Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की
05-26-2019, 01:43 PM,
#5
RE: Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की
मेरी कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था की बाजी आख़िर ये सब कयूं कर रही हैं और किस लिए 
लेकिन मैं चुप बैठा अपने सर के दोनो तरफ अपनी बड़ी बहिन की चूचियों को महसूस करता रहा 

और जब बाजी मेरे सर पे तेल लगा के मालिश करने लगी तो जैसे जैसे बाजी मेरे सर पे हाथ चलती वैसे वैसे नीचे उनकी चूची मेरी गर्दन पे टच होते बारी बारी जिस से मैं मज़े मैं गुम सा होने लगा

बाजी ने मेरी मालिश करते हुए मेरी गर्दन और कंधों से खूब अपनी चुचिओं को रगड़ा और प्रेस किया 

जिस से मेरा लण्ड भी चड्डी पूरा खड़ा हो गया था लेकिन मैं फिर भी आराम से बैठा रहा तो बाजी ने थोड़ी देर और मालिश की और बोली कि भाई अगर मेरी मालिश से मज़ा नहीं आ रहा तो बोलो

मैं रीदा को बुलवा लूँ वो तुम्हारी मालिश कर देगी

मैने बाजी को अब मना किया और साथ ही बाजी के आगे से हट गया

और मूडके जब बाजी की तरफ देखा तो उन का जिस्म पसीने से भीग रहा था और साथ ही उन की आँखें भी लाल हो रही थी और 

उनमैं मुझे जो भूख नज़र आ रही थी उसे देख के मैं पूरी तरह से हिल गया


बाजी की आँखों मैं भूखी हवस देख के जहाँ मैं हैरान हुया 

वहीं एक बार मेरे दिल मैं आया की.......

मैं अभी बाजी को गिरा के खूब अच्छे से अपनी बड़ी बहिन की भूक को ठंडा करूँ 

लेकिन मैं ऐसा सोच ही सकता था लेकिन...

कर नहीं सकता था कयूं की जो भी था लेकिन थे तो हम बहिन भाई ही

फिर मैं चारपाई से उठा और सर झुका के रूम से बाहर निकल गया और सीधा गुसलखाने मैं जा घुसा 

पानी भर के नहाने लगा और अपने जिस्म को साबुन लगाने के बाद लण्ड की मूठ भी लिगाई

जिस से इतनी मानी निकली की मैं बयान नहीं कर सकता और जैसे ही मेरे लण्ड से पानी निकलना बंद हुआ तो देखा कि मैं खड़ा हुआ था 

तो मेरी टाँगे काँपने लगी और अगर मैं न बैठ जाता तो शायद गिर ही जाता फिर .

मैं नहाके बाहर निकला और जब रूम मैं आया तो देखा की बाजी अब वहाँ नहीं थी और ना ही तेल की बॉटले थी 

मैं रूम मैं चारपाई पे लेट गया और बाजी के बारे मैं सोचने लगा की............... 

तभी मुझे बाहर किसी की हँसने बोलने की आवाज़ सुनाई दी तो मैं उठ कर बाहर निकला तो देखा की बाजी फरी और रीदा खड़ी बात कर रही . 

तभी मुझे देखते ही बाजी के फेस पे.......... अजीब से सिकन और मुस्कान दौड़ गई और बाजी रीदा से कुछ बात करने लगी तो 

मैं वापिस रूम मैं ही आ गया 

कुछ ही देर गुज़री थी की बाजी रीदा को ले कर मेरे रूम मैं ही आ गई और बोली 

भाई अगर हम यहाँ बैठ जाऊं तो तुम्हे कोई मसाला तो नहीं होगाना कयुँकि दूसरे रूम मैं फ़रीदा और फ़रज़ाना सो रही हैं

मैं मरता क्या ना करता, 
मेने हाँ मैं सर हिला के लेता रहा तो बाजी ने रीदा से कहा तो बैठ 
यहाँ मैं तेरे लिए ठंडा पानी लाती हूँ और रूम से बाहर निकल गई 

तो रीदा मेरे साथ अकेली रह गई

बाजी के जाते ही मैने रीदा से कहा यार क्या तुम ने बाजी को सब कुछ बता तो नहीं दिया कहीं

रीदा हल्का सा हंस पड़ी और बोली विकी जी आप की बहिन और मैं बेस्ट फरन्ड हैं 

हम एक दोसरे से कुछ भी नहीं छुपाते हैं और अगर तुम बुरा ना मानो तो एक बात कहों तुम से

मैने हाँ मैं सर हिलाया तो 

रीदा ने कहा तुम्हारी बहिन बहुत प्यासी है बेहतर है की तुम खुद उसके लिए कुछ सोच लो वरना बाद 

मैं नहीं बोलना की अगर तुम्हे पता होता तो तुम कुछ कर लेते

मैं हेरनी से रीदा की तरफ देखते हो बोला क्या मतलब मैं समझा नहीं , तुम कहना क्या चाहती हो

रीदा मेरी तरफ देख के मुस्कुरई और बोली की 

अगर तुम अपनी बहिन को खुद ही ठंडा कर दो तो मेरा ख्याल है की वो बहार कहीं मुँह नहीं मारेगी .

जिस तुम्हारे और तुम्हारे घर की इज़त बच जाएगी

मैने फटी आँखों से रीदा की तरफ देखा और हकलाते हो बोला त...तुम्हारा मतलब ..ह..है क बाजी का बाहर के क..किसी क साथ कोई सी.. सी.. चक्कर हाईईईईईईई


रीदा ने कहा नहीं अभी तक तुम्हारी बहिन का कोई चक्कर नहीं है लेकिन अगर उसका जल्दी कोई इंतज़ाम ना हुआ तो मुझे लगता है की 3 4 दिन मैं ही वो किसी ना किसी से चुदवा लेगी 

चुदवा शब्द पे रीदा ने बहुत जोर दिया

रीदा इतना बोल के चुप हो गई 

और मेरी तो ये हालत थी की मुझ से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था ....

तभी बाजी पानी ले के आ गई और रीदा से बोली क्या बातें हो रही हैं मेरे भाई के साथ

रीदा ने कहा कुछ नहीं 

यार बस शहर का ही पूछ रही थी मैं की वहाँ क्या कुछ होता है वाघेरा और क्या बातें करुँगी 

उस के बाद बाजी रीदा के पास बैठ गई 

वो लोग इधर उधर की बताईं करने लगी और कोई 15 20 मिनट के बाद रीदा ने कहा अच्छा यार 

मैं अब चलती हूँ काफ़ी देर हो गई तो 

बाजी भी उसके साथ ही उठ के बाहर निकल गई
रीदा और बाजी के जाते ही मैं सोच मैं पड़ गया की आख़िर करूँ तो क्या करूँ और साथ ही ये भी समझ रहा था

अभी जो रीदा ने मेरे साथ बात की है वो उस ने बाजी के कहने से ही की थी खुद से नहीं 

और ये बात ही मुझे परेशान कर रही थी लेकिन समझ मैं नहीं आ रहा था की करूँ तो काया करूँ 
खैर बाकी का दिन भी गुज़र गया और रात को अम्मी भी घर आ गई तो 
मैने कहा अम्मी अबू नहीं आए आपके साथ

अम्मी ने कहा नहीं 
बेटा तुम्हारे अबू को पानी लगाना था आज खेतों को और सुबह शहर भी जाना है खाद लाने के लिए तो वो आज घर नहीं आएंगे 

उसके बाद सब ने खाना खाया और सब अपनी अपनी जगह पे सोने को चले गये 

मैं दिन मैं भी काफ़ी सोया था तो मुझे नींद नहीं आ रही थी

मैं ऐसे ही लेटा था अपनी सोचों मैं गुम था और कितनी रात गुज़री पता ही नहीं चला और फिर नींद आ गई तो मैं सो गया और जब आँख खुली तो काफ़ी दिन निकल आया था और अबू भी घर आ चुके थे

मैं उठा और नहाके वापिस आया तो फ़रज़ाना ने मुझे नाश्ता ला के दिया और 

मैं बैठ कर नाश्ता करने लगा तो 

अबू ने कहा बेटा ऐसा करो आज तुम अपनी बहिन फरी के साथ खेतों पे चले जाना वहाँ कोई खास काम तो नहीं है 

लेकिन फिर भी जानवरों का ध्यान कर लेना कयुँकि मैं और तुम्हारी अम्मी शहर जा रहे हैं तो पीछे जानवरों को भी देखना होगा

अबू की बात सुन के मैने बड़ी मुश्किल से हाँ मैं सर हिलाया और नाश्ता करके बाजी के साथ खेतों की तरफ चल दिया 

बाजी ने आज जो लिबास पहना हुआ था वो काफ़ी पतला था 

लेकिन ऊपर से एक बड़ी सी चादर भी ओढ़ रखी थी की बाहर के लोग उसे ग़लत नज़र से ना देख सकैं

खेतों मैं पहुँच के बाजी ने चारपाई बिछा दी और वहाँ से चली गई और जब वापिस आयी 

तो बाजी के पास एक बड़ा सा तरबूज़ (वातर्मिलों) पकड़ा हुआ था 

जिसे बाजी ने ट्यूबवेल के पानी मैं रख दिया ठंडा होने क लिए उस के बाद बाजी मेरे पास आके बैठ गई और बोली 

भाई एक बात पुछों बुरा तो नहीं मानोगे

मैं... हाँ बाजी पूछो क्या पूछना है

बाजी.... भाई मैने सुना है तुम जिस कॉलेज मैं पढ़ते हो वहाँ लड़कियाँ भी पढ़ती हैं 

हैं क्या ये सच है

मैं... हाँ बाजी ये सच है लेकिन 

यह आप कयूं पूछ रही हो (लेकिन बाजी की बात से मेरी धड़कन भी तेज़ होने लगी कयुँकि बात उसी तरफ जा रही थी जिस से मैं बचना चाहता था)

बाजी... भाई क्या तुम ने वहाँ किसी लड़की के साथ दोस्ती नहीं की

मैं...नहीं बाजी आप को तो पता है की मैं किसी लड़की से ठीक से बात नहीं पता 

तो दोस्ती क्या करूँगा 

बाजी... अच्छा जी मुझे तो पता ही नहीं था की मेरा भाई इतना बुज़दिल है की किसी लड़की से बात करते हो भी डरता है

मैं बाजी की बात की जवाब मैं कुछ नहीं बोला तो 
बाजी ने कहा भाई क्या ख्याल है नहाया जाय तो 

मैने ना चाहते हो भी हाँ मैं सर हिला दिया तो बाजी ने 

कहा तुम ऐसा करो ट्यूबवेल चला के ये तलब भर लो फिर नहाते हैं हम दोनो मिल कर

मैं उठा और ट्यूब वेल चला दिया और तलब भरने के बाद बंद कर दिया 

तो बाजी भी जो की रूम मैं चली गई थी 

वापिस आ गई तो 

मैं बाजी को देखता ही रह गया कयुँकि बाजी ने दुपटा उतार दिया था और अब बिना दुपते के मेरे सामने खड़ी थी 

और बाजी के कपड़े इतने पतले थे की 

मुझे सूखे कपड़ों मैं से ही बाजी की गोल गोल चूची सॉफ नज़र आ रही थी 

और जब बाजी मेरे साथ पानी मैं भीगेगी तो............. फिर तो कपड़े होना ना होना बराबर ही था
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RE: Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की - by sexstories - 05-26-2019, 01:43 PM

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