेश लॉन में बैठा चाय पी रहा था तो काव्या वहाँ आयी , गाडी में इतनी देर तक उसके साथ बैठने कि वजह से उसके हुस्न का दीवाना तो वो मन ही मन हो चूका था, अब पहला मौका था जब दोनों अकेले थे..

काव्या : "वाव अंकल , आपका रिसोर्ट तो बड़ा ही शानदार है, मुझे काफी अच्छा लगा यहाँ आकर …।''

लोकेश थेंक्स कहकर उसकी छातियों कि तरफ घूरकर देखने लगा, क्योंकि उसके लम्बे निप्पल देखकर उसके मुंह से और कुछ निकला ही नहीं..

काव्या को झील के किनारे एक नाव खड़ी हुई दिखायी दी, जैसी पुरानी मूवीज में होती थी, लम्बी सी, चप्पू से चलाने वाली , और उसे देखकर वो काफी खुश हुई..



''वाव , यहाँ तो नाव भी है, ये चलती भी है क्या ??"..

लोकेश : " हाँ, इसमें बैठकर अक्सर मै और तुम्हारे पापा फिशिंग के लिए जाते हैं अंदर ''..

काव्या : "अच्छा , मैं भी जाना चाहती हु, चलो न प्लीस ....''.

उसने बड़े ही प्यार से लोकेश से कहा, और वो मना कर ही नहीं पाया.

काव्या : "यु आर सो स्वीट अंकल , मैं अभी चेंज करके आती हु ''.

और इतना कहकर वो अपने भारी भरकम चूतड़ हिलाते हुए ऊपर कि तरफ भाग गयी..

उसके मांसल चूतड़ों को देखकर उसके लंड ने एक जोरदार अंगड़ाई ली , जिसे उसने बड़ी मुश्किल से अपनी केप्री में अडजस्ट किया.

थोड़ी ही देर में वो भागती हुई नीचे आयी , उसने एक जींस कि निक्कर और टाईट टी शर्ट पहन ली थी, और उस टी शर्ट को उसने पेट वाले हिस्से पर बांध भी लिया था, जिसकी वजह से उसकी गहरी नाभि सपाट पेट के बीच साफ़ दिख रही थी..

एक तो पहले ही लोकेश कि हालत खराब थी, काव्या को ऐसी ड्रेस में देखकर वो और भी उत्तेजित हो गया, उसने दूसरी तरफ मुंह कर लिया ताकि उसके लंड का उभार काव्या न देख सके..

नीचे आते हुए वो रश्मि को कहती हुई आ रही थी कि वो लोकेश अंकल के साथ नाव पर जा रही है , और ये बात सुनकर समीर के कान खड़े हो गए, वो भी भागता हुआ पीछे - २ आ गया..

तब तक काव्या नाव में बैठ चुकी थी, उसने अपने हाथ में पकडे हुए टावल और क्रीम को अंदर रखा और चप्पू अपने हाथ में ले लिए.

लोकेश ने उसकी तरफ लाईफ जेकेट फेंकी और बोला : "ये पहन लो ''..

और उसने खुद भी जेकेट पहन ली और नाव कि रस्सी खोलकर ऊपर चढ़ने लगा, तभी समीर आया और उसे थोडा दूर ले जाकर बोला : "यार एक फेवर करना मेरे लिए ....''

लोकेश ने उसकी तरफ देखा और बोला : "हाँ हाँ क्यों नहीं, बोलो ''

समीर : "तुम झील में जाओ तो एक घंटे से पहले मत आना ''

लोकेश ने रहस्यमयी मुस्कान से उसकी तरफ देखा और बोला : "सही है दोस्त, सही है … डन ''

समीर भी हंस दिया और फिर बोला : "और कोशिश करना कि इतनी दूर निकल जाओ कि यहाँ का नजारा तुम दोनों कि नजरों से ओझल हो जाए ''..

लोकेश समझ गया कि समीर का प्लान रश्मि को वहीँ बाहर लाकर खुले में चोदने का है, आखिर घने पेड़ो से घिरी ऐसी जगह पर चुदाई करने का मजा ही अलग है ।

लोकेश ने भी धीरे से उसके कान में कहा : "पर कीड़े मकोड़ों का ध्यान रखना, कहीं भाभी को कोई काट न ले ....''

समीर ने हँसते हुए उसकी कमर पर एक मुक्का लगाया और उसे जाने के लिए कहा, उसके लंड का उभार भी अब बर्दाश्त से बाहर निकल रहा था.

लोकेश ऊपर चढ़ गया और चप्पू चलाकर नाव को दूर ले जाने लगा..

काव्या उसकी तरफ पीठ करके बैठी थी, इसलिए उसकी पतली कमर और फैली हुई गांड कि शेप उसे साफ़ दिख रही थी , और लोकेश के लिए ये ठीक भी था, क्योंकि वो आसानी से अपने खड़े हुए लंड को अडजस्ट कर सकता था


काव्या वहाँ कि खूबसूरती को निहारती हुई जा रही थी, पर उसके मन के कुछ और ही चल रहा था, वो बार -२ मुड़कर पीछे भी देख रही थी, और जब उसे लगा कि वो काफी दूर निकल आये हैं और कॉटेज वहाँ से दिखायी नहीं दे रहा है तो वो आराम से उठी और अपनी टी शर्ट कि गाँठ खोल दी..

लोकेश हैरानी से देख रहा था कि वो आखिर करना क्या चाहती है.

काव्या ने टी शर्ट का निचला हिस्सा पकड़ा और उसे धीरे-२ ऊपर उठाना शुरू कर दिया...

लोकेश कि समझ में नहीं आया कि वो आखिर कर क्या रही है..

वो टी शर्ट उठाती चली गयी और उसे उतार दिया उसने टी शर्ट के नीचे हाल्टर ब्रा पहनी हुई थी, लाल रंग कि, जिसमे उसके नन्हे-२ चूजे बंद थे , और उनकी चोंचे ब्रा को फाड़कर बाहर आने को तैयार थी..

लोकेश हैरानी से उन्हें देखता रह गया , उसके मुंह से कुछ निकला भी नहीं..

वो क्या कर रही थी , लोकेश कि समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था , उसने अपना टॉवल उठाया और उसे वहीँ नीचे कि तरफ बिछाने लगी, और ऐसा करते हुए नाव एकदम से डगमगाने लगी..

लोकेश ने अपने सूखे मुंह से आवाज निकाली और बोला : "देखो काव्या , नाव पर बैलेंस बनाकर रखना जरुरी है, तुम बीच में बैठोगी तो सही से चल नहीं पायेगी ये …''

काव्या : "तो थोड़ी देर के लिए रोक लेंगे न, मुझे तो बस सन टैनिंग करनी है, अगर आप को कोई परेशानी न हो तो ''

लोकेश को विश्वास नहीं हुआ कि काव्या उसके होते हुए सन टेनिंग लेना चाहती है , उसने मन ही मन सोचा कि ये आजकल कि लड़कियों को अपनी त्वचा को एकसार बनाये रखने के लिए क्या-२ करती रहती है, पर वो इतनी बेशर्म होकर उसके सामने ही सन टेनिंग लेगी, उसे अब भी विश्वास नहीं हो पा रहा था.

पर जल्द ही उसका जवाब उसे मिल गया..

काव्या ने धड़कते हुए दिल से अपनी हाल्टर ब्रा कि डोरी खोली और उसे खोलकर नीचे रख दिया अब वो ऊपर से पूरी तरह से नंगी थी.

काव्या नीचे झुककर अपना टॉवल फिर से अडजस्ट करने लगी..

उसकी नजरें लोकेश कि तरफ गयी, जो चप्पू चलना भूलकर , अपना मुंह फाड़े, उसकी कोमल और नन्ही ब्रेस्ट को बिना पलकें झपकाए देख रहा था..



ये पहला मौका था जब काव्या ने इतनी बेशर्मी से अपनी ब्रेस्ट किसी को दिखायी थी, पर वो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे ये सब नॉर्मल है उसके लिए..

उसने लोकेश से पूछा : "आई होप अंकल, आपको ये सब बुरा नहीं लग रहा , एक्चुअली, मैं मॉम-डेड के सामने तो ऐसा कर नहीं सकती न, आपके साथ तो मैं अब काफी फ्रेंक हो चुकी हु ''.

लोकेश को भला क्या प्रॉब्लम हो सकती थी , उसे तो अब भी विश्वास नहीं हो रहा था कि काव्या उसके सामने टॉपलेस बैठी है..

उसकी ब्रेस्ट कि बनावट देखकर उसके मुंह में पानी भर आया, वो टकटकी लगाए हुए उन्हें घूरता रह गया

काव्या : "आप तो ऐसे देख रहे हैं, जैसे आपने पहले किसी कि ब्रेस्ट देखि ही नहीं है ''

उसकी बात सुनकर लोकेश एकदम से शर्मिंदा हो गया और दूसरी तरफ देखने लगा, काव्या कि हंसी निकल गयी

वो थोडा सम्भला और बोला : "नहीं, ऐसा नहीं है कि मैंने पहले कभी ब्रेस्ट नहीं देखि, बस मुझे अंदाजा नहीं था कि तुम ऐसा कुछ करोगी, वैसे सोचकर देखो, अगर तुम्हारे पापा और मम्मी को पता चला कि तुम नाव पर मेरे सामने इस तरह से टॉपलेस बैठी हो तो क्या होगा ''

काव्या ने अपनी आँखे फैलायी और बोली : "पापा का तो पता नहीं, पर मम्मी तो पागल ही हो जायेगी ये सुनकर, तभी तो मैंने कॉटेज का आँखों से ओझल होने तक का वेट किया, और आपकी परमिशन कि जरुरत नहीं समझी मैंने, इतना तो भरोसा कर ही सकती हु न आपके ऊपर ....''

लोकेश ने मन ही मन सोचा, साली बिहेव तो ऐसे कर रही है जैसे बरसों विदेश में रहकर आयी है, और इतने खुलेपन कि आदत है उसे, वैसे कोई भी शरीफ लड़की इतनी जल्दी किसी के भी सामने नंगी नहीं हो जाती, या तो ये चालू है या फिर एक नंबर कि बेवक़ूफ़ ....

पर उसे क्या मालुम था कि ये तो उसके शातिर दिमाग का एक ऐसा प्लान है जो उसने अपनी सहेली श्वेता के साथ मिलकर बनाया है..

लोकेश : "हाँ हाँ , क्यों नहीं, भरोसा रखो मुझपर ……''

और फिर उसकी छातियों को अपनी नजरों से भेदता हुआ वो नाव चलाने लगा..

पर उसे क्या पता था कि ये तो बस शुरुवात है, काव्या ने उसकी तरफ चेहरा करते हुए अपनी निक्कर के बटन खोले और उसे उतारने लगी, जैसे -२ उसकी निक्कर नीचे आ रही थी, लोकेश कि आँखे फ़ैल कर फटने को तैयार हो रही थी , उसने निक्कर के नीचे लाल रंग कि ही एक छोटी सी पेंटी पहनी हुई थी , जिसके अंदर उसकी फूली हुई सी चूत वो साफ़ देख पा रहा था.

नाव छोटी थी, और काव्या के पैर लगभग लोकेश को टच ही कर रहे थे जब वो अपनी टाँगे फेला कर अपनी निक्कर को बाहर खींच रही थी, उसके नरम पैरों के स्पर्श से उसके शरीर में तरंगे उठने लगी..

उसके बाद काव्या वहीँ टावल पर बैठ कर क्रीम लगाने लगी, उसने ढेर सारी क्रीम निकालकर अपने पैरों, हाथों पर मल ली और फिर अपनी ब्रैस्ट पर भी काफी क्रीम लगाकर उन्हें मसलने लगी..

ऐसा करने में काव्या को काफी मजा भी आ रहा था, उसके लम्बे निप्पल ऐसी क्रिया से बुरी तरह से खड़े होकर लहराने लगे थे, उसके नन्हे और सफ़ेद मुम्मों में एक अलग तरह कि लालिमा उतर आयी थी, जो लगातार मर्दन से और भी बढ़ती जा रही थी ...

काव्या : "उम्म्म्म … ऐसा मौका कभी-२ ही मिलता है ''

वो शायद लोकेश को अपना तर्क दे रही थी

पर लोकेश तो उसकी सुंदरता में ऐसा खोया हुआ था कि उसे वो सुनायी ही नहीं दिया

लोकेश : "अन्न। …क्या …क्या कहा तुमने ??"

काव्या हंसने लगी, और लोकेश बेचारा शर्मिंदा सा होकर फिर से चप्पू चलाने लगा

अब काव्या ने भी बात थोडा और आगे बढ़ाने कि सोची..

काव्या : "अंकल आप ठीक तो है न , लगता है आप कम्फर्टेबल नहीं हो मेरे ऐसा करने से ''..

लोकेश (हकलाते हुए) : "वो वो … दरअसल … ऐसा अगर आँखों के बिलकुल सामने हो तो थोडा हो ही जाता है .... ''

काव्या : "हम्म्म्म दिख रहा है मुझे भी ''..

उसकी नजरें लोकेश के लंड को घूर रही थी जो बुरी तरह से फड़फड़ा कर बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था

लोकेश ने झट से अपने लंड को अपनी टांगो के बीच छुपा कर उसकी भूखी नजरों से छुपा लिया..

काव्या ने एक और बम्ब फोड़ा

काव्या : ''अच्छा अंकल , एक बात बताओ, क्या आपने आज तक अपनी इस नाव पर मास्टरबेट किया है ''

उसकी बात सुनकर लोकेश नाव से गिरते-२ बचा..

"क्याआअ ???? क्या कहा तुमने "..


उसने उतनी ही मासूमियत से कहा : "मेरा मतलब है आपने अपना कम कभी इस नाव पर निकाला है , सेक्स करते हुए या मास्टरबेट करते हुए ''..

उसकी इतनी एडवांस बातें लोकेश के सर के ऊपर निकल रही थी.

उसके मुंह से बस इतना ही निकला : "उम्म्म नहीं …यहाँ कभी नहीं ''.

काव्या : "कोई और हो, जिसने ये किया हो ??"..

शायद उसका इशारा समीर कि तरफ था.

लोकेश : "नहीं , मेरे हिसाब से तो किसी ने भी नहीं किया ''.

काव्या : "ओह वॉव, यानि मैं पहली बार ऐसा कुछ करुँगी आपकी इस नाव पर ''.

इतना कहते हुए उसने अपनी क्रीम से भीगी हुई उँगलियों को अपनी कच्छी के अंदर खिसका दिया और अपनी चूत को उनसे मसलने लगी.

उसकी आँखे बंद हो चुकी थी पर उसकी उँगलियों कि थिरकन और चेहरे पर आ रहे भाव को देखकर लोकेश को समझ में आ रहा था कि उसे इस वक़्त कितना मजा आ रहा था

इस वक़्त तक लोकेश ने चप्पू चलना छोड़ दिया था और वो अपना मुंह और आँखे फाड़े काव्या को अपनी नाव पर मुठ मारते हुए देख रहा था , उसकी नुकीली छातियाँ नीले आसमान कि तरफ मुंह करके अपनी सुंदरता बिखेर रही थी.

काव्या ने अपनी आँखे खोली और बड़े ही सेक्सी स्टाईल में लोकेश को देखते हुए बोली : "वैसे अब इसका भी कोई मतलब नहीं रह गया है ''..

इतना कहते हुए उसने अपनी पेंटी को भी नीचे खिसका दिया और कुछ ही देर में उसकी गर्म पेंटी लोकेश के पैरों के ऊपर पड़ी हुई थी

अब वो पूरी नंगी थी, लोकेश तो उसकी नग्नता को देखकर सिहर उठा , इतनी जवान और कच्ची कली को उसने आज तक नंगा नहीं देखा था.

उसकी कच्छी कि धारियां उसके बदन पर साफ़ दिख रही थी , उनकी तरफ इशारा करते हुए उसने कहा : "इनके लिए तो इससे अच्छी जगह कोई और हो ही नहीं सकती थी टेनिंग के लिए ''..

उसकी चूत के ऊपर बना हुआ तिकोन बड़ा ही सेक्सी लग रहा था.

वो उसके बारे में कुछ बोलने ही वाला था कि काव्या कि उंगलियो ने अपनी चूत को फैलाया और अपनी बीच वाली ऊँगली अंदर खिसका कर अपने दाने को कुरेदने लगी , और साथ ही उसके मुंह से एक सेक्सी सी आवाज भी निकल आयी..

''आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। ....... उम्म्म्म ''

उसने अपनी मदहोश आँखे खोली और लोकेश कि तरफ देखते हुए बोली : "वैसे मेरा काम और भी आसान हो सकता है, अगर आप अपने शेर को पिंजरे से बाहर निकाल कर मुझे दिखा दो, और मेरे साथ आप भी मास्टरबेट करो, हो सकता है आप मुझसे पहले इस नाव पर अपना कम गिराने वाले इंसान बन जाए ''..

लोकेश ने हैरानी से पुछा : "तुम मजाक तो नहीं कर रही ??".

काव्या : "आपको क्या लगता है अंकल , मैं इस टाइम आपकी नाव पर नंगी बैठकर अपनी पुस्सी में फिंगरिंग कर रही हु, ये क्या मजाक लग रहा है, ऑफसौर्स, मैं ऐसा ही चाहती हु, जल्दी करो प्लीज ....''

उसका ऑफर ही इतना लुभावना था कि लोकेश ना कर ही नहीं पाया ..

उसने पलक झपकते ही अपनी केप्री और चड्डी निकाल कर नीचे रख दी , और अपने फुंकारते हुए लंड को आजाद कराया

काव्या : "अपनी टी शर्ट भी उतारो, मुझे आपकी चेस्ट भी देखनी है ''.

उसने अपनी चूत में ऊँगली डालते हुए बड़े ही सेक्सी अंदाज में कहा ..

उसने अपनी टी शर्ट भी उतार दी, उसे पता था कि ऐसा मौका उसकी जिंदगी में कभी दोबारा नहीं आएगा..

काव्या तो उनके लंड को देखकर निहाल ही हो गयी, उसकी चूत के अंदर एक अजीब तरह कि खुजली होने लगी , पर उसे भी पता था कि अभी के लिए उसे क्या-२ करना है..

काव्या : "शर्माओ मत अंकल , करो आप भी मेरे साथ, हिलाओ इसे , जल्दी - २ , जोर से, कम ओन्न्न ……''

और इसके साथ ही उसकी उँगलियों कि थिरकन और भी तेज होने लगी ..
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RE: Kamukta Story सौतेला बाप - by sexstories - 05-25-2019, 11:34 AM

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