RE: Desi Porn Kahani मेरी चाची की कहानी
गाओं मे लोग रात को जल्दी ही सो जाते है, रात के 8 बजे होंगे सब लोगोने खाना खा लिया था और सोने की तैयारी कर रहे थे. मैने देखा फूफा छत पर सोने जा रहे थे, छत पर सिर्फ़ छोटे बच्चे ही सोते थे, औरते घर मे और ज़्यादा तर मर्द लोग दालान मे ही सोते थे. फूफा ने टेरेस के एक कोने की तरफ अपना बिस्तर लगा दिया था, पर उन्हे नीद नही आ रही थी उन्होने अपने जेब से सिगरेट का पॅकेट निकाला और पीने लगे, मे और चाची का बड़ा बेटा विकाश उनके पास के बिस्तर पर ही सो रहे थे, फिर फूफा ने अपनी कमीज़ और पॅंट निकाली और लूँगी पहन ली. तकरीबन 1घंटे. के बाद मुझे किसी के आने की आहट सुनाई दी मैने तुरंत अपनी आँखे बंद करली और महसूस किया कि कोई हमारे पास खड़ा है, टेरेस पर लाइट नही थी पूरा अंधेरा था मैने धीरे से अपनी आँख खोली देखा चाची हमारे उपर चादर डाल रही थी, फिर चाची हमारे पास बैठ गयी और देखने लगी की हम सोए है की नही फिर कुछ देर मे वो उठी और फूफा के बिस्तर पास जा रही थी, चाची के हाथ मे एक तैल की सीसी थी, चाची फूफा के बिस्तर पर बैठ गयी और उन्हे जगाया.
फूफा: "अर्रे तुम आगाई.."
चाची: "हमे बुला कर खुद घोड़े बेच कर सो रहे हैं"
फूफा: "अर्रे नही मे तो आप का इंतज़ार कर रहा था..मुझे लगा आप नही आएँगी"
चाची: "कैसे नही आती..पहली बार तो आपने हम से कुछ माँगा है"
फूफा: "तो फिर सुरू हो जाओ"
फूफा उल्टा लेट गये और चाचीने सीसी से टेल निकाल कर अपने हाथों पर लिया और फूफा के पीठ (बॅक) पर लगाने लगी, फूफा ने कहा "कोमल्जी आपके हाथ बड़े मुलायम है"
चाची: "वैसे भी औरतों के हाथ मर्दो को मुलायम ही लगते है"
फूफा: "पर आप के हाथ की बात ही कुछ निराली है..आपके हाथो मे तो जादू है..प्रकाश बड़ा नसीब्वाला है"
चाची: "अब ज़्यादा तारीफ करने की कोई ज़रूरत नही"
फूफा: "ठीक है नही करता..लेकिन क्या रात भर आप मेरे पीठ की ही मालिश करोगी"
चाची: "तो घूम जाइए ना"
फूफा घूम गये और चाची उनके सीने और हाथ पर मालिश करने लगी, फूफा लगातार चाची को घूर रहे थे, चाची उन्हे देख कर शरमा गयी और चेहरा नीचे करके मालिश करने लगी. चाची के कोमल हाथ फूफा के पूरे सीने पर फिर रहे थे, फूफा भी थोड़े गरम हो गये थे उनका लंड काफ़ी तन गया था और लुगी भी थोड़ी सरक गयी थी, लंड का उभार शायद चाची ने भी देखा था पर वो चुप चाप फूफा की मालिश कर रही थी, तभी फूफा ने कहा “कोमल्जी ज़रा पैरो की भी मालिश कर दो” चाची बिना कुछ बोले उनके पैरों की मालिश करने लगी, कुछ देर बाद फूफा बोले “कोमल्जी जर उपर जाँघ (थाइस) की तरफ भी तैल लगा दो” चाची एक दम सहम गयी, थाइस पर कैसे हाथ रखती उनका अंडरवेयीर तो तना हुआ था पर चाची हिम्मत कर करके उनके थाइस पर मालिश करने लगी शायद चाची पहली बार की गैर मर्द के थाइस को छू रही, फूफा का लंड तो कपड़े फाड़ कर बाहर आने को तैयार था. थाइस पर मालिश करते समय चाची हाथ एक दो बार उनके अंडरवेर को छू गया था, जिससे फूफा और भी गरम हो गये थे. शायद चाची भी फूफा के पैर के घने बालो (हेर) का मज़ा ले रही थी, कुछ देर बाद फूफा ने चाची के थिग्स पर हाथ रख कर कहा “कोमल्जी ज़रा ज़ोर्से दबाइएना बड़ा अछा लग रहा है” चाची फूफा के हाथ को अपनी थाइस पर महसूस कर थी, चाची भी शायद कुछ हद तक गरम हो रही थी शायद शादी के दौरान उनका संभोग (सेक्स) चाचा से नही हुआ हो. फूफा फिर अपना हाथ उनके थाइस से हटा कर चाची की कमर पर प्यार से फिराने लगे, चाची बोली “गुदगुदी हो रही है”
फूफा: “आप तो अपने नाम से भी ज़्यादा कोमल है”
चाची: “कोमल तो हूँ, देखिए दोपहर मे जो आपने चींटी ली थी उसका निशान अभी भी है”
फूफा: “कहाँ..बताइए?”
चाची अपनी सारी को हटा कर कमर दिखाने लगी, फूफा को मौका ही चाहिए था, वो हाथ से उनकी कमर को सहलाने लगे और हाथ को थोडा पीछे करके सारी के अंदर हाथ डाल दिया, हाथ पूरी तरह अंदर नही गया था, पर वो चाची के चूतर को ज़रूर छू रहे थे.
क्रमशः.............
|