RE: Free Sex Kahani चमकता सितारा
डॉली उठ कर जाने को हुई.. पर मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने सीने से लगा लिया।
उसकी आँखें भी भरी हुई थीं।
डॉली- जय.. शादी के बाद मैं जिन्दा लाश बन जाऊँगी। मैं तुम्हारे प्यार का हर लम्हा अपनी शादी वाले दिन तक समेट लेना चाहती हूँ.. ताकि मैं मर भी जाऊँ तो भी तुम्हारे प्यार से पूरी होकर- मरूँ.. तब तक कोई अधूरापन ना हो..
मैंने उसके कान पकड़े और उससे कहा- ये मरने-जीने की बातें कहाँ से आ गईं।
डॉली- इस्स्स्स.. अब शादी को लोग बर्बादी भी तो कहते हैं और बर्बादी में सब जीते कहाँ हैं।
मैं- बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखे।
उसने हमेशा की तरह वैसे ही चहकते हुए कहा- वैसे जान.. मेरे आज के प्यार का कोटा अब तक भरा नहीं है।
मैं- ह्म्म्म.. वैसे जान यूँ खुले-खुले आसमान के नीचे कोटा फुल करने में मज़ा आएगा न..
डॉली- सबर करो मेरे शेर.. नीचे शिकारी हमारी राह देख रहे होंगे.. अब मैं जाती हूँ…
‘मैं जाती हूँ अब…’
मेरे जेहन में ये शब्द बार-बार गूंजने लगे थे। जैसे-जैसे वो अपनी कदम वापिस नीचे की ओर बढ़ा रही थी.. वैसे-वैसे मेरे दिल का वो भारीपन वापस आ रहा था।
मैं हाथ बढ़ा कर उसे रोकना चाह रहा था.. पर मानो मैं वहीं जड़ हो गया था।
अब वो चली गई थी।
मैंने अपना मोबाइल निकाला और रेडियो ऑन किया.. गाना आ रहा था- दर्द दिलों के कम हो जाते.. मैं और तुम.. गर हम हो जाते।
थोड़ी देर बाद दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आई और डॉली और उसके मम्मी-पापा अपने घर की ओर चल दिए।
डॉली के बढ़ते कदम और इस गाने के बोल।
‘इश्क अधूरा.. दुनिया अधूरी.. मेरी चाहत कर दो न पूरी।
दिल तो ये ही चाहे… तेरा और मेरा हो जाए मुकम्मल ये अफसाना।
दूर ये सारे भरम हो जाते.. मैं और तुम गर हम हो जाते।’
पता नहीं रब को क्या मंज़ूर था।
अब मैं अपने कमरे में आ चुका था। मेरे व्हाट्सएप पर डॉली का मैसेज आया था ‘अपने प्यार को यूँ दर्द में देखना इस दुनिया में किसी को भी गंवारा नहीं होगा। तुम्हें ऐसे देख कहीं मैं ना टूट जाऊँ। मुझसे लड़ो.. झगड़ो.. मुझे कुछ भी करो.. पर यूँ खुद को जलाओ मत.. क्यूंकि जब-जब आग तुम्हारे सीने में लगती है.. जलती मैं हूँ..- तुम्हारी टीपू सुलतान’
मैं अक्सर इसी नाम से उसे चिढ़ाता था।
मैं अपने बिस्तर पर था.. पर मुझसे नींद तो मानो कोसों दूर थी। बस दिमाग में डॉली के साथ बिताए लम्हे फ़्लैश बैक फिल्म की तरह चल रहे थे।
डॉली के साथ बिताए वो पल.. मेरी सबसे हसीन यादों में से एक थे। आज उसकी शादी तय हो चुकी थी.. वो अब बहुत जल्द किसी और की होने वाली थी।
पता नहीं.. उसके बाद मैं उसे कभी देख भी पाऊँ या नहीं.. पर एक काम तो मैं कर ही सकता था.. इन बाकी बचे हुए दिनों में ही अपनी पूरी जिंदगी जी लेना.. उसके साथ का हर लम्हा अपनी यादों में कैद कर लेना।
मैं जानता हूँ.. जिंदगी यादों के सहारे नहीं जी जा सकती है.. पर जब ज़िंदगी में साथ की कोई उम्मीद ही ना हो.. तो ये यादें ही हमेशा साथ निभाती हैं। मुझे डॉली के दर्द का एहसास था, अब मैं उसे और नहीं रुलाना चाहता था। मैं डॉली के साथ बिताने वाले वक़्त की कल की प्लानिंग करने लग गया..
सुबह के दस बजे थे। मैं नाश्ते के लिए बैठा ही था कि डॉली का फ़ोन आया। मम्मी ने कॉल रिसीव किया और फिर मुझे कहने लगी।
‘बेटा वो डॉली को शादी की तैयारी करनी है.. उसे तुम्हारी मदद चाहिए.. और हाँ.. तुम्हारा आज के नाश्ते से रात के खाने तक का इंतज़ाम वहीं है।’
मैं मन ही मन में बोलता रहा कि अरे मेरी भोली माँ.. वो तेरे बेटे को खिलाने को नहीं.. बल्कि खाने की तैयारी में है। दिल का तंदूर उसने बना ही दिया है अब पता नहीं क्या-क्या पकाने वाली है।
खैर.. अब नाश्ता करता तो मम्मी भी नाराज़ हो जातीं.. सो मैं उठा.. अपने हाथ धोए और डॉली के घर चला गया।
दरवाज़ा पर डॉली खड़ी थी।
मैं- क्यों जी.. मैदान खाली है क्या?
डॉली ने हँसते हुए कहा- ह्म्म्म.. सबको दूसरे शहर भेज दिया है.. मेरी शादी का जोड़ा लाने.. अब तो कल ही आ पायेंगे!
मैं- और आपने अपना हनीमून प्लान कर लिया।
डॉली मुझे रोकते हुए बोली- तुम्हारा हर इलज़ाम कुबूल है मुझे.. पर ये नहीं.. तुमसे प्यार किया है मैंने.. और पहले भी तुमसे कह चुकी हूँ… तुम्हारी थी.. तुम्हारी हूँ और हमेशा तुम्हारी ही रहूँगी।
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