RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--16
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अब आगे
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श्वेता काउच पर बैठी हुई थी , उसने अपनी टांगे फेला दी थी..और शायद उसकी चूत को केतन साफ़ देख भी पा रहा था..
उसने अपनी जींस उतार कर साईड मे रख दी और झुककर श्वेता को स्मूच कर लिया, उसके अंडरवीयर मे क़ैद लंड ने उसकी चूत के उपर एक रग़ाड पैदा कर दी,
पिछले दो दीनो से वो अपने भाई के लंड को जाने-अंजाने से छू चुकी थी, इसलिए अब अपने सामने खड़े हुए लंड को देखकर उससे सहन नही हुआ और उसने झपटकर अपना हाथ नीचे किया और केतन के लंबे और तगड़े पहलवान को पकड़ लिया..
''अहह धीरे पकड़ो.....उखाड़ ही डालगी तुम तो.....''
दोनो ने फिर से एक दूसरे को स्मूच करना शुरू कर दिया, इसी बीच केतन का अंडरवीयर भी उतर चुका था और अब उसका खड़ा हुआ लंड श्वेता की गीली चूत पर दस्तक दे रहा था,और अचानक वो उसमे फँस भी गया
श्वेता कुछ समझ पाती या उसको रोक पाती, केतन ने अपना भार उसके उपर डाल दिया और केतन का लंड उसकी चूत मे सरकता चला गया..और एक ही पल मे पूरा उसके अंदर समा गया.
श्वेता को तो विश्वास ही नही हुआ की केतन का लंड इतनी आसानी से अंदर चला जाएगा..उसने तो सुना था की पहली बार करने मे काफ़ी दर्द होता है, खून भी निकलता है, मुश्किल से अंदर जाता है, चीखे निकलती है..पर ऐसा कुछ भी नही हुआ, उसे कुछ भी महसूस नही हुआ, हांलांकि उसे चूत के अंदर सब कुछ भरा-2 सा लग रहा था, पर कुछ अलग नही था ये सब..वो हैरान हुई जा रही थी की केतन ने झटके मारने शुरू कर दिए..
अब उसको भी मज़ा आने लगा था, पर अचानक केतन ज़ोर से हाँफने लगा, जैसा की वो तब करता था जब वो झड़ने वाला होता था..
केतन : "ओफफफफ्फ़ .....अहह .....आई एम कमिंग .........''
श्वेता : "ओह .....नही .......अभी नही .....कुछ देर तो और करो ना .....मैं अभी तैयार नही हू ....... नओओओओओओ ''
पर तब तक केतन का ओर्गास्म आ चूका था ...उसने अपने लंड को बाहर खींचा और उसके चेहरे और टॉप के ऊपर अपना रस गिरा दिया .
श्वेता ने पहली बार चूत मरवाई और उसमे भी प्यासी रह गयी वो.
वो सोचने लगी की काश वो कुछ देर और करता तो वो भी झड़ जाती और वो अगर उसकी चूत के अंदर ही रस निकालता तो एक साथ झड़ने मे कितना मज़ा आता ...
पर सब बेकार, उसका मूड बुरी तरह से ऑफ हो चुका था .
पर केतन पूरा संतुष्ट था, उसके चेहरे पर एक अलग तरह की खुशी थी ...शायद श्वेता की चूत पहली बार मारने की खुशी थी वो ..
केतन : "अह्ह्हह्ह ...मज़ा आ गया आज तो ...चलो जाओ और ये सब वाश करके आओ ...''
श्वेता उठ कर उपर अपने कमरे की तरफ चल दी ... और सोचने लगी की इसको सिर्फ़ अपनी फ़िक्र है, अपना माल निकालकर इसको तो मज़ा आ गया पर मेरी प्यास नही बुझी , इसका कुछ अंदाज़ा नही है केतन को ...
पर ये बात केतन को बोलकर वो उसको नाराज़ नही करना चाहती थी .
जैसे ही वो नितिन के कमरे के आगे से निकली, नितिन एक दम से बाहर आ गया, दोनो की नज़रें एक दूसरे से मिली, श्वेता के चेहरे पर केतन के लंड का रस अभी तक जमा हुआ था, जिसे देखकर नितिन की आँखे फैल गयी..जैसे ही श्वेता को इस बात का एहसास हुआ वो भागकर अपने कमरे के अंदर चली गयी..नितिन भी बिना कुछ बोले नीचे चल दिया और फ़्रीज से पानी की बोतल लेकर वापिस अपने कमरे मे आ गया.
श्वेता अपने कमरे मे पहुँची और अपने सारे कपड़े उतार कर एक कोने मे फेंके, गीले कपड़े से अपने चेहरे और बालों को सॉफ किया और फिर एक टी शर्ट और पायज़ामा पहन कर नीचे आ गयी.
फिर दोनो मिलकर एक दूसरी मूवी देखने लगे. पर श्वेता अब कुछ भी बोल नहीं रही थी
केतन को अब इस बात का एहसास हो चुका था की श्वेता अभी तक नही झड़ी है, इसलिए वो रूखा सा बर्ताव कर रही है, उससे ज़्यादा बात भी नही कर रही.
आधे घंटे बाद केतन फिर से उसके शरीर से चिपकने लगा, उसकी जांघे और मुम्मे दबाने लगा..श्वेता को भी अंदर से कुछ-2 होने लगा था पर वो नाराज़गी का नाटक करती रही और चुपचाप मूवी देखती रही,
केतन : सुनो...नाराज़ मत हो ऐसे...ये देखो, मूवी मे कैसे वो लड़का उसके पीछे खड़ा होकर उसकी मार रहा है...चलो ना, ये पोज़िशन ट्राइ करते हैं...''
श्वेता (थोड़ा चिड़ते हुए) : "तुम्हारे बस की है ये सब करना...''
केतन : "तुम साथ तो दो मेरा...फिर देखना मेरा कमाल...''
इतना कहकर उसने टी शर्ट के उपर से ही उसके निप्पल को ज़ोर से पिंच कर दिया, ये उसका वीक पॉइंट था, इसलिए उसके उपर हमला होते ही उसकी चूत फिर से दहकने लगी..और दोनो एक दूसरे को ज़ोर-2 से स्मूच करने लगे...
स्मूच करते-2 दोनो खड़े हो गये...और इस बार केतन ने श्वेता की टी शर्ट और पायज़ामा भी उतार कर उसको पूरा नंगा कर दिया..और खुद भी एक ही पल मे नंगा होकर उसके जिस्म से लिपट गया...
दोनो एक दूसरे के शरीर पर अपने हाथ लगा रहे थे, दबा रहे थे..चूस रहे थे..
केतन ने श्वेता को डाइनिंग टेबल के साथ खड़ा खड़ा किया और उसे झुकने के लिए कहा..श्वेता ने टेबल पर हाथ रखे और अपनी गांड पीछे की तरफ निकाल कर खड़ी हो गयी.
केतन ने झुककर अपने लंड को उसकी गीली चूत के अंदर लगाया और एक जोरदार झटके से उसके अंदर दाखिल हो गया..
''अहह .....उम्म्म्मममममम ......येस्स ......''
और फिर केतन ने ज़ोर-2 से झटके देते हुए उसकी चूत मारनी शुरू कर दी.
और उपर अपने कमरे मे बैठा हुआ नितिन नीचे से आ रही आवाज़ें सुनकर बेचैन हो रहा था...पहले अपनी बहन के चेहरे पर गिरे माल को देखकर उसे अंदाज़ा तो हो गया था की दोनो ने क्या किया होगा, पर अब आ रही आवाज़ों से साफ़ लग रहा था की नीचे चुदाई चल रही है..
वो धीरे से अपने कमरे से बाहर निकला, और दबे पाँव सीडियां उतरकर नीचे की तरफ चल दिया..और जैसे ही उसने नीचे का नज़ारा देखा, उसका लंड फिर से स्टील की तरहा कड़ा होकर खड़ा हो गया..सामने थी उसकी बहन श्वेता, टेबल पर झुकी हुई, अपनी चूत मरवाती हुई..उसे सिर्फ़ उसके झूलते हुए मुम्मे दिख रहे थे और केतन की हिलती हुई गांड ..सॉफ था की वो कितनी बुरी तरहा से उसकी चूत मार रहा है...
श्वेता को अचानक अपने भाई के लंड का ध्यान आ गया, उसके बाय्फ्रेंड के मुक़ाबले कितना लंबा और मोटा है उसके भाई का..काश वो मार रहा होता उसकी चूत इस समय...और अपने भाई के लंड के बारे मे सोचते हुए उसके चेहरे पर एक अलग ही तरहा की लालिमा आ गयी..
तभी केतन का ऑर्गॅज़म करीब आ गया...वो बोला : "मेरा निकलने वाला है......''
श्वेता अपने सपनो से बाहर आई...उसका अभी तक कुछ नही हुआ था पर पिछली बार से काफी बेहतर था , पर फिर भी वो एकदम से बोली : "रूको...अंदर मत निकालना....मेरे मुँह के अंदर डालो सब....''
और वो एकदम से पलटी और उसके लंड के सामने पंजों के बल बैठ गयी..केतन ने अपने लंड को ज़ोर-2 से मसला और फिर जैसे ही उसका माल निकलने वाला हुआ, उसने अपने लंड का सिरा उसकी जीभ पर रख दिया, और गरमा गरम माल उसकी जीभ की थाली पर परोस दिया...वो उसका सारा माल निगल गयी...इसी बीच उसने अपनी चूत को अपने हाथ से मसलकर खुद ही संतुष्ट किया
सीडियों पर खड़ा हुआ नितिन ये सब काफ़ी गौर से देख रहा था...अपनी बहन को किसी रंडी की तरहा बिहेव करता देखकर उसे गुस्सा नही आ रहा था बल्कि उत्तेजना हो रही थी..उसका लंड बैठने का नाम ही नही ले रहा था...
अपना माल निकालने के बाद केतन निढाल सा होकर सोफे पर लूड़क गया..और श्वेता ने उठकर अपने कपड़े पहने और अपना चेहरा धोने के लिए वापिस उपर की तरफ चल दी..नितिन जल्दी से अपने कमरे मे जाकर छुप गया.
उसका लंड बुरी तरह से दर्द कर रहा था...पर उसकी लाचारी थी की वो मूठ भी नही मार सकता था...उसके दोनो हाथों मे पट्टियाँ जो थी..
श्वेता ने सब सॉफ किया और फिर से नीचे आ गयी...उसने पिज़्ज़ा आर्डर , थोड़ी ही देर मे पिज़्ज़ा आ गया, श्वेता ने नितिन को नीचे बुलाया और सबने मिलकर पिज़्ज़ा खाया..और थोड़ी देर बाद केतन अपने घर चला गया, क्योंकि श्वेता के मम्मी-पापा के आने का टाइम हो रहा था..
दोनो भाई बहन अकेले रह गये
श्वेता : "थॅंक्स भाई....हम दोनो को प्राइवेसी देने के लिए...''
वो बस मुस्कुरा दिया, कुछ बोला नही..
श्वेता : "कल तुम्हे अच्छी तरह से नहलाऊंगी मैं...ये है तुम्हारा बोनस...''
उसकी बात सुनकर नितिन का चेहरा एक दम से खिल उठा...पर सिर्फ़ श्वेता ही जानती थी की उसके दिमाग़ मे क्या चल रहा है..
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