RE: Desi Porn Kahani मेरी चाची की कहानी
मैं फ्रेश हुआ और ब्रेकफ़स्ट के लिए किचन मे गया देखा मा और बुआ किचन मे खाना बना रहे थे मुझे देख कर बुआ ने पूछा "राज आज तो बड़ी जल्दी उठ गया नाश्ता किया?" मैने सर हिलाते हुए ना कहा बुआ बोली "जा फूफा को भी बुला लेआ, दो साथ मे ही नाश्ता कर्लो" मैं उन्हे बुलाने उपर की तरफ जाने लगा तभी देखा भूरा चुप चाप बाथरूम के पास खड़ा है मैने सोचा वो भी नाश्ते के लिए आया होगा पर वो अजीब सी हरकत कर रहा था बार बार बाथरूम की तरफ देखता और फिर तुरंत पीछे देखने लगता. मुझे देख कर वो थोड़ा घबराया और वही चुप चाप खड़ा हो गया पर मैं बिना रुके उपर चला गया और फूफा को नाश्ते के लिए नीचे आने के लिए कहा. फिर मैं दबे पैर बिना आवाज़ किए नीचे आया और छुप कर भूरा को देखने लगा वो बाथरूम की दरार से अंदर की तरफ देख रहा था मैं सोच मे पड़ गया कि ये क्या देख रहा है वैसे भी सुबह का समय था शायद उस भी नहाना हो पर वो तो डेली दालान मे हॅंडपंप पर नहाता है मे वहाँ से निकला और किचन की तरफ जाने लगा भूरा ने मुझे देखा और फिर वहाँ से चला गया.
कुछ देर बाद मैने देखा चाची बाथरूम से बाहर निकल रही है, उन्होने सिर्फ़ वाइट कलौर की ब्लाउज और पेटिकोट ही पहने हुई थी और उनके हाथ मे टवल था, मुझे देखते ही पूछी "राज..विकी उठ गया?" मैने कहा "वो अभी तक सो रहा है" ये कहती हुई प्रेम चाच्चा के कमरे मे चली गयी और फिर सारी पहन कर निकली और उपर छत (टेरेसए) की तरफ चली गयी. मैं किचन मे गया और कुछ देर बाद फूफा, प्रकाश और प्रेम चाच्चा भी आ गये थे हम सब बैठ कर नाश्ता करने लगे तभी चाची किचन मे आई और चाइ पीने लगी, फूफा तिरछी नज़र्से चाची को देख रहे थे चाची भी देख रही थी दोनो मुस्कुरा रहे थे. मैं और प्रकाश चाच्चा हाथ ढोने के लिए बाहर आए तभी मैने देखा फूफा कुछ चाची को इशारा कर रहे है पर चाची कुछ समझ नही पा रही थी फिर फूफा भी बाहर आए, चाच्चा और फूफा कुछ बाते कर रहे थे. तभी चाची वहाँ आई और चाच्चा से कहने लगी "आप शाम मे कब तक आज़ाओगे?"
प्रकाश चाच्चा: "कुछ ठीक नही है..रात हो जाएगी, क्यूँ कुछ काम था"
चाची: "नही...कुछ बाज़ार से समान मंगाना था"
प्रकाश चाच्चा: "तो ठीक है देदो मे आते वक़्त ले आउन्गा"
चाची: "रहने दीजिए मे किसी और से मॅंगा लूँगी"
फूफा: "क्या लाना है मुझे बता दीजिए मे ले आता हूँ"
प्रकाश चाच्चा: "हाँ...राजेश जी भी बाज़ार जाने वाले है, इन्हे देदो ये ले आएँगे"
फिर प्रकाश चाच्चा और फूफा दालान मे चले गये, मैं समझ गया आज दोपहर मे चाच्चा नही है, फिर तो फूफा आज ज़रूर मज़े करेंगे. उनके जाते ही भूरा आया और चाची को नाश्ते के लिए बोला.
चाची:" भूरा नाश्ता करके ज़रा ये चावल की बोरी छत पर पहुँचा दे!"
भूरा:" जी मालकिन"
चाची: "और हां...अभी तू कहीं जाना मत थोड़ा छत पर काम है, कपड़े सुखाने है और थोड़ा कमरे की सफाई करनी है"
भूरा: "ठीक है मालकिन मे कर दूँगा"
इतना बोलते हुए चाची नाश्ता लाने अंदर चली गयी, भूरा वही आँगन मे बैठ गया जब चाची नाश्ता देने के लिए झुकी उनकी चूंचिया नीचे लटक गयी ये देख कर भूरा की आँखे बड़ी हो गयी. नाश्ता करने के बाद भूरा ने चाची को आवाज़ दी "छोटी मालकिन ये बोरी कहाँ रख ना है?" चाची: "कमाल के कमरे मे रखना". भूरा ने बोरी उठाई और उपर ले गया चाची भी कपड़े की बाल्टी लिए उपर आ गयी, ये देखते ही भूरा ने बाल्टी चाची के हाथ से ली और छत पर चला गया. चाची कपड़े सुखाने लगी, भूरा वही खड़ा था और चाची के बदन को घूर रहा था, चाची ने सारी थोड़ी उपर चढ़ा रखा था जिनसे उनके गोरे गोरे पैर साफ दिख रहे थे चाची जब जब कपड़े लेने के लिए नीचे झुकती भूरा अपना लंड सहलाने लगता, पानी लगने की वजह से चाची की ब्लाउज थोड़ी गीली हो गयी और निपल दिख रहे थे. भूरा बड़े मज़े से ये सब देख रहा था तभी चाची बोली "भूरा जाके नीचे के दोनो कमरे साफ कर्दे" भूरा बोला "और कुछ काम है मालकिन" चाची बोली " नही तू जा मैं ये कपड़े सूखा लूँगी".
मैं ये सब दालान से देख रहा था फिर मैं भी उपर अपने कमरे मे चला गया और भूरा को देखने लगा, भूरा सब से पहले चाची के कमरे मे गया और सफाई करने लगा तभी उसकी नज़र टेबल पर रखे हुए कपड़े पर पड़ी वो उन्हे उठा कर एक तरफ रखने लगा तभी उसने देखा उन कपड़ो मे चाची की ब्रा और पॅंटी थी ये देख कर उसके चेहरे पर चमक आ गयी उसने यहाँ वहाँ देखा और ब्रा और पॅंटी को अपने नाक से लगा कर सूंघने (स्मेल) लगा. मुझे ये सब बड़ा अजीब लग रहा था की ये भूरा क्या कर रहा है, फिर अच्छाणक उसने अपने हाथ अपने लंड पर रखा और उस दबाने लगा कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा मे उस का लंड देख कर डर गया, उसका लंड एक दम कला और तकरीबन 8इंच. लंबा और 2इंच मोटा होगा, मुझे लगा ये इंसान का लंड है या जानवर का. तभी मुझे सीढ़ियों से नीचे आने की आवाज़ आई मे अपने कमरे मे चला गया (आप लोगो को बता दूं कि मेरा कमरा चाची के कमरे के एक दम पास मे है और सीढ़ियों से उतरते ही राइट हॅंड साइड मे चाची के कमरे की खिड़की है जो सीढ़ियों से साफ दिखती). नीचे उतरते वक़्त चाची की नज़र उनकी खिड़की की तरफ पड़ी और वो वही रुक गयी और छुप कर अंदर देखने लगी, मुझे पता था चाची अंदर भूरा का लंड देख रही है, उनके चेहरे से साफ दिख रहा था कि उन्होने भी इतना मोटा लंड पहली बार देखा है, चाची की आँखे बड़ी हो गयी थी और चेहर लाल पड़ रहा था, अपने एक हाथ से चूंचियों को दबा रही थी. चाची वहाँ काफ़ी देर तक खड़ी रही शायद उन्हे भी ये नज़ारा अच्छा लग रहा था. कुछ देर बाद भूरा मेरे कमरे मे आया मैं उसे बिना देखे कमरे से बाहर निकल गया, चाची भी नीचे जा चुकी थी.
मैने अब दोपहर का इंतज़ार करने लगा, उस दिन मे बाहर खेलने नही गया और और चाची पे नज़र रखने लगा की चाची कहाँ जा रही है, क्या कर रही है. दोपहर के 1 बाज गये थे सब खाने के लिए बैठ थे, पर फूफा की नज़र तो चाची को ही ढूंड रही थी. सबने खाना खा और दोपहर की नींद की तैयारी मे लग गये पर फूफा तो बड़ी बेचैन नज़रों से चाची को ढूँढ रहे थे पर चाची दिखी नही. फूफा उपर अपने कमरे की तरफ जा रहे थे मे भी मौका देख कर उनके पीछे चल दिया पर वो तो सीधे चाची के कमरे मे घुस गये, मे भी दबे पैर अपने कमरे मे चला गया और वहाँ से सुनने की कोशिस करने लगा, चाची अपने कमरे मे थी.
क्रमशः.............
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