RE: Free Sex Kahani चमकता सितारा
सैट पर सब चीज़ें अपनी जगह पर पहुँच गई थीं। डॉली और पूजा को दो खम्बे से बाँध दिया गया था और दोनों के मुँह टेप से बंद किए हुए थे।
मैंने एक आखिर फाइट सीन ख़त्म किया और दोनों जहाँ बंधी हुई थीं.. वहाँ पर पहुँच गया।
लाइट.. कैमरा.. एक्शन..!
अभी अभी जो मैंने फाइट सीन किया था.. इस वजह से मैं अब तक गुस्से में लम्बी-लम्बी साँसें ले रहा था। अपने कदम बढ़ाता हुआ मैं उन दोनों की तरफ बढ़ रहा था।
कैमरे ने मेरे चेहरे को फोकस किया और मैं बस डॉली की ओर ही देखे जा रहा था, मेरी नज़रें उसकी नज़रों से जा मिली।
मेरे अन्दर जितनी भी नफरत थी.. उसके लिए वो आंसू बन मेरी आँखों में उभर आईं।
मैं दौड़ कर उसके पास पहुँचता हूँ और उसके बंधे हुए हाथ-पाँव को बंधन से आज़ाद करता हूँ। जहाँ-जहाँ रस्सियों के कसाव की वजह से कोमलन उभर आए थे.. उन जगहों को चूमता हुआ और अपनी आंसुओं से भिगोता हुआ.. उसे आज़ाद करके अपनी बांहों में भर लेता हूँ।
मैं- काश.. कि तुम्हारे ज़ख्मों का दर्द मुझे मिल जाता.. काश कि.. तुम्हारी हर तकलीफ मैं खुद पर ले पाता।
डॉली- मुझे तुम मिल गए.. तो ये सारा जहाँ मिल गया।
उसकी ये लाइनें मेरे ज़ज्बातों को उधेड़ कर रख देती हैं.. पर फिर भी मैं खुद पर काबू करता हूँ।
मैं- आज मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूँ।
डॉली- मैंने तो अपनी जान भी तुम्हारे नाम कर दी है.. अब और बचा ही क्या है।
मैं अपने घुटनों पर बैठता हुआ बोला- तुम्हारी जिंदगी का हर लम्हा मैं अपना बना कर बिताना चाहता हूँ। तुम में खो कर खुद को पाना चाहता हूँ। बस मैं वो वक़्त चाहता हूँ.. जिसमें बस तुम मेरी बांहों में हो..
डॉली- तुम्हें इजाज़त है… मेरा हर लम्हा चुराने की।
डॉली की आँखों में आंसू थे, मैंने उन आंसुओं को पोंछ कर उसके होंठ चूम लिए।
मैं खो चुका था उसमें… फिर मैंने उसकी आँखें देखीं और हर वो कड़वी यादें.. जो उसके साथ जुड़ी थी’.. ताज़ा हो गईं।
गुस्से से मेरी साँसें फिर तेज़ हो गईं.. मैंने उसे धक्का दिया और चिल्लाने लगा..
मैं- कौन हो तुम? और तुमने इस तरह मुझे क्यूँ पकड़ा हुआ है?
डॉली अब अचम्भे में थी, मैंने अब पूजा को आज़ाद किया, पूजा आज़ाद होते ही मुझे एक जोर का थप्पड़ जड़ देती है।
मैं- मैं नहीं जानता उसे… मैंने तो बस अपने हर ख्वाब में तुम्हें ही सजाया है। मेरे हर सपने में बस तुम ही तुम बसी हो। मैं नहीं जानता कि वो कौन है और मेरे साथ ये सब क्यूँ कर रही थी।
पूजा- कौन हो तुम?
मैं- तुम आज मुझे नहीं पहचानती हो। जिंदगी की इतनी मुश्किलों के बाद मैंने तो जिंदगी की आस ही छोड़ दी थी। अपने जीने के एहसास को ही खो दिया था मैंने.. अगर आज मैं जी रहा हूँ तो मेरे जीने की वजह तुम ही तो हो और तुम्हीं मुझे ठुकरा रही हो। मैं वही हूँ.. जिसे तुमने और जिसने तुम्हें हमेशा के किए अपना मान लिया था।
मैं ये सब कह ही रहा था कि पीछे से विलन के एक आदमी ने मेरे सर पर रॉड से वार किया और मैं गिर पड़ा।
कट इट.. ज़बरदस्त शॉट.. !!
चारों तरफ से तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। शायद अब मैं एक्टिंग सीख गया था..!
मैं वहाँ से अपनी वैन में आया और आज मैंने आगे के और दो सीन पूरे कर लिए।
मेरे हर शॉट के साथ तालियों की गूंज बढ़ती ही चली गई। वहाँ मौजूद हर इंसान को मैंने अपना दीवाना बना लिया था।
मैं अब वापस घर की ओर निकल पड़ा। मैं जब गाड़ी की तरफ बढ़ रहा था.. तब फिर से रिपोर्टरों के हुजूम ने मुझे घेर लिया.. पर मैं अब और कोई सवाल नहीं चाहता था.. सो मैं उनसे खुद को दूर करता हुआ अपनी कार में बैठ गया।
मैं घर पर पहुँचा तो सब लोग टीवी के सामने ही बैठे थे।
मैंने कहा- क्या आ रहा है टीवी पे..? जो इतने गौर से देख रहे हो आप सब?
काजल- तुम खुद ही देख लो।
लगभग हर न्यूज़ चैनल पर मेरे और डॉली की हर तस्वीर को किसी फिल्म की तरह चलाया जा रहा था और बैकग्राउंड में वहीं गाना बज रहा था जो आज मैंने डॉली को डेडीकेट किया था।
पापा- लड़की अच्छी है.. पर इसमें रेखा जी जैसी बात नहीं है।
मैं- अपनी-अपनी नज़र है। वैसे मम्मी को बताऊँ कि आप रेखा जी से मिलने को कह रहे हो?
पापा- अरे तुम्हें अच्छा लगेगा.. कि तुम्हारा बाप तुम्हारे सामने पिट जाए?
फिर हम दोनों हंसने लग गए, मैंने पूछा- फिल्म की रिलीज़ तक आप हो न यहाँ?
पापा- हम सब को बस तुम्हें देखना था और अब हमारा बेटा सुपर स्टार बन गया है। यहाँ नहीं.. घर आओ फिर हम ढेर सारी बातें करेंगे।
मैं- बस पंद्रह दिनों की तो बात है.. आप रुक जाईए न..?
पापा- कुछ अधूरे काम हैं.. उन्हें पूरा करना है, घर पर आओ और तब हम साथ में जश्न मनाएँगे।
मैं- ठीक है आप जैसा कहें।
दो दिन बाद सब लोग चले गए, मैं फिर से अकेला हो गया था। अब प्रमोशन की बारी थी, वैसे तो मेरे और डॉली के काण्ड ने लगभग इस फेज का हर काम पूरा कर ही दिया था.. पर यशराज कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते थे।
जितना भी मैं और डॉली साथ दिखते.. कैम्पेन उतना ही आगे बढ़ता जा रहा था।
फिल्म से जुड़े हर लोग हमें साथ ले जाते और हर जगह मेरे हर ज़ख्म कुरेदे जाते। अब तो दर्द का महसूस होना भी बंद हो गया था।
पूरे देश में इस फिल्म को लेकर जबरदस्त क्रेज हो गया था। आखिर वो रात आ ही गई जब अगले दिन मेरी फिल्म परदे पर आने वाली थी। उस रात मैं अपने अपार्टमेंट में था।
पायल- कैसा लग रहा है तुम्हें?
मैं- नींद आ रही है। प्लीज मुझे सोने दे।
ललिता- कुम्भकर्ण कहीं के.. आज तो तुम कुछ भी कहो.. हम सब तुम्हें सोने नहीं देंगे।
मैं- हाँ अब तुम तीन और मैं अकेला मासूम बच्चा.. कर लो अत्याचार मुझ पर..
तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई।
ललिता ने दरवाज़े को खोला तो सामने डॉली हाथ में शराब की बोतल लिए खड़ी थी.. कंधे पे’ एक बैग भी था। वो आई और हम सबके साथ बैठ गईं।
मैं- मुझे आज कुछ ऐसा ही लग रहा था कि तुम आओगी ज़रूर।
डॉली- कल सिर्फ तुम्हारी ही नहीं बल्कि हमारी फिल्म भी रिलीज़ हो रही है। (मेरी ओर देखते हुए) साले तुमने मेरी इमेज की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। प्यार का नाटक करना बंद भी कर दो। यहाँ सब बस मतलब के यार हैं.. यहाँ कोई किसी से सच्ची मुहब्बत नहीं करता..
मैं- तुम्हें कभी भी यह नहीं लगा कि मैं तुम्हें सच में प्यार करता हूँ..?
डॉली मेरे सवाल पर ध्यान ना देते हुए कहने लगी- आज उसने भी मुझे छोड़ दिया.. कहता है कि मेरे साथ अब जो भी रहेगा.. उसकी इमेज खराब हो जाएगी। मेरा तो मन करता है कि तुम सबकी जान ले लूँ।
मैं- अभी भी जान लेने में कोई कसर बाकी रह गई है क्या?
डॉली- तुम अब तक नहीं बदले। मुझ पर एक एहसान कर दो…. प्लीज आज मेरी जान ले लो तुम। जब-जब मैं तुम्हारी आँखों में देखती हूँ.. हर बार मुझे यह एहसास होता है कि कितनी बुरी हूँ मैं.. अपने आप से ही घिन सी होने लगी है मुझे..
मैं- तुमने ज्यादा पी हुई है, अभी यहीं आराम करो.. कल सुबह बात करेंगे।
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