RE: Free Sex Kahani चमकता सितारा
मैं शायद कुछ ज्यादा ही कह गया था। फिर बात को संभालते हुए मैंने कहा- तो आपको शादी की तैयारी में हेल्प चाहिए थी.. अब बताओ ‘फूट मसाज’ दूँ या ‘फुल बॉडी मसाज’ चाहिए।
डॉली- ह्म्म्म… मौके का फायदा.. जान पहले आराम तो कर लो.. मैं कुछ खाने के लिए लेकर आती हूँ।
यह कहते हुए जैसे ही रसोई में जाने को हुई.. मैंने उसका हाथ पकड़ा और गोद में उठा लिया और उसके बेडरूम में ला कर पटक दिया।
डॉली- बड़े बदमाश हो तुम.. बड़े नादान हो तुम.. हाँ.. मगर ये सच है.. हमारी जान हो तुम..
ये कहते हुए उसने अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए।
वो उसका मुझे देखना.. मुझे पागल किए जा रहा था। कितनी सच्चाई थी इन आँखों में.. मैं डूबता चला गया इन आँखों की गहराईयों में..
अब ना तो मुझे कुछ होश रहा था.. ना मैं होश में आना चाहता था.. बस उसके प्यार में अपने आपको खो देना चाहता था मैं..
मैं भूल बैठा था अपने हर दर्द को.. या यूँ कहूँ कि मैं भूल जाना चाहता था हर उस बात को.. जो इतने दिनों से कांटे की तरह चुभ रही थी।
जैसे उसकी हर छुअन मेरे जिस्म में जान डाल रही थी।
मैंने उसे फिर गोद में उठाया और बाथरूम में लेकर आ गया। हम दोनों ने एक-एक कर एक-दूसरे के कपड़े उतारे और उसे बाथरूम में टांग दिए।
अभी उसकी आँखें बंद थीं, मैंने शावर को ऑन किया और उसे चूमने लग गया, डॉली ने भी मुझे कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया। अब मेरे हाथ उसके कूल्हों को मसल रहे थे, डॉली मेरे कंधे को चूम रही थी।
मैंने पास रखे साबुन को लिया और अपने हाथों में साबुन लगा कर उसके पूरे बदन पर हल्के-हल्के लगाने लगा।
अब उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं। मैंने अपनी उँगलियों से उसके जिस्म को सहला रहा था और जब-जब उसकी साँसें ज्यादा तेज़ होने लगतीं.. उसे दांतों से हौले से काट लेता।
इस हरकत से वो और भी बेचैन हुई जा रही थी।
उसकी बेचैनी अब उसकी लाल और नशीली आँखें बता रही थीं। मेरे इस वार का बदला लेने के लिए उसने मेरे लिंग को पकड़ कर अपने मुँह में डाल लिया।
वो अब अपनी पूरी ताकत से मेरा लिंग को चूस रही थी। मुझे भी अब मज़ा आने लगा था और मैंने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया।
हमारे बदन अब इतने गर्म हो चुके थे कि वो ठंडा पानी भी मानो हमारे जिस्म से टकरा कर खुल उठता था।
मैंने उसे खड़ा किया और फिर से अपने पसंदीदा आसन में उसे गोद में उठाया और उसकी टांगों को अपने कंधे पे रख अपने लिंग को उसकी गुदा में अन्दर तक डाल दिया।
वो बाथरूम के दीवार से लगी थी और उसने शावर को पकड़ रखा था। मैंने धक्कों की रफ़्तार को बढ़ा दिया। फिर जब मैं झड़ने को हुआ.. तब उसे अपनी गोद से उतार नीचे घुटनों पर बिठाया और अपने लिंग को उसके मुँह में दे दिया।
फिर वैसे ही अन्दर-बाहर करता हुआ उसके मुँह में अपना वीर्य गिरा दिया। थोड़ी देर तक चिपकने के बाद हम बाथरूम से बाहर आए और मैं अपनी पैंट पहन कर बिस्तर पर गिर पड़ा और डॉली को अपने ऊपर लिटा लिया।
एक बार फिर हमारे होंठ मिल गए। हमारी आँखें थकान की वजह से अब बोझिल हो रही थीं.. पर डॉली की आँखों में नींद कहाँ थी।
उसने कपड़े बदले और मेरे लिए नाश्ता लाने चली गई।
मैंने भी कपड़े पहन लिए.. पर गर्मी थोड़ी अधिक थी.. सो शर्ट नहीं पहनी थी। डॉली कमरे में दाखिल हुई।
‘अब उठ भी जाओ जान..’
डॉली की आवाज़ सुनते ही मैंने दूसरी तरफ अपना चेहरा किया और तकिए को अपने कानों पर रख लिया।
डॉली नाश्ते को प्लेट में सजा कर मेरे पास आ गई- अब उठ भी जाईए.. बाद में आप सो लेना।
मैं- मुझे नहीं उठना है बस.. आपके होते हुए मैं अपने हाथ गंदे क्यूँ करूँ?
डॉली ने मेरे गले पर चूमते हुए कहा- ठीक है मेरा बाबू!
मैं- अरे गुदगुदी होती है.. ऐसे मत करो ना..
मैं झटके से उठ कर बैठ गया। डॉली को तो जैसे मैंने जैकपॉट दिखा दिया हो। अब तो बस उसकी गुदगुदी और हाथ जोड़ कर उससे भागता हुआ मैं.. ‘भगवान के लिए मुझे छोड़ दो..’ मैं चिल्ला रहा था।
डॉली रेपिस्ट वाली शकल बनाते हुए मुझे पकड़ने को लगी थी- जानेमन.. भगवान से तू तब मिलेगा न.. जब मुझसे बचेगा..
उसने फिर से वहीं गुदगुदी करना शुरू कर दी।
आखिर में.. मैंने उसके हाथ पकड़ कर मरोड़ दिए.. तब जाकर रुकी।
मैंने उसके हाथ सख्ती से पकड़ रखे थे.. बेचारी हिल भी नहीं सकती थी। अब बदला लेने की बारी मेरी थी, मैं अपने होंठों को उसके कानों के पास ले गया और अपनी जीभ से उसके कानों को कुरेदने लगा।
मैं जानता था कि उसे तो बस यहीं गुदगुदी लगेगी, वो लगभग चिल्ला रही थी- जो कहोगे.. वो करूँगी मैं.. प्लीज मुझे छोड़ दो।
मेरा बदला अब पूरा हो चुका था सो मैंने उसे छोड़ दिया।
मैं- खाना तो खिलाओ.. भूख लगी है। वैसे भी बिना खिलाए-पिलाए इतनी मेहनत करवा चुकी हो।
डॉली- किसने कहा था मेहनत करने को.. तुम तो खुद ही जोश में आ गए थे..
मैं- मैं तो तुमसे हमेशा कहता हूँ कि अगर मुझे काबू में रखना हो तो मेरे सामने लाल कपड़ों में मत आया करो.. जब खुद ने गलती की हो.. तो भुगतो।
डॉली- अब आप बस बातें ही बनाते रहोगे.. चलो खाना तो खाओ.. लाओ मैं खिला देती हूँ।
मैं तो बस उसके चेहरे को ही देखे जा रहा था। जिसे देख मुझे एक ग़ज़ल की कुछ लाइन याद आ रही थी।
‘चौदहवीं की रात थी.. शब भर रहा चर्चा तेरा…
सब ने कहा चाँद है.. मैंने कहा चेहरा तेरा..’
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