RE: Kamukta Story सौतेला बाप
अब आगे **********
और वो सरप्राइज कुछ ऐसा था काव्या के घर से निकलने के बाद समीर भी ऑफीस के लिए निकल गया...आज उसने अपने सारे स्टाफ के लिए होली की पार्टी रखी थी..और सभी के लिए लंच भी था वहाँ.. रश्मि को होली का ज़्यादा शोंक नही था,इसलिए घर के सारे काम निपटा कर वो टीवी देखने बैठ गयी..पर उसका मन उसमे लग ही नही रहा था...वो तो बस किसी से भी चुदवाने के बारे में सोचे जा रही थी..पर कोई था भी तो नही ना...और ये सोचते-2 कब उसकी आँख लग गयी उसे भी पता नही चला.. करीब 2 घंटे बाद उसके घर की बेल बजी...और जब उसने दरवाजा खोला तो सामने विक्की खड़ा था.. और उसे देखते ही उसके अंदर की भूखी औरत फिर से जाग गयी... विक्की : "नमस्ते आंटी....एंड हैप्पी होली ...'' उसके चेहरे पर पूरा रंग लगा हुआ था...और उसने थोड़ा सा रंग आगे लेजाकर रश्मि के चेहरे पर भी लगा दिया...भले ही रश्मि को होली पसंद नही थी पर उसके मर्दाना हाथों से रंग लगवाने में उसके शरीर में अजीब सी गुदगुदी हो रही थी... और विक्की भी साला बड़ा हरामी था...ऐसा नही था की वो पहली बार रश्मि को हाथ लगा रहा था पर होली के मौके पर ऐसे गदराये माल को रगड़ने का जो मज़ा है वो तो वही जान सकता है जो रगड़ता है...और यही विक्की के साथ भी हो रहा था इस वक़्त...उसके हाथ रंग लगाने का बहाने रश्मि के शरीर के हर हिस्से को मसल रहे थे... चेहरे से शुरू हुआ सिलसिला धीरे-2 नीचे जाने लगा...गर्दन और फिर सीधा उसके विशालकाए मुम्मों पर...और उनपर हाथ लगते ही रश्मि का छटपटाना एकदम से बंद हो गया...और वो लगभग विक्की के उपर गिरती चली गयी...जैसे बोल रही हो 'ले हरामखोर ...लगा ले ..जितना रंग लगाना है मुझपर..' और विक्की भी अपने रंगीन हाथों को उसके मुम्मों पर मसलता हुआ बड़ा उत्तेजित फील कर रहा था..उसके सूट के नीचे से उसने अपने दोनो हाथ अंदर घुसेड दिए और उसके नर्म मुलायम पेट पर रंग लगाने लगा.. ये सब ड्रॉयिंग रूम में चल रहा था...और दरवाजा तो विक्की को अंदर लेने के बाद ही बंद कर दिया था रश्मि ने...इसलिए उसे कोई चिंता नही थी.. जैसे ही विक्की के हाथ फिर से सरक कर उपर की तरफ आए,रश्मि ने अपने दोनो हाथ उपर कर दिए ताकि विक्की उसके सूट को उतार दे... जो विक्की ने नही सोचा था वो रश्मि करने को तैयार थी... विक्की : "आज लगता है जैसे मेरा ही इंतजार हो रहा था....आपका पति कहाँ है ...'' वो उसके सूट को उतारता हुआ बोला..
रश्मि : "पति भी नही है और तेरी काव्या भी....अभी के लिए सिर्फ़ तू और मैं है घर पर...'' विक्की के हाथ उसकी ब्रा मे क़ैद मुम्मे मसलने में लगे थे...सफेद रंग की ब्रा को गुलाबी होने में एक मिनट ही लगा बस... काव्या के घर पर ना होने की बात सुनकर वो थोड़ा मायूस हो गया पर रश्मि की बात सुनकर फिर से उसके चेहरे पर मुस्कान लौट आई, वो बोली : "काव्या बस एक घंटे तक आ जाएगी...तब तक मेरे साथ ही होली खेल ले...जैसी तुझे पसंद हो ...वैसी खेल ले...'' विक्की के लिए ये ऑफर भी बुरा नही था....जब तक काव्या वापिस आएगी,तब तक के लिए उसकी माँ उसके लंड को तैयार कर सकती है...ये सोचते-2 उसने रश्मि की ब्रा भी खोलकर नीचे फेंक दी...और अब वो टॉपलेस थी..और उसके वाइट मुम्मे देखकर विक्की के मुँह में पानी भर गया...और उसने वो पानी उसके मोटे-2 निप्पलों पर उड़ेलना शुरू कर दिया..उन्हे चूस-चूस्कर ... ''आआआआआआहह..... ओह विक्की............चूसो इन्हे...........'' और पलक झपकते ही रश्मि के बाकी बचे कपड़े भी नीचे फर्श पर पड़े थे...और वो खड़ी थी पूरी नंगी होकर विक्की के सामने... विक्की भी उसके मांसल बदन को देखकर दंग रह गया...रिसोर्ट में भी उसने रश्मि को नंगा देखा था और उसके साथ सिर्फ़ चुदाई को छोड़कर सब कुछ किया था...पर उस दिन वो ऐसी कयामत जैसी नही लग रही थी...शायद इसलिए की उस वक़्त काव्या भी वहां थी और अपनी कड़क बेटी के सामने तो वो थोड़ी कम ही है...पर अकेले में उसका कोई मुकाबला नही... ये सब सोचते-2 विक्की के लंड में उबाल आना शुरू हो गया और कुछ ही देर में वो वहीं खड़ा हुआ अपनी पेंट के उपर से ही अपना लंड मसलने लगा.. रश्मि : "रूको...मेरे होते हुए तुम ये जहमत क्यो उठा रहे हो...ये काम मेरा है और मुझे ही करने दो....'' सेक्स मे रूचि रखने वाली औरतों में सबसे अच्छी यही बात होती है की वो हर काम आगे बढ़कर खुद करने में विश्वास रखती है...और उन्हे ऐसा करते देखकर उनके पार्ट्नर को जो खुशी होती है वो तो बस वही जान सकते है.. विक्की भी अपने आप को उसके हवाले छोड़कर खड़ा हो गया और रश्मि आराम से उसके कदमो में बैठकर उसकी पेंट उतारने लगी...जीप खोलकर उसकी पेंट को नीचे खिसकाया और फिर उसके अंडरवीयर को भी...और अगले ही पल उसका अकड़ ख़ाता हुआ लंड किसी स्प्रिंग की तरह उछलकर सामने आ गया... और उसे देखकर रश्मि ने अपने होंठों को दांतो तले दबा कर खुद ही अपना रस निचोड़कर पी गयी.. और फिर बड़े ही प्यार से उसे हाथों में लेकर अपने होंठों से लगाया और फिर आँखे बंद करते हुए एक-2 इंच करती हुई उसकी गर्म रोड को निगलने लगी....ऐसा लग रहा था जैसे कोई आग का गोला उसके मुँह में जा रहा है... पर उस आग के गोले में उतनी आग नही थी जितनी रश्मि के मुँह से निकल रही थी इस वक़्त...दोनो तरफ की आग की तपिश एक दूसरे को झुलसाने लगी..और दोनो के मुँह से ही मादकता से भरी सिसकारियाँ निकलने लगी...
''आआआआआआआआअहह ऊऊऊऊऊहह आंटी..............आपका मुँह तो मुझे जला कर रख देगा......'' और रश्मि उस आग के गोले की आग को अपनी लार से बुझाने में लगी हुई थी...चपड़ -2 की आवाज़ें गूंजने लगी पूरे ड्रॉयिंग रूम मे...और लार की लकीर बनकर उसके मुम्मों पर गिरने लगी...जिसे वो बड़े ही उत्तेजक तरीके से अपने ही हाथों से पूरी छातियों पर मल रही थी... विक्की ने रश्मि के सिर को पकड़ा और उसे पकड़ कर धक्के मारने शुरू कर दिए...जैसे चूत मारते हुए करते हैं...वो उसके मुँह की चुदाई कर रहा था...और धक्के भी बड़े जबरदस्त वाले थे....पर रश्मि जैसी कलाकार सामने थी इसलिए उन धक्को को वो बड़े ही आराम से सहन करती हुई उसके लंड को चूसती भी जा रही थी.. विक्की ने अपनी टी शर्ट भी उतार दी...और अब वो भी नंगा होकर खड़ा था उसके सामने...अपने कठोर हाथों से उसके रेशमी बालों को सहलाते हुए उसे अपना लंड चुसवाता हुआ सिसकारियाँ मार रहा था.. रश्मि की चूत में तो चींटियाँ रेंग रही थी जिन्हे वो अपनी उंगलियों से मसल कर मारती जा रही थी....विक्की के लंड को चूसते हुए उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी और अपनी 3-3 उंगलियाँ एक साथ अंदर बाहर करने लगी....अपने पंजो के बल बैठी हुई रश्मि के नीचे गाड़े पानी की बूंदे टपक कर मीठे पानी का तालाब बना रही थी... रश्मि के मुँह के आगे विक्की का लंड हार ही गया...और उसने जोरदार चीखे मारते हुए अपने गन्ने का रस उसके मुँह में निकालना शुरू कर दिया... ''आआआआआआआआआअहह हह उम्म्म्मममममम..... ऑश मई तो गया......... आआआअहह'' कुछ देर तक ऐसे ही खड़ा हुआ वो कांपता रहा...उसके शरीर से ऐसे झटके निकल रहे थे जैसे तोप के गोले छोड़ने के बाद तोप हिलती रहती है कुछ देर तक....और जब वो शांत हुआ तो अपनी प्यासी आँखो से रश्मि उसे ऐसे देख रही थी जैसे उसे खा ही जाएगी... विक्की समझ गया की वो क्या चाहती है....
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